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कहानी का पिछला भाग: पुणे की चुदासी हेमा-3
मैं उसे जीभ से चोदने लगा.. वो मदमस्त होकर मजा उठा रही थी। थोड़ी देर बाद उसने कुछ झटके दिए.. उन्हीं झटकों के साथ उसकी चूत से पानी बाहर आने लगा जो कि मैं पी गया.. काफी अलग स्वाद था.. पर अच्छा लगा।
अब हेमा कहने लगी- राज अब बस भी करो और मत तड़पाओ.. तुम अपना लंड निकालो और घुसा दो.. मेरी चूत में.. मेरी आग बुझा दो.. ऐसा कहते ही उसने मेरी टी-शर्ट और जीन्स उतार दी.. मेरा अंडरवियर खींच कर निकाल फेंका.. इसी के साथ मेरा फनफनाता काला लम्बा मोटा नाग उसके सामने आ गया।
उसे देख कर वो खुश होकर कहने लगी- वाह.. इतना मोटा और लम्बा.. सपने में जो देखा करती हूँ.. यह उससे भी अच्छा है।
मैं उसके सामने अपना मूसल लण्ड लहराने लगा।
उसने मुझे बताया- जब से तुम मुझे मिले हो.. तब से मैं तुम्हारे प्यार में पागल हो चुकी हूँ और हर रात सपने में तुमसे चुदती थी। मैंने कई बार अपने दिल की बात बताने की सोची थी.. पर मुझे डर था कि तुम मुझे शादीशुदा होने के कारण छोड़ ना दो.. मैंने मन ही मन तुम्हें अपना पति मान लिया था।
हेमा ने यह कहते हुए मेरा काला मोटा लंड अपने मुलायम नाजुक हाथों में पकड़ लिया। उसके मुलायम नाजुक हाथों का स्पर्श पा कर मेरा लंड और कड़क हो गया। हेमा ने मेरा कड़क लंड अपने मुँह में भर लिया। हेमा आज के मॉडर्न ज़माने की औरत थी.. उसे मेरा लंड मुँह में लेने में जरा सी भी झिझक नहीं हुई।
वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चाट रही थी। वो अपनी जीभ मेरे गरम-गरम लंड पर फेर रही थी.. मैं तो जन्नत में था। मेरा लौड़ा चुसवाने का सपना साकार हो रहा था।
एक हसीना मेरा लंड पागलों की तरह चाट रही थी.. चूस रही थी.. मुझसे रहा नहीं गया और उत्तेजित होकर उसके मुँह में 4-5 झटके दिए और मैंने वीर्य की पिचकारी उसके मुँह में छोड़ दी। वो मजे से मेरा सारा वीर्य पी गई और फिर उसने मेरा लंड चाट-चाट कर साफ कर दिया।
अब उसने मुझे बिस्तर पर लेटा कर मेरे ऊपर चढ़ गई और 69 में आ कर अपनी चूत मेरे मुँह पर लगा दी। मैं उसकी चुदासी चूत चाटने लगा और हेमा भी खुद मेरा लंड फिर से चाटने लगी।
थोड़ी ही देर बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और मुझ में नया जोश आ गया। तब तक हेमा की चूत ने मेरे मुँह में पानी छोड़ दिया था।
अब मैंने हेमा को बिस्तर पर लिटाया और उसकी टाँगें ऊपर करके अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा और एक झटका मारा तो मेरा लंड फिसल गया। फिर मैंने दुबारा कोशिश की.. पर इस बार भी मेरा लंड फिसल गया.. उसकी चूत बहुत कसी हुई थी और मैं भी नया खिलाड़ी था।
तब हेमा ने मेज पर रखी केश तेल की बोतल से मेरे लंड को खूब तेल लगाया और खुद की चूत में भी बहुत सारा तेल डाल लिया।
इस बार हेमा ने मेरे लंड को चूत का रास्ता दिखाते हुए सही छेद दिखाया और मैंने भी अब जोर से झटका देते हुए उसकी चूत फाड़ दी और लंड अन्दर तक घुसेड़ दिया।
उसकी चूत की माँ चुद गई.. उसकी जोर से चीख निकल गई.. उसकी चीख सुन कर मुझे लगा कि अगर स्नेहा जाग गई तो सारा मूड ख़राब हो जाएगा, यह सोच कर मैं उसको चुम्बन करने लगा ताकि उसकी आवाज दब जाए।
मैं उसको चीखने से रोकने में सफल हो गया। मेरा लंड हेमा की चूत में अन्दर तक जा चुका था और बिना हिले मैं उसके होंठों का रसपान करने लगा।
उसका दर्द कुछ कम हो गया और वो कुछ ही पलों के बाद अपनी गांड ऊपर उठा कर धक्के देने लगी। मैं समझ गया कि अब वो चुदने को तैयार है।
मैं कोई जल्दी में नहीं था.. और उसे धीरे-धीरे से चोद रहा था ताकि उसे पूरा मजा आए, मैंने उसकी कमर के नीचे दो तकिये रख दिए और लंड को चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। पूरे बेडरूम में उसकी मादक सिसकारियाँ और ‘फच्च-फच्च’ की आवाजें आ रही थीं। हेमा पागलों की तरह बोल रही थी- आहह्ह्ह्ह.. कम ऑन राज.. फक मी हार्ड.. उम्म्म.. अह्ह्ह.. जोर-जोर से चोदो मुझे.. आह्हह्ह.. उम्म्म.. कहाँ था हरामी तू.. इतने दिनों से कहाँ था? आह्ह्ह.. उम्म्म्म.. किधर माँ चुदा रहा था साले.. बहुत दिनों से तेरे लंड की प्यासी थी आह्ह्हह.. फाड़ दे.. रगड़ दे.. जोर से चोद.. और जोर से आह्ह्ह्हह्ह.. अह्ह्ह..
हेमा की इन बातों से मैं और भी जोश में आ रहा था, मेरे लंड में और ताकत भर रही थी। मैं और जोर-जोर से उसकी चूत चोदने लगा था, मेरा लंड जोर-जोर से राजधानी एक्सप्रेस की तरह अन्दर-बाहर हो रहा था, पूरा कमरा ‘फच्च-फच्च’ की आवाज से गूंज रहा था।
शायद वो अब झड़ चुकी थी और उसकी चूत पानी छोड़ रही थी। इसी के कारण चुदाई काफी आसान हो रही थी। हेमा के चहरे पर मैं दर्द और ख़ुशी दोनों महसूस कर रहा था, मैं उसे जोर-जोर से चोद रहा था.. पूरे कमरे में फच्च-फच्च की आवाजें आ रही थी। हेमा की सेक्सी आवाजें सुनाई दे रही थीं- आई लव यू राज.. आई लव यू सो मच.. फ़क मी हार्ड.. मुझे तुम्हारी रखैल बना लो.. वो साला बहन का लौड़ा मुझे यहाँ तड़पता छोड़ गया, साला अपनी बहन को चोद रहा होगा.. आह्ह.. अब तू यहाँ मुझे चोद.. आह्ह..
हेमा पूरी तरह से पागल हो चुकी थी। उसे समझ नहीं थी कि वो क्या बोल रही है.. पर ये सब मुझे अच्छा लग रहा था और मैं हेमा की गरम चूत में अपना कड़क लंड जोर-जोर से पेल रहा था, मेरे हाथ उसके मम्मों को दबा रहे थे। इस दौरान वो दो बार झड़ चुकी थी।
मैं हेमा को उठा कर बाथरूम में लेकर गया.. बाथ-टब में उसको डॉगी स्टाइल में खड़ा करके चोदने लगा और ऊपर से शॉवर शुरू कर दिया। सच में बहुत मजा आ रहा था.. ऊपर से ठंडा-ठंडा पानी और नीचे आग लगी थी। मेरा धकापेल अन्दर-बाहर होने वाला लंड.. उधर ऊपर से गिरता पानी… अह.. दोनों की वजह से बाथरूम में ‘पचक-पचक…फच्च-फच्च’ की आवाजें गूंज रही थीं।
अब मैं सातवें आसमान पर था.. मैंने हेमा से कहा- अब मेरा पानी निकलने वाला है..
हेमा ने कहा- मुझे पीना है। उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और जोर-जोर से चूसने लगी, मैं भी उसका सर पकड़ कर उसके मुँह को चोदने लगा, मेरा लंड उसके गले तक जा रहा था। कुछ ही झटके देने के बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया.. उसने एक-एक बूंद पी ली, मैं पूरा निढाल हो गया और बाथटब में लेट गया। हेमा अब भी मेरा लंड चूस रही थी.. चाट रही थी और मैं उसके मम्मों के साथ खेल रहा था।
हम थोड़ी देर वहीं लेटे रहे.. हेमा ने मुझे ‘थैंक-यू’ कहा और चुम्बन लिया। आज हेमा के चेहरे का सुकून और शांति देखते ही बन रही थी।
हम दोनों बहुत खुश थे.. हेमा को बरसों बाद लंड मिला था और मुझे मेरी पहली चूत मिली थी। पता नहीं हमने जो कुछ भी किया वो सही था या गलत.. पर हम खुश थे।
अब शाम के 7 बज रहे थे.. हम थोड़ी देर बाद साथ में नहा कर स्नेहा को उठाने चले गए, बाद में होटल जाकर खाना खाया.. फिर मैं अपने घर जाने के लिए निकला.. पर हेमा मुझे इतने जल्दी छोड़ने वाली नहीं थी.. वो मुझे फिर अपने फ्लैट में ले गई।
रात में क्या हुआ? वो मैं आप सबके ईमेल आने के बाद बताऊँगा। यह मैंने अन्तर्वासना पर अपनी पहली सच्ची घटना प्रस्तुत की है। आप सबके ईमेल का इंतजार रहेगा। हेमा मुझे तुम्हारे ईमेल का भी इंतजार है.. हमारी कहानी को मैंने कैसा लिखा है.. ये जरूर बताना.. हेमा आय स्टिल लव यू।
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