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मेरा नाम रितिका है.. घटना के वक्त मैं 18 साल की थी। एक बार मेरे मामाजी मेरे घर आए और मेरे पिता से आज्ञा लेकर मुझे अपने घर लेकर चल पड़े।
वे रास्ते में बस में मुझे खूब खिलाते-पिलाते रहे। वे कई बार अपनी कोहनी मेरे सीने के उभारों पर दबा देते थे। मुझे पहले तो कुछ अजीब सा लगा.. पर मुझे अच्छा लग रहा था तो मैंने कुछ नहीं कहा.. जिससे उनकी हिम्मत बढ़ गई और वे बिना किसी रोक-टोक के मेरे मम्मों को अपनी कोहिनी से मसलते रहे।
रास्ते में रात हो गई, मामा बोले- आज रात किसी होटल में रूकना पड़ेगा।
मैंने भी ‘हाँ’ कर दी.. हम लोग होटल में पहुँच कर नहाने के बाद खाना खाकर लेट गए।
मैं थकान के कारण शीघ्र सो गई। बाद में मुझे अपने शरीर से किसी के छेड़-छाड़ के अहसास के बाद मेरी नींद खुली। मैंने देखा.. मामा मेरे उरोजों को दबा रहे थे। मुझे मजा तो आ रहा था पर तब भी मैंने इस बात का उनसे विरोध किया.. तो मामा मुझसे बोले- अगर ज्यादा चूं-चपड़ की.. तो यहीं छोड़ कर चला जाऊँगा। मैं डर गई।
मामा ने कहा- जैसे कहता हूँ.. वैसा करोगी तो तुमको भी खूब मजा आएगा। मैंने कुछ नहीं कहा और उन्होंने मेरी मूक सहमति मान ली।
अब उन्होंने मुझसे कहा- अपनी समीज उतारो। मैंने उत्तेजना और डर के कारण अपनी समीज उतार दी। वे मेरे उरोजों का मर्दन करने लगे। मुझे अजीब सी गुदगुदी होने लगी।
मामा बोले- मजा आ रहा है?
मैंने कहा- हूँ..
वो बोले- और मजा लेना है तो सलवार भी उतार दो। मैंने अपने कपड़े उतार दिए।
मामा भी पूरे नग्न होकर बोले- मेरे लिंग को होंठों में दबाकर चूसो। मैंने अभी तक इतने नजदीक से लिंग नहीं देखा था, उनका बड़ा और खड़ा लिंग हाथ में लेकर चूसने लगी।
मामा मेरा सर दबाते हुए बोले- पूरा अन्दर लेकर बाहर निकालो।
मैंने उनके अनुसार किया तो मामा मेरे मुँह में ही धक्के लगाने लगे। एक बार उनका लिंग मेरे गले में लग गया.. तो मुझे खाँसी आने लगी। मैंने लिंग बाहर निकाल दिया।
मामा बोले- थोड़ी देर मुँह खोलकर बैठो।
अब वे मेरे सामने हस्तमैथुन करने लगे.. कुछ देर बाद उनके वीर्य की जोरदार पिचकारी मेरे मुँह में पड़ी.. उनके सफेद वीर्य का कुछ भाग मेरे गले के अन्दर चला गया। मुझे ना चाहते हुए भी वीर्य का स्वाद मिल गया।
मैं अब उनसे खुल गई थी मैंने भी उनसे कहा- मामा आप भी मेरे योनि को चाटो न.. वे मेरी नाजुक योनि जोकि अभी कच्चे आम की कैरी जैसी थी, अपनी जीभ से चाटने लगे और मैं चूत में होने वाली सनसनी से उत्तेजना में छटपटाने लगी- ब…बस मामा.. मैं तो गई आह.. मामा.. मेरा स्खलन हो गया था.. पर मामा ने मेरी चूत को चूसना नहीं छोड़ा और जोर-जोर से वे मेरी चूत को चाटते रहे।
उत्तेजना की अधिकता से मेरी योनि से मूत्र की पिचकारी छूट गई.. मामा ने तब भी मेरी योनि को नहीं छोड़ा।
‘अरे.. अरे.. मामा.. क्या कर रहे हो..? मेरी पेशाब भी पी जाओगे क्या..?’
मामा बिना बोले मेरे मूत्र को गटक गए और बोले- अनछुई बाला का मूत्र पुरानी शराब से भी ज्यादा मजा देता है।
फिर कुछ देर तक हम दोनों एक-दूसरे से चिपके रहे। अब मामा मेरे सीने की गोलाईयों से खेलने लगे.. उनका लिंग पुनः खड़ा होने लगा, उन्होंने मुझे कामुक नजरों से देखा और चोदने का इशारा किया तो.. मैं टाँगें फैलाकर लेट गई।
मामा ने ढेर सारा थूक मेरी योनि पर थूक कर मल दिया, फिर अपना लिंग मेरी योनि में लगा कर अन्दर को धकेल दिया, उनके लिंग का कुछ सुपारा समेत कुछ हिस्सा मेरी योनि में फंस गया।
मैं दर्द से बिलबिला कर चीख उठी- आई.. मामा.. बस करो.. बहुत दर्द हो रहा है.. मैं मर जाऊँगी।
मामा बोले- बस..बस.. हो गया.. और बेटा आज तक कोई भी लड़की चोदने से नहीं मरी.. इसी चूत से बच्चा भी बाहर निकलता है और बच्चा तो लौड़े से बहुत मोटा होता है.. तुम बेफिक्र रहो तुमको कुछ नहीं होगा..
यह समझाते हुए उन्होंने मुझे पुचकारते हुए मेरी छातियों को दबाया और चूचुकों को चूसने लगे। मुझे थोड़ा आराम सा लगा.. तभी पूरा उन्होंने लिंग कसकर पेल कर मेरी योनि की जड़ तक पहुँचा दिया।
‘उई.. माँ.. मर गई..ई..ई.. जल्दी बाहर निकालो…’
मामा बोले- आह्ह.. बेकार में शोर मत कर..ले..
उन्होंने थोड़ा सा लिंग बाहर निकाला और मेरे होंठ बंद कर चूसना शुरू किया.. मैंने नीचे हाथ ले जाकर टटोल कर मामा के लिंग को हाथ लगाया और देखा तो खून सा था। मैं चीखने लगी- हाय मामा.. आज तूने मुझे मार डाला.. ओह्ह…
मामा बोले- चुप.. पागल लड़की..
मैंने भोलेपन से रोते हुए पूछा- क्या मैं मर जाऊँगी।
मामा बोले- पहली बार खून निकलता है.. बेटा.. अभी देखना तुझे बहुत मजा आएगा।
मैं बोली- नहीं.. नहीं.. अब मैं नहीं पिलवाऊँगी।
मामा ने मुझे गोद में बैठाया और मेरे गालों पर बहते आंसुओं को पोंछ कर चूमते हुए मेरे मम्मों को सहलाने लगे। मुझे मजा सा आने लगा। थोड़ी देर बाद फिर से उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि में डाल दिया.. इस बार दर्द कम हुआ। अब वे धीरे-धीरे लण्ड से घर्षण करने लगे।
कुछ देर तक उनसे चुदाने के बाद मुझे मजा आने लगा- आँ..अं..ऊँ… उह.. मजा आ रहा है मामा.. और जोर से.. उई.. मैं गई..
मैं झड़ने लगी.. मामा भी मेरे सीने से चिपक कर झड़ने लगे। उस रात मामा ने मुझे खूब चोदा, फिर मैं उनके साथ उनके गाँव चली गई.. गाँव में भी मामा मुझे खूब चोदते रहे। फिर कुछ समय बाद उन्होंने अपनी पसन्द के लड़के से मेरी शादी करा दी।
सुहागसेज पर मुझे पता चला कि मामा ने जिससे मेरी शादी कराई.. वो साला छक्का था.. दो इंच लंड वाला.. किसी काम का नहीं था। मैंने मामा से बात की.. तो उन्होंने बताया- मैंने जानबूझकर उससे तेरी शादी कराई.. अब दुनिया के नजरों में मेरा पति वो टुन्नू से लण्ड वाला है.. पर बंद कमरे में मामा के लौड़े से आज मेरे दो बच्चे हैं.. जब मामा नहीं रहते तो अपने पति के दो इंच के लंड से खेलती हूँ और उससे अपनी बुर चुसवाती हूँ। चूंकि मेरा पति जमींदार का बेटा था इसलिए अपने नपुंसकता को छिपाने के लिए उसने मुझे मामा से चुदवाने की छूट दे दी थी।
आज मैं 65 वर्ष की हूँ.. और मामा जी 5 साल पहले मर गए हैं। यह कहानी मेरी यादों का मेला है जो मैंने अपने परिचित सुदर्शन को बताई और आप मुझे ईमेल करने के लिए तो सुदर्शन को ही लिखें।
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