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राज मल्होत्रा की कहानी सुदर्शन मस्ती चोर के द्वारा
दोस्तो.. मैं राज मल्होत्रा आप सभी के सामने अन्तर्वासना डॉट कॉम पर अपना एक सच्चा सेक्स अनुभव लेकर आया हूँ और मैं उम्मीद करता हूँ कि यह आप सभी को यह जरूर पसंद आएगी। यह आज की कहानी मेरी नादानी के लालच से शुरू होती है.. जो जाकर मेरी जवानी की आग पर खत्म होती है। इस कहानी की शुरुआत मेरे लड़कपन से होती है।
उस वक़्त मैं गर्मियों की छुट्टियों में मैं अपनी बुआ के घर गया था। मेरी बुआ के चार बच्चे हैं और उनमें से एक लड़का बाहर ही रहता है। उनका वो लड़का शादी-शुदा है और चंडीगढ़ में नौकरी करता है। एक लड़के की अभी शादी नहीं हुई है.. लेकिन वो अभी एक प्राइवेट नौकरी कर रहा है। मेरी बुआ की एक बड़ी लड़की पढ़ाई कर रही है और छोटी लड़की जिसका नाम सिम्मी है.. वो मुझसे उम्र में कुछ साल बड़ी है।
उस वक़्त जब मैं गर्मियों की छुट्टियों में उनके घर गया था.. तब मेरी उम्र 18 साल की थी। जबकि मेरी फुफेरी बहन सिम्मी एक जवान माल थी और फाईनल साल में पढ़ रही थी। उसका फिगर बहुत ही सेक्सी था। वो बहुत स्लिम थी.. लेकिन उसकी छातियाँ बिल्कुल गोल-गोल.. बहुत बड़ी.. टाईट और तनी हुई थीं। वो बहुत ही गोरी और सुंदर थी। वो मुझे बहुत प्यार भी करती थी और मेरे साथ हमेशा लूडो और कैरम खेलती थी।
मुझे कोल्ड-ड्रिंक और बर्फ का गोला बहुत पसंद था, वो मुझे हमेशा अपनी कार में लेकर बर्फ गोला खिलाने ले जाती थी। बर्फ गोले के ऊपर गोले वाला खोया और मलाई डाल कर देता था.. जो कि मुझे बहुत ही स्वादिष्ट लगता था। वो मुझे हमेशा खुश रखने की कोशिश किया करती थी और मेरी कोई भी बात नहीं टालती थी।
मैंने कई बार उनकी गोल-गोल.. गोरी और टाईट चूचियाँ देखी थीं.. क्योंकि वो कई बार घर पर गाऊन और टी-शर्ट पहनती थी और जब भी झुकती थीं.. तो मुझे उनकी चूचियों के दर्शन हो जाते थे। मुझे उनकी छाती देखना बहुत अच्छा लगता था.. लेकिन कभी उनके साथ सेक्स का अहसास दिल में नहीं आया।
वो मुझे छोटा समझकर मेरे सामने बिल्कुल फ्री रहती थीं। वो जब घर पर अकेली होती थीं.. तो उनकी हरकत पूरी बदल जाती थी और वो ज्यादातर समय टीवी चालू करके मुझे अपने पास बैठा लेती थीं और मुझसे चिपककर बैठ जाती थीं। कभी-कभी वो मुझे अपनी गोद में बैठा लेती थीं और अपनी दोनों बाँहों से कसकर अपने सीने से लगा लेती थीं। जिसे मैं एक बहन का प्यार ही समझता था। इसमें मुझे अपनापन लगता और सेक्स का अहसास नहीं होता था।
लेकिन जब कभी वो मुझे सीधे से अपने गले से लगाती थीं.. तो मेरा चेहरा उनकी दोनों चूचियों के बीच में आ जाता था और उनके जिस्म की मादक खुश्बू और उनकी चूचियों की गर्मी और कोमल स्पर्श से मेरे अन्दर अजीब सी गुदगुदी होती थी। वो मुझे जब तक अलग नहीं करती थीं.. तब तक मैं भी उनसे चिपका ही रहता था।
कई बार जब मैं सोकर उठता था तो मुझे ऐसा लगता था कि जैसे किसी ने मेरे जिस्म के कोमल अंग यानी कि मेरे लंड मतलब कि मेरी लुल्ली के साथ कुछ किया है.. लेकिन कभी मुझे समझ में नहीं आया। उस वक्त मेरा गुप्तांग वाला हिस्सा बिल्कुल साफ था.. क्योंकि अभी वहाँ पर बाल निकलने शुरू नहीं हुए थे।
एक दिन मेरी बुआ.. अंकल और उनकी बड़ी लड़की एक शादी में शामिल होने के लिए चंडीगढ़ गए हुए थे और घर पर मेरे बड़े भैय्या, सिम्मी दीदी और मैं ही रह गए थे।
उस वक्त लोग वीडियो घर पर किराए से लाते थे और 2-3 फिल्म एक साथ देखते थे। तो एक दिन हमने भी घर पर सोमवार के दिन वीडियो प्लेयर मंगवाया और फिर हम लोग सारी रात नमकीन, मिठाई खाते रहे और चाय की चुस्कियों के साथ फिल्म देखी। लेकिन भैया एक फिल्म देखकर सो गए क्योंकि उन्हें सुबह जल्दी अपनी फैक्ट्री जाना था जबकि हमने तीनों फिल्म बड़े आराम से देखीं।
सिम्मी दीदी ने मेरा सर अपनी गोद में रखा हुआ था और मेरे बालों में अपनी ऊँगलियाँ घुमा रही थीं और सुबह सिम्मी दीदी ने भैया को नाश्ता बनाकर दिया और मैंने भी टूथब्रश करके नाश्ता कर लिया।
फिर भैया के फैक्ट्री जाने के बाद दीदी ने मुख्य दरवाजा और घर के बाकी के दरवाजे बन्द किए और कूलर चालू कर दिया। फिर हम दोनों साथ में ही सो गए। हम दोनों सब घर वालों के सामने भी साथ में ही सोते थे।
तभी थोड़ी देर के बाद दीदी ने मुझे अपनी ओढ़नी में अन्दर ले लिया और अपनी बाँहों में भींचकर अपने गाऊन के ऊपर से मुझे अपनी छाती से लगा लिया। मैं भी उनके ऊपर हाथ रखकर बिल्कुल चिपक कर सो गया। मुझ में उस वक़्त तक कभी सेक्स का अहसास नहीं आता था.. लेकिन मुझे उनके साथ चिपककर सोना बहुत अच्छा लगता था।
लगभग 3-4 घंटों की गहरी नींद के बाद मुझे अपने प्रमुख भाग यानी कि अपनी लुल्ली में कुछ गुदगुदी महसूस हुई और नींद में ही मैंने अपना हाथ नीचे रखा। लेकिन मुझे कुछ भी पता नहीं चला और फिर मैं सो गया।
तभी मुझे कुछ देर बाद पेशाब जाने का अहसास हो रहा था.. लेकिन बिल्कुल फंसा होने की वजह से मैं टॉयलेट नहीं जा पा रहा था। इसी वक़्त फिर से मुझे अपनी लुल्ली में गुदगुदी होने लगी और पेशाब का अहसास भी बहुत ज़ोर से होने लगा था।
मुझे लगा कि पेशाब बिस्तर पर ही ना निकल जाए.. जिसकी वजह से मैं डरकर झटके से उठ गया। तभी देखा कि मेरी पैन्ट मेरे घुटनों तक नीचे थी और सिम्मी दीदी मेरी लुल्ली को बड़े प्यार से चूस रही थीं। उनका गाऊन पेट तक ऊपर था और वो अपनी एक ऊँगली से अपनी चूत को सहला रही थीं।
यह सब इतना जल्दी हो गया कि उन्हें संभलने का मौका ही नहीं मिला और मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरे यूँ अचानक उठ जाने से सिम्मी दीदी बहुत घबराई हुई थीं। पूरे कमरे में बिल्कुल शांति थी और मुझे तब तक सेक्स और सकिंग या सेक्स की ज़रा सी भी जानकारी नहीं थी। फिर आख़िर में मैंने ही दीदी से कहा- आप बहुत बुरी हो.. आप इसे क्यों चूस रही थीं? यह तो बहुत गंदी जगह होती है.. इससे तो सू-सू करते हैं।
तो उन्होंने कुछ जवाब नहीं दिया और थोड़ी देर के बाद उन्होंने मुझे प्यार से समझाना शुरू कर दिया, उन्होंने मुझसे पूछा- क्या मैं तुमको अच्छी लगती हूँ? जिसका जवाब मैंने ‘हाँ’ में दिया।
इसके बाद उन्होंने मुझसे वादा लिया कि मैं यह बात किसी को नहीं बताऊँ.. क्योंकि अगर यह बात मैंने किसी को बोली.. तो उनके मम्मी-पापा से उनको बहुत मार पड़ेगी और उनकी बहुत बेइज्जती होगी और वो आत्महत्या भी कर लेंगी। फिर उन्होंने मुझे ब्लैक-मेल करते हुए पूछा- क्या तुम चाहते हो कि मुझको मार पड़े और मैं आत्महत्या कर लूँ।
ये कह कर वो रोने लगीं.. तो मैं बहुत डर गया। दरअसल मैं उनका दिल नहीं दुखाना चाहता था और मैंने उन्हें चुप कराते हुए उनसे कहा- आप प्लीज़ मेरी बात का बुरा मत मानिए..। मैंने उनसे ‘सॉरी’ भी बोला और वादा किया कि यह बात मैं कभी किसी को नहीं बताऊँगा।
तो वो बहुत खुश हो गईं और हम फिर से पहले जैसे हो गए लेकिन वो अब मुझसे थोड़ा दूर रहने लगी थीं।
एक दिन फिर जब हम घर पर बिल्कुल अकेले थे तो उन्होंने एक नंगी फोटो की किताब अपने कमरे में टेबल पर रख दी और मैंने उसमें नंगी सेक्सी फोटो और सेक्स करने के तरीके देखे। फिर मैंने उनसे पूछा- क्या आप ऐसी किताबें पढ़ती हो? तो उन्होंने कहा- हाँ.. सब लोग पढ़ते हैं।
फिर उन्होंने मुझे सेक्स की थोड़ी जानकारी दी और बताया कि कैसे बच्चा पैदा होता है और मुझसे पूछा- क्या तुम ब्लू-फिल्म देखना पसंद करोगे? तो मैंने जल्दी से ‘हाँ’ कर दी। दरअसल मैं भी यह अनुभव करना चाहता था कि यह सब कैसा लगता है?
फिर एक दिन वो मुझे अपनी सहेली के घर ले गईं.. जिसके साथ वो अधिकतर समय पढ़ाई करती थीं और वहाँ पर उन्होंने मुझे ब्लू-फिल्म दिखाई। मुझे ब्लू-फिल्म देखकर बहुत अच्छा लगा और फिर हम घर आ गए।
उस रात को अचानक से लाईट कट हो गई थी और हम सब ऊपर सोने के लिए चले गए। सबसे पहले मैं लेटा था फिर दीदी लेटी थीं। फिर जब करीब आधी रात हो गई और सब गहरी नींद में सो रहे थे.. तो सिम्मी दीदी मेरी तरफ घूमीं और उन्होंने अपने गाऊन के ऊपर के बटन खोल दिए और अपनी ओढ़नी मेरे ऊपर कर दी। फिर अपनी गोल-गोल नरम और गरम चूची मेरे मुँह से लगा दी, मुझे उठा कर चूची चूसने को कहा।
तो मैंने उनके एक मम्मे को चूसना और दूसरे को दबाना शुरू कर दिया। इसी के साथ उन्होंने अपना एक हाथ मेरी पैन्ट के अन्दर डाला और मेरी लुल्ली की मसाज करने लगीं और अपने दूसरे हाथ को गाऊन के अन्दर डालकर अपनी चूत सहलाने लगीं।
तभी थोड़ी देर के बाद वो धीरे-धीरे मादक सीत्कारें निकालने लगीं और कुछ देर के बाद उन्होंने मुझे कसकर अपनी बाँहों में जकड़ लिया। शायद वे झड़ गई थीं.. थोड़ी देर के बाद हम सो गए।
ज्यादातर दोपहर के समय घर पर केवल हम तीन लोग ही होते थे.. मैं, मेरी बुआ और सिम्मी दीदी.. क्योंकि अंकल और भैया फैक्ट्री जाते थे और बहुत रात को आते थे। जबकि बड़ी दीदी म्यूज़िक और ट्यूशन क्लास लेने के लिए जाती थीं और अक्सर हम लंच के बाद 02:00 बजे सो जाते थे और फिर 04:30 बजे उठ जाते थे। हम अधिकतर समय अपना कमरा बन्द करके सोते थे.. जिससे कि कूलर की हवा कमरे के बाहर ना जाए।
लेकिन ब्लू-फिल्म दिखाने और उस रात के बाद अगली दोपहर को जब मैं दीदी के साथ सोने के लिए गया तो उन्होंने दरवाजा बन्द करने के बाद मुझे पैन्ट उतारने को कहा लेकिन मुझे उनके सामने पैन्ट उतारने में बहुत शरम आ रही थी और मैंने उनसे कहा- मुझे आपके सामने नंगा होने में बहुत शरम आ रही है।
तो उन्होंने ही आगे आकर मेरी पैन्ट नीचे उतार दी और मुझसे कहा- जब तुम मेरी सब बात मानोगे.. तो मैं तुम्हें कोल्ड-ड्रिंक, बादाम-मिल्क, बर्फ का गोला और कुल्फी-फालूदा खिलाऊँगी। यह सब मुझे बहुत पसंद था.. इसलिए में उनकी हर बात के लिए राजी हो गया.. मुझे लौकी और करेला की सब्जी से बहुत नफ़रत थी। तो उन्होंने कहा- तुमको आज के बाद कोई भी ये सब्जी खाने का दबाव नहीं डालेगा.. और मैं तुमको हमेशा एक अंडा बनाकर दे दिया करूँगी।
फिर मेरे मन का लालच जाग गया और मैं उनकी हर बात को मानने लगा।
फिर उन्होंने मेरी पैन्ट को उतारने के बाद तौलिया को पानी से गीला किया और अपनी चूत और मेरी लुल्ली को बहुत अच्छे से साफ किया.. फिर मेरी लुल्ली चूसने लगीं। तभी थोड़ी देर बाद मेरी लुल्ली तनकर खड़ी हो गई और वो बहुत मजे लेकर मुँह को आगे-पीछे करके चूसने लगीं।
हम दोनों बिस्तर पर लेटे थे और उनकी चूत मेरे सामने थी तो उन्होंने मुझे अपनी एक ऊँगली से धीरे-धीरे उनकी चूत को सहलाने को कहा और मैं नौकर की तरह उनका ऑर्डर पूरा कर रहा था।
मैं उनकी चूत को सहला रहा था और वो मेरा लंड चूस रही थीं और कुछ देर के बाद मेरे शरीर को करंट के जैसा एक झटका लगा और मैं उनके मुँह में ही झड़ गया लेकिन मेरी लुल्ली से एक-दो बूंद ही वीर्य की निकली थीं जिसका उन्हें पता भी नहीं चला.. लेकिन मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ और कुछ देर के बाद वो भी झड़ गईं।
फिर वो मेरे साथ चिपककर लेट गईं और उन्होंने मुझसे अपने मम्मे चूसने को कहा.. मैं उनकी चूचियाँ अब बदल-बदल कर चूसने लगा, मैं चूचियों को दबा भी रहा था।
फिर उन्होंने मुझे उनकी चूत चाटने को कहा.. मुझे थोड़ा गंदा लगा.. तो उन्होंने मुझे 50 रुपये दे दिए तो मैंने जल्दी से उनकी चूत चाटनी शुरू कर दी और वो मेरा लंड चूसने लगीं।
कुछ देर के बाद उनका फिर से शरीर अकड़ने लगा और वो झड़ गईं.. लेकिन मुझे इसका आईडिया नहीं था। फिर उन्होंने मुझसे कहा- अब काम खत्म हो गया है और अब मेरे पास आकर लेट जाओ।
उन्होंने 3-4 बार मेरे लंड को चूसा और मुझे बहुत गुदगुदी होती थी और वो फिर मुझे अलग कर देती थीं। उन्होंने कई बार मेरी लुल्ली को अपनी चूत में डालने की कोशिश की.. लेकिन वो कामयाब नहीं हो पाईं.. क्योंकि मेरी लुल्ली बहुत छोटी थी और हर थोड़ी देर बाद ठंडी हो जाती थी।
फिर शाम को उन्होंने अपना वादा पूरा किया और मुझे कोल्ड-ड्रिंक पिलाई और आईसक्रीम खिलाई।
फिर अगले दिन वो मोमबत्ती लेकर कमरे में आईं और मुझे उन्होंने अपने ऊपर आधा लिटाया और मेरे हाथ में मोमबत्ती दे दी। अब उन्होंने मेरी लुल्ली अपने मुँह में डालकर मुझसे मोमबत्ती उनकी चूत में डालकर हिलाने को कहा। मैं उनके कहने पर उनकी चूत की चुदाई मोमबत्ती से करने लगा।
करीब 15 मिनट तक मोमबत्ती को ज़ोर-ज़ोर से आगे-पीछे करने के बाद अचानक से वो झड़ गईं और उनकी चूत से सफेद सा बहुत सारा पानी निकलने लगा। वो एकदम से शांत होकर पड़ी रहीं और मुझे उन्होंने अपने मम्मे चूसने को कहा, मैं मजे से चूसता रहा। अब तो जब तक मैं वहाँ पर रहा.. यह रोज़ का सिलसिला था, कभी मैंने उनकी चूत को चाटा और कभी मोमबत्ती से चोदकर उन्हें ठंडा किया।
दोस्तो, इस तरह से मेरे कोल्ड-ड्रिंक, बर्फ का गोला और कुल्फी-फालूदा के लालच ने मुझे सेक्स करने को मजबूर बना दिया था।
यह कहानी राज जी की है इतनी अच्छी लगी कि मैं इसे आपको भेजने को मजबूर हो गया।
जब मैं नादान था तो मेरी भाभी भी मुझे अपनी बुर सुंघवाती थीं। अगर आप भी इसी तरह बड़ी औरतों द्वारा यूज किए गए हैं तो अपने कमेंट्स जरूर मुझसे साझा करें।
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