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पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मैं अपनी ममेरी दीदी के शादी में आई हुई हूँ और वहाँ मैं अपने ममेरे भाई से शादी पहले चुद गई।
अगले दिन दीदी की शादी थी पर मुझे चुदने का मन तो हो रहा था लेकिन सब लोग शादी में व्यस्त थे और मेरे ममेरे भाई के पास भी बहुत काम था जब भी चुदने का मन होता तो मैं उसके पास जाती तो देखती कि वो किसी के साथ कोई काम कर रहा है। तो मैं फिर नहीं चुद पाई और मेरी नज़र किसी और को ढूंढ रही थी जिससे मैं चुद कर अपनी अन्तर्वासना को शान्त कर सकूँ लेकिन मुझे वैसा कोई नहीं मिला, किसी ऐरे गैरे से भी तो नहीं ना चुद सकती थी, बदनामी का डर था और टाइम कैसे बीत गया पता ही नहीं चला।
शादी का दिन आ गया, मैं मन ही मन सोच रही थी कि शादी में तो कोई मिल ही जाएगा चोदने वाला तो मैं सुबह से ही अपने आप को सजाने में लग गई।
फिर पता चला कि बारात आने वाली है तो मैंने लहंगा-चुनरी पहन ली जो सिल्वर और गुलाबी रंग का था, मैंने ड्रेस कैसे पहनी थी, बताती हूँ! मेरा लहंगा मेरी कमर से थोड़ा नीचे था जहाँ से चूतड़ों के उभार शुरु होते हैं और ऊपर जो चोली पहनी थी, उससे ज्यादा कपड़ा तो ब्रा में होता है, पीछे तो सिर्फ़ एक डोरी थी पतली सी और आगे भी उतनी ही थी जिससे मेरी आधी चूची ढक सके… मतलब मेरी आधी नहीं लेकिन चूची का काफ़ी भाग कपड़े पहनने के बाद भी दिख रहा थी और चूची के नीचे से मेरी चूत के थोड़ा ऊपर तक मेरा बदन बिना कपड़े के था, मतलब मेरी सेक्सी नाभि दीख रही थी और पीछे तो कमर के ऊपर ही पूरी नंगी थी, सिर्फ़ बीच में एक डोर थी और थोड़े गहने भी पहने थी मैं।
फिर कुछ देर में बारात आई तो मैं देखा कि बारात में कई बांके जवान लड़के थे, सब नाच रहे थे और हम लोग उन लोगों को देख कर मजा कर रही थी।
फिर कुछ देर बाद वरमाला होने को थी, वरमाला में दुल्हन के साथ उसकी बहनें जाती है तो मुझे दीदी के साथ मंच पर जाने का मौका मिला। दीदी के जिस साइड लोग बैठे हुए थे, उस साइड मैं थी और एक साइड एक और बहन और पीछे बाकी घर वाले थे। मैंने बारातियों की ओर देखा तो मंच के एकदम पास 4 स्मार्ट लड़के थे, वे मेरी तरफ घूर-घूर के देख रहे थी जैसे अगर उनको अभी मिल जाऊँगी तो मुझे दम रहने तक चोदेंगे।
फिर उनमें से एक लड़का जो सबसे स्मार्ट था, वो उठा और अपने मोबाइल से फोटो खींचने लगा लेकिन वो दीदी के बजाए मेरी फोटो खींच रहा था। वरमाला हो गई और हम लड़कियाँ अंदर चली गई और कुछ देर बाद मैंने देखा कि वो चारों साइड में खड़े होकर बात कर रहे थे, मैं चुपके से पर्दे के पीछे जाकर उनकी बात सुनने लगी। तो उनमें से वो लड़का जो दीदी के बदले मेरी फोटो खींच रहा था, बाद में पता चला कि वो दीदी का देवर है, बोल रहा था- यार… क्या माल थी वो !
तो उसके दोस्त पूछने लगे- कौन सी बे?
तो वो बोला- वही बे, जो भाभी के बगल में खड़ी थी सिल्वर और पिंक मिक्स ड्रेस में जिसकी बड़ी-बड़ी और मस्त चूचियाँ थी! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! तो उसका दोस्त बोला- हाँ, अच्छी माल थी! तो वो बोला- अच्छी? यार कंटाप माल थी! क्या बड़े-बड़े और गोल-गोल उसके दोनो चूचे, क्या पतली कमर, गोरा बदन, पीछे उठे हुए चूतड़ और पतले से होंठ और उसकी नंगी पीठ यार अगर एक बार वो मुझे मिल गई ना चोदने को, तो कम से कम 5 दिन तक लगातार उसको चोदता ही रहूँगा और कुछ काम नहीं करूँगा।
और वो अपने दोस्तों को मोबाइल में मेरी फोटो दिखाने लगा, फिर बोला- देख इसकी नाभि को, कितनी सेक्सी है! मन कर रहा है इसी में लंड डाल दूँ।
तो उसका दोस्त बोला- अब तो तू उसको फोटो में ही घुसा देगा।
तो बोला- कहाँ चोदने की बात कर रहा है यार… उसकी तो चूची भी ऊपर से ही हल्की सी दिखी… इतनी बड़ी-बड़ी और खूबसूरत चूचिया हैं उसके पास, एक बार झुक जाती तो क्या हो जाता उसको, कपड़े तो ऐसे थे कि एक बार झुक जाती तो उसकी आधी चूचियाँ दिख जाती… बस एक बार झुक जाती तो हम लोगों को तो मजा आता और उसका क्या जाता!!
तो मैं मन ही मन सोचने लगी- यह तो एकदम राइट बंदा है, मुझे चोद सकता है।
और मैं वहाँ से निकल आई, सोचा कि इन लोगों की मनोकामना मैं पूरी कर देती हूँ इनको अपनी चूचियाँ हल्की सी दीखला देती हूँ।
मैं सामने से आई और वो लोग जहाँ खड़े थे, वहीं पर मैंने जानबूझ कर अपने रूम की चाभी गिरा दी, जिससे उन लोगों की नज़र मुझ पर आई और मैं चाभी उठाने के लिए तब झुकी जब मैंने देख लिया कि चारों मुझे देख रहे हैं। जैसे ही मैं झुकी, मेरी आधी चूचियाँ कपड़ों से बाहर आने लगी, मैंने जानबूझ कर अपनी चूची हल्की सी हिला दी और चाभी उठा कर चल दी। लेकिन उन लोगो की किस्मत में और मजा लिखा हुआ था, मेरी पायल खुल कर गिर गई और मुझे पता भी नहीं चला।
लेकिन मैं कुछ कदम आगे बढ़ी होऊँगी कि पीछे से एक आवाज़ आई- सुनिए…
मैं पीछे मुड़ी तो दीदी का देवर बोला- शायद आपकी पायल खुल गई है।
मैं फिर पीछे लौटी और तब तक वो पायल उठा चुका था और मेरे हाथ में देने के बहाने मेरी हाथ को सहला दिया। मैं पायल हाथ में लेकर जाने लगी, वो बोला- एक बात बोलूँ, लड़की के हाथ में पायल अच्छी नहीं लगती, अगर आप बुरा ना मानें तो मैं आपको पहना दूँ? तो मैं बोली- नहीं, मैं पहन लूँगी…
लेकिन उसके बार-बार बोलने पर मैंने हाँ बोल दी।
वो नीचे बैठ गया और बोला- आप अपना लहंगा थोड़ा उठाओगी?
तो मैंने लहंगा ऊपर उठा लिया और वो पायल बाँधने लगा लेकिन बाँधने में भी चान्स मार रहा था।
तो मैं बोली- शुक्रिया…
तो वो बोला- अपना नाम बता दीजिये बस और कुछ नहीं!
तो मैं बोली- रूचि रानी… और आप?
तो वो बोला- हर्ष!
और मैं चली गई पीछे उसकी बात सुनने… उसके दोस्त बोल रहे थे- देख ली ना रूचि की बड़ी-बड़ी चूची और पूरा चान्स मार रहा था साले? फिर और बहुत कुछ बोले लेकिन ज्यादा नहीं बताऊँगी।
तभी मामी आ गई और मुझे एक काम बोल दिया तो मैं काम करने लगी, फिर दीदी की शादी में नाच गाना शुरू हो गया और सब देखने लगे। उसके 2 दोस्त कुछ देर देखने के बाद चले गये, उसके बाद एक और दोस्त भी चला गया तो वो अकेला बैठ कर देख रहा था लेकिन वो नाच गाना नहीं, मुझे देख रहा था और मौका मिलने पर मुझे छूने का एक भी मौका नहीं छोड़ रहा था।
मैं उसके बगल में जाकर बैठ गई तो कुछ देर बाद उसने मेरी जाँघ पर हाथ रखा तो मैं कुछ नहीं बोली तो उसकी हिम्मत बढ़ गई और वो मेरे साथ छेड़खानी करने लगा।
तो मैं चुपके से बोली- यहाँ सब देख रहे हैं।
तो उसने आगे से हाथ हटा कर मेरी नंगी कमर को हल्का सा सहला दिया तो मैं वहाँ से उठ कर चली गई लेकिन उठते हुए उसको आँख मार दी, जिस पर उसने भी मुझे आँख मार दी। कहानी जारी रहेगी।
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