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मैं अपने गाँव से बाजार जा रहा था तो घूँघट वाली एक भाभी ने मुझे लिफ्ट मांगी. मैंने उसे बैठा लिया. तभी मुझे पता चला कि ये तो मेरी भाभी गर्लफ्रेंड है जिसे मैं चोद चुका हूँ.
दोस्तो, मेरा नाम पंकज है. मेरी उम्र 25 साल है। मैं जयपुर राजस्थान का रहने वाला हूँ. पर मैं एक छोटे से गांव जो कि बूंदी जिला में आता है, का रहने वाला हूँ। मैं आप को मेरे बारे में बता देता हूं। मैं 25 साल का पूरा नौजवान हूँ. मेरी हाइट 5’6″ के लगभग है और शरीर भरा पूरा है. मेरे शरीर की तरह ही मेरा सामान भी तगड़ा ओर मोटा है। कोई मस्त भाभी देखते ही 7 इंच का लंबा मोटा हो जाता है।
मेरी एक सेक्स कहानी मेरी प्यारी भाभी की चूत चुदाई की कहानी पहले भी इस फ्री सेक्स कहानी साईट पर आ चुकी है. मैं एक मसाज पार्लर में जॉब करता हूँ पार्लर में भाभी और लड़कियाँ आती है. मुझे उनकी मसाज के साथ साथ उनकी चुदाई भी करनी पड़ती है। कुछ तो मुझे अपने घर बुला के भी मसाज और चुदाई करवाती थी। इससे मेरा ख़र्चा भी चलता था और चुदाई भी मिल जाती थी। इससे मैं पूरा चोदू बन गया था।
अब मैं कहानी पर आता हूँ. बात अभी ताजा ही है मैं राखी पर अपने गांव से जयपुर आ रहा था मेरे साथ में मेरे चाचा का लड़का था।
अभी हम गांव से निकले ही थे कि रास्ते में एक भाभी ने हाथ देकर रोक लिया और बोली- मुझे बाजार जाना है और कोई बस नहीं मिल रही है. तो आप मुझे वहाँ तक ले चलेंगे? तो मेरा भाई बोला- ठीक है, बैठो।
दोस्तो, वो क्या मस्त माल लग रही थी। हमने उसे पीछे बैठाया और चल दिये. मैं बीच में बैठा था। ब्रेक लगने पर वो बार बार मेरे ऊपर दब जाती थी तो उसकी चूचियां मेरी पीठ कर टच हो जाती थी। मुझे मजा आने लगा।
थोड़ी दूर जाने के बाद मेरे भाई ने मुझे बताया कि ये तो मंजू है. यह सुनते ही मेरे कान खड़े हो गए।
अब मैं आप को मंजू के बारे में बताता हूँ.
मंजू मेरी पुरानी गर्लफ्रैंड थी जिसको मैंने खूब चोदा था. मंजू मेरे गाँव में शादी करके आई थी और मैंने उसको पटा लिया था। मैं उम्र में उसके पति से बड़ा था इसलिए वो मेरा घूंघट करती थी. इसी के कारण मैं आज उसको पहचान नहीं पाया।
मेरे भाई से उसका नाम सुनते ही खुश हो गया और मैंने उससे बात करनी चालू की। उसने बताया कि उसके पति को हम दोनों का पता चल गया था। जिसके कारण बात बंद हो गई थी।
फिर हम खुल कर बात करने लग गए। बातों ही बातों में मैंने पूछा- हम कहीं बैठ के बात कर सकते हैं? तो उसने मना किया. पर मैं भी कहाँ मानने वाला था … मेरे तो उसको देख के चुदाई का भूत सवार हो गया था और सोच लिया था कि आज इसको बिना चोदे जाने नहीं दूंगा।
और मैं उसको मनाने में लग गया. काफी मान मनौव्वल के बाद वो मान गई और बोली- जगह ऐसी होनी चाहिए कि कोई जानकार ना हो. यह सुन के मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और मैंने कहा- तुम उसकी चिंता मत करो।
और मैंने मेरे भाई से कहा. तो उसने कहा कि बाजार में उसका रूम है, वहाँ कोई नहीं आएगा। फिर मैंने उनको रूम पर चलने को बोला।
20 मिनट बातें करते करते हम उसके रूम पर आ गये। चाचा के लड़के ने हमें रूम की चाबी दी और बोला कि वो एक घण्टे बाद आएगा।
हम रूम में आ गये। रूम में आ कर उसने अपना घूंघट हटाया. मैं उसको तीन साल बाद देख रहा था, क्या मस्त लग रही थी।
मैंने पंखा चालू किया और उसको पानी के लिए पूछा. तो उसने मना कर दिया और मुस्करा दी।
दोस्तो, मुझसे तो रुका भी नहीं जा रहा था। मैं उसके पास जा के बैठ गया और उससे बात करने लगा।
मैंने उससे कहा कि यहां कोई नहीं आएगा. घबराने की कोई बात नहीं है तुम आराम से बैठो.
उसने कहा कि तुम्हारे साथ घबराने की या डरने की बात होती तो मैं यहा नहीं आती।
उसके इतना सुनते ही मैं खुश हो गया कि उसके दिल में आज भी मेरे लिए प्यार है। अब मेरा रास्ता साफ था।
मैंने बातें करते करते उसके गले में अपना हाथ रख दिया जिससे वो थोड़ा असहज हो गई। मंजू- क्या कर रहे हो, कोई आ जायेगा। मैंने कहा कि एक घंटे तक कोई नहीं आएगा। पर वो मना करने लगी।
मैं उसके मना करने पर भी उनको किस करने लग गया, उसके बोबों को दबाने लगा. जिससे कुछ समय बाद वो उत्तेजित होने लगी और मेरा साथ देने लगी।
उसके गुलाब जैसे होंठों को मैं जोर से किस करने लगा और धीरे धीरे उसको पलंग पर लेटा दिया। उसको किस करते करते मैंने उसकी साड़ी में अपना हाथ डाल दिया और उसकी चड्डी के ऊपर से उसकी चूत को सहलाने लगा. जिससे वो ओर उत्तेजित हो गई और उसके मुंह से मादक आवाजें आने लगी.
मेरे हाथ से उसकी चूत को रगड़ने पर ही उसकी चूत ने पानी निकाल दिया।
फिर मैं उसके बूब्स को दबाने लगा जिससे उसको और मजा आने लगा। मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोल दिये. उसने अंदर काले रंग की बॉडी पहन रखी थी. क्या मस्त बूब्स थे उसके!
मैंने एक ही झटके में उसकी ब्रा निकाल दी। उसके बूब्स को मैं पागलों की तरह पीने लगा और दबाने लगा जिससे उसको दर्द हो रहा था। पर उसको भी मजा आ रहा था जिसके कारण उसने कुछ नहीं बोला। और वो भी मुझे जोर से किस करने लगी और मेरा साथ देने लगी।
कुछ ही देर में वो मेरी पैंट में हाथ डाल कर मेरे लंड को हिलाने लगी। मैंने देरी किये बगेर उसकी साड़ी निकाल फेंकी. अब वो मेरे सामने पूरी तरह से नंगी थी. मैं उसको किस करते करते नीचे तक आ गया.
उसकी चूत में से एक मादक सी खुशबू आ रही थी जो मुझे पागल कर रही थी।
मैंने उसकी दोनों टांगों को चौड़ा कर दिया. अब उसकी चूत पूरी साफ साफ दिख रही थी, क्या मस्त लग रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे कुछ दिनों पहले है उसने अपनी चूत की सफाई की थी। क्या मस्त चूत लग रही थी।
मैं उसकी चूत में उंगली करने लगा जिससे वो जोर से मचलने लगी और अपनी गांड उठा उठा के मजे लेने लगी। अब मैं उसकी फुद्दी पर किस करने लगा वो और पागल होने लगी।
मंजू- अब मत तड़पाओ अंदर डाल दो, अब मुझसे नहीं रहा जा रहा।
मैं भी कहाँ मानने वाला था। मैं उसको और गर्म करना चाहता था इसलिए उसकी चूत को किस करने लग गया।
मैंने 69 की पोजीशन लेकर अपना लोडा उनके मुंह के पास कर दिया जिससे वो मेरे लंड को पकड़ के मुठ मारने लगी, मुख में ले कर चूसने लगी।
मैं उसकी चूत के अंदर तक अपनी जीभ डाल कर जीभ से उसकी चूत की चुदाई करने लगा, उसकी चूत में मैं अपनी जीभ अंदर बाहर करने लगा. जिससे वो और उत्तेजित हो कर पलंग की चादर को कस के पकड़ लेती थी।
मंजू- अब क्या मार ही डालोगे? अंदर डाल दो अपना लोडा … अब बर्दाश्त नहीं हो रहा। मेरे अंदर की आग को शांत कर दो। इस पर मैंने कहा- जान, अपनी चूत का रस तो पीने दो।
मंजू- हां, मेरी चूत … आह्ह … मेरा रस निकलने वाला है. जल्दी डाल दो. अब मत तड़पाओ … आह अआआह आह!
मैंने भी अब उसको ज्यादा तड़पाना ठीक नहीं समझा। अब मैं उसके ऊपर आ गया और अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. जिससे वो अपनी चूत को ऊपर उठा के लंड को अंडर लेने की कोशिश करने लगी।
अब मैंने भी ज्यादा समय नहीं गंवाया और अपने लंड को उसकी चूत पर लगा के थोड़ा अंदर करके मैंने मेरे लोडे को उसकी चूत में उतार दिया जिससे वो जोर से रोने लगी। अभी मेरा लंड उनकी चुत में आधा ही गया था।
मैं थोड़ी देर रूक गया उसके नार्मल होने तक! पर वो रोने लगी और कहने लगी- बाहर निकालो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है.
उसकी बातों को अनसुना करके मैं उसको लिप्स पर किस करने लगा, उसके दूध को पीने लगा। थोड़ी देर बाद वो कुछ नार्मल हुई. उसको किस करते हुए मैंने एक धक्का और मार दिया जिससे मेरा पूरा लोडा उसकी चुत के अंदर तक समा गया. जिससे उसकी हालत और भी खराब हो गई मानो फर्स्ट टाइम चुद रही हो. वो रोने लगी और छोड़ने को बोलने लगी।
मैं फिर थोड़ी देर नार्मल होने का इंतजार करने लगा. थोड़ी देर बाद उसके नार्मल होने पर मैं लंड को अंदर बाहर करने लगा.
अब उसको मजा आने लगा था, वो भी मुझसे चिपक गई और मेरा साथ देने लग गई। अब मैंने भी अपनी स्पीड तेज कर दी जिससे उसको भी मजा आने लगा था और नीचे से अपनी गांड उठा उठा के अपनी चुत में मेरा लंड लेने लगी।
उसमें अलग ही जोश नजर आ रहा था जैसे बहुत दिनों से चुदाई की प्यासी हो।
वह मेरी पीठ पर अपने नाखून चुभाने लगी और बोल रही थी- आह … ह ह … उह. … ह उंह … आउच … सी … सी … ओर जोरो से चोदो. आज चोद चोद के फाड़ दो इसको! मंजू के बोलने पर मेरी भी चुदाई की करने की स्पीड बढ़ गई, मैं जोर से लोडे को उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा।
वो बोली- चोद जानू इस हरामजादी को … बहुत लंड मांगती है ये … बहुत खुजली चलती है इसमें … आज इसकी पूरी खुजली मिटा दो. फाड़ दो इसको आह … आउच … सी … सी!
हम को चुदाई करते करते 20 मिनट हो गये थे. मंजू पूरे जोश में चुदाई करा रही थी. वो नीचे से अपनी गांड उठा उठा के चुद रही थी. उसने अपने नाखून मेरी पीठ पर गड़ा दिए और पूरी तरह कस के पकड़ लिया.
मैं समझ गया कि उसका होने वाला था, मैं अपने पूरे जोश मैं उसकी चुदाई कर रहा था। मंजू- आ…ह … मर गई … मैं मर गई … हाय ऊई … चोदो जानू … ऐसे ही चोदो. मैं पूरी जिंदगी तेरी रखैल बनकर चुदूँगी. और चोद … अंदर तक चोद आ…ह … मर गई, हाय ऊई!
और मंजू मुझसे चिपक गई. वो जोर से सांसें लेती हुई ढीली पड़ गई, उसका पानी निकल गया।
पर मेरा अभी भी नहीं हुआ था तो मैं अपनी स्पीड से लगा रहा।
अब मैंने उससे पलंग से नीचे उतरने को कहा। मंजू- क्या हुआ? करो ना! मैंने कहा- नीचे आओ, फिर बताता हूं.
वो नीचे आ गई. फिर मैंने उनको पलंग पर हाथ रख कर झुकने को बोला। और वो झुक गई.
अब मैं उसके पीछे आ गया और अपने लंड को उसकी चूत पर सेट करके एक ही झटके में उसकी चूत में उतार दिया पूरी गहराई तक! वो झटके के जोर से पलंग पर गिरने वाली थी, शायद वो धक्का सह नहीं पायी थी।
मंजू- आराम से करो, अब मैं तुमारी ही हूँ। आज मुझे पूरी संतुष्टि मिली है आज तक मेरे पति ने मेरी ऐसी चुदाई नहीं करी। मैंने उनको कहा- अब तुझे कभी चुदाई की प्यासी नहीं रहने दूंगा।
और मैंने लंड अंदर बाहर करना चालू कर दिया. मंजू पूरे जोश में आ के चुदने लगी। मंजू- आ आह … ओहह्ह … ओह्ह्ह्ह … अह्ह ह्हह … अई … अई … ओर जोरो से करो … आ … जानू फाड़ दो इसको … बहुत आग लगती है इसमें चुदाई के लिए।
मैंने कहा- अब मैं हूँ ना तेरी चूत की आग शांत करने के लिए! मुझे चुदाई करते हुए 45 मिनट से ज्यादा हो गया था, अब मेरा भी होने वाला था. मैंने मंजू से कहा- मेरा होने वाला है. कहाँ निकालूं? मंजू- आह … आह … अंदर ही निकाल दो. मुझे तुम्हारे पानी की गर्मी मेरे अंदर ही महसूस करनी है।
मैंने अपनी स्पीड तेज कर दी. हम दोनों की मादक आवाजों से कमरा गूंज रहा था। हमारी चुदाई की पच पच की आवाज हमें और उत्तेजित कर रही थी।
मैंने 8-10 धक्के देने के बाद पानी निकाल दिया और मेरे साथ मंजू ने भी निकाल दिया. हमारी चुदाई के पानी की धार मंजू के पैरों पर बहने लगी. हम दोनों निढाल होकर पलंग पर लेट गये।
मंजू- आज तुमने मुझे जिंदगी की बहुत बड़ी खुशी दी है।
फिर थोड़ी देर बाद मेरे भाई का फ़ोन आ गया कि वो आ रहा है। फिर हमने आपस में एक दूसरे को साफ किया और कपड़े पहन लिये।
जाते जाते उसने मुझे किस किया और अगली बार मिलने का बोल के चली गई।
उसके बाद मैंने बहुत सी औरतों और लड़कियों को मेरे पार्लर में चोदा. पर ये सेक्स कहानियाँ अगली बार लिखूँगा। अभी तो आप मुझे बताएं कि मेरी यह सेक्स कहानी आपको कैसी लगी. आप मुझे मेल करके जरूर बतायें.
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