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वो लुंगी पहने हुए था, जैसे ही वो मुझपर लेटने को हुआ मैंने अपने नाईटी के सारे बटन खोल कर दोनों तरफ कर दिया. मेरा पूरा बदन नग्न हो गया और वो मुझ पर लेट गया.
कहानी का पिछ्ला भाग: ट्रेन के सफर में मेरे शौहर की कारस्तानी-2 उन सब के अलग होते ही मुझे महसूस हुआ कि गांड का छेद बहुत जल रहा था और चूस चूस कर इन लोगों ने मेरे निप्पलों को सुजा दिया था.
थकान और नशे की वजह से मैं गद्दे पर लेट गई और सो गई.
जब उठी तो भी सारे हरामी वहीं थे. मेरे कपड़े गायब थे.
मेरे कुछ पूछने से पहले वे खुद बोले- कपड़े इस्तरी को गये हैं, आ जाएँगे. समय देखा तो पता चला कि अभी एक घण्टा बाकी है.
समय देखते टी टी ने देख लिया और कहने लगा- जानेमन अभी एक घण्टा और बाकी है. वो अपना लण्ड सहला रहा था, मैंने उसके लण्ड की तरफ देखा और फिर उसके चेहरे की तरफ. उसने कहा- क्या ख्याल है, एक बार फिर हो जाये? मैंने हाथ जोड़ कर कहा- मेरे दोनों छेद जल रहे हैं.
उसने मेरे हाथ पकड़ कर मुझे अपनी टांगों के बीच में खींचा और मेरे सर को अपने लण्ड की तरफ दबाया. वो कहने लगा- ठीक है, कोई बात नहीं, चूस तो सकती है.
मैंने जिन्दगी में कभी किसी का लण्ड नहीं चूसा था. पर मरती क्या न करती, उसका लण्ड मुंह में लेकर चूसने लगी. वो कभी मेरे स्तनों को मसलता, कभी मेरे चूतड़ों पर हाथ फिराता कभी निप्पल उमेठता. लगातार बीस मिनट के बाद वो मेरे मुंह में पिचकारी छोड़ने लगा. कुछ माल मेरे गले के नीचे चला गया, बाकी मैंने उगल दिया.
वो हटा तो तीनों हवलदार सामने आ कर बैठ गये. मैंने फुसफुसाते हुए कहा- 40 मिनट है स्टेशन के लिए, तीनों का नहीं निकाल सकती. टी टी ने बीच में पड़ कर कहा- एक का चूस कर निकाल ले, बाकी दोनों का मुठ मार दे, मतलब हाथ से सहला कर निकाल दे.
मैंने सर हिलाया और बीच वाले का लण्ड मुंह में लेकर चूसने लगी और अगल बगल वालों का लण्ड हाथ में लेकर सहलाने लगी. तीनों मेरे चूतड़ों से और मेरे स्तनों से खेल रहे थे और टी टी मेरी विडियो बना रहा था.
लगभग 20 मिनट में तीनों ने लगभग एक साथ पिचकारी छोडी़ और उठ कर कपडे़ पहनने लगे.
टी टी ने मोबाईल बंद कर दिया और मुझे बताया कि एक बाथरूम है बोगी में … वहां जा कर नहा ले, तब तक कपड़े मंगवा दूँगा. मैंने पर्स से कुछ मेकअप का सामान निकाला और अपना नोकिया एन ९७ का मोबाईल निकाला.
मैंने टी टी से गुजारिश भरे अंदाज से कहा- साहब, जो रिकार्डींग करी है, मुझे भी दे दीजिए. टी टी ने कहा- क्यों, तू क्या करेगी इसका? मैंने मुस्कुराते हुए कहा- मैंने आप जैसा मर्द नहीं देखा है, मुझे भी याद रहेगा.
टी टी ने मेरा मोबाईल ले लिया और रिकार्डिंग कापी करने लगा.
मैं बाथरूम में जा कर नहाने लगी. नहा कर मैंने मेकअप किया और बाल ठीक किया और बिना कपड़ों के वापस आ गई.
जब मैं कम्पार्टमेन्ट में पहुंची तो मेरे कपड़े आ चुके थे और सारे हवलदार जा चुके थे. सिर्फ टी टी बैठा था. मैंने उसके सामने ही कपडे़ पहने और उसने मुझे मोबाईल वापस दिया. अपना बैग सम्भाला मैंने तो पाया कि उसमें ५००० रूपये पडे़ है.
मैंने टी टी को देखा तो वो मुस्कुराया और बोला- मेरी तरफ से तुच्छ भेंट, रख ले. मैंने कुछ नहीं कहा और एक बार मोबाईल चेक की. सारे विडियो आ गये थे.
टी टी ने एक थर्मस से कॉफी निकाली और मुझे दो कप लगातार दी.
मेरी सारी थकान कुछ कम हुई. जैसे ही स्टेशन आया टी टी ने दरवाजा खोल कर मुझे उतार दिया और हाथ हिला कर मुझसे विदा ली.
स्टेशन के गेट पर मेरे शौहर खड़े थे टैक्सी के साथ.
जैसे ही मैं बगल से निकली वो बोले- डेजी, टैक्सी में बैठो. मैंने गुस्से में कहा- याद आ गया हमारा रिश्ता, उस समय तो याद नहीं आ रहा था. मेरे शौहर ने टैक्सी ड्राईवर की तरफ देखा तो मैं चुपचाप टैक्सी में बैठ गई.
रास्ते में एक रेश्टोरेन्ट में रूके नाश्ता करने को और नाश्ता कैबिन में मंगवा लिया. नाश्ता आने के बाद मेरे शौहर ने मुझसे पूछा- कुछ किये तो नहीं तुम्हारे साथ वो लोग? मुझे गुस्सा तो था ही बोल पडी़- नही! बडे़ प्यार से मुझे बैठा कर मुझसे कहा कि बहन बहुत दिन बाद मिली है, मुझसे राखी बंधवाई और मेरी आरती उतारने लगे. फिर मुझे मिठाई खिलायी. मेरे शौहर ने सर झुका कर मुझसे मांफी मांगी और कहा- सोचा कुछ और था हो कुछ और गया.
मैंने मोबाईल निकाल कर उनको दिया और कहा- देख लीजिए कैसी खातिरदारी की है मेरे भाईयों ने मेरी. वो मोबाईल लेकर विडियो देखने लगे.
मैंने नाश्ता पूरा किया और हम लोग शादी के फंक्शन के लिए चल दिये. फंक्शन तीन दिन का था और फिर ट्रेन से वापसी.
मेरे शौहर को जरा भी अफसोस नहीं था अपने कारस्तानियों पर! जैसे तैसे कार्यक्रम निपटा और हमने वापसी का प्रोग्राम बनाया.
मैंने दिल ही दिल में सोच लिया था कि वापसी में अपने शौहर को ऐसा मजा चखाऊंगी कि याद रखेंगे.
नियत तारीख को हम ट्रेन में चढ़ गये. क्योंकि ये साधारण ट्रेन थी इसलिए समय ज्यादा लगने वाला था.
एक कम्पार्टमेन्ट में 6 सीट थी. नीचे की दोनों सीट एक वृद्ध कपल का था जिनकी उम्र 70 के आसपास थी. बीच के दोनों सीट हमारी थी और ऊपर के दोनों सीट में से एक आदमी की थी जिसकी उम्र 32-35 के आसपास थी और एक कालेज के लड़के की थी.
जब ट्रेन स्टेशन से निकली तब शाम के सात बज रहे थे. कम्पार्टमेन्ट के दोनों खिड़की पर वृद्धा और वो कालेज का लड़का बैठा था. मैं उसके बगल में बैठ गई और मेरे शौहर मेरे बगल में. अभी वो आदमी पहुंचा नहीं था.
लगभग आठ बजे स्टेशन पर ट्रेन रूकी और फिर चल पडी़. मेरे शौहर उठे और बाथरूम चले गये. तभी वो आदमी आया और अपना सामान जमा कर मेरे बांए बगल में बैठ गया. आम तौर पर मैं उसे सामने बैठने को कहती पर मैंने कुछ नहीं कहा. मेरे शौहर वापस आये तो थोडा़ झिझके पर फिर सामने बैठ गये.
धीरे धीरे सब में आपस में बात होने लगी. मैंने बैग खोला और एक नाईटी लेकर बाथरूम में चली गई. मैंने साडी़ ब्लाऊज और पेटीकोट उतार कर नाईटी पहनने लगी, फिर थोडा़ ठिठकी और मैंने अपनी ब्रा और पैन्टी भी उतार दी. मैंने सिर्फ नाईटी पहना और वापस कम्पार्टमेन्ट में आ गई.
थोडी़ देर यों ही बातें होती रही. तब उस आदमी ने जिसका नाम रवि महंत था, ने ताश खेलने का प्रस्ताब रखा.
हालाँकि हमारे घर में ताश नहीं खेलते. पर खेलना दोनों को आता था. तो हम दोनों भी तैयार हो गये और नीरज नाम का वो लड़का भी तैयार हो गया.
अंकल आंटी को हमने खिड़की दे दी. मैं आंटी के बगल में और वो लड़का मेरे सामने बैठ गया. मेरे बगल में रवि और उनके सामने मेरे शौहर बैठ गये.
रवि ने एक कम्बल निकाला और हमने उसे फैला कर कमर तक रख लिया और बीच में पत्ते फेंकने लगे. क्योंकि कम्बल ज्यादा बडा़ नहीं था इसलिए हम सब काफी पास पास बैठे थे. मेरे घुटने रवि के घुटनों से टकरा जा रहे थे.
जैसे जैसे रात गहराने लगी ठंड बढ़ने लगी. रवि पत्ते फेंकने के बाद अपना दांया हाथ कम्बल में घुसा देता था.
ऐसे ही अचानक मुझे महसूस हुआ कि रवि का एक हाथ मेरी जाँघों पर है. मैंने चोर नज़रों से उसे देखा तो वो ऐसे बैठा था कि कुछ पता ही न हो. मैंने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं कि और उसका हाथ वही रहने दिया.
एक दो चाल के बाद उसका हाथ फिर मेरी जाँघों पर था पर इस बार वो हल्का हल्का मेरी जाँघों को सहला रहा था. मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
जब उसकी चाल आई तो उसने हाथ निकाल लिया और चाल चलने लगा.
मैंने अपना हाथ अंदर डाला और नाईटी को कमर तक चढा़ लिया. मैंने इतने सावधानी से किया था कि किसी को पता न चले.
अगली बार रवि का हाथ जैसे ही जाँघों पर आया तो उसके हाथ मेरी नग्न जाँघों पर पडे़. वो चौंका और चोर नज़रों से मुझे देखा. मैं हल्के से मुस्कुरा दी. वो मेरी नंगी जाँघों से खेलता रहा और एक दो बार हाथ मेरी योनि तक भी ले गया.
तभी अंकल ने कहा- अगर खेल पूरा हो गया हो तो अब सो लें थोडा़. मैंने समय देखा, 12 बज रहे थे.
रवि ने अपना हाथ बाहर निकाल दिया और मैंने अपनी नाईटी ठीक कर ली.
हमने खेल बंद किया और सारे सीट खोल कर बैड बना दिये. सब अपने अपने बैड पर चले गये. मेरे शौहर भी अपने सीट कर करवट लेकर लेट गये. अंकल और आंटी जल्दी ही सो गये.
पर रवि की आँखों में नीन्द नहीं थी, वो बार बार बाथरूम जाता था और जाते और आते समय मेरे स्तनों को सहला देता था. चौथी बार जब गया तो एक बज रहा था.
जैसे ही वापस आकर मेरे स्तनों को सहलाने को हुआ मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे पास खीच कर फुसफुसाई- नीन्द नहीं आ रही तो मेरे सीट पर आ जाओ. उसने इधर उधर देखा और धीरे से मेरे सीट पर चढ़ गया.
वो लुंगी पहने हुए था, जैसे ही वो मुझपर लेटने को हुआ मैंने अपने नाईटी के सारे बटन खोल कर दोनों तरफ कर दिया. मेरा पूरा बदन नग्न हो गया और वो मुझ पर लेट गया. वो मेरे स्तनों को अपने दोनों हाथ में लेकर मसलने लगा और मेरे निप्पल को चूसने लगा.
5 मिनट तक यही करता रहा तो मैंने अपने शौहर की तरफ देखा. अब उनका चेहरा हमारी तरफ था. उन्होंने कब करवट ली पता ही नहीं चला, जिससे मेरा शक यकीन में बदल गया कि वो जगे हुए हैं. और वैसे भी मुझे उन्हें ये सब दिखाना ही था.
मैं रवि के कान में फुसफुसायी- अपने या हॉटल के रूम में नहीं हो जो इतने इत्मिनान से कर रहे हो, कोई उठ गया तो मुसीबत हो जाएगी. वो बात समझ गया और उसने एक झटके से अपनी लुंगी ऊपर खींच ली. मैंने अपनी टांगें फैला दी और उसने अपना लण्ड मेरी चूत में फंसा दिया.
उसने कहा- मेरे पास कॉन्डम नहीं है. मैंने कहा- कोई बात नहीं … अंदर भी डाल दोगे तो चलेगा. यह सुनते ही उसने अपना लण्ड एक झटके से अंदर डाल दिया और धीरे धीरे झटके लगाने लगा. वो कोशिश कर रहा था कि कोई आवाज न हो.
जैसे तैसे धक्के लगा लगा कर उसने बीस मिनट में मेरी चूत में पानी छोड़ दिया. थोडी़ देर यों ही मेरे बदन पर पडा़ रहा फिर मेरे होंठों को अच्छे से चूम कर अपने सीट पर चला गया. मैंने अपनी नाईटी सही की और करवट लेकर सो गई.
कहानी जारी रहेगी. [email protected]
कहानी का अगला भाग: ट्रेन के सफर में मेरे शौहर की कारस्तानी-4
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