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Padosan Lakiyon, Auntiyon ki Choot Chudai-3
मेरी चुदाई की दास्तानों में पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि भाभी की चुदाई के बाद जब वे घर छोड़ कर चली गईं.. तब मेरा लवड़ा फिर अनाथ हो गया.. और जैसा कि मैंने कहा था कि बारात में सैटिंग की थी। उस कहानी को लिख रहा हूँ.. आनन्द लीजिए।
मेरे घर से दो घर आगे एक परिवार रहता था। हमारी उनकी जाति अलग थी.. पर तीन पीढ़ी पुरानी जान-पहचान होने के कारण हम लोग उन्हें मौसी कहते थे। उनके बड़े लड़के की शादी थी।
बारात जाते समय मेरी सीट के बगल में उनकी काली-कलूटी 18 साल की लड़की बैठी थी, उसका नाम निम्मी था। मुझे गोरी और खूबसूरत लड़की अच्छी लगती है.. पर जब कामेच्छा सिर पर चढ़ती है तो.. रिश्ते-नाते, उम्र, जाति.. की दीवारें गायब हो जाती हैं और सिर्फ चूत नजर आती है। वैसे भी रात के अँधेरे में चूत सब एक सी होती हैं।
कुसुम भाभी के चले जाने के बाद काफी दिनों से बुर नहीं मिली थी। सो मुझे ये कल्लो में ही लौड़े की खुराख दिख रही थी।
बारात चल दी.. बस चलने पर निम्मी के अंग मुझसे सट जाते। मैंने उसके पाँव से अपने पाँव से छुआ.. उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मैं अपने हाथों को उसकी जाँघों पर रखकर.. धीरे-धीरे सहलाने लगा।
उसने मेरे हाथ को अपनी जाँघों से हटा दिया.. पर मैंने बस के अंधेरे का फायदा उठाया। फिर से अपना हाथ निम्मी की जाँघों पर रख दिया। इस बार जैसे ही उसने अपने हाथ को मेरे हाथ को हटाने का प्रयास किया। मैंने उसके हाथों को पकड़ कर अपने खड़े लंड के ऊपर पैंट के रख दिया।
उसने पहले तो हाथ हटाने की कोशिश की.. पर मैंने हाथ दबा दिया। फिर उसने भी हाथ को चलाना शुरू कर दिया और मेरा लंड सहलाने लगी।
मैंने उसके पजामी के अन्दर हाथ पहुँचाया तो.. मेरी ऊँगलियों का सामना बुर की रक्षक.. झांटों की घनी फौज से हुआ।
मैं ऊँगली बुर के छेद में डालने लगा.. उसने भी पैर फैला दिए.. थोड़ी देर बाद बुर पानी से चिपचिपाने लगी।
मेरा लंड भी बुरी तरह टाईट हो चुका था। मैंने चैन खोलकर लंड उसके हाथों में थमा दिया। अब वो खुलकर लंड से छेड़छाड़ करने लगी।
मैं बुर की गर्म गहराईयों को ऊँगलियों से नापने लगा। बीच-बीच में रूमाल से बुर को पौंछ देता.. जिससे उसकी पजामी बुर के पानी से गीली ना हो सके।
थोड़ी देर बाद मुझे लगा मेरा वीर्य निकलने वाला है। अब लंड कि कमान अपन हाथों में लेकर तेजी से आगे-पीछे करने लगा। अपने हाथों से उसकी बुर के पानी को लंड के शिश्न-मुंड पर लगाकर चिकना बना दिया। कुछ ही पलों में वीर्य बाहर निकलने लगा। लंड को पौंछ कर पैंट में डाल लिया। इससे ज्यादा कुछ बस में संभव भी नहीं था।
बारात लौटने पर रिसेप्शन दूसरे दिन था। चूंकि पड़ोसी का घर खपरैल का था और छोटा था और मेरे घर में जगह अधिक थी.. तो उनके कई रिश्तेदार मेरे घर पर ही रात में सोने के लिए रूके थे।
निम्मी को मैंने रात में अपने कमरे में बुला लिया और उससे कहा- बस की अधूरी कहानी.. पूरी करनी है।
वो बोली- रोका किसने है।
बस कपड़े उतरने का सिलसिला शुरू हो गया। जब मैंने उसकी टाँगों को खोला तो एक टाईट किन्तु काली झांटों वाली काली बुर सामने मेरे सामने थी। मैं उसको चाटने की हिम्मत नहीं कर सका।
इससे पूर्व मैंने जिन बुरों को चूसा था वो गोरी और झांट मुक्त थीं।
मैंने झांटों के घूंघट को हटाया और बुर को फैलाया तो उसकी बुर का छेद नजर आया.. जो गुलाबी ना होकर लाल रंग का था.. जैसे कौवे के नवजात शिशु ने अपना चोंच खोला हो।
मैंने लंड डालने की कोशिश की.. पर हर बार उसकी झांटों के कारण दिक्कत हो रही थी। मैंने चुदाई छोड़ कर पहले कैंची से उसकी झांटों को काटकर साफ किया। फिर लंड को चूत के मुँह पर टिकाया और एक ठाप लगाई.. और लौड़ा अन्दर बाहर करने लगा.. वो चिल्लाई.. मगर मैंने उसका मुँह बन्द करके चुदाई चालू रखी।
कुछ देर बाद वो भी पटरी पर आ गई.. अब झड़ना शुरू हुआ तो मैंने उसको पकड़ लिया और लंड उसकी बुर में ही पड़ा रहने दिया। पाँच मिनट बाद लंड बाहर निकाल कर साफ किया। वो शादी के मेहमानों के चक्कर में मेरे घर 4 दिन तक रूकी। इस बीच मैंने 9 बार उसे चोदा। फिर निम्मी भी चली गई।
इस के बाद की एक घटना और सुना रहा हूँ। यह बात तब की है.. जब मैं इंटर में पढ़ता था। मैंने फुटबॉल ज्वाईन किया। कोच की लड़की मेरे साथ ही पढ़ती थी। मैं कोच के काफी नजदीक था। मेरा उनके घर आना-जाना लगा रहता था।
एक दिन स्कूल में खाली पीरियड में कोच की लड़की जिसका नाम हिना था। नई-नई जवानी चढ़ी थी.. उसने अपनी सहेली से पत्र भिजवाया.. जिसमें उसने अपनी मुहब्बत का इजहार किया था। इसके बाद हमारा प्रेम बढ़ने लगा.. अब हम दोनों रोज साथ स्कूल जाते.. प्यार भरी बातें करते.. किताबों में खत रखकर अदला-बदली करते।
मुझे रसायन विज्ञान के प्रैटिकल का बहुत शौक था। मैंने अपने कमरे में एक छोटी प्रयोगशाला बना रखी थी। मैंने उसको वहाँ आने को बोला और पीछे के दरवाजे से अन्दर ले आया। कमरे में कुछ प्रयोग किया. फिर मैंने एक रंगीन सेक्स एलबम देखने को दी.. वो पन्ने पलट कर देखने लगी। धीरे-धीरे उसकी कामवासना के कारण साँस तेज होने लगीं। मैंने उसकी फ्राक के घेर को ऊपर उठा दिया। उसकी चड्डी को खोलने लगा। उसकी बुर मेरे सामने थी। मटर की फली जैसी संरचना को मैं देखने लगा। बुर को सूघां तो मुझे उत्तेजित कर देने वाली गंध आई। मैं मदहोश हो कर बुर को फैला कर देखने लगा।
सेक्सी एलबम देखकर तथा मेरी छेड़छाड़ से हिना उत्तेजित हो कर बोली- तुम अपनी नुन्नी दिखाओ।
मैंने अपना लंड उसको दे दिया। वो हाथों से पलटकर छूकर देखने लगी।
मैंने कहा- किताब में देखो.. लड़की कैसे लंड चूस रही है.. तुम भी चूसो।
वो मेरे लंड को मुँह में भरकर चूसने लगी। जब मैं स्खलित होने वाला था तो उसके मुँह में अन्दर तक लंड ठूंस कर झड़ गया। वीर्य सीधे उसके गले में उतार दिया। जब लंड बाहर निकाला तो वो खांसने लगी।
मैंने उसको मस्तराम की किताब दी और मैं उसके कठोर अनछुए संतरों को दबाने लगा। थोड़ी देरे बाद मैंने उसको चोदने के लिए टाँग उठाकर फैलाने को कहा.. तो वो टाँगें फैला कर लेट गई।
मैंने चोदने का प्रयास किया तो कई बार मेरा लंड फिसल गया। मैंने आखिरकार उसकी बुर के दरवाजे को भेद दिया। उसकी चूत से खून निकलने लगा.. वो जोर से रोने लगी.. तो मैं डर गया और उसके मुँह पर तकिया लगा दिया.. जिससे आवाज बाहर ना निकले। फिर उसको जोर-जोर से चोदने लगा.. झड़ने के बाद.. मैंने उसे दर्द की दवा दी.. बुर को साफ करके भी दवा लगा दी।
फिर उसके बाद तो चुदाई की गाड़ी चल पड़ी.. हम अब मौका मिलने पर चुदाई करने लगे। पर कुछ साल बाद हमारा झगड़ा हो गया। अब वो दूसरे लड़कों से चुदवा कर मोटी हो गई है।
इस घटना के बाद एक घटना और लिखना चाहूँगा। यह मेरे जीवन में घटित एक और रसीली घटना है। गर्मी कि छुट्टी में मेरे परम मित्र कमल, मैं और रीना ने एक टीके के प्रचार के लिए काम करने का निश्चय किया।
हमारे और कमल के बीच सब कुछ आधा-आधा बंटता था। हम दोनों ‘कटेगा तो बंटेगा’ के सिद्धांत पर चलते थे। यही हमारी सफल दोस्ती का राज था। रीना की शादी तय हो चुकी थी। उसकी 6 माह बाद शादी होनी थी। कमल और मैं दोनों ने रीना को चोदने का प्लान बनाया।
उससे बात की तो बोली- दोस्ती तक ही ठीक है.. चुदाई ठीक नहीं.. क्योंकि मेरी बुर मेरे पति कि अमानत है.. उसी से चुदवाऊगीं।
मैंने कहा- अच्छा पति के बाद तो चुदवाएगी?
बोली- हाँ.. फिर देखूँगी।
मैंने सोचा साली चुदवाने को तो राजी है ही पर नखरे कर रही है।
फिर मैंने दूसरे दिन महिलाओं को उत्तेजित करने वाली ‘लेडिज-शूट’ नामक एक दवा को कोल्डड्रिंक में मिला कर रीना को पिला दिया। फिर दोपहर में सर्वेक्षण करते हुए हम एक सुनसान स्कूल में पहुँच कर बैठ कर बातें करने लगे।
रीना बोली- मुझे कुछ हो रहा है।
मैंने उससे कहा तुम मेरी गोद में सर रख कर थोड़ी देर लेट जाओ।
वो लेट गई.. मैंने उसके सिर को अपनी जाँघों पर रखा और बात करते हुए उसके गालों को सहलाने लगा और धीरे-धीरे होंठों को रगड़ने लगा।
दवा असर दिखा रही थी.. वो उत्तेजित होने के कारण विरोध नहीं कर पा रही थी।
कमल बोला- रीना तुम जिसके लिए अपना कौमार्य बचा रही हो.. वो ना जाने कितनों की बुर चोद चुका होगा। उससे बेवफाई कर लो.. चुदाई करके शादी से पहले आनन्द लेलो।
वो बोली- ठीक है.. वैसे मेरा मन भी ऐसे कर रहा है।
कमल उसकी बुर को सहलाने लगा और मैं उसकी चूची को मसलने लगा।
अब उसके कपड़े उतार दिए और उसको नीचे लिटा दिया। कमल ने उसकी फाँकों में अपना लंड डाल कर चुदाई का आरंभ किया।
धकापेल चुदाई हुई साली पहले से ही खुली थी.. नाटक कर रही थी।
कमल के वीर्य पात के बाद मैंने उसकी चूत की खूब चुदाई की।
अब रीना ऑफिस में हम दोनों की अंकशायनी बन चुकी थी।
मित्रों ये मेरे जीवन के अनछुए पहलू हैं और भी हैं फिर कभी लिखूँगा।
आप सभी के कमेन्ट्स को मैं अवश्य पढ़ना चाहूँगा। अन्तर्वासना में कहानी के नीचे कमेंट्स करना न भूलिएगा। पड़ोसन लड़कियों आंटियों की चूत चुदाई-1
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