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Mera Sex Partner Bade Lund Wala
आप सभी पाठक बन्धुओं को कोमल का सादर नमस्कार।
अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है। मेरा नाम कोमल है, नागपुर में रहती हूँ, CA कर रही हूँ। मेरा रंग गोरा है और एकदम स्लिम फिट लड़की हूँ। मेरा फिगर 34-30-32 है।
वैसे तो मेरे दीवानों की कोई कमी नहीं है नागपुर में पर फिर भी मुझे अभी तक कोई अच्छा पार्टनर नहीं मिला था जब तक मैं विशाल से नहीं मिली थी।
विशाल के बारे में आप सभी को बता दूँ, उसका लण्ड बहुत बड़ा है और मोटा भी है, लगभग 7.5 इंच का तो होगा ही।
यह बात उस समय की है जब मेरे पापा का ट्रान्सफर नागपुर में पहली बार हुआ था। चूँकि मेरी 12वीं कक्षा पूरी हो चुकी थी तो मैंने CPT की क्लास ज्वाइन कर ली पर मैं नागपुर में खुद को बहुत अकेली महसूस करती थी क्योंकि मेरे सारे दोस्त पुणे में ही थे।
फिर धीरे धीरे जैसे ही क्लास चालू हुई, मैंने दोस्त बनाने शुरू कर दिए, अब मुझे थोड़ा अच्छा लगने लगा था पर मेरी नज़र विशाल की ओर थी।
विशाल काफी चार्मिंग लड़का था और क्लास में काफी लड़कियाँ उसकी दोस्त थी।
मैंने उससे बात करने की सोची पर मैं हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी।
अब मैं उसके पास वाली सीट पर बैठने लगी और एक दिन मानो मेरी भगवान ने सुन ही लिया और उसने मुझसे पैन माँगा और हमारी बात शुरू हो गई, उसके बात करने का अंदाज बहुत अच्छा था और फिर जल्दी ही 2-3 दिनों में ही हमने सैल नम्बर एक्सचेंज कर लिए। जैसे जैसे हमारी बातें शुरू हुई, हमारा एक दूसरे में इंटरेस्ट बढ़ने लगा हम लोग रोज़ अब घूमने जाने लगे।
वह हॉस्टल में रहता था और मैं घर में रहती थी तो उससे मिलने की जगह नहीं मिल पाती थी।
मेरे लिए वो अपना हॉस्टल छोड़ कर एक कच्चे से घर में रूम लेकर रहने लगा।
अब हम लोग उसके रूम में ही मिलने लगे और एक दिन जो मैं चाहती थी, वही हुआ, उसने मुझसे किस करने के लिए पूछा।
पर मैंने थोड़ा भाव खाते हुए उसे मना कर दिया और कह दिया कि हम लोग ऐसा नहीं कर सकते।
उसने भी फ़ोर्स नहीं किया, यह बात मुझे बहुत अच्छी लगी।
दो दिन बाद उसने मुझे फिर किस करने को कहा और मैंने कहा- सिर्फ किस ही करना !
तो उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और हम लोग एक दूसरे के होंठों को इस तरह चूसने लगे जैसे जन्मों से प्यासे हों।
फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी।
जैसे ही उसने ऐसा किया, मुझे थोड़ा अजीब लगा और मैं रुक गई।
फिर अचानक मुझे लगा कि यह मौका छोड़ना नहीं चाहिए। फिर इस बार मैंने शुरुआत करते हुए अपने होंठ उसके होंठो में दे दिए और अब मेरे शरीर में मानो करेंट सा दौड़ने लगा।
अब हम दोनों एक दूसरे का बखूबी साथ देने लगे।
उसने अपने हाथ मेरी बाईं चूची पर रख दिया।
उसकी यह हरकत मुझे बहुत अच्छी लगी और अब वह मेरे गले को चूमता हुआ मेरे बूब्स तक पहुँच गया, उसने मेरा टॉप कब उतार दिया और मैं ब्रा में कब आ गई, मुझे पता ही नहीं चला।
मैं इतनी मदहोश हो चुकी थी, मानो मुझे लग रहा था मैं स्वर्ग में चली गई हूँ।
उसने धीरे से मेरी ब्रा के ऊपर से ही चूचे दबाने शुरू कर दिए।
अब उसने मेरी ब्रा खोल दी।
मेरा हाथ भी उसके लण्ड की तरफ पहुँच गया जो बहुत बड़ा और एक लोहे की छड़ जैसा हो गया।
जैसा नाम वैसा लण्ड ‘विशाल’
शायद उसके घर वालों ने उसका नाम लण्ड देख कर ही रखा होगा।
उसके हाथ अब मेरी ब्रा की हुक खेलने में लग गए जो उससे नहीं हो पा रहा था।
मैंने उसकी मदद की और हुक खोल दिया।
अब मैं उसके सामने नंगी चूची लेकर बैठी थी।
अब वह अपनी जीभ को मेरे दोनों चूचियों पर एक एक करके घुमाने लगा।
अब मैंने उसकी शर्ट भी उतार दी और जीन्स भी उसका लण्ड सिर्फ उसकी फ़्रेन्ची में छिपा था जो बाहर आने के लिए मचल रहा था। उसका लण्ड उसकी चड्डी में भी नहीं समा रहा था।
अब उसने धीरे धीरे अपनी जीभ को मेरी नाभि पर घुमाने लगा जिसके कारण मुझे गुदगुदी होने लगी और एक नशा सा छाने लगा।
उसने अपने हाथ चूचियो पर रखे और मेरे सारे शरीर से खेलने लगा।
उसकी इस हरकत से मेरी पेंटी गीली होने लगी।
अब मुझसे रहा नहीं गया और कमरे में मेरी सिसकारियों के अलावा की चुप्पी तोड़ते हुए मैंने कहा- अब मेरी प्यास जल्दी से बुझा दो। विशाल ने कहा- जल्दी किस बात की है, यह तो शुरुआत है।
और उसने मेरी जीन्स और पैंटी दोनों उतार दी जो पूरी गीली हो चुकी थी।
उसने मेरी चूत में अपनी उंगली डाल दी और मेरे मुँह से ‘आह्ह्ह्ह और स्सीईईई’ की आवाजें अपने आप निकलने लगी और इन सिसकारियों से कमरा गूंजने लगा।
मैंने उसे दूर हटा दिया और उसकी चड्डी उतार दी।
अब हम दोनों एक दूसरे के सामने नंगे खड़े थे और उसका लण्ड मुझे सलामी दे रहा था।
उसका लण्ड देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उस पर एक चुम्मी दे दी।
मेरा ऐसा करना उसे बहुत पसन्द आया, उसने अपना लण्ड मेरे मुँह में दे दिया। मुझे बहुत अजीब लगा क्योंकि यह मेरा पहली बार था और उसका इतना बड़ा लण्ड मेरे मुंह में नहीं समा रहा था।
पर मैंने उसके सुपारे को मुंह में लिया और लॉलीपोप के जैसे चूसने लगी।
अब तो मेरी चुदने की खुजली और भी बढ़ने लगी, उसने मुझे हटाया, गोदी में उठा कर बिस्तर में पटक दिया और मेरी चूत में अपना मुँह घुसा दिया, कभी वो जीभ अंदर डाल देता तो कभी मेरे दाने पे काट लेता।
अब मैंने उसका चेहरा अपने जांघों के बीच में दबा दिया और उसे छुपा कर रख लिया।
इससे पहले मैं झड़ जाती, मैंने उसे दूर हटा दिया और अपनी चूत का स्वाद उसके मुँह से लेने के लिए जोरदार चूमाचाटी करनी शुरु कर दी।
उसके मुँह से इतना अच्छा स्वाद आ रहा था जिसका बयान मैं शब्दों में नहीं कर सकती।
हमने जब तक किस किया जब तक हमारी सांस नहीं भर गई।
अब मौका था असली आनन्द चुदाई का…
उसने मुझे घोड़ी बना दिया और अपने सुपारे को मेरी चूत के आसपास फेरने लगा। मेरी चूत गीली होने लगी और उसने धीरे से अपना सुपारा मेरी कुंवारी चूत में डाल दिया।
मैं दर्द के मारे सीधे लेट गई और अभी तो पूरा लण्ड बाकी है, सोच कर डरने लगी।
पर विशाल ने मुझे दिलासा दी और लेटे लेटे ही अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया।
मैं दर्द से चिल्लाती इससे पहले उसने मेरे मुँह पए अपने होंठ लगा दिए।
अब वह धीरे धीरे मेरी चूत में लण्ड अंदर बाहर करने लगा।
धीरे धीरे मेरा दर्द खत्म होने लगा और मुझे मज़ा आने लगा।
उसने अपने झटके बढ़ा दिए और मैं भी अपने कूल्हे उचका कर उसका साथ देने लगी।
अब मुझे मेरे शरीर में जकड़न महसूस होने लगी और मैं झड़ने के बाद निढाल हो गई।
उसका लण्ड अभी भी तैयार था और मेरी चूत पूरी गीली हो चुकी थी।
उसने मेरी चूत के पास मुँह ले जा कर सारा नमकीन माल चाटा और मुझे फिर से उत्तेजित कर दिया।
अब मैं घोड़ी वाली पोजीशन में चुदने के लिए तैयार थी और फिर उसने जोरदार झटके लगाना शुरू कर दिया।
और जैसे ही वो झड़ने वाला था उसने सारा माल मेरे चूचियों पर डाल दिया।
हम दोनों बहुत देर तक ऐसे नंगे ही उसके बिस्तर पर सो गए।
अब मैं उसकी नई नई लड़कियो और औरतों से पहचान करवा कर उन्हें चुदवाती हूँ। अब वह Playboy बन चुका है।
मेरी यह घटना कैसी लगी, जरूर बताइये।
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