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मैंने सबसे पहले अपनी चचेरी बहन सविता की सील तोड़ी। अरे… यह वो सविता भाभी नहीं. यह तो मेरी चचेरी बहन सविता की चूत चुदाई की कहानी है! Chacha Ki Ladki Savita ki Bur Chudai-2
चाचा की लड़की सविता की बुर चुदाई-1
लौड़ा गले में पहुँच जाने के कारण सविता का दम फूलने लगा और वह सांस के लिए छटपटाने लगी।
मैंने तुरन्त लौड़ा बाहर निकाला तो सविता ने नाराज़ होते हुए कहा- तुझे धक्का नहीं मारना चाहिए था, सांस घुटने से मैं मर भी सकती थी!
मैंने उसे सॉरी कहा।
अगले दस मिनट तक हम दोनों एक दूसरे को चूसते रहे!
इस दस मिनट की चुसाई में सविता ने दो बार पानी छोड़ा था जिसका स्वाद मुझे बहुत अच्छा लगा और मैं वह सारा पानी चाट गया। इसी दौरान मेरा प्री-कम भी निकलना शुरू हो गया था जिसको सविता बड़े मजे से पी गई थी!
सविता बहुत गर्म हो चुकी थी इसलिए उसने उठ कर मेरे को सीधा लिटाया और मेरे उपर चढ़ कर अपनी चूत को लौड़े पर रख कर धीरे धीरे झटके मारती हुई नीचे बैठने लगी। जब लौड़े की सुपारी उसकी चूत में घुसी तो सविता एकदम से चिलाई- हाय माँ री मर गई… बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फट गई… भाई ने मेरी बुर फ़ाड़ दी…
मैंने कहा- डार्लिंग बहन, घबरा मत, तेरी सील टूट रही है, एक बार दर्द होगा, फिर खूब मजा आयेगा। अच्छा होगा तू धीरे धीरे मेरा लण्ड अपनी चूत में ठोक कर खुद ही अपनी सील तोड़ ले… अगर मैं तेरे ऊपर चढ़ कर तेरी चूत में लण्ड ठोक कर तेरी सील तोड़ूगा तो ज्यादा दर्द होगा।
यह सुन कर मेरी शेरनी सविता बहन ने होंठ भींच कर और दर्द को पीते हुए धीरे धीरे पूरा लौड़ा अपनी चूत में फिट कर लिया और ऊपर नीचे उछल उछल कर घुचके मारने लगी।
मैंने भी सविता का साथ देते हुए नीचे से घुचके मारने शुरू कर दिए!
पन्द्रह मिनट इस तरह घुचके मारने के बाद सविता हांफने लगी तब उसने मुझे ऊपर आने को कहा और खुद नीचे लेट गई।
मैंने ऊपर आकर उसकी टाँगें चौड़ी करके अपने कन्धों पर रख लीं और अपने लौड़े को चूत के मुँह पर सैट करके अन्दर पेल दिया।
क्योंकि चूत अन्दर से गीली होने के कारण बहुत चिकनी थी इसलिए मेरा लौड़ा एक ही धक्के में पूरा चूत के अन्दर चला गया। फिर सविता ने जब मुझे तेज़ घुचके मारने को कहा, तब मैं बड़ी तेजी से लौड़े को चूत के अन्दर बाहर करता रहा, लेकिन जब उसने बहुत तेजी से घुचके मारने को कहा तो मैंने जोरदार घुचके मारने शुरू कर दिये।
मैं जोरदार घुचके लगा रहा था और सविता कहती जा रही थी- और जोर से चोदो मेरे भाई, मेरे बालम, मेरे ख़सम, मेरे पिया, हाय फाड़ दे आज इस हरामजादी चूत ने, ठोक दे इस में अपना लौड़ा गचा गच। बना ले तू मुझे अपनी दासी। मुझे रंडी बना दे चोद चोद कर। हाय कितना लम्बा और मोटा लौड़ा है मेरे राजा भैया का, मेरी बच्च्दानी पर ठोकर लगा रहा है जा जा कर। हाय पिस्टन की तरह मेरी भिड़ी चूत में सपासप आ जा रहा है।
मुझे तेज घुचके लगाते हुए दस मिनट ही हुए थे तब सविता थोड़ी ऐंठी, उसकी चूत सिकुड़ गई और उसमें से पानी बह निकला जिससे कमरे में पच.. पच.. के आवाज़ आने लगी।
इसके अगले पाँच मिनट के बाद सविता की चूत एक बार फिर पहले से भी ज्यादा जोर से ऐंठी और मेरे लौड़े को जकड़ लिया।
इस बार चूत की जकड़ से मेरे लौड़े को ज़बरदस्त रगड़ लगने लगी और मेरे लाण्डिये का सुपारा फूलने लगा।
तभी सविता आवाज़ निकालती हुई बहुत ही जोर से अकड़ी और उसकी चूत ने मेरे लौड़े को जकड़ कर उसे अन्दर खींचना शुरू कर दिया। तब मेरे लौड़े से वीर्य और उसकी चूत में से रस बहने लगा।
देखते ही देखते सविता की चूत रस से लबालब भर गई और सारा रस चूत से बाहर रिसने लगा।
चादर खराब ना हो जाए, इसलिये हम दोनों उठे और बाथरूम में जाकर एक दूसरे को साफ़ किया, फिर हम दोनों बैडरूम में आकर बिस्तर में एक दूसरे से लिपट कर लेट गए और बात करने लगे।
उसने बताया- भाई तुमने मेरी चुदाई बहुत अच्छी तरह से की, क्योंकि उसके कई कारण थे ! पहला कारण था कि मेरा लौड़ा ज्यादा लम्बा, मोटा और लोहे जैसा सख्त था, दूसरा कारण था कि मैंने उसकी चुदाई अपने लौड़े को चूत की गहराई तक घुसा कर की, तीसरा कारण था कि मैंने उसकी चुसाई बहुत ही प्यार से की, चौथा कारण था कि जब दोनों चरम-सीमा पर थे तब एक साथ ही रस का स्खलन हुआ जिससे उसकी चूत को पूर्ण आनन्द और संतोष मिला !
उसने कहा- मेरे प्यारे भैया, हमारी चाल कामयाब हो गई, जिसके कारण आज हम दोनों एक दूसरे को बाहों में भर कर मजे लूट रहे हैं और मियाँ-बीवी बन गए हैं। लेकिन मेरे सरताज भैया, अभी मेरा मन भरा नहीं, फिर से जोर जोर से मेरी चुदाई कर के मेरी प्यास बुझाओ।
फिर क्या था, मैंने सीधा लेट कर सविता को 69 की पोजीशन में अपने ऊपर औंधी कर के लिटा लिया। वह अपने मुँह में मेरा लण्ड ले कर लॉलीपोप की तरह चूसने लगी और मैं उसकी टांगें चौड़ी कर उसकी चूत चूसने लगा।
मेरा लौड़ा उसके मुख की गर्मी पाकर फूलने लगा और पूरा तन गया।
लौड़ा चूसते चूसते सविता बीच बीच में मेरे सुपारे पर जीभ फेरती रही।
मैं भी उसकी चूत को ऊपर से नीचे तक चाटता रहा और उसके चूत के दाने को चूसता रहा, फिर चूत के होंठ फाड़ कर उसे जीभ से चोदता रहा।
सविता जोर जोर से हाय मर गी… हाय मर गी… कह रही थी।
फिर सविता बोली- मेरे प्यारे बलमा भाई, अब और नहीं रहा जाता, जल्दी से मेरी चूत में अपना लण्ड घुसेड़ दे।
मैंने कहा- मेरी प्यारी लाड़ली बहन, तू घोड़ी बन जा, मैं घोड़ा बन कर तुझे चोदूँगा।
वह बेड पर घुटनों के बल होकर कुतिया बन गई और मैंने कुत्ते की तरह उसकी चूत पर लौड़ा टिका कर जोर का धक्का लगाया।
सारा का सारा लौड़ा उसकी चूत में ‘गच देसी ने’ उतर गया।
मैंने उसके पेट के नीचे से हाथ ले जाकर उसके दोनों कबूतर कस के पकड़ लिए और गचा-गच जोर जोर से घुचके मारने लगा।
सविता के मुँह से तरह तरह की आवाज निकलने लगी- हाय कुत्ते भाई ठोक दे, हाय बालम मैंने आशा उमेद कर दे, मैंने ग्याबन कर दे, मेरै बालक ठहरा दे, हाय माँ मैंने मेरा पति कुतिया बना कर चौदन लग रहा, हाय पतिदेव मुझे नहीं पता था कि चुदाई में इतना ज्यादा मजा आता है, आज तू मुझे सारा दिन और सारी रात चौदता रह, इस हरामजादी चूत को फाड़ कर भोसड़ा बना दे।
मैं उसकी ये बातें सुन कर और ज्यादा जोश में आ गया और उसके मम्मे सख्ती से पकड़ कर, पूरे जोर जोर से उसकी चुदाई करने लगा।
उसको लगभग आधे घंटे तक चोदता रहा मैं, सविता भी हरेक घुचके के साथ, अपने चूतड़ों को पीछे की ओर धकेल कर मेरे लौड़े को पूरा अपनी चूत में ले रही थी।
फिर मैंने उसकी जांघों के नीचे हाथ देकर उसे कस कर पकड़ लिया और चुदाई की स्पीड और तेज कर दी।
लगभग दस मिनट और ठोक कर चुदाई करने के बाद, जैसे कमरे में भूचाल आ गया।
सविता की चूत बुरी तरह सिकुड़ गई और मेरे लण्ड को बुरी तरह जकड़ लिया।
हम दोनों ने ‘हाय बहना री मर गा, हाय पिया ठोक दे, हाय सविता ठुकवा ले…’ कहते हुए अपना रस छोड़ दिया।
मैंने लण्ड चूत में से निकाल कर सविता के मुँह में दे दिया। उसने चाट चाट कर मेरा लवड़ा बिल्कुल साफ कर दिया। फिर मैंने उसे बैड पर सीधा लिटा कर, चूत चाट कर साफ की और जांघों पर आया पानी भी चाट कर पी लिया।
फिर हमने गाँव से साथ लाया हुआ खाना एक दूसरे को अपने हाथों से खिलाया।
खाना खाकर हम एक दूसरे की कौली भर के दो घन्टे तक सोते रहे।
सविता मेरे से पहले उठी और उठते ही उस ने मेरे पजामे में हाथ डाल कर मेरे लौड़े और टट्टों को दबा कर मुझे जगाया और कहा- फ्रेश हो ले रे भाई, चाय बना कर लाती हूँ।
जाते जाते मेरे लौड़े को चूम कर अपनी मांग पर रख कर मुझे वचन दिया कि सारी उम्र वह मुझे सच्चा प्यार करती रहेगी और शादी के बाद वह जब भी घर आया करेगी तब वह मुझ से ज़रूर चुदा करेगी !
मैं भी उसके मम्मों को पकड़ कर दबाते हुए उठा और उसे चूम कर बाथरूम में चला गया।
चाय पीने के बाद, हमने मिल कर डिनर तैयार किया।
मैं जाकर बियर की चार बोतल ले आया और बड़े प्यार से एक दूसरे को अपने अपने हाथों से बियर पिलाई।
नशे के सरूर में डिनर किया और चुदाई के अगले दौर के लिए बेडरूम में चले गए।
हमने एक दूसरे को नंगा किया और एक दूसरे को 2 मिन्ट तक दब कर किस किया।
फिर मैंने सविता के कान पर मुँह रख कर कहा- डार्लिंग बहना, मैं तेरी गाण्ड मारना चाहता हूँ।
तो सविता ने कहा- मेरे प्यारे भाई पतिदेव, मुझे कोई ऐतराज नहीं है, जी भरकर मार मेरी गांड और चूत बारी बारी से।
उसके इतना कहते ही मैंने सविता को बैड पर लिटा कर, उसके चूतड़ों के नीचे तकिया दिया, जिससे उसकी गाण्ड और चूत दोनों ऊपर उठ गये।
अब मैंने उसकी टांगें चौड़ी फ़ैला कर उसकी गांड के छेद को चाटना शुरू कर दिया।
कुछ देर बाद रसोई में जाकर देसी घी ले आया और उंगली से उसकी गांड के ऊपर और अन्दर घी लगाया।
मैंने अपना लौड़ा भी घी से तर कर लिया।
फिर सविता की टांगें अपने कन्धों पर रख कर, उसकी गांड के छेद पर लौड़ा रख कर धक्का लगाया।
लौड़े का सुपारा गचाक से सविता की गांड में घुस गया।
सविता चिल्लाई- हाय मर गई पिया, जरा आराम से ठोक भाई, दर्द हो रहा है।
मैंने धीरे धीरे उसकी गांड में लण्ड बाड़ना चालू रखा और इस तरह सारा लण्ड टट्टों तक उसकी गांड में ठोक दिया।
अब धीरे से घुचके मारने लगा। सविता को भी अब मज़ा आने लगा।
उसने कहा- जानेमन, पिस्टन की स्पीड तेज कर दो, बहुत मजा आ रहा है।
मैंने अब उसकी टांगों के नीचे हाथ देकर उन्हें ऊपर उठाया और सपासप जोर से घुचके मारने शुरू कर दिए।
पांच मिनट तक गांड की दब के घुटाई करने के बाद गांड में से लौड़ा निकाल कर सविता की चूत में घुसेड़ दिया और बड़े जोर जोर से घुचके मारने लगा।
सविता भी चूतड़ ऊपर उठा उठा कर मजा लेने लगी।
कुछ देर के बाद हम दोनों के शरीर अकड़ गये और मेरे लौड़े से वीर्य की पिचकारी सविता की चूत में फूट पड़ी तथा वह भी पुरे जोर से झड़ गई। मैं उसके ऊपर लेट गया।
सविता ने कहा- मेरे दिल के भैया राजा, मेरी चूत से जो तेरा वीर्य निकलेगा, उस से मेरी माँग भर दे।
मैंने उसकी चूत से लण्ड निकाल कर उससे जीभ से चटवा कर साफ करवाया, फिर उसकी चूत से जो वीर्य निकल रहा था उसे उंगली से उठा उठा कर सात बार उसकी मांग में भर दिया।
सविता बोल उठी- डार्लिंग सात बार वीर्य से मांग भरने का मतलब है कि हमारे सात फेरे हो गए हैं और हम अब पक्के पति-पत्नी बन गये हैं।
यह कह कर वह मेरे से लिपट गई और मुझे जोर जोर से चूमने लगी।
इसके बाद मैंने चाट के उसकी चूत साफ की और चूत को चूम कर गुड नाईट कहा। फिर हम आपस में लिपट कर नंगे ही सो गए।
अब सविता को हर दिन दो-तीन बार चौदता रहा और चुदाई का यह सिलसिला हम दोनों के बीच सविता की शादी तक चलता रहा।
यहाँ तक के शादी के दिन भी सविता ने विदा होने से एक घंटा पहले मुझे बाथरूम में बुला कर चूत मरवाई।
शादी के बाद सविता जब भी घर आई, उसने अपना वचन निभाया और मुझे भरपूर चुदाई का मज़ा दिया।
आप लोगों को मेरी यह असली कहानी कैसी लगी, जरूर बताइयेगा।
मैं आगे भी अपने जीवन की वास्तविक कहानियाँ लिखूँगा।
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