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Bhabhi Ki Choot Chod Kar Shikwa Dur Kiya
दोस्तो, मेरा नाम आशू पाठक है.. मैं बलिया (उ.प्र.) का रहने वाला हूँ..
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। आप लोगों द्वारा लिखी हुई हर कहानी को मैं पढ़ता हूँ।
इस साइट का पढ़ने का शौक मुझे तब से है.. जब मैं बीसीए में था.. यानि की 2007 से..
आज तो मेरी शादी हो चुकी है.. मेरा एक बेटा भी हैं आयुष 4 साल का..
चलिए अब मैं कहानी पर आता हूँ.. यह मेरे जीवन की सत्य घटना है.. जो 2007 में मेरे साथ हुई थी।
मेरे घर में मेरे अलावा एक मेरे बड़े भाई हैं.. उनकी शादी 1999 में हो गई थी उनको दो बच्चे हैं.. आरोव और गुड़िया.. मेरी भाभी का नाम विनीता है.. वो बहुत ही सुंदर हैं.. उनका शरीर भरा-पूरा है।
दो बच्चे होने के बाद भी कमाल का फिगर है.. सबसे अच्छी तो उनकी गाण्ड है.. जो एकदम पीछे से चलने पे कयामत ढाती है.. और मम्मों का तो क्या कहिए.. समझ लीजिए.. बड़े-बड़े ठोस खरबूज की तरह हैं।
लेकिन इस बात पर मैंने कभी ध्यान नहीं दिया था।
बीसीए तक पहुँचने तक मैंने कभी चुदाई नहीं की थी। बस मैं अपने पढ़ाई से मतलब रखता था.. खाना खाने घर पर आता था और खाने के बाद अपने बंगले पर चला जाता था।
एक मेरा दोस्त था संजय.. जो मेरे बचपन का साथी था.. वो गाँव की 4-5 लड़कियों को चोद चुका था।
वो ही मेरे पास आता था और चुदाई की बातें बताता था.. तब मैं उसको टाल देता था और बोलता था कि नहीं यार मुझे पढ़ाई करनी है।
वो चुप हो जाता था..
एक दिन वो आया और बोला- यार इतनी तगड़ी बॉडी है तेरी.. तेरे से जो लड़की चुदेगी.. वो तेरे लंड की दीवानी हो जाएगी।
मैंने बोला- साले जब शादी होगी.. तभी मैं अपनी बीवी को जम कर चोदूँगा.. इस वक्त मुझे पढ़ाई करनी है।
फिर वो चला गया..
जैसा कि मैंने पहले बताया है कि मैं पढ़ाई करता था इसलिए पापा ने मुझे लैपटॉप खरीद कर दिया था और एक मोबाइल 3110 जिसे मैं लैपटॉप से कनेक्ट करके अपनी ईमेल चैक करता था।
दूसरे दिन फिर संजय आया और उसने मुझे अन्तर्वासना साइट का पता दिया और बोला- रात में अगर मन ना लगे तो इस साइट पर हिन्दी कहानियाँ हैं.. पढ़ लेना.. मन लग जाएगा।
मैंने पढ़ाई पूरी करने के बाद रात में इस साइट को खोला और एक कहानी पढ़ने के बाद मेरे मन की वासना जाग गई मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया और मुझे बेचैनी होने लगी।
फिर मैंने अपना लंड जो 6 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है.. को पकड़ कर हाथ से हिलाया।
फिर एक-दो मिनट हिलाने के बाद मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ दी, मुझे बहुत आनन्द आया।
फिर मैं सो गया.. उस दिन से मैं लगातार अन्तर्वासना पढ़ने लगा।
अब मुझे रोज सेक्स की कहानियों को पढ़ कर मुझे भी किसी लड़की या औरत को चोदने का मन करने लगा.. लेकिन मैं तो शुरू से किसी लड़की से बोलता तक नहीं था.. अपनी भाभी से भी नहीं.. फिर भला मुझ से कौन चुदाई करने देता।
अब मेरे मन में ये ख्याल आने लगा कि भाभी से चक्कर चलाया जाए.. लेकिन मैं अपनी बदनामी से डरता था।
अब मेरे अन्दर बदलाव आने लगा। जब भी मैं घर पर खाना खाने जाता.. तब मैं नज़रें बचा कर भाभी को देखने लगता था।
भाभी इस बात को समझ रही थीं क्योंकि वो शादी-शुदा थीं और पूरी चुदी-चुदाई अनुभवी माल थीं।
एक दिन एसा हुआ कि घर के सभी लोग पड़ोस के गाँव में शादी थी.. इस लिए चले गए थे.. मैं ये सोच कर नहीं गया कि मेरी पढ़ाई डिस्टर्ब होगी।
फिर भैया ने बोला- विनीता तुम भी रुक जाओ.. आशू को खाना आदि की दिक्कत होगी और फिर कल तो हम लोग वापिस आ ही जाएँगे।
भाभी बोली- ठीक है..
सब लोगों के चले जाने के बाद मैं पढ़ाई पूरी करके घर आया.. भाभी को आवाज़ लगाई।
भाभी लग रहा था..कि सो गई थीं.. क्योंकि दिसम्बर का महीना था ठंडी जोरों पर थी।
जब वो दरवाजा खोलने आईं तो बस एक बॉडी वॉर्मर पहने हुई थीं.. ऊपर और नीचे का.. जो उनके पूरे शरीर में चिपका हुआ था.. उस ड्रेस में उनके मम्मे और उनका बड़ा सा पिछवाड़ा दिख रहा था।
मैं तो देखते ही रह गया.. तब वो बोली- क्या हुआ.. ऐसे क्या देख रहे हैं.. अन्दर आओ.. बाहर ठंडी है..
जब मैं अन्दर आया तो बोली- कभी नहीं देखें हैं क्या.. जो इतने ध्यान से देख रहे हैं।
मैंने बोला- देखा तो है.. लेकिन हमेशा साड़ी में.. आज तो आप कमाल की लग रही हैं।
फिर भाभी ने मुड़ते हुए बोला- सच में.. अच्छा बताओ… मेरा ‘क्या’ कमाल का लग रहा है.. मेरी चूचियाँ और कुछ और?
फिर इतना सुनते ही मैं समझ गया कि भाभी को भी अन्दर से लंड खाने का मन है।
फिर मैंने उनको जाकर पीछे से पकड़ लिया।
वो छुड़ाने की हल्की कोशिश करते हुए बोली- मुझे पता है कि आप जवान हो.. लेकिन मेरे शादी हुए पूरे 8 साल हो गए हैं और आप तो मुझसे बात ही नहीं करते थे.. लेकिन मैं देख रही हूँ कि तुम पिछले दस दिनों से मेरे जिस्म को देख रहे थे।
मैंने बोला- हाँ भाभी.. पिछले 10 दिनों से मैंने चुदाई की बहुत कहानियाँ पढ़ी हैं.. तब से मेरा आपके साथ चुदाई करने का मन था।
वो बोली- झूठे कहीं के.. अगर करना ही था.. तो बोल देते.. मैं भी सोच रही थी कि पहले आप बोलो।
मैंने बोला- छोड़ो ना भाभी.. चलो..
वो बोली- कहाँ?
फिर मैंने झट से उनको गोद में उठा लिया और लेकर कमरे में गया.. वहाँ जाने के बाद मैंने उनको पलंग पर लिटा दिया और मैं उनके बगल में लेट गया।
अब मैंने बिना देर किए अपने होंठ उनके होंठों पर रख कर चूमने लगा।
भाभी भी सहयोग करने लगीं।
उसके बाद मैंने एक हाथ उनके इनर के अन्दर डाल कर चूत पर ले गया.. तो देखा.. एक भी बाल नहीं थे।
मैंने बोला- भाभी आपके बाल कहाँ गए?
वो बोली- आज सुबह ही साफ़ किए हैं..
फिर मैं बोला- मेरी जान.. आज पूरी तरह चुदने के मूड में हो?
वो बोली- हाँ देवर जी.. आपको देखते-देखते 7 साल गुजर गए.. लेकिन आप मेरी तरफ देखते भी नहीं थे.. मैं सोचती थी कि मैं इतनी मस्त हूँ.. फिर भी आप क्यों नहीं देखते?
मैंने बोला- आज 7 साल का सारे गिले-शिकवे दूर कर दूँगा।
फिर भाभी ने मेरे अंडरवियर में हाथ अन्दर डाल कर मेरा लंड पकड़ लिया। पहली बार किसी औरत का हाथ पड़ते ही मेरा लंड टाइट होने लगा।
वो बोली- बाप रे बाप.. इतना मोटा.. और लंबा..!
मैंने बोला- आज ये आपके लिए है..।
हम एक-दूसरे के अंग से खेल रहे थे.. फिर मैंने उनके ऊपर और नीचे के इनर निकाल दिए और रज़ाई के अन्दर दोनों नंगे हो गए।
फिर मैंने भाभी को अपने सीने से सटा कर उनके दोनों मम्मों को दबाना चालू किया।
अब वो गरम हो गई थी.. बोली- अब चोद दो मेरे राजा..
इतना सुनने के बाद मैं उठा और सीधे उनकी टाँगों के बीच जा कर दोनों पैर फैला दिए.. फिर मैं उनकी चूत को देखने लगा।
बोली- क्या हुआ?
मैंने बोला- कुछ नहीं.. पहली बार रियल में चूत देख रहा हूँ.. अभी तक तो कहानियों में पढ़ा था।
‘कैसी लगी मेरी चूत?’
मैंने बोला- भाभी आपकी तो काफ़ी फूली हुई चूत है।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
फिर मैं उनकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा।
बड़ा ही नमकीन स्वाद लग रहा था.. थोड़ी देर चाटने के बाद भाभी ने मेरा सर कस कर पकड़ लिया और अपनी चूत पर दबा दिया।
मेरा पूरा मुँह पानी से भर गया..
मैंने पूछा- यह क्या हुआ भाभी?
वो बोली- मेरा माल निकल गया।
फिर मैंने बोला- अब क्या होगा?
वो बोली- थोड़ी देर आराम कर लो.. फिर चुदाई करना..
यह बोलकर वो अपनी गांड मेरी तरफ फेर कर आराम करने लगी, लेकिन मेरा लंड अभी खड़ा था.. क्योंकि मैं घर पे खाना खाने आने के पहले हाथ से अपना माल निकाल कर आया था।
मुझे गुस्सा आया और उनकी गाण्ड पर एक ज़ोर से चपत मारी।
वो बोली- आहह… क्या हुआ?
मैंने बोला- अभी तक बड़ी बेचैन थी.. अब क्या हुआ?
फिर भाभी के लाख मना करने के बावजूद मैंने उनको सीधा लेटा कर उनकी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रख कर अपना लंड उनकी चूत से टिका कर पूरे गुस्से में एक ज़ोर का झटका मारा.. मेरा पूरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया।
वो दर्द के मारे कराहने लगी।
फिर थोड़ी देर रुक कर मैं फिर से धक्के लगाने लगा।
लगभग 10 मिनट बाद मैं उनके ऊपर लेट गया और मेरा माल उनकी चूत में ही निकल गया।
फिर हमने एक-दूसरे को पकड़ लिया और सो गए।
फिर मैंने भाभी की गाण्ड कैसे मारी.. यह अगली कहानी में मैं लिखूंगा।
अपने विचार जरूर मेल करना।
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