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Padosan Aunty ki Choot Faad Di-2
आंटी के पास पहुँचा तो जाकर देखा कि गेट के पास उनके ससुर सोए हुए थे.. तो आंटी ने मुझे टॉर्च जला कर घर के पीछे आने को कहा।
उनके घर के पीछे से भी अन्दर जाने का रास्ता था। मैं पहुँचा फिर उन्होंने दीवार पर होकर ऊपर आने को कहा और मैं दीवार पर होकर ऊपर चढ़ गया। दीवार पर चढ़ते ही आंटी ने मेरा हाथ पकड़ा और धीरे से नीचे उतार कर अपने कमरे में ले गईं।
अब तो दोस्तो, मुझे अजीब सी बेचैनी हो रही थी क्योंकि मैं किसी से इस प्रकार पहली बार मिल रहा था।
कमरे में अन्दर जाकर आंटी ने दरवाजा बंद किया और दीवार से लग कर खड़ी हो गईं और बोली- जो चाहते हो.. वो ले लो…
यह सुनते ही मैं पागल सा हो गया और अब मेरा सपना साकार होने वाला था।
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ तो मैंने धीरे से उनका हाथ पकड़ा और दबाने लगा।
हाथ पकड़ते ही मेरा लण्ड फुंफकार मारने लगा।
आंटी के हाथ एकदम फोम की तरह मुलायम थे..
उनके कमरे में बल्ब जल रहा था.. तो सब कुछ साफ देख पा रहा था।
उनका गोल दूध जैसा सफ़ेद जिस्म.. पतले-पतले होंठ और भरे हुए गुलाबी गाल मेरे लण्ड पर क़यामत ढा रहे थे।
फिर मुझसे नहीं रहा गया और मैंने आंटी को अपनी बाँहों में जकड़ लिया।
उनका जिस्म गरम और रूई की तरह मलायम लग रहा था.. कहीं से भी दबाते ही उनकी त्वचा लाल हो जाती थी।
फिर मैंने उनको होंठों पर अपने होंठों से चुम्बन किया और गाल पर चुम्बन करके काट भी लिया।
उनके गाल काटने में ऐसा लगा मानो जैसे रसमलाई खा रहे हों…
आंटी चुपचाप दीवार से सटी हुई आँखें बंद करके खड़ी थीं।
फिर मैं उनके दोनों हाथों में अपने हाथ फंसा कर ऊपर को किए और उन्हें लगातार चुम्बन करने लगा। उनके गालों पर.. होंठों पर.. गले पर.. और फिर मैंने उनके हाथ छोड़े.. और उनको अपनी बाँहों में जकड़ कर होंठों को चूसने लगा।
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मैंने दस मिनट तक आंटी के रसीले होंठों को चूसने के बाद उन्हें देखा।
अब तो आंटी भी गरम होने लगी थीं।
उन्होंने भी मुझे कस कर जकड़ लिया था और मेरी जीभ से जीभ टच करने लगीं और कामुक आवाजें निकालने लगीं।
‘आआहह.. सीई..’
हमने करीब आधा घंटे तक तो मुँह से मुँह लगा कर चूमा-चाटी की और फिर मैं उनके कपड़े उतारने लगा।
तो वो मना करने लगी फिर काफ़ी देर मनाने के बाद कपड़े उतरवाने के लिए मान गईं और फिर मैंने चुम्बन करते हुए ही उनकी साड़ी खोल दी और फिर ब्लाउज के हुक खोले और ब्लाउज उतार दिया।
उन्होंने काली ब्रा पहनी हुई थी। उनकी मध्यम आकार के सन्तरे की तरह गोल सफ़ेद चूचियाँ बड़ी मस्त लग रही थी।
मैं तो यह देखकर बेहोश ही होने वाला था…
फिर आंटी ने मेरी शर्त उतारी, फिर मेरी पैन्ट भी उतार दी और मुझे चुम्बन करने लगीं।
मेरा खड़ा लण्ड ‘फररराटे’ लेते हुए मेरे कच्छे को फाड़ने की कोशिश कर रहा था।
फिर मैंने चुदाई के जोश में आंटी की ब्रा को ही फाड़ कर दो हिस्सों में उतार दिया।
हय.. क्या मस्त चूचियाँ थी.. बता नहीं सकता।
दोस्तो, उनकी चूचियों को देख कर मुझे और भी जोश आ गया और मैंने उनके पेटीकोट का नाड़ा तोड़ दिया और पेटीकोट नीचे खिसक गया।
अब आंटी केवल मेरे सामने पैन्टी में खड़ी थीं। उन्होंने काले रंग की ही पैन्टी पहनी हुई थी।
मैं उनको देख पागल होने लगा और उनके ऊपर भूखे कुत्ते की तरह टूट पड़ा और उनको दीवार से ही लगा कर दोनों हाथों से उनकी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा और उनको चुम्बन करने लगा।
उनको चूचियाँ टेनिस की बॉल की तरह टाइट थीं तो दबाने में बहुत मजा आ रहा था।
तभी बेबो आंटी ने एक हाथ से मेरे लण्ड को पकड़ लिया और सहलाने लगीं।
वे ज़ोर-ज़ोर से सिसकारने लगीं- आआआहह.. और ज़ोर से.. और ज़ोर से दबाव मेरे जानू.. मेरी चूचियों को उखाड़ कर खा जाओ…
उनको बहुत मजा आ रहा था और दर्द भी हो रहा था।
मुझे इतना मजा आ रहा था कि लग रहा था आज तो बेबो को पूरा का पूरा खा ही जाऊँ या इसकी चूत में होकर अन्दर घुस जाऊँ।
आंटी पूरी तरह गरम हो गई थीं.. तो मेरे लण्ड को ज़ोर से दबाने लगी थीं और तेज-तेज आवाजें निकाल रही थीं।
‘आआआहह ऊऊओह..’ और बोलती जा रही थीं- जानू.. आज अपने में समा लो.. खा जाओ मुझे.. मेरी प्यास बुझाओ.. जल्दी से मेरी चूत को फाड़ डालो…
फिर मैंने एक हाथ धीरे-धीरे उनकी गाण्ड पर ले आया और उनके चूतड़ों को दबाने लगा।
हाय.. क्या मस्त गाण्ड थी यार…
आंटी मेरे लण्ड को पकड़ कर कच्छे के ऊपर से खींचने लगीं और अपनी चूत मैं घुसाने की कोशिश करने लगीं।
फिर मैंने देर ना करते हुए उनकी पैन्टी भी निकाल दी।
उन्होंने भी मेरा कच्छा उतार दिया और मेरे लण्ड को देख कर चौंक गईं.. बोली- इतना बड़ा लण्ड.. मेरी चूत तो फट जाएगी.. मैंने कभी इतना बड़ा लण्ड सपने में भी नहीं देखा…
मैं बोला- अंकल का भी नहीं?
तो आंटी ने बताया- अंकल का लण्ड तो 5 इंच लंबा और सिर्फ 1.5 मोटा है और मुझे तो उसी से बहुत दर्द होता है.. तो इतने बड़े लण्ड लेने से क्या होगा मेरा?
मैं- कुछ नहीं होगा.. मजा आएगा…
फिर मैंने आंटी को धक्का दिया और पलंग पर धकेल दिया। अब मैंने उनको पेट पर से चुम्बन करना शुरू किया और एक हाथ से उनकी चूत को सहलाने लगा। उनकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी।
मैं धीरे-धीरे चुम्बन करता हुआ नीचे की ओर बढ़ने लगा.. उनके गालों पर चुम्बन किया.. नाक पर.. फिर होंठों पर… और फिर उनके एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसा…
मैं एक हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा.. जिससे उनकी बेचैनी और बढ़ती जा रही थी।
वो बार-बार कह रही थी- जानू जल्दी से मेरी चूत में अपना लण्ड डालो.. अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा है।
उनके मुँह से आवाजें निकाल रही थीं- ऊऊहह.. आअहह.. आहह.. जल्दी डालो…
मुझे चूचियाँ चूसने में मजा आ रहा था और वो मेरे लण्ड को कभी तेज-तेज हिला कर आगे-पीछे करती.. कभी सहलाती और कभी उखाड़ने की कोशिश करती।
मेरा लण्ड लोहे की रॉड की तरह कड़क हो गया था।
फिर मैंने चूचियाँ चूसने के बाद चुम्बन करते-करते नीचे की तरफ बढ़ने लगा।
मैंने नाभि को चुम्बन किया, वो सिहर उठी.. फिर मैंने उनकी जाँघों को चुम्बन किया.. उनकी गोरी-चिट्टी मलाई जैसी जाँघों को चुम्बन कर रहा था और हल्के से काट भी लेता था…
मेरे काटते ही वो चिल्लाने लगती- जानू मत काटो.. दर्द होता है.. आआहह ऊऊ..हह.. बस अपना लण्ड चूत में डाल दो.. और फाड़ डालो..अब रहा नहीं जाता है।
उनकी गुलाबी चूत और उस पर सुनहरे छोटे-छोटे बाल.. क्या लग रहे थे… कैसे बताऊँ दोस्तों… फिर मैं उनकी चूत को चाटने लगा.. अब तो वो और तेज आवाज़ निकालने लगीं- ऊहह.. क्यों.. आग लगा रहे हो.. आआहह.. जल्दी करो न…
वो मेरे सर को चूत में घुसाने की कोशिश करने लगी। मैं उनकी चूत के छेद में जीभ डाल कर चाटने लगा और वो कुछ ही पलों में झड़ गई। उनका पानी छूट गया.. मैं सारा पानी पी गया.. बड़ा मजा आया।
अब वो शान्त हो गई थी।
फिर मैंने उनको अपना लण्ड चूसने को कहा.. पहले तो आंटी ने मना कर दिया.. फिर भी मैंने उनके मुँह पर अपना लण्ड रख दिया।
उन्होंने मुँह खोला मेरा आधा लण्ड मुँह में ले लिया और चूसने लगीं।
मैं झुक कर उनकी चूचियाँ को दबाने लगा और कुछ पल बाद मज़े से लॉलीपॉप की तरह मेरे लण्ड को तेज-तेज चूसने लगीं और वो एक हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी।
फिर हम दोनों एक-दूसरे के उलटे हो कर लेट गए।
अब वो मेरा लण्ड चूस रही थी.. और मैं उसकी चूत चाट रहा था.. ऐसा करने में बहुत मजा आ रहा था। अब तो हम दोनों के मुँह से आवाजें आ रही थीं- आआआह आआह ऊऊओ यस और ज़ोर.. से…
फिर हम दोनों झड़ गए।
मैं उसकी चूत का सारा पानी पी गया लेकिन आंटी ने मेरा माल नहीं पिया और वीर्य उनके चेहरे और चूचियों पर ही फैल गया।
फिर हम सीधे हुए और चिपक कर लेट गए।
हम दोनों आपस में होंठ मिला कर चुम्बन करने लगे और मैं चूचियाँ को चूसने और काटने लगा।
उनकी चूचियाँ टाइट हो गई थीं.. तो चूसने में मजा आ रहा था।
आंटी मेरे लण्ड को सहला कर खड़ा करने की कोशिश कर रही थीं।
फिर मेरा लवड़ा दो मिनट बाद खड़ा होने लगा और आंटी अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थीं।
अब हमसे रुकना नामुमकिन था तो मैं उठा और उनकी टांगों को चौड़ा करके अपना लण्ड उनकी चूत के छेद पर रख दिया। मैंने एक ज़ोरदार धक्का लगाया तो मेरा आधा लण्ड चूत में घुस गया और वो जोर से चीखने लगी और बाहर निकालने को कहने लगीं। फिर मैं थोड़ा सा रुका और उनके होंठों को चुम्बन करने लगा।
उनकी आँखों से पानी बहने लगा था।
फिर उनका दर्द थोड़ा कम हुआ.. मैंने फिर एक और धक्का मारा.. अब मेरा पूरा लण्ड उनकी चूत में घुस गया और वो दर्द से तड़पने लगी।
उनके आँसू निकलने लगे.. मैं थोड़ा रुक कर उनकी चूचियाँ दबाने लगा और चुम्बन करने लग गया।
जब वो शान्त हो गई.. तो धीरे-धीरे धक्का मारने लगा।
आंटी को बहुत दर्द हो रहा था.. वो मुझे ऊपर से हटाने की कोशिश कर रही थी.. लेकिन उनके दर्द को भूल कर धक्के पर धक्के मारता रहा.. तो कुछ देर बाद आंटी को भी मजा आने लगा।
अब वो चुम्बन करने लगी और मुझे अपनी बाँहों में जकड़ कर दबाने लगी। मुझे तो मानो ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत में पहुँच गया हूँ।
कुछ देर बाद आंटी भी चूतड़ों को उछाल-उछाल कर मेरा साथ देने लगीं।
अब हम दोनों चुदाई की मस्ती में चूर थे।
एक-दूसरे को चुम्बन कर रहे थे और आवाज़ निकाल रहे थे।
‘आआअहह.. ऊऊऊओ और ज़ोर-ज़ोर से धक्का.. लगाओ…’
वो उछल-उछल कर चुदवा रही थीं और हम आधा घण्टे तक चुदाई करते रहे। आख़िर में हम दोनों एक साथ झड़ गए। मैंने अपना सारा पानी आंटी की चूत में छोड़ दिया और फिर उनके ऊपर ही लेट गया।
कुछ देर बाद मैं उनके ऊपर से उठा तो देखा.. उनकी चूत से खून निकल रहा था.. और आंटी दर्द से तड़फ़ रही थीं।
मैंने उनकी चूत को साफ किया और आंटी ने मेरे लण्ड को साफ किया।
फिर आंटी ने दर्द की गोली ली और मेरे साथ चिपक कर लेट गईं।
मैंने आंटी को उस रात सुबह 3 बजे तक 6 बार अलग-अलग तरह से चोदा और उनकी और अपनी प्यास बुझाई।
उसके करीब एक साल तक हमको जब भी मौका मिलता.. तो धकापेल चुदाई करते और लण्ड चूत का सम्मलेन करके मजा लेते थे।
फिर उनको गर्भ ठहर गया.. और एक साल बाद बच्चा हो गया।
अब उनकी चूत ढीली हो गई थी.. फिर चोदने में मजा कम आने लगा.. और हम अलग हो गए।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. प्लीज़ ईमेल करके ज़रूर बताइएगा।
मेरी अगली कहानी में बबिता आंटी की गाण्ड की चुदाई पढ़ना न भूलिएगा।
आप सबकी ईमेल का इन्तजार रहेगा।
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