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देहाती लड़की की चुदाई कैसे हुई एक आलीशान घर के शानदार बेडरूम में! वो गाँव की लड़की जरूर थी पर थी पूरी खाई खेली … खूब मजा लेकर और देकर चूत मरवायी उसने.
कहानी के पिछले भाग पराये लंड का चस्का नहीं छुटता में आपने पढ़ा कि देहाती लड़की गौरी ने छूटना चाहा पर अनिल कुमार ने उसे न छोड़ा, बल्कि अपने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया।
तब गौरी ने अब अपना हथियार चलाया और बोली- साहब, आपने ये क्या कर दिया, देखो मेरे मम्मों पर काट काट कर दांतों के निशान बना दिये, अब मैं राजू को क्या जवाब दूँगी। वो रोने का नाटक करने लगी- साहब, राजू तो मुझे मार डालेगा।
कहते हुए उसने अपना कुर्ता पहन लिया और बोली- मैं क्वार्टर जा रही हूँ, माँ जी से कह दीजिएगा कि अब मैं काम पर नहीं आया करूंगी।
अब आगे देहाती लड़की की चुदाई:
अनिल कुमार तो घबरा गए। वो उससे गिड़गिड़ाकर बोले- गौरी तुझे मेरी कसम बस अबकी तू बात संभाल ले। मेरी इज्जत का सवाल है। गौरी जाने लगी तो उन्होंने उसकी बांह पकड़ कर रोका और बोले- रुक, मैं तुझे कुछ देता हूँ।
वो अलमारी खोल कर एक पचास हजार की गड्डी निकाल लाये, बोले- ये तेरी, पर आज से तू मेरी। गौरी ने बिफरना चाहा तो अनिल कुमार अपनी औकात पर आ गए, बोले- ज्यादा बन मत, तू इतना समझ ले कि राजू का पता भी नहीं चलेगा कहाँ मर गया। तू मेरी बात मान, मैं तुझे खुश रखूँगा बस तू जुबान बंद रख और मेरे को खुश रखा कर!
बाहर से माँजी की आवाज आई- गौरी मैं तयार हूँ, चल मंदिर चलें।
गौरी ने गड्डी उठाई और वो माँ जी को ये कहकर कि ‘अभी क्वार्टर होकर आती हूँ.’ बाहर चली गयी।
दोपहर राजू के साथ वो लेडी डॉक्टर से कॉपर टी लगवा आई। अब खुल्लम खुल्ला सेक्स में कोई डर नहीं था।
राजू ने दोपहर को एक बार सेक्स के लिए गौरी की खुशामद की तो गौरी बोली- डॉक्टर ने दो दिन के लिए मना किया है। अगले दो दिन गौरी कोठी में भी काम पर नहीं गयी, कहलवा दिया कि बुखार है।
पहले दिन तो अनिल कुमार ने नौकर श्याम से दवाई के लिए भी पुछवाया तो गौरी ने कहलवा दिया कि वो डॉक्टर को दिखा आई थी, उसने दवाई दे दी है।
अगले दिन भी जब वो नहीं आई तो उन्होंने राजू के जाने के बाद श्याम से मोबाइल भेज कर गौरी से बात करीं. तो गौरी ने उन से कह दिया कि मम्मों पर दाँत से काटने से इन्फ़ैकशन हो गया था, बुखार आ गया। राजू को तो उसने ये कह दिया कि किसी कीड़े ने काट लिया है।
अनिल कुमार ने उससे सॉरी बोला और कहा कि आगे से वो ध्यान रखेंगे पर कल से गौरी जरूर आ जाये।
अगले शनिवार को जब गौरी चाय लेकर आई तो अनिल कुमार ने उसे एक बहुत सुंदर और भारी चाँदी की पाजेब दीं और कहा कि ये तुम्हारे लिए हैं और ये बात माँ जी को भी मालूम है। आज उनकी पत्नी का जन्मदिन था, तो उनकी याद में वो उसे दे रहे हैं। गौरी खिल गयी।
फिर अनिल कुमार ने उसकी बांहों को सहलाते हुए कहा- कल रविवार को घर में कोई नहीं रहेगा और राजू भी बाहर जाएगा तो कल गौरी और वो अकेले रहेंगे। कहते कहते अनिल कुमार ने आँख दबा दीं तो गौरी भी मुस्कुरा दी।
अनिल कुमार ने उससे कह दिया कि आज तयारी कर लेना और हाँ आज राजू के साथ मत करना। गौरी पूछने लगी- ऐसा क्यों? तो अनिल कुमार बोले- ताकि कल तुम ज्यादा फ्रेश रह सको।
गौरी मन ही मन सोच रही थी कि कल अनिल कुमार उसके साथ क्या क्या करेंगे।
फिर उसने अपने को समझाया कि वो वही तो करेंगे जो आज तक हर मर्द उसके साथ करता आया है. पर अनिल कुमार ने अकेले उसे जितना दे दिया उतना तो आज तक सबने मिला कर भी नहीं दिया था। और अनिल कुमार तो ऐसी खदान थी जिसे वो जब चाहे तब खोद सकती थी।
उसने मन बनाया कि वो कल अनिल कुमार को खुश कर देगी।
कोठी से आकर दोपहर को गौरी बाजार गयी और आजकल के फेशन के हिसाब से नारंगी और पीले रंग की नेल पोलिश, नयी ब्रा-पेंटी सेट और हैयर रिमूवर क्रीम और वेक्सिंग स्ट्रिप ले आई।
दिन में उसने अपनी चूत के और हाथ पैरों के बाल साफ किए। उसने बहुत सफाई से नेल पैंट लगाया और राजू से रात को बचने के लिए मासिक धर्म शुरू होने का बहाना सोच लिया। रात को राजू ने उसे बताया कि कल सुबह जल्दी ही उसे माँ जी के साथ बाहर जाना है।
राजू उसके चेहरे और हाथ पैरों की चमक देख उसे चोदने के मूड में था पर गौरी ने कहा कि आज पेट में बहुत दर्द है, शायद मासिक धर्म रात को शुरू हो जाये, तो आज नहीं करेंगे। राजू उससे चूमाचाटी करके सो गया।
अगली सुबह गौरी ने राजू को फटाफट नाश्ता कराया, कोठी में जाकर माँ जी को भी नाश्ता कराया.
वे दोनों दिल्ली अनिल कुमार की बहन के पास सुबह ही निकल गये, उन्हें दोपहर बाद तक आना था। राजू को अनिल कुमार ने किसी डीलर से पेमेंट लेने माँ जी के साथ ही गाड़ी में दिल्ली भेजा था।
आज वो गौरी को पूरा पाना चाहते थे। गौरी सब समझ रही थी। उसे मालूम था कि आज उसकी चूत फट कर रहेगी, पर कोई बात नहीं … हरजाना तो वो पहले ही ले चुकी है।
गौरी अनिल कुमार को चाय देते हुए बोली- मैं नहा धोकर अभी आधा घंटे में आती हूँ। अनिल कुमार ने श्याम को कोई काम बताकर कारखाने भेज दिया और वहाँ चौकीदार को समझा दिया कि वो श्याम को ऑफिस में सफाई में लगा दे, भले ही दोपहर तक रोक ले।
अब रास्ता साफ था। कोठी में सिर्फ वो और गौरी थे।
गौरी हल्दी-बेसन और गुलाबजल से नहाई और अच्छे से तैयार हुई। उसने नयी वाली पाजेब, नयी ब्रा-पेंटी सेट और पीला-नारंगी घाघरा चोली पहनी। इससे मेचिंग नेल पोलिश वो लगा ही चुकी थी।
उसका चेहरा दमक रहा था और बदन महक रहा था।
जब गौरी अनिल कुमार के घर आई तो उसे को देखते ही अनिल कुमार चहक गए और बोले- आज तो गज़ब ढा रही हो!
गौरी कमरे के अंदर आ गई तो उन्होंने दरवाजा बंद करने को कहा।
गौरी ने इठलाते हुए मुस्कुरा के दरवाजा बंद कर दिया और भोलेपन से पूछा- दरवाजा क्यों बंद करवाया, कुछ गलत तो नहीं करेंगे न? अनिल कुमार ने उसे चिपटा लिया और अपनी बाजू पर झुकाकर उस पर चुंबनों की झड़ी लगा दी।
गौरी कसमसाई, बोली- आराम से कीजिये, आज तो मैं सिर्फ आपकी हूँ। अनिल कुमार खिल गए और मेज पर रखे 2100 रुपए से उसकी न्यौछावर करके रुपए उसे दे दिये।
गौरी ने पूछा- चाय बना लाऊं?
अनिल कुमार को तो हवस सवार थी। उन्होंने खड़े खड़े गौरी को अपने से चिपटा लिया।
गौरी भी पूरा दम लगाकर उनसे चिपट गयी। उसके भारी मम्मे अनिल कुमार की छाती पर दवाब बना रहे थे. और अनिल कुमार का तम्बू बना लंड उनकी तहमत फाड़ कर गौरी की चूत में घुसने को बेकरार था।
गौरी ने एक हाथ नीचे सरका कर उनका लंड टटोल कर उनसे फुसफुसा कर कहा- आज तो आपका मुन्ना बड़ा बेकरार हो रहा है। कहते कहते गौरी ने उनका लंड पकड़ लिया।
अनिल कुमार ने नीचे कुछ नहीं पहना था, उनकी तहमत खुल गयी और उनका मुन्ना राजा फनफनाता हुआ आज़ाद हो गया। गौरी नीचे बैठ गयी और उनका लंड मुंह में ले लिया और लगी लोलिपोप की तरह चूसने।
अनिल कुमार की तो बस लॉटरी लग गयी। उन्होंने गौरी को खड़ा किया और उसकी चोली उतार दी. वो पहले उसकी ब्रा खोलना चाह रहे दे पर गौरी ने उनका हाथ घाघरे के नाड़े पर कर दिया।
अनिल कुमार ने झण्डा फहराने के अंदाज में उसका नाड़ा खींच दिया। घाघरा एक झटके में नीचे हो गया।
अनिल कुमार ने अपनी टी शर्ट भी उतार दी। अब वो निपट नंगे थे।
अनिल कुमार भले ही 45 के हों पर उनका शरीर लालाओं वाला न था, एक एथलीट जैसा कसा हुआ था।
अब अनिल कुमार ने गौरी के दमकते जिस्म और ब्रा पैंटी सेट की तारीफ करते हुए उसकी ब्रा के कोने से एक कबूतर आजाद कर दिया। गौरी के गोरे मखमली जिस्म से मेरून कलर की ब्रा से झाँकता उसका मांसल मम्मे … क्या ग़ज़ब का नजारा था.
अनिल कुमार से सब्र नहीं हो रहा था। उन्होंने उसकी ब्रा निकाल दी और पिल गए उसके मम्मों पर!
इस बार उन्होंने दाँत बचा कर रखे कि कभी पिछली बार जैसा लफड़ा न हो जाये। गौरी भी कसमसा रही थी।
अनिल कुमार ने एक हाथ नीचे करके उसकी चूत को बाहर से सहलाया और धीरे से हाथ अंदर करके उसकी मुनिया में उंगली कर दी।
गौरी सिहर कर उनसे चिपट गयी। उसने खुद ही अपनी पैंटी नीचे सरका कर अपने पेर से उसे उतार दी.
उसकी पायल छनक रही थी और गोरी गोरी कलाइयों में रंगबिरंगी चूड़ियाँ खनक रही थीं।
अनिल कुमार ने उसे गोदी में उठा लिया और धीरे से बेड पर लिटा दिया और नीचे झुककर अपनी जीभ उसकी चूत में कर दी। गौरी ने पेर चौड़ा दिये और अपने हाथों से अपने मम्मे सहलाने लगी।
अनिल कुमार ने उसकी चूत से बहते पानी से अपनी उँगलियाँ गीली कीं और उसकी गांड की दरार में उंगली घुसाने की कोशिश करने लगे।
गौरी उनकी मंशा समझ गयी और उसने मना कर दिया- पीछे नहीं।
उसने अनिल कुमार को ऊपर खींच लिया और कहा कि वो लेट जाएँ, वो भी उनका मुन्ना चूसना चाहती है।
दोनों 69 पोजीशन में हो गए। गौरी ऊपर आ गयी और अपनी टांगें अनिल कुमार के सिर के दोनों ओर करके अपनी मखमली चूत उनके मुंह पर रख दी और खुद अनिल कुमार का तना हुआ मूसल लपर-लपर चूसने लगी।
गौरी पक्की लंडखोर तो थी ही, उसने लौंडे की ऊपरी चमड़ी नीचे करके टोपे पर जीभ फिरानी शुरू की और थूक से पूरा लंड गीला कर दिया और मुट्ठी में कैद करके मुट्ठी को ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर करने लगी।
अनिल कुमार की तो बस जान निकले जा रही थी। उन्हें लगा कि वो उसकी हथेलियों में ही खल्लास हो जाएँगे। उन्होंने भी जीभ अंदर गहराई तक घुसाई।
गौरी समझ रही थी कि अनिल कुमार ज्यादा देर नहीं टिक पाएंगे तो वो उनके लंड को आज़ाद करते हुए घूम कर उनके ऊपर बैठ गयी और अपने हाथ से उनका लंड अपनी चूत में सेट किया और धीरे से अंदर कर लिया. फिर गौरी लगी धीरे धीरे ऊपर नीचे होने!
गौरी उनके लंड पर घुड़सवारी कर रही थी। उसे बहुत मजा आ रहा था। अनिल कुमार का मूसल उसकी चूत में गहराइयों तक पहुँच रहा था।
गौरी इधर उधर घूम भी रही थी जिससे लंड उसकी चूत को मथनी की तरह मथ सके।
अनिल कुमार की आहें निकाल रही थीं। उन्होंने गौरी के मांसल मम्मे दबोच रखे थे और वो उन्हें मसल रहे थे। गौरी की भी सीत्कारें निकल रही थीं।
पूरा कमरा वासनामय हो रहा था।
गौरी अपनी नाजुक हथेलियों से अनिल कुमार की छाती पर निप्पल को दबा रही थी।
अनिल कुमार नीचे से निकालने को छटपटा रहे थे। उन्होंने गौरी से कहा- रानी, अब तुम नीचे आओ … अब मैं तुम्हारी चूट फाड़ता हूँ।
गौरी हँसती हुई उनके ऊपर से उतर गयी और नीचे बेड पर टांगें चौड़ा कर लेट गयी, वो मस्ती में पैर हिलाते हुए अपनी पाजेब बजाने लगी।
अनिल कुमार ने उसकी एक टांग पकड़ी और धीरे से ऊपर उठा कर उसकी पाजेब को चूमते हुए अपनी जीभ उसकी जांघों तक लाये।
फिर ऐसे ही उन्होंने दूसरी टांग के साथ किया और फिर धीरे से उसके ऊपर वजन ना डालते हुए लेट गए और उसके निप्पल चूसने शुरू किए।
गौरी कसमसा रही थी, बोली- अब मत तड़फाइए और अंदर आ जाइए। मेरी मुनिया आपके मुन्ने के लिए तड़फ रही है। अनिल कुमार ने अपना लंड उसकी मखमली चूत पर सेट किया और एक ज़ोर के धक्के से अंदर कर दिया।
गौरी की चीख निकाल गयी जिसमें दर्द कम कामवासना ज्यादा थी। वहाँ दूर तक कोई नहीं था जिसका उन दोनों को डर हो।
अब अनिल कुमार ने गौरी की दोनों टाँगों को चौड़ी किया और ऊपर करके लगे पेलम पेल करने।
गौरी हाँफने लगी, दोनों की बड़बड़ाहट शुरू हो गयी थी। अब गौरी गंदी भाषा पर उतार आई थी, वो बोल रही थी- साहब, धीरे धीरे करो, पराया माल है तो फाड़ मत डालना, अपने आदमी को भी तो कुछ दूँगी। अनिल कुमार बोले- मेरी रानी, आज तो फाड़ कर ही भेजूँगा, तू अब मेरी रखैल है, भूल जा अपने आदमी को। इतने मजे दूँगा कि तुझे उसकी याद भी नहीं आएगी।
गौरी बोली- ठीक है फिर पूरा दम लगा कर पेलो. कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारी जान निकाल जाये और मुझे मजा भी नहीं आए। सुन कर अनिल कुमार ने स्पीड और बढ़ा दी। साथ में गौरी की पाजेब संगीत दे रही थी।
गौरी उन्हें उकसा रही थी- और ज़ोर से मेरे राजा! पूरा मजा ले लो, इतना मजा तो तुम्हारी बीवी ने भी नहीं दिया होगा। मेरे मम्मे और ज़ोर से दबाओ। आज तुम्हारा लंड पूरा निचोड़ दूँगी।
वाकई इतने मजे तो अनिल कुमार की बीवी ने भी नहीं दिये थे उनको! गौरी का कसा हुआ जिस्म, मांसल मम्मे और मस्त चूत … सब पागल बना रही थी अनिल कुमार को!
और ये सच भी है कि चुदाई का जो मजा दूसरे की बीवी के साथ आता है, वो अपनी बीवी को चोदने में नहीं आता। यही बात औरत के साथ भी है। औरत सेक्स का जो मजा पराए मर्द को देती है, उसका आधा भी अपने मर्द को नहीं देती।
दोनों की आग भरपूर लगी थी।
अनिल कुमार अब चरम सीमा पर थे, वो गौरी से बोले- मेरा होने वाला है, कहाँ निकालूँ? गौरी ने उनको कस के भींच लिया और बोली- अंदर ही निकालो मेरे राजा! सही में तो आज सुहागरात मानेगी मेरी। बस फर्क इतना है कि बजाए रात भर चुदाई के आज दिन भर चुदूंगी।
अनिल कुमार ने एक झटके से उसकी चूत अपने माल से भर दी और थक के गौरी के बगल में लेट गए। कुछ देर बाद गौरी मुसकुराती हुई उठी और वाशरूम में चली गयी।
वो अंदर से अपने को साफ करके नंगी ही बाहर आई और अपने कपड़े पहनने लगी। अनिल कुमार ने कपड़े छीन लिए, बोले- आज कपड़े नहीं पहनने दूँगा।
गौरी हंस के बोली- तुम्हारे मुन्ना का तो विकट डाउन हो गया। मैं नाश्ता बना देती हूँ, तब तक इसमें भी जान पड़ जाएगी फिर देखूँगी इसकी ताकत! अनिल कुमार ने उससे कहा- कोई बात नहीं, तुम ऐसे ही चाय बना लाओ।
गौरी तो आज हर वो काम करने को तैयार थी जिससे अनिल कुमार खुश रहें. वो कूल्हे मटकाती हुई रसोई की ओर चल दी।
अनिल कुमार वाशरूम जाकर फ्रेश हुए और किचन में पहुँच गए. वहां उन्होंने गौरी को पीछे से दबोच लिया, लगे उसकी गर्दन और कानों को चूमने। उन्होंने उसके मम्मे जकड़ लिए।
गौरी बोली- ऐसे तो बन गया नाश्ता! अनिल कुमार का खड़ा हो गया था। उनकी इच्छा थी की वहीं रसोई में एक दौर हो जाये।
उन्होंने गौरी को नीचे झुक कर घोड़ी बनने को कहा। गौरी वहीं स्लैब पर झुक गयी।
अनिल कुमार ने उसके पिछवाड़े से एंट्री करनी चाही. गौरी बिदक गयी, बोली- पीछे नहीं।
अनिल कुमार भी अपना लंड को उतना कड़क नहीं कर पाये थे, आखिर उम्र का भी तो तकाजा था।
गौरी ने नीचे बैठ कर उनका लंड मुंह में ले लिया और लगी लपर लपर चूसने। थोड़ी देर में मुन्ना राजा खड़ा हो गया।
अबकी बार अनिल कुमार ने गौरी को स्लैब पर बैठा कर उसकी टाँगें चौड़ा दीं और घुसेड़ दिया अपना औज़ार उसकी मासूम चूत में! अनिल कुमार पूरी कोशिश कर रहे थे… पर यहाँ वो बिस्तर वाला मजा कहाँ!
गौरी खेली खाई थी, उसे मालूम था कि अगर अनिल कुमार यहाँ झड़ गए तो फिर उनके बस का नहीं होगा जल्दी से अपने लंड को खड़ा करना! और तब तक श्याम भी कारखाने से वापिस आ जाएगा।
उसने अनिल कुमार के होंठों को चूमा और बहुत ही मादक अंदाज में कहा- साहब यहाँ मजा नहीं आ रहा, मेरी मुनिया तो मुन्ने की दीवानी हो गयी है। ऐसी चुदाई तो मैंने आज तक नहीं करी। बस थोड़ा सब्र कीजिये, मैं दस मिनट में नाश्ता ला रही हूँ, आप नाश्ता कीजिये फिर मस्ती करेंगे।
अनिल कुमार खुश हो गए कि चलो उनके लंड का जादू गौरी के सिर चढ़ कर बोल रहा है। उन्होंने गौरी से फटाफट आने को कहा और कमरे में आकर कारखाने श्याम से और दिल्ली में अपनी बहन और राजू से बात की।
अनिल ने श्याम को कुछ काम और बता दिये ताकि वो दोपहर बाद ही आ पाये।
गौरी नाश्ता लगा लायी। अनिल कुमार ने उससे कहा कि वो भी उनके साथ ही नाश्ता करे!
पर गौरी को मालूम था कि अभी वो उसे बगल में बैठा रहे हैं क्योंकि उन्हें उसकी चूत दिख रही है, पर उसे अपनी औकात नहीं भूलनी चाहिए। तो गौरी ने टाल दिया की वो चाय पीकर आई थी और अभी उसे भूख भी नहीं है। वो बाद में कर लेगी।
दोनों नंगे ही थे। अब गौरी को कोई शर्म भी नहीं थी। वो बेड पर अनिल कुमार के पीछे बैठ गयी और अपने मम्मे उनकी पीठ पर भिड़ा दिये और हाथ आगे करके अपने हाथों से अनिल कुमार को खिलाने लगी। अनिल कुमार ने उसे चूम कर आगे खींच लिया और अपनी गोदी में बैठा लिया और अपने हाथों से जबरदस्ती उसे खिलाने लगे। गौरी ने सोचा कि बहस से क्या फायदा, जो हो रहा है होने दो और मजे लो।
तो गौरी ने कसमसा कर बड़ी अदा से उनसे कहा- आपका मुन्ना नीचे से चुभ रहा है। अनिल कुमार ने उसे थोड़ा सा उठाया और अपना लंड अंदर करना चाहा पर उनसे न हो पाया।
गौरी अब बेशर्मी से बोली- अब आपका मुन्ना मेरी मुनिया का गुलाम हो गया है। जब तक मुनिया नहीं चाहेगी, तब तक वो ऐसे ही छटपटाता रहेगा। अनिल कुमार ने गौरी को होंठों पर चूमते हुए कहा- इसे अंदर कर लो रानी!
गौरी उठी और अनिल कुमार की गोदी में उनकी ओर मुंह करके बैठ गयी और धीरे से नीचे हाथ कर के तनतनाते हुए लंड को अपनी मखमली चूत में कर लिया और एक ज़ोर सी आह निकाली। असल में जैसे ही गौरी ने लंड को चूत के मुंहाने पर रखा, अनिल कुमार ने भी पूरे ज़ोर से उसे ऊपर धकेला था।
अब गौरी धीरे धीरे गोल गोल घूम कर लंड को मथनी बना कर अपनी चूत को घड़िया बनाकर माखन बिलोने लगी। अनिल कुमार ने उसके गोरे गोरे मम्मों को बेदर्दी से चूसते हुए उन्हें लाल कर दिया था।
गौरी बोली- राजा जी, मजा नहीं आ रहा! नाश्ता निबटाओ फिर एक बार बेड पर दंगल करेंगे।
अनिल कुमार को चूत के आगे नाश्ता क्या अच्छा लगता … उन्होंने नाश्ते की ट्रे को नीच सरकाया और गौरी को सीधा लिटा कर उसकी चूत में मुंह दे दिया। गौरी कसमसा गयी।
इसमें कोई शक नहीं था कि गौरी की जितनी चुदाई आज तक हुई थीं, आज की चुदाई उन सबसे स्पेशल थी। क्योंकि इसमें चुदाई में रोमांच के साथ साथ पैसा भी था और चुदाई के लिए माहौल भी था। गौरी आज तक इतने कीमती बेड और कोठी में रानी बन कर कभी नहीं चुदी थी।
गौरी को मालूम था कि सेक्स करते समय मर्द को औरत की आहें सुनना अच्छा लगता है। वो कसमसा कर कहने लगी- राजा, तुम तो कमाल का चूसते हो। मेरी चूत में तो तुमने आग लगा दी। अब देर न करो और घुसेड़ दो अपना मूसल, आज आग बुझा दो मेरी चूत की!
अनिल कुमार चाहते थे कि गौरी उनका भी लंड चूसे। वो गौरी के ऊपर 69 पोजीशन में आ गए।
गौरी ने उनका तना हुआ लंड हाथ में पकड़ा और धीरे से उसे चूम कर थूक से गीला किया और ऊपर की टोपी को छूटे हुए खाल को नीचे कर दिया। और फिर थूक से चिकना कर के सुपारे को चूसने लगी।
जब उसे लगता की अनिल कुमार ज्यादा तड़प रहे हैं तो सुपारे को मुंह से निकाल कर हाथ से मसलने लगती।
अनिल कुमार ने उसकी चूत अपने थूक से भर दी और बाहर बहते थूक को उसकी गांड की दरार में इकट्ठा करके अपनी उंगली उसकी गांड में घुसाने की कोशिश में लगे रहे।
गौरी की लंड चुसाई ने उनका बुरा हाल कर दिया था. तो उन्होंने अपनी दो उँगलियाँ गौरी की चूत में घुसेड़ दीं और जी स्पॉट की मालिश शुरू की। गौरी तड़प गयी। वो नीचे से कसमसाने लगी और गिड़गिड़ाने लगी- साहब अब मत करो … मेरी मुनिया तो वैसे ही परेशान है, बस अब इसे चोद डालो, अब देर मत करो, आग लगी है इस नासपीटी में!
अनिल कुमार सीधे हो गए और अपना मूसल घुसेड़ दिया गौरी की चूत में! गौरी कसमसा कर चीख गयी- धीरे से करो साहब, तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी। अब रुको नहीं और कस के चोदो मुझे। आज सारी कसर निकाल दो … फाड़ दो मेरी चूत को … ओह … आह। अनिल कुमार ने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। वो भी बड़बड़ा रहे थे- ले मेरी जान हाँ … आज तेरी चूत तो फाड़ कर ही रहूँगा. ले मेरी जान और ज़ोर से ले … आज तो तुझे अपनी रानी बना कर ही छोड़ूँगा।
अनिल कुमार ने उसके दोनों मम्मे पकड़ लिए और उन्हें मसलते हुए बड़ी बेदर्दी से चुदाई करने लगा। गौरी की पायल खूब झंकार कर रही थी मानों बैंड बाजों से गौरी की चूत के अंदर अनिल कुमार के लौड़े की बारात चढ़ रही हो।
अनिल कुमार थक कर गौरी के मम्मों को चूमते हुए उसके ऊपर ही लेट गए. गौरी ने भी उन्हें ऐसे चिपटा लिया मानों कब के बिछड़े हों।
गौरी की चूत की आग अभी बुझी नहीं थी तो वो अनिल कुमार को नीचे लिटा कर उन ऊपर चढ़ गयी और अपने हाथ से लंड को अपनी चूत में सरका लिया और लगी उछलकूद करने!
वो हाँफ रही थी पर उसके जोश में कमी नहीं थी। वो अनिल कुमार को आखिरी बूंद तक निचोड़ना चाह रही थी।
जल्दी ही उसकी साँसें उखाड़ने लगीं और वो ऊह … आह … मजा आ गया मेरी जान … आज मैं तृप्त हो गयी … आज तो आज तो तुमने मुझे जीत लिया मेरे राजा, अब ये चूत तो तुम्हारी गुलाम हो गयी … ओह! मजा आ गया आह … करते करते गौरी निढाल होकर अनिल कुमार की छाती पर ही लेट गयी।
अनिल कुमार का भी हो गया था। गौरी धीरे से उनके बगल में लेट गयी, बिना इस बात की परवाह किया की अनिल कुमार का वीर्य कुछ उसकी चूत से कुछ उनके ही लंड से निकल कर बेड पर गिर रहा था। दोनों के चेहरे पर पर तृप्ति के भाव थे।
तभी अनिल कुमार का मोबाइल बज गया।
उनकी बहन का फोन था कि राजू का काम तो हो गया है, पर माँ जी को वो शाम तक भेजेंगी। अनिल कुमार मुस्कुराए कि चलो शाम तक तो आजादी है।
पर सही बात यह थी कि अब उनकी और गौरी दोनों की जान निकाल चुकी थी।
गौरी उठी और अपने कपड़े समेटकर वाशरूम में जाकर ऐसे ही उल्टे सीधे पहन कर आ गयी और अनिल कुमार को कह कर अपने क्वार्टर आ गयी कि अब एक दो घंटा सोकर आएगी, तब खाना बना देगी।
अनिल कुमार ने भी सोचा कि नहाकर वो भी सो लेते हैं ताकि तारो ताज़ा हो सकें। वैसे भी देहाती लड़की की चुदाई का कोटा तो पूरा हो चुका था।
उधर अपने क्वार्टर में नहाती हुई गौरी सोच रही थी कि माना वो राजू से बेवफाई कर रही है, पर जब सेक्स के साथ उसकी कमाई भी हो रही हो और राजू की तरक्की भी, तो इसमें क्या बुराई है। पर उसे संभालकर करना होगा।
दोस्तो, कैसी लगी आपको ये देहाती लड़की की चुदाई, बताइएगा मेरी मेल आई डी [email protected] पर!
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