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Nav Vivahita Bhabhi ki kasi Choot
हैलो दोस्तो, मैं हेमन्त 24 वर्षीय युवा हूँ.. मेरा कद 6 फीट है। मेरा जिस्म औसत है पर मैं दिखने में आकर्षक हूँ।
मैं फरीदाबाद में किराए से एक कमरा लेकर रहता था.. वहाँ मेरी पढ़ाई चल रही थी। छुट्टियों में मैं अपने घर चला गया था।
इस बार जब छुट्टियों के बाद मैं फरीदाबाद वापिस आया तो मकान मालकिन आंटी ने बताया उन्होंने मेरे साथ वाला बड़ा वाला हिस्सा भी किराए पर दे दिया है।
मुझे अच्छा नहीं लगा.. क्योंकि उस हिस्से में मैं और ऋतु (मकान-मालिकिन आंटी की बेटी) मस्ती किया करते थे.. पर अब क्या कर सकते थे।
रविवार सुबह नए किराएदार का सामान आ गया और एक और हफ्ते में उन्होंने सारी व्यवस्था ठीक कर ली।
वो बस दो लोग थे.. वो पुरुष विकास एक बैंक में जॉब करता था.. उसकी पत्नी यानि भाभी एक टीचर थी।
मैं विकास को भैया कहने लगा, उसकी अभी दो महीने पहले ही शादी हुई थी।
भाई सुबह 8 बजे जाकर रात को आता था और भाभी दोपहर 2 बजे वापिस आ जाती थी।
एक दिन सुबह के समय छत पर एक्सरसाइज़ कर रहा था तो भाभी अचानक कपड़े सुखाने के लिए आ गईं।
मैं अपनी एक्सरसाइज़ करता रहा।
मैंने देखा कि कपड़े सुखाते-सुखाते भाभी चोर निगाहों से मुझे और मेरे मसल्स को देख रही थीं।
वो कपड़े सूखने डाल कर चली गई तो मैंने देखा कि उन कपड़ों में एक सुर्ख लाल रंग की सेक्सी ब्रा और पैन्टी भी थी।
उनके जाने के बाद मैंने वो ब्रा-पैन्टी उठा ली और अपने कमरे में आकर उसे सूंघने लगा।
भाभी की चूत की कामुक महक अब भी उस पैन्टी में से आ रही थी।
मैंने भाभी के नाम की मुठ मारी और सारा माल उस ब्रा-पैन्टी में छोड़ दिया।
फिर कुछ देर बाद मैंने उसे धो कर वापिस सूखने के लिए डाल दिया।
मेरी छुट्टी थी.. तो मैं सो गया.. दोपहर को अचानक मेरे दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी।
साधारणत: इस वक्त ऋतु अपनी ठरक मिटाने के लिए आती थी तो मैंने बिना ध्यान किया ही दरवाजा खोल दिया।
सामने देखा तो भाभी सामने खड़ी थी।
नींद से उठने की वजह से मेरा लंड खड़ा था और इस वजह से वो इधर-उधर देखने लगी।
मुझे अचानक होश आया तो मैंने झट से तौलिया बाँध लिया.. लेकिन लंड अभी भी खड़ा था।
मैंने उन्हें नमस्ते की और पूछा- क्या काम है?
बोली- बेड को थोड़ा एक तरफ को सरकाना है.. क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?
‘हाँ हाँ.. मैं 10 मिनट में आता हूँ…’
दस मिनट बाद मैं अपनी कैपरी और टी-शर्ट पहन कर उनके कमरे में चला गया।
इस बीच उन्होंने भी ड्रेस चेंज कर ली थी और अब वो एक सफ़ेद लैगीज और ढीली सी टी-शर्ट में थी।
मेरा तो मन किया कि अभी टी-शर्ट के नीचे से हाथ डाल कर चूची मसल दूँ.. लेकिन मैंने संयम कर लिया।
बिस्तर की स्थिति को भाभी जी के मुताबिक़ ठीक करते वक्त हम दोनों झुके हुए थे.. भाभी के मम्मे दिख रहे थे और मैंने ध्यान दिया तो देखा के जिस लाल ब्रा में मैंने मुठ मारी थी.. वो अब भाभी के गोरे-गोरे मम्मों को सम्भाल रही थी।
मेरा लौड़ा फिर से खड़ा होने लगा।
भाभी भी ये सब देख रही थी और कातिल सी मुस्कान बिखेर रही थीं।
जब मैं वापिस जाने लगा तो भाभी ने ‘थैंक्स’ बोला और कहा- रुकिए न.. चाय पीकर जाना…
मैंने कहा- मैं चाय नहीं पीता।
वो हँसते हुए कहने लगी- तो क्या दूध पियोगे…
मैंने उनके मम्मों की तरफ देखते हुए कहा- हाँ.. दूध के लिए तो मैं कभी इन्कार नहीं करता…
वो थोड़ा शरमाते हुए बोली- ठंडा या गरम?
मैंने कहा- गरम हो तो बेहतर है…
हम दोनों समझ गए थे कि आग दोनों तरफ लगी है.. लेकिन खुल नहीं पा रहे थे।
वो दूध गर्म करके ले आई थी, दूध पीते हुए भी मेरा ध्यान टीवी से ज्यादा उनके मम्मों पर था।
भाभी ने बात करनी शुरू की और मेरे शारीरिक सौष्ठव की तारीफ़ करने लगी और मेरे पास आकर बिल्कुल मुझसे सट कर बैठ गई।
मैंने अपना हाथ उनकी जाँघों पर रखा तो वो अचानक चुप हो गई और फिर एक हल्की सी ‘आह’ ली.. उसकी साँस फूलने लगी।
मैं समझ गया कि लोहा गरम है.. मैंने कहा- भाभी ये दूध तो मैंने पी लिया.. लेकिन मैं और पीना चाहता हूँ।
उसने अपनी आँखें बन्द करते हुए कहा- आकाश.. जो पीना है पी लो.. सब कुछ तुम्हारा है.. लेकिन ध्यान रखना मुझे भी दूध के बदले में अच्छी मलाई मिले…
अब सब कुछ साफ़ हो गया था।
मैंने कहा- जान.. ऐसी मलाई खिलाऊँगा कि मज़ा आ जाएगा..
अब मैं उसे चुम्बन करने लगा.. वो मदमस्त हो गई और मेरी टी-शर्ट फाड़ने लगी।
मैंने उसे रोका और अपनी टी-शर्ट उतार दी।
उसने भी अपनी टी-शर्ट उतारी.. लाल ब्रा में गोरे-गोरे मम्मे.. आह्ह.. कहर ढा रहे थे..
मेरा लंड तो मस्त हुआ जा रहा था।
उसने कहा- उसकी ब्रा में से वीर्य की जो गन्ध आ रही है.. क्या वो तुम्हारी है?
मैंने ‘हाँ’ में सर हिला दिया।
उसने कहा- यार जब मेरी चूत तुम्हारे लिए खुली पड़ी है.. तो मुठ क्यों मारते हो?
मैंने कहा- अब मुठ नहीं मारूँगा.. अब तो मेरा लंड सिर्फ़ तेरा है…
यह कहते हुए मैंने अपने अंडरवियर को भी उतार दिया।
वो एक पागल औरत की तरह लपकी और मेरा लंड अपने मुँह में भर कर चुसाई करने लगी।
ओह.. ये तो ऋतु से भी अच्छा चूसती है.. मेरा पूरा लंड उसके थूक से गीला हो चुका था।
मैंने उसकी ब्रा उतार दी.. मेरा लौड़ा चूसते हुए उसके 36 इंच के थन आगे-पीछे हो रहे थे..
उसके मम्मे इतने मुलायम थे कि उन्हें दबाने भर से ही मेरे लंड की हरकत और तेज़ हो जाती।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे उठाया और उसी बिस्तर पर लिटा दिया.. उसकी सफ़ेद लैगीज उतारी तो देखा कि उसने नीचे कुछ नहीं पहना था।
मैंने उसकी चूत पर अपना हाथ मला और हैरत में रह गया कि दो महीने हो गए थे उसकी शादी को.. लेकिन अभी भी चूत काफ़ी टाइट लग रही थी।
मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ टिका दी और चूत चटाई शुरू कर दी।
कुछ देर बाद मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसकी चूत के कोरेपन के बारे में पूछा तो उसने कहा- अभी बात मत करो.. बस चाटते रहो।
चाटते-चाटते उसकी चूत गुलाबी से लाल हो गई थी।
मैंने चाहते हुए भी कहीं कट्टू नहीं किया क्यूंकि इससे उसके पति को पता चल सकता था।
अब वो बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो गई थी और अपने नाखून मेरी पीठ और चूतड़ों पर गड़ा रही थी।
वो काम की मस्ती में एक अजीब से नशे में बोल रही थी- कम ऑन हेमन्त.. आई एम लविंग इट.. ये तो मेरी फ़ुद्दी को चाटते ही नहीं.. और न ही लौड़ा चूसने देते हैं… मैं बहुत प्यासी हूँ… प्लीज़ जीब घुसाओ न.. और थोड़ी अन्दर.. और आह.. आहा.. आह.. और ज़ोर से.. सक्क माई पुसी.. स्क्क मी.. रूको मत और ज़ोर से.. कम ऑन.. इस्स…”
और इस लम्बे सीत्कार के साथ ही उसने अपना सारा पानी मेरे मुँह पर छोड़ दिया और निढाल होकर लेट गई।
मैंने उसे उल्टा कर उसके चूतड़ों पर 3-4 चपतें मारीं और कहा- उठ साली कुतिया.. खुद ठंडी हो कर सो गई और जो ये लंड खड़ा किया है.. उसका क्या.. इसकी प्यास कौन मिटाएगा?
वो हँसने लगी और बोली- अच्छा जी.. तो अब मैं भाभी से कुतिया हो गई.. खैर कोई बात नहीं भाभीचोद बोल ले.. तूने मुझे वो दिया है जिसके लिए मैं बहुत दिनों से तड़प रही थी। इतने दिनों बाद आज मस्त मजा आया है। तू टेन्शन मत ले.. इस लंड की प्यास मैं ही मिटाऊँगी.. बस एक बार मूत लेने दे…
वो मूतने के लिए बाथरूम चली गई।
मेरा दिमाग़ खराब हो रहा था… मैं भी बाथरूम में चला गया और उसे देखने लगा.. जैसे ही उसने हाथ धोए.. मैंने उसे पकड़ लिया और उसके मम्मे दबाने लगा।
अब वो वापिस मूड में आ रही थी और मेरे बालों में हाथ फेरने लगी।
फिर अचानक भाग कर बिस्तर पर लेट गई।
उसने अपनी दोनों टाँगें हवा में उठा लीं.. मैंने उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया रखा।
वो बोली- अब आजा कुत्ते.. तेरी कुतिया की चूत.. तेरे लंड के लिए तरस रही है।
मैं उसके मुँह से गालियाँ सुन कर हैरान था। लेकिन मुझे चुदाई करते वक्त गाली देना अच्छा लगता है।
मैंने पूछा- कन्डोम कहाँ है?
उसने कहा- बिस्तर की दराज में ड्यूरेक्स का फैमिली पैक पड़ा है… ले ले….
उसकी टाँगें अब भी हवा में थीं।
मैंने लंड पर कन्डोम चढ़ाया और उसकी चूत पर रख दिया। मैं उसके मम्मे दबाने लगा.. तो लंड का टोपा उसकी चूत से रगड़ खा रहा था।
उसने शरीर काँप रहा था.. उसने कहा- और मत तड़पा अपना भाभी को… पेल दे.. अब बर्दाश्त नहीं होता…
मैंने निशाना लगाया और धक्का दिया.. तो लंड का टोपा अन्दर चला गया।
उसने चादर को कस कर पकड़ लिया और अपने होंठ कस कर बंद कर लिए।
मैं समझ गया कि उसे दर्द हो रहा है.. लेकिन मैंने एक और झटका मारा और सारा का सारा लंड उसकी चूत की हर दीवार को तोड़ते हुए अन्दर घुसता चला गया।
मैं तो मानो जन्नत में था। उसकी चूत ऋतु की चूत की तरह ही कसी हुई थी।
उसे दर्द हो रहा था.. लेकिन वो तैयार थी.. मैंने अन्दर-बाहर करना शुरू किया।
कुछ देर बाद वो भी साथ देने लगी और ‘आ.. आ..’ करने लगी।
मैंने रफ़्तार बढ़ा दी। वो अपनी गाण्ड उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी। मैंने उसकी गाण्ड से भी खेलना शुरू कर दिया और उसकी गाण्ड में ऊँगली डालने लगा.. लेकिन वो तो हद से ज़्यादा टाइट थी।
मैंने वापिस चूत को ज़ोर-ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया।
वो बोली- धीरे.. आकाश धीरे.. चोद रहा है.. या खोद रहा है.. मैं कोई रंडी नहीं हूँ.. तेरी भाभी हूँ.. आराम से कर.. रात को विकास ने भी लेनी है.. मैं तो मर ही जाऊँगी।
मैंने कहा- चुप कर साली.. मेरे लिए तो तू रंडी ही है… अब से तू मेरी रंडी है.. जब मेरे मन करेगा.. मैं तुझे रंडी की तरह चोदने आ जाया करूँगा.. वैसे भी ऋतु से मेरा मन भर रहा है…
उसने कहा- इसका मतलब ऋतु की भी लेते हो…
मैंने उसे डांटते हुए कहा- हाँ.. और ज़्यादा दिमाग़ मत लगा कुतिया.. अपनी गाण्ड उठा.. मैं झड़ने वाला हूँ.. बोल कहाँ लेगी मेरा वीर्य…
उसने कहा- मलाई तो मेरी है मेरे मुँह में आजा मेरे राजा..
मैं बहुत रफ़्तार से उसे चोद रहा था। वो एक बार और झड़ चुकी थी और उसकी चिकनाई से पूरे कमरे में ‘छाप.. छाप.. छाप..’ की आवाज़ें गूँज रही थीं।
मैंने लंड को चूत से बाहर निकाला.. चूत एकदम से फूल गई थी और चूत के होंठ खुले पड़े थे।
मैंने कन्डोम उतारा और उसके मुँह में अपने लण्ड पेलने लगा।
वो भी पूरी मस्ती से मेरा लवड़ा चूस रही थी। फिर मेरा शरीर अकड़ने लगा मैंने उसका सर अपने लंड पर खींच लिया और एक जोरदार शॉट के साथ अपनी सारी मलाई उसके मुँह में डाल दी।
उसने एक बूंद भी बाहर नहीं छोड़ा और सारी मलाई पी गई।
उसके बाद भी उसने तब तक लंड को चाटना बन्द नहीं किया जब तक कि वो वापिस नहीं सो गया।
फिर हम दोनों कुछ देर के लिए वहीं सो गए।
बाद में मैं अपने कमरे में चला गया.. अब भाभी मेरे लौड़े के लिए नया आइटम बन गई थी।
इसके बाद मैं अगली बार भाभी की गांड मारने की कहानी को भी लिखने वाला हूँ।
तो दोस्तो, यह थी मेरी एक सच्ची घटना.. कैसे लगी कहानी.. आपके जबाव के इन्तजार में..
आप सभी के जबावों का बेसब्री से इन्तजार है।
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