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हार्डकोर सेक्स इंडियन स्टोरी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी भतीजी की गांड फाड़ी. उसके बाद उसकी मौसेरी सास की चूत मारी और फिर उसे गांड सेक्स का मजा दिया.
दोस्तो, अब तक की सेक्स कहानी में मैंने आपको चुदाई का भरपूर मजा दिया है, ऐसा मुझे आपके मेल से मालूम पड़ रहा है. मुझे उम्मीद है कि आपने अब तक अपना लंड चुत काफी रगड़ लिया होगा. ये इस सेक्स कहानी का अंतिम भाग आपके सामने पेश है.
इस हार्डकोर सेक्स इंडियन स्टोरी के चौथे भाग साले की बेटी की मौसेरी सास की चुदास में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी भतीजी अनीता का पति कमल मुझसे अपनी फैमिली की सभी भाभियों को चुदवाने की बात कह चुका था. उसे सिर्फ पैसे की दरकार थी. वो मुझसे यही सब बात कर रहा था.
अब आगे हार्डकोर सेक्स इंडियन स्टोरी:
मैंने कमल से कहा- चल अब बात यहीं खत्म कर. जैसा मैंने बोला है तू वैसा कर!
हम दोनों कमरे में आ गए.
वो दोनों रंडियां दारू के साथ चिकन का मजा ले रही थीं. मौसी के एक हाथ में सिगरेट उंगलियों में फंसी हुई थी.
कमल ने मेरे कहे मुताबिक मान लिया था. वो पैग के ऊपर पैग खींचे जा रहा था, साथ में फटाफट चिकन खा रहा था.
मौसी बिस्तर पर बैठीं चादर के अन्दर से मेरे लंड को सहला रही थीं. अनु ने आंख से इशारा करके लाइन क्लियर बता दिया.
कमल खा-पी कर उठा और बोला- मुझे नींद आ रही है … मैं सोने जा रहा हूँ. अनु तू बाकी की व्यवस्था देख लेना.
वह चला गया.
तो अनीता एक मिनट बाद पीछे से गयी और अपने कमरे में देखा तो कमल सो गया था. वो बाहर से दरवाजा बन्द कर आयी.
तब तक मौसी रजाई के अन्दर मेरे लंड को मुँह में डाल कर आम की गुठली की माफिक चूस रही थीं.
अनु अन्दर आते ही बोली- मौसी, अकेले अकेले ही पूरा साफ मत कर लेना, कुछ मेरे लिए भी बाकी रखना.
इतना कह कर अनु भी अपने कपड़े खोल कर बिस्तर में आ गयी. जब मौसी ने अनु को नंगी देखा तो उसने भी अपने कपड़े खोल दिए. उधर अनु मेरे कपड़े खोल रही थी.
मैंने दोनों रांडों को एक एक काम दे दिया. मौसी को लंड चूसने की कह दिया और अनु को छाती पर लेकर उसके होंठों से होंठ मिला कर चुंबन लेने लगा.
आज ऐसा लग रहा था, जैसे हम जन्म-जन्मान्तर से इस काम को जानते हों. मौसी काम कला की ज्ञाता थीं, वो लंड के साथ लंड के आजू बाजू ऊपर नीचे चूस रही थी.
मौसी की हरकतों को देख कर अनु बोली- मौसी इनकी गांड में जीभ घुमाओ, इनको उसमें बहुत मजा आता है.
उसका इतना कहना हुआ ही था कि मौसी ने रजाई दूर फेंक कर दो तकिए मेरी गांड के नीचे लगा दिए और जीभ को मेरी गांड में डाल कर घुमाने लगी.
मेरी तो हालत खराब हो रही थी.
इधर अनु लंड को मुँह में लेकर वीर्यपान की प्रतीक्षा कर रही थी.
मौसी की काम-कला के चलते आखिर मैं स्खलित हो ही गया. अनु के मुँह में मेरा लंड था तो वो साली इस तरह से वीर्य पी रही थी, जैसे आज उसे अमृत मिल गया हो.
पूरी तरह लंड को साफ चाट कर अनु बोली- एक एक पैग हो जाए. मौसी बोली- हां क्यों नहीं!
मौसी उठ कर बोतल ही ले आई. हम तीनों ने सीधे बोतल मुँह से लगा कर एक एक घूंट लगाना चालू कर दिया. मौसी ने सिगरेट होंठों से लगा कर सुलगाई और मुझे दे दी. मैंने कश खींच कर अनु से मनुहार की.
अनु ने ना बोला तो मौसी बोली- साली इधर क्या मां चुदवाने आई है भड़वी … या तो हराम खाना नहीं, अगर खा लिया तो फिर पीछे देखना नहीं. चल ले मुँह में.
अनु ने हंसते हुए सिगरेट अपनी उंगलियों में दाब ली और कश खींचना शुरू कर दिया.
उधर एक हाथ से मौसी फिर से लंड सहला रही थीं. कुछ ही देर में चुत का मूसल तैयार हो गया. मौसी ने आव देखा ना ताव … सीधे लंड के ऊपर बैठ गईं.
वो मेरे लंड पर ऊपर नीचे होने के लिए अपने दोनों हाथों को मेरे सीने पर रख कर हिचकोले खाने लगीं. उनकी मदमस्त चूचियां मुझे लुभाने लगीं.
मैं अभी वीणा की चूचियों को चूसने की सोच ही रहा था कि तभी अनु ने अपनी चूत मेरे मुँह में लगा दी. मैं उसकी चूत में जीभ डाल कर उसका रस खींच खींच कर पीने लगा.
जब उसकी चूत में रस खत्म हो गया, तो नीचे से ऊपर चाटने लगा. जैसे ही जीभ ऊपर आती तो मैं अनु की क्लिट को अपने दांतों से हल्के से चबा लेता.
अनु चीख पड़ती- ऊई अम्मा … मार दिया रे जालिम. दूसरी तरफ मौसी के मुँह से सीत्कारें फूटने लगीं- आह आह ओह … कितना हार्ड लंड है आपका मजा आ गया … आह मैं गई.
वीणा की चुत भी तृप्त हो गई थी.
पिछले चौबीस घंटों में तीन चार बार चुदाई करने के कारण अब मेरा स्खलन का समय बढ़ चुका था.
मौसी को स्खलित करने के लिए मैंने नीचे से अपनी गांड को ऊपर करता. जब वीणा ऊपर को जाती, तो मैं अपनी गांड नीचे कर लेता. ऊपर मेरे मुँह पर अनु अपनी चुत चटवा रही थी और नीचे मौसी मेरे लंड को अपनी चुत से मत रही थी.
तभी दोनों एक साथ चिल्ला पड़ीं. अनु ने मेरे मुँह में ही ढेर सारा रस छोड़ दिया. मौसी ने मेरे लंड के ऊपर चुत झाड़ दी.
मौसी चुदाई से पसीना पसीना हो चुकी थी. मेरा लंड अभी झड़ना बाकी था.
मैंने मौसी को विश्राम करने देने के लिए छोड़ दिया और अनु को कुतिया बनने के लिए बोला.
मैंने बेड के नीचे खड़ा होकर कुतिया बनी अनीता की चूत में लंड डाला.
तो अनु बोली- चुत से लंड बाहर निकालो … आज पीछे डालो.
मौसी ने जब गांड मराने की बात सुनी तो उसके लिए यह नई बात थी. मैंने अनु की गांड पर आठ दस थप्पड़ लगा कर लाल कर दिया और अपने मुँह से तीन चार बार थूक कर गांड पर लंड लगा दिया. लंड का सुपारा गांड से घिस कर गीला किया और धक्का दे दिया.
अनु की हल्की सी चीख निकली और पूरा लंड उसकी गांड के अन्दर चला गया.
दोपहर में उसकी गांड अच्छी तरह से मारने के कारण अब अनु को कोई परेशानी नहीं हो रही थी. अनु अपनी गांड को आगे पीछे करके लंड को जवाब देने लगी.
मौसी बड़े अचरज से अनु को गांड मराते हुए देख रही थी.
कुछ देर की गांड पिलाई में अनु की किलकारियां गूंजने लगीं.
मौसी बोली- सच में अनु … क्या ऐसा मजा आता है?
अनु झड़ कर शांत हो चुकी थी. अब तक मैं भी थक चुका था.
मौसी उठ कर बाथरूम में चली गयी.
अनु मुस्करा हाथ से सीने पर ठोकते हुए बोली- इसको कहते है चुदाई करने वाला मर्द … मौसी. फिर एक पल रुक कर वो मेरे लंड को सहला कर बोली- ऐसे लंड के लिए औरत कोई भी कीमत दे सकती है.
इतना कह कर अनु मेरी बांहों से लिपट कर बोली- फूफा … सच में अब से तुम ही मेरे पति हो.
पीछे मौसी खड़ी थीं- अबे ओये हरामजादी … लंड से हाथ दूर हटा कुतिया!
उनके हाथ में एक बर्तन था. बर्तन में पानी था.
मौसी ने मुझे बेड से थोड़ा नीचे सरकने को कहा. मैं सरका, तो उसने बर्तन नीचे रख कर गुनगुने पानी से लंड को धोया. उसने मुझसे थोड़ा और नीचे सरकने को कहा और मुझे सरका कर मेरे गांड के छेद पर पानी के छींटे देकर गांड धोई. फिर अच्छे कपड़े से गांड पौंछ कर बर्तन वापिस रख आयी.
वापस आकर मौसी ने मुझे नीचे खड़ा कर दिया और अनु से कहा- तू आगे से चूस … मैं पीछे से चूसती हूँ.
दोनों अपने काम में लग गईं. अब दो रांडों के बीच मैं फंसा हुआ था. कामातुर मौसी की चुसाई के कारण कुछ अधिक ही हो गया था.
मैंने कहा- बस अब बहुत हो गया हट जाओ. अनु बोल … आज तुम्हारी मौसी की गांड का मुहूर्त भी कर दूँ!
अनु ने हामी भरते हुए आसन बताया.
मैंने मौसी को खींच कर आसन में लिया. तब तक अनु साड़ी लेकर मौसी के पास आ गई. उसने मौसी को अपनी फटी चूत चाटने दे दी.
इधर मैं मौसी की गांड में पहले हल्की हल्की उंगली घुमाने लगा. फिर एक बार थूक डाल कर उंगली को गांड में पूरा डाला और उनकी गांड को चौड़ी करने लगा.
इस दरम्यान मौसी, अनु की चुत चाटने का लुत्फ़ ले रही थी.
मैंने मौका देखा और हाथ पर थूक लेकर लंड के टोपा पर लगा कर मौसी की गांड में सटा दिया.
मैंने अनु को इशारा किया. अनु दूर होकर साड़ी हाथ में लेकर मौसी की चीख निकलने की प्रतीक्षा करने लगी.
पूरा मौका देख कर मौसी की गांड में जोर लगा कर पूरे खड़े लंड को जोर का धक्का दे दिया. लंड अन्दर घुसा और जैसे ही मौसी ने चीखने के लिए मुँह खोला.
उसी समय अनु ने तपाक से साड़ी का पल्लू मौसी के मुँह में ठूंस दिया.
लंड का जोर से धक्का लगने के कारण मौसी की गांड से खून बहने लगा. अनु उनका मुँह पकड़े हुए थी.
वो मौसी को कहती जा रही थी- बधाई हो मौसी … आज आपकी गांड की सील भी टूट गयी. पहली बार में मेरे साथ भी ऐसा ही दर्द हुआ था.
मौसी की आंखें टपक रही थीं. उनकी आवाज निकलना बंद थी.
कुछ देर तक लंड के झटके लगे तो मौसी की गांड ढीली हो गई और दर्द जाता रहा.
अनु- मौसी, इसके बाद मजा ही मजा है. कुछ ही देर में दर्द खत्म हो जाएगा.
इस बीच मैं मौसी की गांड में पिला पड़ा था और उनकी पीठ पर लदा था. मौसी की गर्दन पर मैं लम्बे लम्बे चुंबन देने लगा. कान पर ढेर सारे चुंबनों से मौसी को राहत मिली.
ये देख कर अनु ने अपनी चूत फिर से आगे कर दी.
अनु बोली- मौसी दर्द खत्म हो गया हो तो आगे चालू रखें? मौसी मरी कुतिया सी आवाज में बोली- हां … पर अब धीरे से करना.
मैंने बिल्कुल दोपहर की तरह मौसी के साथ ही गांड की चुदाई की. मौसी अपनी गांड की चुदाई से खुश होकर बोली- आज मालूम पड़ा कि पीछे से करवाने में उतना ही मजा है, जितना आगे करवाने में.
अब तक मैं बहुत ज्यादा थक चुका था. मगर अभी झड़ा नहीं था. मेरा लंड तना हुआ था.
मैं बिस्तर पर पसीने से तरबतर होकर लेट गया. अनु गीले कपड़े से लंड को दो बार साफ करके अपनी चूत में लेकर मेरी चुदाई करने लगी.
मौसी ने अपनी चूत मेरे मुँह में दे दी आठ दस मिनट में अनु झड़ गयी.
मुझे जोर से पेशाब लगी हुई थी. मैं उठ कर बाथरूम में गया और वापिस आकर देखा कि वो दोनों लेस्बियन सेक्स में मशरूफ थीं.
मैं मौसी को लंड के नीचे लिटा कर जल्दी स्खलित होकर तीन चार घंटा नींद लेना चाहता था.
इस समय रात के तीन बज रहे थे. मैं मौसी के ऊपर जानवरों की तरह टूट पड़ा.
रात को ट्रेन में अनु की चुदाई भी इसी तरह की थी.
मौसी के लिए इस तरह की चुदाई पहली बार थी. वो मेरे दांतों से काटने के दर्द को सहन करती जा रही थी. उसके गालों और मम्मों पर दांतों के निशान भी पड़ते जा रहे थे.
बीस मिनट की लगातार की चुदाई में मौसी ने दो बार स्खलित होकर अलग होने की चेष्टा की, पर मेरी पकड़ मजबूत होने के कारण वो मुझसे छूट ही नहीं पाई.
लगातार चुदाई में मौसी फिर से तैयार होकर मेरा साथ देने लगी. जब मौसी दूसरी बार झड़ गयी, तब और कोई रास्ता नहीं देख कर चुपचाप चुदाई करवाने में भलाई समझ लेती रही.
जब मेरा शरीर अकड़ने लगा, तो मौसी बोली- पानी अन्दर मत छोड़ना, आज मेरा पीरियड गए आठ दिन हो चुके हैं.
उसके बोल पूरे होने से पहले ही मैंने मौसी की चुत में झड़ना चालू कर दिया था. मौसी ने दोनों हाथ पीठ पीछे लेकर मुझे बांहों में कस कर पकड़ लिया. अपने दोनों पैर की अंटी लगा कर गांड को ऊपर करके वो पूरा रस अन्दर खींचने लगी.
मैंने होंठ आगे किए, तो मौसी ने प्रत्युत्तर में होंठों को अपने मुँह में लेकर जीभ से जीभ मिला कर चूसना शुरू कर दिया.
मैं निढाल होकर मौसी पर गिर पड़ा. मसी मुझे छोटे बच्चे की तरह पीठ और सर पर सहलाने लगी.
अब मैं उन दोनों रांडों के साथ नंगे ही लेट गया था. हम तीनों बिस्तर में लेटे लेटे बातें कर रहे थे.
मौसी बोली- रियल में औरतों को वश में करने की कला तुम्हारे पास ही है चन्दन.
मैं हंस दिया और उन दोनों के साथ चिपक कर सो गया.
तो दोस्तों हार्डकोर सेक्स इंडियन स्टोरी कैसी लगी, मेल करके जरूर बताना. [email protected]
हार्डकोर सेक्स इंडियन स्टोरी का अगला भाग: साले के दामाद ने कोरी चुत चुदवाई
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