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दीपक ने ज़ोर से धक्का मारा और गुस्सा हो गया।
दीपक- क्या बकवास कर रही हो.. प्रिया मेरी बहन है।
दीपाली- बकवास नहीं.. सच कह रही हूँ वो लड़की प्रिया ही है.. जिसने पहली बार तेरे लौड़े को चूसा है और अब तुझसे चुदने के लिए बेकरार हो रही है।
दीपक- चुप कर साली… कुछ भी बोले जा रही है।
दीपाली- ओए हैलो.. जुबान को लगाम दो.. पहले शान्ति से मेरी बात सुन लो उसके बाद जो बोलना है.. बोल देना.. तुम्हें याद होगा कि तू एक बार ज़्यादा नशे में घर गया था और तेरे पापा ने मार कर तुझे घर से निकाल दिया था। उस वक़्त तुझे प्रिया के पापा अपने घर ले गए थे और उसी रात प्रिया ने तेरे लौड़े को चूसा था समझे…
दीपक एकदम हक्का-बक्का रह गया।
दीपल- क्क्क..क्या बोल रही हो.. तत..तुम आह्ह… ऐसा कुछ नहीं हुआ था स..समझी…
दीपाली- तू तो नशे में था.. तुझे कहाँ कुछ याद होगा… प्रिया ने खुद मुझे सारी बात बताई हैं… समझे.. शुरू से सुन तब तुझे यकीन आएगा।
दीपाली ने प्रिया की कही सारी बातें विस्तार से दीपक को बताईं।
दीपक- ओ माय गॉड.. प्रिया ने ऐसा कैसे कर दिया… वो मेरी बहन है।
दीपाली- बहन हा हा हा.. अब सुन तुझे एक ज्ञान की बात बताती हूँ.. जो मेरी गुरू ने मुझे बताई है.. गौर से सुनना..
इस दुनिया में बहुत से रिश्ते हैं मगर लौड़े का सिर्फ़ 4 चीजों से गहरा रिश्ता है.. उसके अलावा इसकी ना कोई माँ है.. ना बहन..
अब वो चार रिश्ते क्या हैं सुन…
सबसे पहला और सबसे मजबूत रिश्तेदार हाथ होता है.. क्योंकि जब लौड़ा जवान होता है या उत्तेज़ित होना सीखता है.. तो हाथ ही उसको सहला कर शान्त करता है.. जो काफ़ी सालों तक या मरते दम तक इसका साथ नहीं छोड़ता।
दूसरा.. इसका रिश्ता गाण्ड से होता है जब 13 या 14 साल की उम्र होती है.. खेल-खेल में किसी दोस्त की या नसीब से किसी लड़की की गाण्ड मारने को मिल जाती है.. मगर ये रिश्ता ज़्यादा दिन तक लौड़े का साथ नहीं देता।
अब इसका सबसे प्यारा और पसन्दीदा रिश्तेदार.. वो है चूत.. ज़्यादातर लौड़ों को कच्ची और चिकनी चूत से मोहब्बत होती है। ये इसका सबसे बड़ा रिश्तेदार होता है.. किसी-किसी को नसीब से जल्दी.. तो किसी को शादी के बाद चूत मिलती है.. मगर मिल जरूर जाती है और आख़िरी रिश्ता इसका लड़की के मुँह से होता है.. जो इसको चूस कर मज़ा देती है.. मगर ये भी किसी-किसी को ही नसीब होता है। शादी के बाद कोई औरत मुँह में लेती है.. कोई नहीं भी… तो अब समझ आया।
तुम्हें पता है प्रिया तुम्हारी बहन है.. मगर इस लौड़े को नहीं पता.. तू तो होश में नहीं था.. मगर ये पूरे होश में था.. कड़क भी हुआ और पानी भी उसके मुँह में डाला.. अब बोल ये ज्ञान की बात तेरे समझ में आई कि नहीं।
दीपक तो हक्का-बक्का रह गया। कल तक जिस लड़की को बहन मानता था आज उसकी ऐसी बात पता चल गई कि उसके पैरों के नीचे से ज़मीन सरक गई।
दीपक- यह गलत है.. नहीं प्रिया ने पाप किया है.. मगर मैं नहीं कर सकता.. ना ऐसा नहीं होगा…
दीपाली- तो ठीक है.. मत कर.. मगर इतना सोच ले प्रिया ने लौड़े का स्वाद चख लिया है और उसकी चूत लौड़े के लिए तड़फ रही है.. तू नहीं तो कोई और सही.. वो चुदेगी जरूर और हाँ दूसरा उसको कौन मिलेगा जानते हो..? तुम्हारे खास दोस्त ही उसको चोद कर मज़ा लेंगे.. उनके अलावा वो किसी के पास जा ही नहीं सकती। अब सोच ले.. सील पैक चूत फ्री में मिल रही है.. ऐसा मौका बार-बार नहीं आता.. तेरे दोस्त मज़ा लेंगे और तू चूत के लिए तड़पता रहेगा.. मैं भी नहीं चुदवाऊँगी तेरे से.. ये मेरी शर्त है अगर तू प्रिया को चोदेगा.. तभी मैं चुदवाऊँगी.. वरना नहीं…
दीपक- साली तू कैसे नहीं चुदवाएगी.. इस घर में तेरे और मेरे सिवा है ही कौन.. तुझे तो जबरदस्ती चोद लूँगा।
दीपाली- मुझे तो चोद लोगे.. प्रिया का क्या होगा..? क्या उसके सामने तुम मुझे चोद पाओगे?
दीपक- क्या.. कहाँ है प्रिया?
तभी कमरे का दरवाजा खुलता है और प्रिया अन्दर आ जाती है।
प्रिया- मैं यहाँ हूँ भाई..
दीपक प्रिया को देखता रह जाता है वो सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी में खड़ी थी।
उसके चूचे आधे से ज़्यादा बाहर को झाँक रहे थे.. चूत का फुलाव पैन्टी में से साफ नज़र आ रहा था और प्रिया भी दीपक के लौड़े को देख कर होंठों पर जीभ फेर रही थी.. जो आधा-अधूरा खड़ा था या यूँ कहो सोया हुआ था।
दीपक- ये क्क्क..क्या है प्रिया.. छी: तुम्हें शर्म आनी चाहिए..
दीपक कुछ और बोलता तब तक प्रिया उसके एकदम करीब आकर खड़ी हो जाती है और दीपक के लौड़े को देखने लगती है.. जिसमें अब तनाव आना शुरू हो गया था।
प्रिया- भाई.. आपने मेरे पूरे जिस्म को अच्छे से देख लिया और आपके मन में मुझे चोदने की इच्छा भी जाग गई है.. जिसका सबूत यह कड़क होता लौड़ा है.. अब यह झूठा गुस्सा किसलिए..?
दीपक का लौड़ा एकदम तन गया था और प्रिया को चोदने की दिल के किसी कोने में एक चाहत जाग उठी थी।
दीपक- तू बहन नहीं.. एक रंडी है आ जा साली.. पहले तुझे ही चोदूँगा..
दीपक ने प्रिया को बाँहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगा। प्रिया भी उसका साथ देने लगी।
दीपाली वहीं खड़ी उन दोनों को देख कर मुस्कुराने लगी।
काफ़ी देर बाद दोनों अलग हुए.. दीपक भूखे कुत्ते की तरह प्रिया के मम्मों को दबा रहा था और उसने ब्रा को खोल कर एक तरफ फेंक दिया था।
प्रिया- आह्ह… आई.. भाई आराम से करो ना आह्ह… दुख़ता है..
दीपक- साली छिनाल.. अपने भाई के बारे में गंदे ख्याल लाई.. तब नहीं सोचा तूने.. दुखेगा.. अब देख मैं कैसे तुझे मज़ा देता हूँ.. आज तो बहनचोद बन ही जाता हूँ.. जिस नाम से नफ़रत थी.. आज उसी को तूने मेरे से जोड़ दिया है।
दीपाली- ओके प्रिया.. मैं अब जाती हूँ मेरा यहाँ क्या काम.. तुम दोनों मज़ा करो।
ये सुनकर दीपक ने प्रिया को छोड़ दिया और दीपाली का हाथ पकड़ लिया।
दीपक- तू कहाँ जाती है मेरी बुलबुल.. तेरे चक्कर में तो आज मैं बहनचोद बनने जा रहा हूँ.. पहले तेरी चूत को फाड़ूँगा.. उसके बाद इस कुत्ती की ठुकाई करूँगा.. साली बहन के नाम पर कलंक है ये…
दीपाली- चूत तो मेरी भी जल रही है लौड़े के लिए.. मगर मैंने प्रिया से वादा किया है उसकी सील तुम ही तोड़ोगे।
दीपक- अरे तो मैंने कब मना किया है.. पहले तेरी चूत का उद्घाटन करूँगा उसके बाद प्रिया की चूत का मुहूरत होगा।
प्रिया- नहीं भाई पहले आप मेरे साथ करो.. क्योंकि मैं जानती हूँ मेरी तरह आप भी एकदम कुंवारे हैं आपके लौड़े की पहली चुदाई है.. तो आप मेरी सील के साथ अपनी शुरूआत करो। दीपाली कौन सी सील पैक है.. ये तो चुदी-चुदाई है।
दीपाली- तुम्हें मेरी कसम है प्रिया इसके आगे मत बोलना।
दीपक- यस यस.. आई वाज राईट.. मुझे पता था साली तू चुद चुकी है.. वो साले नहीं मान रहे थे.. तेरी चाल देख कर ही मैं समझ गया था कि कोई तो है.. जो तेरी जवानी को लूट रहा है.. अब बता भी दे कौन है वो हरामी..? जिसने हमारे माल पर हाथ साफ कर लिया।
दीपक की बात सुनकर दीपाली कुछ नहीं बोली।
प्रिया- भाई क्यों बने-बनाए मूड को खराब कर रहे हो.. होगा कोई भी आ जाओ हम मज़ा करते हैं।
दीपक- रूक साली कुत्ती.. तुझे बहुत जल्दी है चुदने की.. इसे बोल यहीं रूक.. अगर ये रहेगी तो ही तुझे चोदूँगा.. क्योंकि मुझे आज इसकी भी चूत मारनी है बस…
दीपाली- ठीक है.. मैं यहीं हूँ.. हो जाओ शुरू.. कर दो प्रिया की चूत का मुहूरत.. उसके बाद मुझे भी चोद लेना मैं खुद तड़फ रही हूँ।
दीपक- ऐसे नहीं.. तुम पूरी नंगी हो जाओ और बिस्तर पर हमारे साथ रहो।
दीपाली मान गई और कपड़े निकालने लगी.. साथ ही प्रिया भी पूरी नंगी हो गई।
दीपक तो पहले से ही भरा हुआ था उसके लौड़े का तनाव बढ़ता गया और उसे अहसास हो गया कि जल्दी वो झड़ जाएगा.. चूत का मुहूरत नहीं कर पाएगा।
दीपक- दीपाली तूने मुझे बहुत उत्तेज़ित कर दिया है.. पहले तू मेरा लौड़ा चूस कर ठंडा कर दो मिनट में ही ये झड़ जाएगा.. उसके बाद प्रिया से शुरूआत करूँगा।
दीपाली मान गई और लौड़े को मुँह में लेकर मज़े से चूसने लगी। दीपक ने आँखें बन्द कर लीं और मुँह को चोदने लगा और कुछ ही देर में उसके लौड़े ने वीर्य की धार दीपाली के मुँह में मार दी। दीपाली पूरा पानी पी गई और लौड़े को चाट कर साफ कर दिया।
दीपक- आह.. ये हुई ना बात.. उफ्फ आज तक मेरे लौड़े ने इतना पानी नहीं छोड़ा.. जितना आज तेरे मुँह में निकाला है.. आह्ह… मज़ा आ गया।
प्रिया- भाई अब मेरी भी प्यास बुझा दो ना.. आपके लौड़े के लिए तो मैं कब से तड़फ रही हूँ.. लाओ मुझे चूसने दो.. इसे अब दोबारा खड़ा मैं करूँगी।
दीपक- हाँ.. क्यों नहीं मेरी रंडी बहना.. ले चूस ले.. अब तो तुझे चोद कर ही मुझे चैन आएगा और दीपाली तू भी मेरे पास लेट जा.. तेरे चूचे मुझे बहुत पागल बनाते थे.. आज इनका रस पीने दे मुझे.. प्रिया के चूचे भी बहुत मस्त हैं.. मगर ये तो घर का माल है.. जब चाहूँगा मिल जाएगी.. तू तितली की तरह उड़ती रहती है.. क्या पता दोबारा हाथ आए ना आए.. आजा तेरे निप्पल चूसने दे.. इन बड़े-बड़े अनारों को दबाने दे।
दीपाली- मैं तो पहले से ही बहुत गर्म हूँ और गर्म कर दे ताकि चूत तो ठंडी हो मेरी।
बस दोस्तो, आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ ..?
तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए..
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