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प्रिया- भाई अब मेरी भी प्यास बुझा दो ना.. आपके लौड़े के लिए तो मैं कब से तड़फ रही हूँ.. लाओ मुझे चूसने दो.. इसे अब दोबारा खड़ा मैं करूँगी।
दीपक- हाँ.. क्यों नहीं मेरी रंडी बहना.. ले चूस ले.. अब तो तुझे चोद कर ही मुझे चैन आएगा और दीपाली तू भी मेरे पास लेट जा.. तेरे चूचे मुझे बहुत पागल बनाते थे.. आज इनका रस पीने दे मुझे.. प्रिया के चूचे भी बहुत मस्त हैं.. मगर ये तो घर का माल है.. जब चाहूँगा मिल जाएगी.. तू तितली की तरह उड़ती रहती है.. क्या पता दोबारा हाथ आए ना आए.. आजा तेरे निप्पल चूसने दे.. इन बड़े-बड़े अनारों को दबाने दे।
दीपाली- मैं तो पहले से ही बहुत गर्म हूँ और गर्म कर दे ताकि चूत तो ठंडी हो मेरी।
दीपक- अरे घबरा मत मैं हूँ ना.. आज दोनों की चूत बराबर ठंडी कर दूँगा।
प्रिया सोए हुए लौड़े को जड़ तक मुँह में लेकर चूस रही थी। इधर दीपक दीपाली के मम्मों को चूस कर मज़ा ले रहा था।
दीपाली- आह्ह… उह.. दबाओ मेरे राजा.. आह्ह… मज़ा आ रहा है आह्ह….
थोड़ी देर में ही लौड़ा तन कर अपने विकराल रूप में आ गया।
प्रिया- भाई अब ये चूत में जाने के लिए तैयार है.. अब थोड़ा मेरी चूत को चाट कर गीला कर दो ताकि मुझे दर्द कम हो।
दीपक- चलो दोनों सीधी हो जाओ आज दोनों की चूत एक साथ चाट कर मज़ा देता हूँ।
दीपाली- आह्ह… दे दो राजा.. मेरी चूत सुलग रही है.. आह्ह… जल्दी…
दीपक बड़े प्यार से बारी-बारी से दोनों की चूत चाटने लगा।
प्रिया ने पहली बार इस मज़े को महसूस किया था कि चूत-चटाई क्या होती है.. अब तक तो उसने सिर्फ कहानियों में ही पढ़ा था।
प्रिया- आह ससस्स उह.. भाई मज़ा आ गया आह्ह… ज़ोर से चाटो…
दीपक- आह्ह… बहना.. तेरी चिकनी चूत क्या मस्त है.. कुँवारी चूत का स्वाद कैसा होता है.. आह्ह… आज पता चला।
प्रिया- आह्ह… उई.. जब से आपका लौड़ा देखा है.. आह्ह… आपके लिए ही चूत को साफ रखती हूँ.. क्या पता कब चुदने का उई मौका मिल जाए आह्ह… देखो आज मिल गया।
दीपक ने अपना मुँह अब दीपाली की चूत पर लगा दिया था और जीभ की नोक से चूत को चोद रहा था.. माना कि दीपक नया खिलाड़ी था.. मगर जब ऐसी चिकनी चूत सामने हो तो अनाड़ी भी खिलाड़ी बन जाता है।
दीपाली- आह्ह… आई.. दीपक आह्ह… प्लीज़ अब हटना मत.. आह्ह… मैं झड़ने वाली हूँ आह्ह… पहले मुझे आई.. शान्त कर दो उसके बाद आह्ह… सी.. आराम से प्रिया की आह्ह… चुदाई करना..
दीपक ज़ोर-ज़ोर से चूत को चाटने लगा और होंठों में दबा कर चूसने लगा। दीपाली का बदन अकड़ने लगा और वो गाण्ड को उठा-उठा कर मज़े लेने लगी। उसकी चूत ने रस निकाल फेंका.. जिसे दीपक चाट गया। उसको चूत रस पीकर एक नशा सा हो गया।
दीपाली- आईईइ आह उफफफ्फ़ मज़ा आ गया आह अब मुझे आराम करने दे.. प्रिया की चूत में लौड़ा डाल.. कुँवारी चूत है.. तुझे मज़ा आएगा…
प्रिया भी पूरी गर्म हो गई थी।
अब दीपक भी चूत को चोदने के लिए बेताब हो रहा था। उसने प्रिया के पैर मोड़ दिए और लौड़े पर अच्छे से थूक लगा कर चूत पर टिका दिया और एक धक्का मारा.. लौड़ा फिसल कर ऊपर निकल गया।
दीपक ने कभी चूत देखी भी नहीं थी और कुँवारी चूत चोदने को मिल गई।
यह तो होना ही था और एक-दो बार कोशिश के बाद उसको समझ में आ गया कि ये कैसे जाएगा.. प्रिया बस सिसकारियाँ ले रही थी।
अबकी बार दीपक ने टोपी को चूत में फंसा कर ज़ोर से झटका मारा.. अबकी बार आधा लौड़ा चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया और प्रिया के मुँह से जो चीख निकली..
बाप रे बाप..
यह तो अच्छा हुआ कि दीपाली ने हाथ रख दिया नहीं तो घर के बाहर भीड़ जमा हो जाती कि आख़िर ये कौन चिल्ला रहा है?
दीपक- आह साला बड़ी मुश्किल से घुसा है आह्ह… दीपाली ऐसे ही मुँह बन्द रख.. अभी आधा गया है.. एक झटका और मारता हूँ… पूरा एक साथ अन्दर चला जाएगा तो सारा दर्द एक ही बार में खत्म हो जाएगा।
दीपाली- आराम से दीपक.. सील टूटने पर बहुत दर्द होता है.. देखो इसके आँसू निकल आए हैं।
दीपक- होने दो दर्द.. साली रंडी को निकालने दे आँसू.. बहन के नाम को गंदा कर दिया कुत्ती ने.. अब से हरामजादी को चुदने बड़ा शौक था ना ले आह…
दीपक को शायद प्रिया को चोदना अच्छा नहीं लग रहा था इसी लिए उसको जरा भी रहम नहीं आ रहा था।
उसने तो लौड़े को पूरा जड़ तक घुसा दिया और अब दे-दनादन झटके मारने लगा था।
प्रिया जल बिन मछली की तरह तड़फ रही थी.. दीपाली ने अब भी उसका मुँह दबा रखा था।
दीपाली- ओफ.. क्या झटके मार रहे हो यार मेरी भी चूत में खुजली होने लगी.. अब आराम तो दो बेचारी को.. देखो कैसे आँखें पीली पड़ गई हैं।
दीपक- उह्ह उह्ह आह्ह… तू कहती है तो उहह उहह.. ले आराम देता हूँ साली को आह्ह… अब इसका मुँह खोल.. मैं भी देखूँ.. क्या बोलती है ये…?
दीपक रूक गया और प्रिया के ऊपर ही पड़ा रहा। उसका लौड़ा जड़ तक चूत में घुसा हुआ था।
दीपाली ने जब मुँह से हाथ हटाया प्रिया ने एक लंबी सांस ली.. जैसे मरते-मरते बची हो.. उसका चेहरा आँसुओं से भरा हुआ था.. हलक सूख गया था। वो बड़ी मुश्किल से बोल पाई।
प्रिया- आह ब्ब..भाई आ आह्ह… आपने ये अच्छा नहीं किया.. आह्ह… क्या आह्ह… ऐसे बेदर्दी से आह्ह… कोई अपनी बहन को आह्ह… छोड़ता है आह्ह…
दीपक- सही बोल रही है तू.. कोई भाई अपनी बहन को बेदर्दी तो क्या प्यार से भी नहीं चोदता.. ये तो तेरे जैसी रंडियाँ होती हैं जो अपने भाई को फँसा कर चुदती हैं समझी…
प्रिया- आह्ह… उ.. माँ आह्ह… मर गई.. मुझे बहुत दर्द हो आह्ह… रहा है निकाल लो.. आह्ह… नहीं चुदना आपसे आह्ह… अयेए.. मैं तो समझी आप लंड हिलाते घूम रहे हो.. कुँवारी आह्ह… आह्ह… उह.. चूत मिलेगी तो खुश होगे.. आह्ह… मगर आप तो मुझे गाली दे रहे हो आह्ह… इससे अच्छा तो किसी और से अपनी सील तुड़वाती.. आह्ह… सारी जिंदगी मेरा अहसान मानता आह्ह…
दीपक- चुप कर साली छिनाल.. किसी और की माँ की चूत.. किसमें हिम्मत थी… जो तुझे चोदता.. साले का लौड़ा ना काट देता मैं..
दीपाली- ओ हैलो.. क्या बकवास लगा रखी है.. अब ज़्यादा शरीफ मत बनो.. दूसरों की बहनों के बारे में गंदे ख्याल दिल में रखोगे.. तो ऐसा ही होगा… समझे.. अब चुपचाप चोदते रहो.. बेचारी प्रिया कैसे रो रही है।
दोस्तों सॉरी बीच में आने के लिए.. मगर आपसे ये बात कहना जरूरी था कि देखो किस तरह दीपक ने दीपाली पर गंदी नज़र डाली और आज उसको अपनी बहन के साथ चुदाई करनी पड़ रही है।
तो सोचो हर लड़की किसी ना किसी की बहन या बेटी होती है अगर उनकी मर्ज़ी ना हो तो प्लीज़ उनको परेशान मत किया करो.. ओके थैंक्स अब कहानी का मजा लीजिए।
प्रिया- आह्ह… आह्ह… दीपाली तुम किसको समझा रही हो.. ये आह्ह… नहीं समझेगा।
दीपक- चुप.. अब बकवास बन्द करो.. मुझे चोदने दो.. आह्ह… उहह ले आह्ह… साली रण्डी आह्ह… ले चुद.. आह्ह… उहह…
प्रिया- आईईइ आईईईई ओह.. भाई आह्ह… मर गई.. आह उफ़फ्फ़ कककक आह आराम से आह उउउ उूउउ बहुत दर्द हो रहा है आह आह…
दीपक रफ़्तार से चोदता रहा.. पाँच मिनट बाद प्रिया थोड़ी सी उतेज़ित हुई और दर्द के साथ उसकी उत्तेजना मिक्स हो गई.. वो झड़ गई मगर उसको ज़रा भी मज़ा नहीं आया.. दीपक अब भी लगातर चोदे जा रहा था और आख़िरकार प्रिया की टाइट चूत ने उसके लौड़े को झड़ने के लिए मजबूर कर दिया.. दीपक ने पूरा पानी चूत की गहराइयों में भर दिया और प्रिया के ऊपर ही ढेर हो गया।
प्रिया- आह्ह… आह.. अब हटो भी.. आह्ह… मेरी चूत का भोसड़ा तो बना दिया आह्ह… अब क्या इरादा है आह्ह… उठो भी…
दीपक ने लौड़ा चूत से निकाला तो प्रिया कराह उठी। दीपक एक तरफ लेट गया।
दीपाली ने जल्दी से प्रिया की चूत को देखा… कोई खून नहीं था वहाँ हाँ दीपक के लौड़े पर जरा सा लाल सा कुछ लगा था।
दीपाली- अरे ये क्या.. तेरी सील टूटी.. पर खून तो आया ही नहीं।
प्रिया- आह्ह… उफ़फ्फ़.. पता नहीं शायद मैंने ऊँगली से ही अपनी सील तोड़ ली होगी.. एक दिन खून आया था मुझे.. आह्ह… मगर दर्द बहुत हो रहा है।
दीपाली- यार पहली बार मुझे भी बहुत हुआ था.. मगर अब चुदने में बड़ा मज़ा आता है।
दीपक- दीपाली मेरी जान बता ना किसने तेरी चूत का मुहूरत किया है.. आख़िर ऐसा कौन आ गया जो मुझसे भी बड़ा हरामी निकला।
दीपाली- तुम्हें उससे क्या लेना-देना तुमको चूत मिल गई ना.. अब अपना मुँह बन्द रखो.. जल्दी लौड़े को तैयार करो मुझे भी चुदना है.. कब से चूत तड़फ रही है लौड़े के लिए…
दीपक- अरे मेरी जानेमन तेरे लिए तो मैंने ये सब खेल खेला है.. अपनी बहन तक को चोद दिया.. तू क्यों तड़फ रही है.. आ जा ले तू ही चूस कर खड़ा कर दे इसे।
दीपाली- नहीं पहले जाकर इसे धोकर आओ.. इस पर खून लगा है।
दीपक जल्दी से बाथरूम गया और लौड़े को धोकर वापस आ गया।
प्रिया अब वैसे ही पड़ी दर्द के मारे सिसक रही थी.. दरअसल दर्द से ज़्यादा वो दीपक की बातों से दुखी थी।
दीपाली- आजा मेरे राजा.. जल्दी से लौड़ा मेरे मुँह में दे दे.. अब देर मत कर.. मुझे वापस घर भी जाना है और प्रिया को भी एक बार और चोदना है तुझे.. तभी इसका दर्द कम होगा.. देख कैसे चुपचाप पड़ी है।
प्रिया- नहीं दीपाली.. आह्ह… मुझे अब इससे नहीं चुदना.. मैंने बहुत बड़ी ग़लती की.. जो इस बेदर्द से प्यार कर बैठी।
बस दोस्तों आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ?
तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए.. मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]
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