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Mere Laude ke Khwabon ki Kunwari Choot-1
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्रणाम।
मेरा नाम अंजान है, मैं 22 वर्ष का युवक हूँ, फिलहाल मैं जॉब करने के साथ एक कॉलब्वॉय का काम भी करता हूँ।
यह कहानी मेरे पहले चुदाई के अनुभव की है जो मैं आपको बता रहा हूँ।
मेरा जन्म गुजरात के एक गाँव में हुआ था लेकिन मैं ज़्यादा समय गाँव में नहीं रह पाया।
मेरे माता-पिता मुझे लेकर एक शहर में आ गए.. जिसका नाम था सूरत…
वैसे तो मैं सूरत में पिछले 22 सालों से रह रहा हूँ.. लेकिन पिछले 2 साल में अपने घर से भी दूर रहा, यह घटना उसी समय की है।
मेरे परिवार ने घर बेच कर दूसरा घर लेने का फ़ैसला लिया.. तब मैं इंजीनियरिंग में पढ़ रहा था.. उस वक्त मेरी उम्र 19 साल की थी।
हम लोग अपने नए घर में रहने चले गए थे।
वहाँ मेरी मुलाकात एक लड़की से हुई.. उसकी उम्र 18 साल थी।
आप तो जानते ही हैं कि कमसिन उम्र में प्यार जल्दी हो जाता है।
वो उसी गली में रहती थी जहाँ मैं रहता हूँ। उसका नाम मीतू था।
क्या ग़ज़ब की लड़की थी… पतली कमर.. तीखे नयन…हरे-भरे मम्मे… और गाण्ड की तो क्या बात करूँ दोस्तों… कुल मिला कर मीतू
एक पटाखा माल थी.. मेरे लिए तो वो हूर की परी थी।
अगर आप उसे एक बार देख लें तो आप भी अपने लण्ड को पकड़ कर हिलाने लग जाएँगे…
मेरे लिए तो वो मेरे ख्वाबों की मलिका थी।
हालांकि उसकी उम्र काफ़ी कम थी.. पर भगवान ने उसे फ़ुर्सत में बनाया था।
उसकी एक बात मुझे बहुत पसंद थी.. वो हमेशा बिंदास रहती थी। यही बात मुझे भा गई थी।
आपको यह भी बता दूँ कि मैं भी कुछ कम नहीं हूँ। मेरी लम्बाई 5’7″ की है और खूबसूरत जिस्म का मालिक हूँ।
मेरे लण्ड का आकार 6 इंच है और 1.5 इंच व्यास की मोटाई है, अब तक मेरे लण्ड ने अच्छी-अच्छी चूतें फाड़ डाली हैं।
बात उस वक्त की है जब नवरात्र की धूम मची हुई थी। गुजरात में नवरात्रि का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
हम लोग रोज रात को साथ में गरबा खेलते थे। एक बार वो मेरे घर कुछ काम से आई।
वो सबसे बातें कर रही थी.. थोड़ी देर के बाद जब वो अकेली खड़ी थी तो मैंने भी मौके का फायदा उठाकर उसे अपना मोबाइल नंबर दे
दिया। उसने भी जल्दी से वो नंबर ले लिया और वहाँ से चली गई।
अगले दिन उसका कॉल आया, तो मैंने भी उसके साथ ढेर सारी बातें कीं।
मुझे तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि मेरी उसके साथ सैटिंग वाली दोस्ती हो गई थी।
मैं हमेशा उसके साथ हँसी-मज़ाक करता रहता था और वो भी हमेशा मेरे साथ खुश रहती थी।
हम लोगों को हँसी-मज़ाक करता देख कर दूसरों की गाण्ड जल जाती थी और मैं मन ही मन में खुश हो जाता था।
एक बार मैंने उसको फ़ोन पर बात करते समय ‘आई लव यू’ कह दिया तो उसने भी अपने प्यार का इकरार कर दिया।
मैं तो जैसे सातवें आसमान में उड़ रहा था… मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था।
कुछ दिनों बाद हमारे घर के निर्माण का काम चालू हुआ… हम अपने घर को तीन मंज़िला बना रहे थे।
तीन महीने होने के बाद घर का काफ़ी सारा काम निपट चुका था। सिर्फ़ फर्श की घिसाई बाकी रह गई थी।
इस दौरान मैं और मीतू हमेशा फ़ोन पर बातें करते रहे। हमारा प्यार भी दिन दूना और रात चौगुना बढ़ रहा था।
हम लोग अक्सर रात में मिला करते थे… हमारे घर नज़दीक होने का यही सबसे बड़ा फायदा था।
जब हमने मिलने की शुरुआत की तो उस वक्त सर्दियों का मौसम चल रहा था.. इसलिए मैं हमेशा कम्बल ओढ़ कर बाहर निकलता था।
रात को जब वो मेरे साथ होती तो मैं उसको चुम्बन किए बिना जाने नहीं देता। वो भी मेरा भरपूर साथ दे रही थी।
एक रात जब वो मुझसे मिलने के लिए आई तो हम लोगों ने थोड़ी देर बातें कीं.. फिर मैंने मीतू को अपने गले से लगा लिया।
मुझे कुछ अजीब सा लगा… मैं रोज ही उसे गले लगाता था.. पर आज उसे गले लगाने में कुछ ज़्यादा ही मज़ा आ रहा था।
थोड़ी देर के बाद मैंने उसे चुम्बन करना चालू किया।
पहले उसके बाल को हटा कर उसकी पीठ पर चूमा… फिर धीरे-धीरे उसके गले चूमते-चूमते उसके माथे पर चूमा… फिर धीरे से नीचे
सरक कर उसके होंठों से अपने होंठों को लगा कर अमृत-रस का पान करने लगा।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था… वो भी मज़े ले रही थी।
फिर धीरे से मैंने अपना एक हाथ उठा कर उसके मम्मों पर रख दिया और धीरे-धीरे दबाने लगा।
तब मुझे यह एहसास हुआ कि उसने आज अपनी ब्रा नहीं पहनी थी और यह भी समझ आ गया कि मुझे मीतू को गले लगाने में इतना
मज़ा क्यों आ रहा था।
उसके नरम-नरम मम्मों को अपने हाथों में पाकर मैं तो जैसे धन्य हो गया।
उसके मम्मों का आकार 32 इन्च होगा। मैं उसके मम्मों को दबाए ही जा रहा था।
उसकी साँसें तेज हो गईं.. वो मुझे पागलों की तरह चूमने लगी।
मैं भी जोश में आ गया और ज़ोर से होंठों को काट लिया।
वो मुझे धक्का देकर बोली- अह.. धीरे करो ना जान… मैं कहीं भागी थोड़ी ना जा रही हूँ..
मैं भी मुस्कुरा कर फिर से उसके होंठों को चूमने लगा और उसके मम्मों को धीरे-धीरे सहलाने लगा।
थोड़ी देर के बाद मेरा एक हाथ उसकी चूत के मुहाने के पास पहुँच गया।
जैसे ही उसकी कुँवारी चूत के ऊपर मेरा हाथ गया.. मीतू के बदन में एक कंपकंपी दौड़ गई…
उसने मेरा हाथ पकड़ कर हटा दिया।
हमारी चूमा-चाटी तो चालू ही थी।
मैं भी हार मानने वालों में से नहीं हूँ।
फिर से चुम्बन करते-करते मेरा हाथ उसकी कुँवारी चूत पर चला गया… इस बार उसने कुछ नहीं किया।
मैं समझ गया कि ये भी चुदने के लिए बेताब है।
अब मैं उसकी चूत को कपड़ों के ऊपर से ही सहलाने लगा।
मैं इस बात से पहले हैरान ही था कि वो ब्रा पहन कर क्यों नहीं आई.. तभी उसकी कुँवारी चूत को सहलाते मुझे दूसरा झटका लगा। आज उसने अपनी पैन्टी भी नहीं पहनी थी.. मैं सोच में पड़ गया और ऊपर वाले को याद करने लगा।
‘हे ईश्वर… तू जब भी देता है… छप्पर फाड़ के देता है..’
मुझसे अब रहा नहीं गया तो मैं उसको अपने घर की छत पर बने कमरे में ले गया।
नीचे फर्श ज़मीन पर कम्बल बिछा कर हम दोनों उस पर लेट गए।
अपना टी-शर्ट निकालने के बाद उसका भी टॉप निकाल दिया।
उसकी बिना ब्रा की नंगी चूचियों को देख कर मैं पागल हो उठा।
कसम से इतनी गोरी-गोरी चूचियाँ आज तक मैंने ब्लू-फिल्म में भी नहीं देखी थीं।
मैं खुद पर काबू ना कर सका.. और एक भूखे शेर की तरह उसकी चूचियों पर टूट पड़ा।
वो भी मुझे बेतहाशा चूमने लगी… उसके मम्मों को मैं मसल कर चूसने लगा था.. उसके निप्पल कड़े होकर सावधान की मुद्रा में खड़े हो
गए थे।
मैं धीरे से उसे अपने होंठों से चूस कर आजू-बाजू अपनी जीभ फिराने लगा। वो पागल हो गई थी।
उसे बेहद मज़ा आ रहा था।
इधर मेरा भी हाल बुरा था।
मेरा लण्ड फूल कर खंभा बन गया था।
मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया।
वो भी बड़े प्यार से उसे सहलाने लगी.. मुझे अब और भी मज़ा आने लगा था।
उसके होंठों को चूमते-चूमते और मम्मों को दबाते हुए मैं एक अलग ही दुनिया में खो गया था। मैं उस दुनिया से बाहर निकलना ही नहीं चाहता था।
उसकी चूत को सहलाने की वजह से वो इतनी उत्तेजित हो गई कि वो अपनी सलवार में ही झड़ गई। इसकी वजह से उसकी सलवार भी गीली हो गई। मैंने उसकी सलवार को धीरे से निकाल दिया।
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मैंने अपना हाफ पैन्ट भी उतार दिया।
अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी।
मेरे सामने मेरे ख्वाबों की हुस्न परी नंगी लेटी हुई थी। इस पर मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था।
तब उसने मुझे अपनी बाँहों में खींच लिया.. जैसे वो समझ गई हो और कहना चाह रही हो कि ये सपना नहीं, हक़ीकत है..
मैं भी उसके सामने मुस्कुरा कर उसे फिर से चूमने लगा। वो मेरा लण्ड सहला रही थी।
मुझे पता नहीं क्या सूझा कि मैं उसको चूमते-चूमते उसकी नंगी चूत पर आ गया और चिकनी बुर पर चुम्बन कर लिया।
जैसे ही मैंने चूत पर चुम्बन किया.. वो सिहर उठी और उसके मुँह से सिसकारी निकल गई।
मुझे और भी मज़ा आ गया… फिर मैंने उसकी चूत की फांकों को अलग किया और अपनी ज़ुबान उस दरार पर फेरने लगा।
वो सिहरन के मारे तड़प रही थी और ‘ऊओ… आअहह… उउउफफ्फ़… नहीं ज्ज्जाआंन्णणन्… मैं मार जाऊँगी..’ ऐसा कहने लगी।
मेरे बालों को उसने कस कर पकड़ लिया था और मेरा मुँह अपनी चूत पर दबाए जा रही थी।
उसकी कामातुर सिसकारियाँ मुझे पागल बना रही थीं।
फिर मैं उठा और अपना लण्ड उसके मुँह के सामने रख कर बोला- मेरी जान… इसे भी ज़रा तुम्हारे होंठों का रस पान करवा दो..
वो मेरी तरफ़ देख कर मुस्कुराई और झट से मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया…
मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं आपको बयान नहीं कर सकता।
मैं पहली ही बार चुदाई कर रहा था और वो भी… लेकिन उसकी लण्ड चूसने की स्टाइल देख कर मुझे शक हुआ कि कहीं यह कन्या
पहले से चुदी-चुदाई तो नहीं है। इसलिए मैंने उससे पूछ लिया- तुमने इतना अच्छा लण्ड चूसना कहाँ से सीखा?
तो उसने बताया- मैंने ब्लू-फिल्म में देखा था और फिल्म में देख कर ही सीखा है।
मुझे थोड़ी तसल्ली हुई कि शायद हो भी सकता है… सो मैंने इस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया।
मैं सिर्फ़ अपने लण्ड चुसवाने का मज़ा ले रहा था… उसके चूसने की वजह से मैं जल्दी ही झड़ने वाला था।
मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ..
उसने कहा- मेरे मुँह में ही झड़ जाओ…
मैं उसका सिर पकड़ कर ज़ोर से हिलाने लगा…
मेरा लण्ड उसके गले तक जा चुका था।
फिर भी वो बिना किसी शिकायत मेरा लण्ड चूसे जा रही थी।
मैं जल्द ही उसके मुँह में झड़ गया।
वो मेरा सारा माल पी गई… और उसने मेरा लण्ड भी चाट कर साफ कर दिया।
मेरा लण्ड थोड़ा ढीला हो गया था… और मैं पसीने-पसीने भी हो गया था।
मैंने पास में रखी हुई पानी की बोतल उठाई.. पानी पिया और थोड़ा उसे भी दिया।
उसके बाद पानी की बोतल एक तरफ रख कर मैं लेट गया और उसे अपनी बाँहों में भर लिया।
इसके बाद उसकी चुदाई का नम्बर था क्या मैं उसको आज चोद पाया?
इससे मैं आपको रूबरू कराने के लिए कहानी के दूसरे भाग में ले चलूँगा। आप मुझे मेरे ईमेल के ज़रिए मुझे अपने विचार लिख कर भेज सकते हैं।
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