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दीपाली एकदम ध्यान से सब सुन रही थी।
प्रिया- अब सुन मेरी बात पिछले एक साल से मैं चुदाई की कहानी पढ़ रही हूँ और हर तरह की कहानी मैंने पढ़ी हुई हैं.. उसमें भाई-बहन की कहानी भी शामिल थीं। मेरे दिमाग़ में चुदाई करने की इच्छा ने जन्म ले लिया। स्कूल में कोई मुझे देखता भी नहीं था और मेरी चुदने की इच्छा दिन पर दिन बढ़ने लगी। एक बार चाचा जी को दीपक के शराब पीने की आदत का पता चल गया और उन्होंने उसे बहुत मारा और घर से निकाल दिया। मेरे पापा का स्वभाव थोड़ा नर्म है और चाचा बहुत तेज गुस्से वाले हैं। तब मेरे पापा दीपक को हमारे यहाँ ले आए उसे जरा भी होश ना था.. बड़ी मुश्किल से ऊपर मेरे कमरे के पास वाले कमरे में उसे लिटा कर पापा चले गए। उनके जाने के बाद माँ ने कहा कि उसके कमरे में पानी रख आओ और कुछ फल वगैरह भी रख दो.. होश आएगा तो खा लेगा।
जब मैं कमरे में गई वो बैठा हुआ था जैसे ही मैं उसके पास गई उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहने लगा- स..सुन तो यार म..मेरी बात गौर से सुन.. साला जिन्दगी का कचरा हो गया है सोनू.. तू मेरा भाई है ना.. तू.. मुझे अरे यार साला बात के बीच में मूत आ गया यार.. मेरा हाथ पकड़ कर बाथरूम तक ले चल ना.. स..साली आज तो ज्ज..ज़्यादा चढ़ गई है।
मुझे कुछ समझ नहीं आया क्या करूँ.. क्योंकि वो मुझे अपना दोस्त समझ रहा था।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और बाथरूम तक ले गई।
दीपाली- यार क्या बोल रही है.. किसी ने देखा नहीं..?
प्रिया- अरे कमरे में बाथरूम था यार बाहर नहीं गई.. अब तू सुन…
दीपक- अरे स..साली ज़िप नहीं खुल रही आह्ह… साला मूत भी अन्दर ही निकल जाएगा।
प्रिया- मुझे लगा ये यहीं सूसू कर देगा.. मैंने नीचे बैठ कर उसकी ज़िप खोली.. उसने अन्दर चड्डी नहीं पहनी थी। सीधे ही उसका लण्ड मेरी आँखों के सामने आ गया.. यार सोया हुआ भी बड़ा मस्त लग रहा था और मज़े की बात एकदम क्लीन था।
मैंने हाथ से पकड़ कर उसे बाहर निकाला। दीपाली- ऊह.. माँ.. तुझे शर्म नहीं आई छी: अपने ही भाई का लण्ड हाथ में ले लिया और तुझे जरा भी डर नहीं लगा कि होश में आने के बाद वो क्या सोचेगा?
प्रिया- अरे नहीं रे.. वो बहुत टल्ली था उसे कहाँ कुछ याद रहता है। चाचा उसको मार रहे थे तब भी पता नहीं किस का नाम ले रहा था कि तुझे देख लूँगा।
दीपाली- ओह.. अच्छा आगे बता.. क्या हुआ वो बता…
प्रिया- होना क्या था नीचे से माँ की आवाज़ आ रही थी.. मैं घबरा गई उसने बहुत ज़्यादा सूसू की.. मैंने जल्दी से उसकी ज़िप बन्द की.. उसको बिस्तर पर लिटा कर कमरे से बाहर निकल गई।
दीपाली- उसके बाद तेरे मन में दीपक का ख्याल आया।
प्रिया- नहीं यार उसके बाद मैं अपने कमरे में आ कर सोचने लगी.. बस मेरे दिमाग़ में दीपक का लण्ड घूमने लगा.. मैंने जल्दी से कहानी की किताब निकाली और भाई-बहन की कहानी पढ़ने लगी.. जब रात ज़्यादा हो गई और मेरे जिस्म की गर्मी बढ़ने लगी.. तो मैं चुपके से नीचे गई। मॉम-डैड के कमरे से खर्राटों की आवाज़ आ रही थी, वो गहरी नींद में सो रहे थे।
उसके बाद मैं ऊपर दीपक के पास गई.. वो अब भी बेसुध लेटा हुआ था मैंने हिम्मत करके उसकी पैन्ट का हुक खोला और लौड़ा बाहर निकाला। अरे यार तुझे क्या बताऊँ.. पहली बार लौड़े को ऐसे देख रही थी और सेक्सी कहानी क कारण मेरी चूत एकदम गीली हो रही थी। मैंने उसके लौड़े को सहलाना शुरू किया कुछ ही देर में वो अपने असली आकार में आने लगा। दीपक तो बेसुध सा पड़ा हुआ.. ना जाने क्या बड़बड़ा रहा था.. मुझे तो बस लौड़े से मतलब था.. तन कर क्या मस्त 7″ से भी ज़्यादा हो गया होगा और मोटा भी खूब था यार.. तुझे क्या बताऊँ लौड़ा देख कर मेरी तो हालत खराब हो गई..
दीपाली- अच्छा उसके बाद तूने क्या किया.. यार तेरी कहानी में मज़ा आ रहा है।
प्रिया- यार क्या बताऊँ बस उसको सहलाती रही.. कहानी में लण्ड चूसने के बारे में पढ़ा था कि बड़ा मज़ा आता है लेकिन यह सच होता है, यह नहीं पता था।
दीपाली- अरे एकदम सच होता है.. बड़ा मज़ा आता है मैंने भी…
दीपाली जोश-जोश में बोल तो गई मगर जल्दी ही उसको ग़लती का अहसास हो गया और वो एकदम चुप हो गई।
प्रिया- अच्छा तो ये बात है… हाँ बड़े मज़े ले चुकी है तू.. तो अब बता भी दे.. कितनी बार चूस चुकी है और कैसा मज़ा आया?
दीपाली- अभी नहीं सब बताऊँगी मगर पहले तू बता पूरी कहानी।
दीपाली को उसकी बातों में बड़ा रस आ रहा था उसकी चूत भी गीली होने लगी थी।
प्रिया- यार पहली बार मैंने लण्ड को होंठों से छुआ.. उफ्फ कितना गर्म था वो.. डरते डरते मैंने उसकी टोपी को मुँह में ले लिया और चूसने लगी। सच्ची वो ऐसा अहसास था जिसे मैं शब्दों में ब्यान नहीं कर सकती।
दीपाली- चुप क्यों हो गई बोल ना यार प्लीज़..
प्रिया- यार बोल तो रही हूँ.. उस दिन को याद करके मुँह में पानी आ गया। उसके बाद मैं आराम से लौड़े को चूसने लगी। अब मैंने जड़ तक उसको चूसना शुरू कर दिया। बड़ा मज़ा आ रहा था जीभ से उसको पूरा चाट रही थी। मैंने उसकी गोटियाँ भी चूसीं.. कोई 15 मिनट तक मैं चूसती रही उसके लौड़े से कुछ पानी की बूँदें आईं जिसका स्वाद खट्टा सा.. नमकीन सा पता नहीं कैसा था.. मगर मुझे तो बड़ा मज़ा आ रहा था। कसम से मेरी चूत पूरी गीली हो गई थी। जब कोई 25 मिनट हो गए होंगे मुझे चूसते हुए तो मैंने रफ़्तार से मुँह को ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया.. जैसे चुदाई होती है बस फिर क्या था उसका लौड़ा फूलने लगा और मेरे मुँह में ही उसने सारा माल छोड़ दिया।
दीपाली- ओह.. तूने क्या किया.. पी गई या थूक दिया बाहर…
प्रिया- अरे नहीं मैं तैयार नहीं थी कि कब पानी आएगा.. अचानक से ये सब हो गया और उसके पानी की धार भी बहुत तेज़ी से आई.. सीधे गले में चली गई.. मजबूरन पीना ही पड़ा। मगर हाँ एक बात है.. शुरू में गंदी फीलिंग आई.. उसके बाद बड़ा अच्छा लगा।
दीपाली- यार तूने कितनी हिम्मत का काम किया.. मैं होती तो शायद कभी नहीं करती।
प्रिया- अरे इसमें क्या हिम्मत.. आगे सुन.. उसका तो पानी निकल गया मगर मैं काम-वासना की आग में जलने लगी.. मेरी चूत से लगातार रस टपक रहा था और अब बर्दास्त के बाहर था। मैंने नाईटी निकाली जो में रात को पहनती हूँ.. पैन्टी भी एक तरफ रख दी और अपनी कुँवारी चूत पर उसका लौड़ा रगड़ने लगी.. जो अब धीरे-धीरे बेजान हो रहा था.. तू यकीन नहीं करेगी मुरझाए हुए लौड़े ने भी वो कर दिया जो तू सोच भी नहीं सकती जैसे ही मेरी चूत पर मैंने लौड़ा स्पर्श किया.. झट से मेरी चूत का फुव्वारा फूट गया और इतना पानी निकला कि कभी ऊँगली से इतना नहीं निकला होगा यार…
दीपाली- यार तेरी बातों ने तो कमरे का माहौल गर्म कर दिया पूरा जिस्म आग की तरह जल रहा है।
प्रिया- अरे तेरा जिस्म जल रहा है बात करते-करते मुझे बस दीपक का लौड़ा ही नज़र आ रहा है.. मेरी पूरी पैन्टी गीली हो गई यार..
दीपाली थोड़ा सा झिझक कर बोली- यार ऐसा ही हाल मेरा भी है।
प्रिया- हाँ जानती हूँ कब से तू पैरों को इधर-उधर कर रही है।
दीपाली- उसके बाद क्या हुआ.. उसका दोबारा कड़क किया तूने?
प्रिया- नहीं यार मॉम शायद उठ गई थीं.. वे पानी पीने आई थीं या पता नहीं.. मगर मैंने नीचे कुछ आवाज़ सुनी तो मैंने जल्दी से उसके लौड़े को पैन्ट में करके अपने कपड़े ठीक किए और वहाँ से भाग गई अब तो तुझे समझ आ गई ना मेरी बात.. बस मैं उसी वक्त ये सोच चुकी थी कि अब किसी भी तरह दीपक को फंसाऊँगी और अपनी चूत का मुहूर्त उसी से करवाऊँगी।
दीपाली- यार सुबह कुछ नहीं कहा उसने.. रात की कोई तो बात उसे याद होगी?
प्रिया- अरे कहाँ यार.. वो तो माँ से ये पूछ रहा था मैं यहा कैसे आया.. उसको तो चाचा की मार भी याद नहीं थी।
दीपाली- यार एक बात तो तुझे पता है कि दीपक एक नम्बर का आवारा है.. तू थोड़ी सी कोशिश करके देख वो खुद तुझे चोदने को राज़ी हो जाएगा।
प्रिया- जानती हूँ.. मगर कैसे करूँ यार.. एक ही घर में होते तो ऐसा न था.. अब दीपक को बस स्कूल में देखती हूँ.. घर तो समझो वो बस खाना खाने जाता है.. बाकी वक्त अपने दोस्तों के साथ ही रहता है। उसे अपने जिस्म के जलवे दिखाने का मुझे कोई मौका ही नहीं मिलता.. अब रात को तो मैं उसके घर बिना काम के जा नहीं सकती हूँ।
दीपाली- हाँ ये बात भी सही है.. यार तूने इतनी हिम्मत कर ली वो ही बहुत बड़ी बात है।
प्रिया- यार क्या करूँ.. उसका लौड़ा था ही ऐसा कि बस मेरी चूत फड़फड़ाने लगी और हिम्मत अपने आप आ गई।
दीपाली- यार तेरी बातें सुनकर चूत की हालत पतली हो गई.. तू रूक मैं बाथरूम जाकर आती हूँ।
प्रिया- अरे बाथरूम में जाकर ऊँगली करेगी.. इससे अच्छा तो यहीं कर ले और मैं तो कहती हूँ चल मज़ा करते हैं.. मैंने कहानी में पढ़ा है कि कैसे दो लड़कियाँ आपस में चुदाई का मज़ा लेती हैं।
प्रिया ने दीपाली के मन की बात बोल दी थी.. उसे अनुजा के साथ का सीन याद आ रहा था.. वो झट से मान गई।
दीपाली- चल निकाल कपड़े.. नंगी होकर खूब मज़ा करेंगे यार..
प्रिया- हाँ यार.. नंगी होकर ही ज़्यादा मज़ा आएगा।
दोनों ने कपड़े निकालने शुरू कर दिए।
बस दोस्तों आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ ..? तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए.. मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]
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