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प्रिया ने फिर एक बात उसको कही और इस बार तो दीपाली ने अपने हाथ मुँह पर रख लिए.. आज प्रिया उसको एक के बाद एक झटके दे रही थी। दीपाली का गला सूख गया.. बड़ी मुश्किल से उसने बोला।
दीपाली- यार मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा तुझे ये कैसे पता चला… चल इस बात को गोली मार.. देख प्रिया तू अच्छी तरह सोच समझ कर देख ले उसके बाद भी अगर तुमको लगता है ये सही है तो ओके मैं तुम्हारा ये काम कर दूँगी.. मगर ये बात राज़ ही रखना।
प्रिया- मैंने अच्छी तरह सोच कर ही तुमको कहा है।
दीपाली- नहीं तू कल मुझे फाइनल बता देना.. उसके बाद समझूंगी.. ओके..
प्रिया- चल ठीक है.. कल बता दूँगी.. अब तू जा और प्लीज़ तू भी किसी को बताना मत…
दीपाली- तू पागल है क्या.. ये बात किसी को बताने की है क्या चल बाय कल मिलते हैं।
लो दोस्तो, चक्कर आने लगा ना.. कि यह क्या उलझन हो गई.. आख़िर यह प्रिया कहाँ से आ गई और ऐसी क्या बात की उसने दीपाली से.. अब ये सब जानना है तो कहानी को ध्यान से पढ़ते रहना पड़ेगा ना.. क्योंकि आप तो मेरा स्टाइल जानते ही हो तो मजा लीजिए दोस्तो, वादा करती हूँ आपका मज़ा बढ़ता ही रहेगा।
चलो अब कहानी पर वापस आती हूँ। दीपाली वहाँ से सीधी घर चली जाती है और खाने के बाद पढ़ाई में लग जाती है। एक घंटा पढ़ाई करने के बाद उसको नींद आ जाती है और वो गहरी नींद में सो जाती है।
शाम को दीपाली की मॉम उसे जगाती है तब उसे ख्याल आता है कि विकास सर इन्तजार कर रहे होंगे.. वो झट से तैयार होती है और घर से निकल जाती है। रास्ते में उसे सुधीर जाता हुआ दिखाई देता है.. वो पीछे से आवाज़ लगती है।
सुधीर- अरे आओ आओ.. दीपाली में कब से यहाँ खड़ा तुम्हारी ही राह देख रहा था.. मगर आज इधर से आने की बजाय दूसरी तरफ से कैसे आ रही हो ये बात समझ नहीं आई।
दीपाली- मैं रोज पढ़ने जाती हूँ.. आज लेट हो गई तो घर से आ रही हूँ.. समझे आप..
सुधीर- अच्छा अच्छा.. ये बात है.. चलो आज मलहम नहीं लगवाना क्या?
दीपाली- नहीं आज नहीं.. इम्तिहान करीब हैं.. तैयारी करनी है.. फिर कभी लगवाऊँगी.. अच्छा आपसे एक काम था…
सुधीर- हाँ बोलो.. इसमें पूछने की क्या बात है.. तुम तो बस हुकुम करो..
दीपाली ने सुधीर को बताया कि उसको क्या काम है.. सुधीर थोड़ा चौंका मगर जब दीपाली ने पूरी बात समझाई.. तब सुधीर सामान्य हो गया।
सुधीर- अरे ये तो बहुत छोटा सा काम है.. कल ही कर दूँगा और कुछ सेवा करवानी है तो बताओ…
दीपाली- नहीं अंकल बस ये काम कर दो जल्दी.. फिर आपके पास मलहम लगवाने आऊँगी ओके.. अब मुझे जाने दो.. पहले ही देर हो गई है।
सुधीर- अरे कितनी बार समझाऊँ.. अंकल नहीं.. सुधीर बोलो.. तुम्हारे मुँह से मेरा नाम ज़्यादा अच्छा लगेगा.. ओके.. अब जाओ.. कल इसी वक्त मिलना.. समझो तुम्हारा काम हो गया।
दीपाली वहाँ से सीधी अनुजा के घर चली जाती है वो अभी गेट पर ही पहुँची कि उसको अनुजा की आवाज़ सुनाई दी।
अनुजा- विकास.. आज दीपाली नहीं आई क्या बात है?
विकास- हाँ अब तक आ तो जाना चाहिए था.. पता नहीं क्यों नहीं आई स्कूल में तो बड़ी उतावली हो रही थी लौड़े के लिए.. पर अब तक नहीं आई।
विकास ने स्कूल से आते ही अनुजा को सारी बात बता दी थी।
अनुजा- नादान है इसलिए ऐसा किया उसने.. मैं फ़ोन करके पूछती हूँ।
तबियत तो ठीक है ना उसकी..
दीपाली- हैलो.. तुमने पुकारा और मैं चली आई.. चूत चिकनी करके आई.. हा हा हा हा…
अनुजा- बदमाश चुप कर खड़ी हमारी बातें सुन रही थी और गाने का मतलब बदल दिया तूने हा हा हा…
विकास- मेरी जान इम्तिहान की जरा भी फिकर नहीं है क्या.. जो इतना देरी से आई.. अब कब पढ़ोगी और कब चुदोगी।
अनुजा- आज तो पढ़ाई और चुदाई एक साथ चलने दो।
विकास- हाँ यह आइडिया अच्छा है.. चल आजा कमरे में… जल्दी से कपड़े निकाल स्कूल में बहुत परेशान किया तूने.. आज ऐसे झटके मारूँगा कि तेरी सारी मस्ती निकल जाएगी।
अनुजा- आप दोनों पढ़ाई और चुदाई का मज़ा लो.. मुझे तो खाना बनाना है..
दीपाली- अरे ये क्या दीदी आप भी साथ में रहो ना… ज़्यादा मज़ा आएगा।
अनुजा- अरे नहीं रात को ही विकास ने बहुत ठुकाई की है और वैसे भी इतना वक्त कहाँ कि हम तीनों साथ में मस्ती कर सकें.. तुम मज़ा लो रविवार को सुबह जल्दी यहाँ आ जाना तब पूरा दिन खूब मज़ा करेंगे।
दीपाली- ओके दीदी यह सही रहेगा.. आप जाओ खाना बनाओ।
अनुजा के जाते ही दीपाली कपड़े निकालने में लग गई।
विकास- अरे वाह.. इतनी रफ्तार से.. लगता है आज चूत में बड़ी खुजली हो रही है.. चल निकाल.. मैं भी निकालता हूँ।
दीपाली- आपका लौड़ा है ही ऐसा की मन ही नहीं भरता और आज तो आपसे पढ़ते हुए चुदवाऊँगी.. नया फन हो जाएगा।
दोनों नंगे हो जाते हैं. विकास दीपाली को बिस्तर पर लिटा कर उसके मम्मों को चूसने लगता है और ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगता है।
दीपाली- आह्ह.. ऑउच.. आज क्या हो गया आपको.. इतनी ज़ोर से क्यों दबा रहे हो आह्ह..
विकास- मेरी जान तेरे अनारों को दबाऊँगा.. तभी तो ये आम बनेंगे ना.. उफ्फ.. कितनी बार दबा चुका हूँ.. साले अब तक वैसे के वैसे ही कड़क हैं.।
दीपाली- आह.. आह्ह.. सर मुझे भी लौड़ा चूसना है.. आह.. साइड बदलो ना.. आह्ह.. प्लीज़ उईईइ।
विकास- अभी नहीं.. जब तेरी चूत चाटूँगा.. तब चूस लेना, अभी तो तेरे चूचे दबाने दे.. आज इनको बड़ा करके ही दम लूँगा।
दीपाली- आह्ह.. आह.. आप पर ये कैसा भूत सवार हो गया आह.. मेरी चूत को बड़ा करो ना.. आह्ह.. दीदी क्या बोलती हैं उईइ आईईइ भोसड़ी बना दो.. आह मेरी चूत की.. मगर आह मम्मों पर रहम खाओ…
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विकास- साली स्कूल में बड़ा मन मचल रहा था ना तेरा.. पूरी रंडी वाली हरकतें कर रही थी.. आज तेरा सारा रंडीपना उतार दूँगा।
दस मिनट तक विकास चूचों को मसलता रहा.. उसका लौड़ा तन कर एकदम कड़क हो गया था और दीपाली की चूत भी गीली हो गई थी।
दीपाली- आह्ह.. अब तो चूसने दो आह्ह.. आपका लौड़ा भी आह्ह.. कैसे मेरी टाँगों में चुभ रहा है।
विकास- चल साली आजा.. अब मेरी ऊपर आकर अपनी चूत का स्वाद लेने दे.. तू आराम से लौड़ा चूस।
दोनों 69 कि स्थिति में आ गए, दीपाली बड़े प्यार से लौड़ा चूसने लगी थोड़ी देर बाद वो दाँतों से लौड़े को दबाने लगी।
विकास- आआ.. साली.. ये क्या कर रही है.. लौड़ा काटने का विचार है क्या? दर्द होता है।
दीपाली- हा हा हा क्यों मेरे मम्मों को दबाया था.. तब नहीं सोचा कि मुझे भी दर्द हो रहा होगा।
विकास- अच्छा ये बात है.. बदला ले रही है.. चल तू अबकी बार काट.. देख में तेरी चूत को कैसे खा जाता हूँ।
दीपाली- नहीं नहीं.. प्लीज़ चूत पर मत काटना.. बहुत दर्द होगा। मैं कुछ नहीं करूँगी।
विकास- अब आई ना लाइन पे… चल चूस मेरी जान.. मुझे भी चूत रस का मज़ा लेने दे।
काफ़ी देर तक ये चटम-चटाई चलती रही.. उसके बाद विकास ने दीपाली से कहा कि जो सवाल मैंने बताए थे उनमें से जो याद हो.. उसका उत्तर बताओ मैं लौड़ा चूत में डाल कर तुझे चोदता हूँ ओके…
दीपाली- हाँ मेरे राजा जी.. ये आइडिया अच्छा है.. आप सुन भी लोगे और चोद भी लोगे.. मज़ा आएगा।
विकास ने दीपाली की टाँगें कंधे पर रखी और ‘घप्प’ से पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया।
दीपाली- आईईइ मर गई रे आह… विकास- आह.. नहीं सवाल का जवाब दो.. उहह उहह उहह.. वो दिल वाला ओके.. पूरी क्रिया बोलो…
दीपाली- आह्ह.. ओके आह्ह.. सर इंसान के आह्ह.. जिस्म में.. आह्ह.. चोदो आह्ह.. दिल का आह्ह.. बड़ा महत्वपूर्ण आह्ह.. मज़ा आ गया कार्य होता है.. आह ऐसे ही आह्ह.. रफ्तार से लौड़ा अन्दर-बाहर करो आह्ह..
विकास- वेरी गुड.. अच्छा बोल रही हो उह्ह ले उहह.. आगे बता।
पंद्रह मिनट तक विकास लौड़े को अन्दर-बाहर करता रहा.. तब तक दीपाली ने चुदाई के साथ-साथ तीन सवालों के जवाब बता दिए थे।
दीपाली- आह्ह.. मैं गई.. आह पैर दुखने लगे हैं आह मेरा पानी आ रहा है आह्ह.. फास्ट फास्ट आह…
विकास ने उसके पैरों को कंधे से उतार कर मोड़ दिया और पूरी ताक़त से चोदने लगा.. वो भी चरम पर आ गया था। दो मिनट बाद लौड़े से पिचकारी निकली और चूत की दीवार से जा टकराई.. दीपाली भी गर्म वीर्य के अहसास से झड़ने लगी। काफ़ी देर तक विकास उस पर ऐसे ही पड़ा रहा। उसके बाद उठकर बाथरूम चला गया। दीपाली अब भी वैसे ही पड़ी छत को देख रही थी।
विकास- अरे उठो.. जाओ बाथरूम में जाकर चूत साफ कर लो और कपड़े पहन लो.. पढ़ाई नहीं करनी क्या.. अब बहुत काम हैं।
दीपाली- हाँ मेरे राजा जी.. पढ़ना भी जरूरी है.. नहीं तो एक बार और चुदवा लेती।
विकास- तू एकदम पक्की चुदक्कड़ बन गई है.. अब तुझे एक बार से कहाँ सबर आएगा.. रविवार को पूरा दिन चोदूँगा.. अभी पढ़ना जरूरी है।
दीपाली उठ कर बाथरूम चली जाती है उसके बाद पढ़ाई चालू।
एक घंटा पढ़ने के बाद दीपाली घर चली जाती है।
रात का खाना खाकर वो अपने कमरे में बैठी हुई कुछ सोच रही थी। दीपाली को प्रिया की कही बात दिमाग़ में घूमने लगी वो अपने आप से बातें करने लगी।
दीपाली- क्या ऐसा हो सकता है प्रिया के मन में ये बात आई कैसे.. छी: मुझे तो सोच कर ही घिन आ रही है।
ओह्ह.. दोस्तो, सॉरी आपका दिमाग़ घुमाने के लिए.. आप सोच रहे होंगे आख़िर ऐसी क्या बात कही प्रिया ने जो दीपाली इतना सोच रही है। चलो आपको ज़्यादा परेशान नहीं करूँगी… सुबह क्या हुआ.. वो बता देती हूँ इसके लिए कहानी को वापस थोड़ा पीछे ले जाना होगा तो चलो मेरे साथ।
दीपाली- क्या हुआ ऐसे भाग कर क्यों आ रही है? क्या बात करनी है?
प्रिया- यार बहुत ज़रूरी बात है इसी लिए भाग कर आई हूँ।
दीपाली- अच्छा चल बता क्या बात है?
प्रिया- यार जब तू स्कूल आई थी तब मैडी से बात करने के बाद जब अन्दर गई.. तब सोनू और दीपक भी वहाँ आ गए।
प्रिया ने उनके बीच हुई बात दीपाली को बताई.. दीपाली के चेहरे के भाव बदलने लगे चिंता की लकीरें उसके माथे पे साफ दिख रही थीं।
बस दोस्तों आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ..?
तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए.. [email protected]
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