This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
Jawani ki Pahli Barsat-1 मेरा नाम राकेश है.. मैं छत्तीसगढ़ के रायपुर का रहने वाला हूँ। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ.. पर इससे पहले आज तक कोई कहानी नहीं लिखी है।
यह बात उन दिनों की है जब मैं 12वीं में पढ़ता था।
उस समय हम गाँव में ही रहते थे.. पर शहर से लगा होने के कारण ज़्यादा किसी चीज़ की कमी नहीं होती थी।
उन दिनों बारिश का मौसम था.. एक दिन मैं घर में अकेला था घर के सभी सदस्य रिश्तेदार के यहाँ नामकरण प्रोग्राम में गए थे।
दो दिन तक मुझे घर की रखवाली करनी थी.. मैं बैठा हुआ था.. बाहर हल्की बारिश हो रही थी।
जवानी की दहलीज में उस समय मैं अकेला होने से मेरे मन में बहुत से ख़याल आ रहे थे.. मैं खाना खाकर अपने कमरे में आधे डर और आधे मन से सिगरेट पी रहा था और साथ ही एक अगरबत्ती भी कमरे में जला दी थी।
टीवी पर फैशन चैनल ऑन करके देखने लगा।
धीरे-धीरे अपने लोवर पर हाथ बढ़ाया.. तो देखा मेरा लंड तन गया था।
फिर मैं पूरी तरह नंगा होकर थोड़ा सा सरसों का तेल लेकर मालिश करने लगा और धीरे-धीरे मूठ मारने लगा।
करीब 15 मिनट में मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है तो एक कपड़े को सामने रख कर बहुत तेज़ी से मूठ मारने लगा।
ऐसा नहीं है कि यह मैं पहली बार कर रहा था।
फिर मैं कुछ मिनटों में डिस्चार्ज हो गया।
कुछ देर माल झड़ने के कारण मैं मस्ती में आँखें बन्द करके पड़ा रहा फिर अपना पप्पू साफ करने लगा..
जो अभी भी तन कर खड़ा था।
अचानक मेरी नज़र खिड़खी पर पड़ी.. वहाँ चुपके से कोई मुझे देख रही थी और मेरी नज़र पड़ते ही बड़ी तेज़ी से वापस चली गई।
मैंने भी उसे देख लिया था.. वो थी हमारी पड़ोसन प्रभा भाभी.. जिन्होंने मेरे घरवालों की वापसी तक.. मेरे लिए खाने-पीने की जवाबदारी ले रखी थी।
प्रभा भाभी एक गोरी-नारी.. ना मोटी न पतली.. 5 फुट 2 इंच की सुन्दर नैन-नख्स वाली मस्त माल थीं.. उसके होंठों पर काला तिल उसकी खूबसूरती को और ज़्यादा बढ़ाता था।
उनके विवाह को 4 साल हो गए थे पर उनकी कोई औलाद नहीं थी। उनके पति बहुत ही खुशमिज़ाज और मिलनसार इंसान थे। हमारे घरों में अच्छे सम्बन्ध हो गए थे। हम उन लोगों को घर के सदस्य की तरह मानते थे। मैं उनके घर में बिंदास रहता था.. बिल्कुल अपने घर की ही तरह..
उस दिन जिंदगी में पहली बार अपनी हरकत पर शर्मिन्दा था और डर भी लग रहा था।
मैं बहुत हिम्मत जुटा कर थोड़ी देर बाद भाभी के यहाँ गया।
उनका दरवाजा अन्दर से बंद था। मैंने कुण्डी बजाई.. भाभी ने दरवाजा खोला.. मैंने देखा कि आज भाभी भी बहुत बदली-बदली सी लग रही थीं। गुलाबी साड़ी.. गोरा बदन.. खूब खिल रहा था.. ‘रिया-ब्लू’ का परफ्यूम की सुगन्ध उसके बदन से आ रही थी। मैं नज़रें झुकाए बाहर ही खड़ा था।
वो मुझे अन्दर आने को बोल कर वापस रसोई में चली गई।
मैं हॉल में टीवी देखने लगा.. भाभी चाय ले कर आई.. चाय हाथ में देकर सामने सोफे पर बैठ गई।
मैंने भाभी से हिचकते हुए बोला- सॉरी.. और अब ऐसा कभी नहीं करूँगा, प्लीज़ भाभी, आपने जो देखा, वो बात किसी को नहीं कहना.. मैं डर कर उनसे रिक्वेस्ट करने लगा।
भाभी बड़े गौर से मेरी बात को सुन रही थीं फिर ज़ोर से खिलखिला कर हँस पड़ीं। मेरे पास आकर बोली- परेशान मत हो.. मैं किसी को नहीं बताऊँगी कि अपना राज अब जवान हो चुका है।
मैंने उसे ‘थैंक्स’ बोला और चाय ख़तम करके तुरन्त वापस जाने लगा।
भाभी ने मुझे रुकने के लिए कहा.. बोली- कुछ काम है.. जरा रूको.. मेरे कमरे की खिड़की से बारिश का पानी कुछ अन्दर आ रहा है.. उसे थोड़ा ठीक कर दो।
मैं ‘हाँ’ कह कर कमरे में जा कर देखने लगा, तो वहाँ ऊँचाई तक पहुँचने का कोई उपाय नहीं था।
मैं एक सीढ़ी लाया और एक पोलिथीन को ग्रिल में ऐसा लगाया कि बाहर का पानी अन्दर ना आ सके।
जैसे ही मैंने नीचे देखा.. भाभी की दोनों चूचियाँ एकदम गोरी ओर चिकनी मुझे साफ़ दिख रही थीं।
मैंने भाभी को कई बार देखा था.. लेकिन गंदी नज़र से पहली बार देख रहा था।
शायद आज की घटना के कारण वो भी मेरी नज़र को भांप गईं.. मगर मुझे ताज्जुब इस बात पर हुआ कि उसने मेरे देखने के बावजूद अपना पल्लू ठीक नहीं किया।
मैं काम ख़तम करके सीढ़ी से जैसे ही नीचे उतर रहा था कि भाभी के मम्मे मेरी पीठ और बाँह में रगड़ खा गए.. शायद भाभी ने जानबूझ कर मुझे निकलने को कम जगह दी थी।
मैं कुछ समझ तो रहा था फिर भी मैंने भाभी से बोला- ओके भाभी.. अब मैं जा रहा हूँ।
तो उसने शाम को खाने के लिए पूछा- खाने में क्या बनाऊँ?
मैं बोला- जो आप का मन हो सो बनाओ.. आप जो भी बनाती हो.. अच्छा बनाती हो।
मैं दरवाजे की तरफ बढ़ ही रहा था कि एक ज़ोर की बिजली कड़की और बारिश तेज हो गई।
भाभी ने मुझे रोका- बाहर तूफान चल रहा है, थोड़ी देर रुक यहीं जाओ।
मैंने भी रुकना ठीक समझा.. क्योंकि बिजली की कड़क ओर बढ़ गई थी और बारिश भी तेज हो गई थी.. ऊपर से लाइट भी चली गई थी।
मैं वहीं हॉल में बैठ कर भाभी का इंतज़ार करने लगा.. जो मोमबत्ती लेने रसोई में गई थी।
मेरे मन में आज भाभी की लेने की इच्छा जाग उठी थी थोड़ा डर भी लग रहा था पर तब भी मैंने खतरा उठाने का मन बना लिया था और इसी के चलते मैंने अपना लोअर में हाथ डाल कर कर अपना लौड़ा अपने हाथ में ले लिए और उसको हिलाने लगा।
भाभी के मचलते हुस्न को आज भोगने का मन बनाते ही मेरे लौड़े ने भी अंगडाई लेना शुरू कर दिया था।
भाभी मोमबत्ती जला कर लाईं.. मैंने देखा कि वे मेरे लौड़े के उभार की तरफ ही देख रही थीं।
हम दोनों चुप थे.. फिर भाभी ने ही शुरूआत की।
उन्होंने मेरे इरादे को भांप लिया और अपनी आँखें बन्द करके मुझसे कहने लगीं- आज इतना चुप क्यों हो.. वर्ना तुम्हारा मुँह तो कभी बंद ही नहीं रहता.. बोलो ना.. तुम्हारी मुठ मारने की बार किसी को नहीं बताऊँगी और तुम ऐसी हरकतें मत किया करो.. तुम तो अभी भी अपना लण्ड हिला रहे थे ना? यह अभी भी खड़ा है। जरा मुझे भी तो दर्शन कराओ इसके !
भाभी की यह बात सुन कर मेरी तो बांछें ही खिल गई, मैं समझ गया कि आज तो मुझे भाभी की चूत मिल ही जएगा।
पर मुझे अभी भी हिचक थी तो भाभी ही उठ कर मेरे पास आई और मेरा लोअर खींच दिया।
मेरा लण्ड देखते ही भाभी के मुँह से ‘वाऊ.. ओ माय गॉड’ जैसे शब्द निकलने लगे, बोली- तुम्हारा लंड इतना बड़ा कैसे.. तुम्हारे भैया का तो इस से बहुत छोटा है।
उसने मुझे सोफे से उठा कर खड़ा कर दिया और अपने हाथों से मेरा लंड पकड़कर सहलाने लगी।
मेरे मुँह से ‘आह’ निकल गई और लंड और ज़्यादा तन कर बढ़ गया।
उसने मुझे चुप रहने का इशारा किया और एक ही पल में मेरे लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी।
इस प्रकार हुए अचानक हमले के लिए मैं तैयार नहीं था.. पर अब मुझे जन्नत का सुख धरती पर ही मिल रहा था। अब मैं भी खुलने लगा..
मैं उसके सर को पकड़ कर उसका मुँह चोदने लगा।
वो भी मेरा साथ देने लगी और मेरी कमर से मेरे लोवर को खींच कर पूरा नीचे उतार दिया और मेरे कूल्हों में हाथ फेरने लगी।
अब मैं सातवें आसमान में उड़ रहा था और बड़ी तेज़ी से उसके मुँह में लंड अन्दर-बाहर कर रहा था।
दस मिनट तक मुँह चोदने के बाद मेरा बदन अकड़ने लगा और बाहर की तरह एक बारिश अन्दर भी होने वाली थी।
मैंने उसे बताया कि मेरा निकलने ही वाला है.. पर वो तो मेरे लंड को मस्ती से चूसने में ही मसगूल थी। जैसे कह रही हो कि मेरे मुँह में ही निकाल दो।
मैं पहली बार जिंदगी में किसी के साथ चुदाई जैसी बात कर रहा था.. वो भी इतनी कामुक और सुन्दर महिला के साथ.. ये सोच कर मेरा लंड और भी तन गया था।
तभी मेरा बदन अकड़ने लगा और मैंने एक तेज़ धार की पिचकारी उसके मुँह में छोड़ दी।
भाभी ने भी उस मधुर रस की तरह स्वादिष्ट लगने वाले मेरे वीर्य को पी गई। मईं उस अनुभूति से विभोर था.. जो उस वक़्त मुझे मिल रहा था।
कुछ देर बाद उसने मेरे लंड को चाट-चाट कर अच्छे से साफ किया और खुद बाथरूम की ओर चली गई।
वो फ्रेश हो कर वापस आई और मेरे पास आकर बोली- तुम्हारा तो काम हो गया है राज.. अब क्या अपनी भाभी को खुश नहीं करोगे?
प्रभा भाभी की चुदाई की अभीप्सा तो कब से मेरे मन में थी और आज उनकी चूत चुदाई की बेला आ चली थी।
उनकी चूत चुदाई की दास्तान अगले भाग़ में लिखूँगा।
मुझे ईमेल जरूर लिखिएगा।
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000