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Paschimi Dhang se Chudai हाय दोस्तो, मेरा नाम अंजलि है और मैं दिल्ली से हूँ। मेरी उम्र 22 साल है और मैं एक छात्रा हूँ। मैं दिखने में काफी हॉट हूँ.. लड़कों के लिए मैं एक ‘माल’ हूँ। बहुत से लड़के मुझ पर मरते हैं पर मैं किसी को भाव नहीं देती हूँ।
मैं बहुत ही अमीर घर की लड़की हूँ। मैं बचपन से ही खुले विचारों की बिंदास लड़की थी। मुझे घर में कोई रोकने वाला नहीं था, सब मुझसे बहुत प्यार करते हैं।
मेरा फिगर 36-28-36 है.. जिम में हर रोज मैं अपने जिस्म को संवार कर रखती हूँ।
मैं अन्तर्वासना साईट पिछले दो साल से लगातार पढ़ रही हूँ। मैंने अपना पहला साथी इसी साईट से ढूँढा था।
ये बात यूँ शुरू हुई कि मेरी बॉय-फ्रेंड बनाने में कोई रूचि नहीं थी।
मेरी क्लास की लड़कियों के कुछ के बॉय-फ्रेंड थे और सब ही अपने बॉय-फ्रेंड्स के साथ चुदाई कर चुकी थीं।
मैं दिल्ली में रहती हूँ और आप सब जानते हैं कि यहाँ सब कुछ खुल्ला है.. कोई रोक-टोक नहीं है, पर मेरा इन चीजों में कोई लगाव नहीं है।
हर किसी का अपना एक स्वाभाव होता है, पर जब मेरी सहेलियां मुझे पोर्न वीडियो दिखाती थीं.. तब मेरा भी मन कुछ करने को करता था और ऊपर से मैं ये अन्तर्वासना साईट रोज पढ़ती थी और मेरा भी अब चुदाने का मन करता था।
कभी-कभी रात को पोर्न मसाला देख कर पैन्टी गीली हो जाती थी.. तो कभी हाथ खुद चूत पर चला जाता।
आखिर मैंने भी सोच लिया कि चुदाई तो मैं करूँगी, पर यहाँ के किसी लड़के से नहीं चुदूँगी।
तब मैंने अपनी पसंदीदा अन्तर्वासना साईट से एक लड़के से बातें शुरू की।
दोस्तो, मैंने चुदाई आज से ठीक एक महीने पहले ही की थी।
पहले हम एक-दूसरे से मेल पर बात करते थे, फिर हमने एक-दूसरे के मोबाइल नम्बर लिए और फिर मोबाइल से हम बात करने लगे। यह लड़का काफी अच्छा था.. दिखने में भी मेरी तरह ही था.. पर दिक्कत ये थी कि वो किसी और शहर में रहता था।
उसके साथ काफी दिनों तक बातें करने और हम skype पर अपने गुप्तांगों को देखते रहते थे.. मुझे उसका ‘वो’ काफी अच्छा लगता था।
फिर एक दिन हमने मिलने का प्लान बनाया और रविवार के दिन वो मुझे मिलने दिल्ली आया। मैंने पहले से ही उसके लिए होटल में कमरा बुक किया था और वो आकर सीधा वहीं रुका।
करीब 12 बजे उसकी कॉल आई- अंजलि किधर हो.. आई नहीं तुम?
मैंने बोला- बस निकल रही हूँ।
मैंने अपनी कार स्टार्ट की और होटल पहुँच गई। उसके कमरे में जाते ही मैंने उसे पहली बार अपने सामने सजीव देखा और उसने भी मुझे.. और हमने एक-दूसरे से हाथ मिलाया और गले मिले।
उसने मेरे होंठों पर छोटी सी चुम्मी की और हम एक-दूसरे की आँखों में प्यार से देखते रहे थे।
फिर हम दोनों बैठे और बातें शुरु की।
हम दोनों एक ही सोफे पर बैठे थे।
फिर हमने कुछ खाने का आर्डर दिया और खाना खा कर मैं उसे दिल्ली घुमाने ले गई।
मैंने उसे दिल्ली की कुछ प्रसिद्ध जगहें दिखाईं.. और उसके बाद हम दोनों शाम को 8 बजे होटल वापिस आए।
मैंने पहले अपने घर पर फ़ोन करके बोला- आज मैं अपनी फ्रेंड के घर रहूँगी।
मम्मी बोली- ठीक है अपना ध्यान रखना।
मुझे वो लड़का बहुत अच्छा लगा पूरा दिन उसके साथ बिताया.. वो वास्तव में काफी स्वीट था और उसके साथ मैंने काफी मस्ती की।
अब हम दोनों कमरे में थे.. हमने कुछ खाने का आर्डर दिया और वो फ्रेश होने चला गया और कुछ ही मिनटों बाद जैसे ही वो नहा कर बाहर आया.. मैं उसे देखती ही रह गई।
उसने सिर्फ एक तौलिया बाँध रखा था और गीले बालों में वो काफी आकर्षक लग रहा था।
मैं उठ कर उसके पास गई और और उसके बालों में हाथ डाल कर हिलाया और इस बार मैंने उसे उसके होंठों पर एक गहरा चुम्बन किया।
इतने में दरवाजे पर दस्तक हुई.. मैंने देखा.. वेटर खाना लेकर आया था और मैंने वेटर को अन्दर आने दिया। उसने खाना टेबल पर लगा दिया और चला गया। हमने एक-दूसरे को बड़े प्यार से देखते हुए खाना खाया।
उसके बाद हम दोनों बिस्तर पर लेट गए और टीवी देखने लगे। वो धीरे से उठा और मेरे ऊपर आकर लेट गया और मेरे होंठों को चुम्बन करने लगा और मैंने भी अब उसे चुम्बन करना शुरू कर दिया।
उसने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया और हम एक-दूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे.. कभी वो मेरे कानों की लौ पर चुम्बन करता.. तो कभी मेरे गुलाबी गालों पर अपने गर्म होंठों को रखता।
दोस्तो… मेरा एक ख्वाब ये था कि मैं भारतीय तरीके से चुदाई नहीं करूँगी, मैं पश्चिमी देशों के तरीके से चुदाई करना चाहती थी और ये बात उसे पता थी।
फिर हम खड़े हुए और उसने मुझे दीवार की तरफ मुँह करके खड़ा किया और मेरा टॉप उतार दिया और पीछे से मुझे लगातार चुम्बन कर रहा था।
फिर उसने मेरी ब्रा उतारी और मैंने भी घूम कर उसकी टी-शर्ट उतार दी और उसके चौड़े सीने पर अपनी हथेलियाँ फिराने लगी। वो मेरे मम्मों को दबा रहा था और मैं उसकी पैन्ट खोल रही थी और अब मैंने उसका लंड उसकी चड्डी से बाहर निकाला।
अपनी जिन्दगी में पहली बार मैंने सजीव लंड देखा था और मैंने उसके बड़े लंड को अपने हाथ में लिया था।
फिर मैंने उसके लंड को मुँह में लिया और आगे से चूसने लगी।
वो काफी बड़ा था जो मेरे मुँह में नहीं आ रहा था.. धीरे-धीरे मैंने पूरा लौड़ा मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
वो भी मेरे मुँह को चोदने लगा।
थोड़ी देर बाद वो मेरे मुँह में ही झड़ गया और उसका सारा माल मेरे मुँह में था और मैंने उसके माल को अपने मम्मों पर गिरा लिया।
अब उसने मुझे खड़ा किया और मेरी पैन्टी उतारी और मुझे सोफे पर लिटा दिया।
फ्रेंड्स मेरी चूत पिंक कलर की है और उसने जब देखी तो देखता ही रह गया।
मैंने इतरा कर पूछा- क्या हुआ?
वो बोला- तेरे जैसी गुलाबी चूत तो मैंने ब्लू-फिल्मों में भी नहीं देखी।
मैंने उसे अपनी चूत की तारीफ़ करने के लिए ‘थैंक्स’ बोला और उसने मेरी चूत पर एक नर्म चुम्बन किया.. उसके चुम्बन से मेरी तो जैसे जान ही निकल गई।
मेरे मुँह से आवाजें निकलने लगीं और वो लगातार अपनी जीभ से मेरी चूत चाट रहा था।
मेरी दोनों टाँगें मस्ती से हवा में उठ गई थीं जो मेरे लिए बदस्तूर हवा में रखना कठिन हो रहा था।
वो अपनी जीभ से मेरी चूत को बड़ी तन्मयता से चाट रहा था और मैं कामातुर हो कर अपने मम्मों को जोर-जोर से मसल रही थी। तभी मेरे शरीर में मुझे कुछ अलग सा महसूस होने लगा मैं अकड़ने सी लगी और मेरी चूत से ढेर सारा पानी निकल गया और मैं एकदम से शांत सी हो गई।
मैं उससे लिपट गई और वो मुझसे मेरी बाँहों में सिमट गया।
करीब दस मिनट तक हम दोनों यूँ ही लिपटे रहे फिर अलग हो कर एक-दूसरे को वासना की नजरों से देखने लगे।
फिर हमने कैसे चुदाई की.. वो मैं आपको अपनी किसी अगली कहानी में लिखूँगी।
मगर पहले मुझे.. आप अपनी राय ईमेल कीजिएगा।
लड़के मुझे ईमेल ना ही करें तो अच्छा होगा क्योंकि लड़के तो हर लड़की को ऐसे लिखते हैं जैसे ये अभी उसकी हो जाएगी। सिर्फ अच्छे ईमेल के इन्तजार में आपकी अंजलि कपूर।
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