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Malkin ke Sath Naukrani ko bhi Choda-4 नमस्कार दोस्तो.. और अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार।
मैं श्लोक मराठा अहमदाबाद से फिर आपकी सेवा में हाजिर हूँ।
आप लोगों ने मेरी कहानी मालकिन के साथ नौकरानी को भी चोदा के तीन भाग इतने दिल से पढ़े हैं उसके लिए शुक्रिया कहना चाहता हूँ। आपने मुझे जो ईमेल किए.. उसके लिए भी आपका बहुत धन्यवाद।
लेकिन दोस्तो, मैंने जो कहानी लिखी है वो मेरी अपनी है इसमें मैं आप लोगों को शामिल नहीं कर सकता.. सिर्फ़ मेरे अनुभवों को आपके साथ साझा कर सकता हूँ।
मैं सिर्फ़ आपकी चूत और लंड से पानी निकालने के लिए अपनी कहानी लिखता हूँ।
कई मित्रों के ईमेल मुझे मिले.. पर ज़्यादातर लोगों ने मुझे किसी लड़की कोई आंटी कोई भाभी से सैटिंग करवाने के लिए ही ईमेल किए हैं।
मैं इन चुलबुली लड़कियों के साथ बहुत मज़े करता हूँ और कोई भी इस तरह से कोई लड़कियों के नम्बर नहीं देता।
आप मेरी जगह पर हो तो आप भी नहीं दे सकते.. क्यों दोस्तों सही बात है ना?
कोई बात नहीं दोस्तो, आप लोगों ने मुझे ईमेल किए ये ही मेरे लिए बहुत है.. वो ईमेल फिर कैसे भी हों।
अब मैं कहानी पर आता हूँ। मैंने अपनी पिछली कहानी में बताया था कि मैं कॉलबॉय कैसे बना।
इसका श्रेय मेरी जान.. मानसी को जाता है। मैं कहानी का शीर्षक तो नहीं बदलने वाला हूँ क्योंकि मानसी और नौकरानी ना होतीं.. तो यह मेरी कहानी भी ना होती।
मैंने काफ़ी लड़कियों के साथ चुदाई की है पर मैं सिर्फ़ अन्तर्वासना वेबसाइट पर कहानी पढ़ कर मज़े करता था.. पर जब मैंने मानसी को और उसकी नौकरानी को ठोका तो मुझे ये सेक्सी चुदाई के बारे में अन्तर्वासना पर इस घटना को कहानी के रूप में लिखने को मन हुआ।
क्योंकि इस वेबसाइट पर हज़ारों कहानियाँ हैं जिसको पढ़ कर मैंने न जाने कितनी बार मूठ मारी है। जो मेरे अन्य दोस्तों ने अन्तर्वासना में उनके अनुभव साझा किए हैं वो सारे अनुभवों को अपनी गर्लफ्रेंड्स के साथ इस्तेमाल भी करता हूँ।
इसलिए मेरे उन दोस्तों के लिए मेरी कहानी उनको समर्पित करता हूँ और 2015 आने वाली है उसके लिए शुभकामना देता हूँ। दोस्तों मैंने जो कहानी लिखी है इसके बारे में पहले मैंने मानसी को बताया और उसके बाद ही कहानी लिखी क्योंकि उसको कोई इतराज ना हो और वो मुझसे कभी खफा ना हो..
मानसी ने तो मुझसे यह कहा- अगर आप ये सब लिख सकते हो तो लिखो.. आपका अनुभव है.. इससे मुझे क्या ऐतराज होगा।
तब बेफिक्र हो कर यह कहानी आपके सामने पेश की है।
मैंने और मानसी ने तो साथ में कमरे के बिस्तर पर लैपटॉप पर पूरे नंगे हो कर कहानी पढ़ी है और कहानी पढ़ कर मुझे मानसी ने उपहार में गरमा-गरम चुदाई भी करने दी।
मानसी और मैं अब बहुत खुल चुके थे। हम एक-दूसरे से बहुत खुश हैं। उसको चोदने के लिए मेरा लंड कभी भी खड़ा हो जाता है।
क्या करूँ वो माल ही इतना जोरदार है तो लंड तो सलाम करेगा ही ना।
अब हम ज़्यादातर बड़े-बड़े होटलों में रात भी बिताने लगे… क्योंकि ज़्यादातर छोटे-मोटे गेस्ट-हाउसों में कुछ भी हो सकता है ओर चूंकि मानसी बड़े घर से थी तो उसको भी दिक्कत हो सकती थी।
दोस्तों इन होटलों सारा खर्चा मानसी ही करती थी.. मुझे उसने कभी भी पैसे नहीं निकालने दिए।
उसके पास धन की कोई कमी नहीं थी.. पर फिर भी मैं जब भी उसको मिलता उसके लिए गिफ्ट ज़रूर ले जाता।
कभी चुदाई करते-करते हमारा कभी कभी झगड़ा भी हो जाता.. क्योंकि मैंने उसकी नौकरानी को भी चोदा था, उसकी नौकरानी कभी-कभी अपनी मालकिन यानि मानसी से पूछ लेती थी कि आजकल आपके दोस्त नहीं दिखते? तो मानसी गुस्सा हो जाती.. पर अपनी नौकरानी को कुछ बोल नहीं पाती क्योंकि उससे झगड़ा हो जाता और घर में वो सब को बोल देती तो सब गड़बड़ हो जाता।
मानसी से इन झगड़ों के बाद जब मैं अपने लंड को दिखाता.. तो उसका सारा गुस्सा पिघल जाता और वो लपक कर लंड मुँह में लेकर चूसने लगती।
हम अक्सर मिलते.. महीने में कई बार चुदाई करते..
मैंने कभी भी उसको अधूरा नहीं रखा.. मैंने पहले उसकी ज़रूरतों को ध्यान में रखा.. इसीलिए आज तक वो मेरे साथ है।
एक बार जब हम होटल में जा रहे थे तब उसकी एक सहेली ने हमको देख लिया।
हमको पता नहीं था.. पर वो हमारा पीछा कर रही थी और उसने हमको कमरे में जाते हुए देख लिया।
उस वक्त तो उसने कुछ किया या कहा नहीं.. बस वो देख कर चली गई होगी।
लेकिन हम तो पूरी रात होटल में ही रह कर चुदाई करने वाले थे और हम तो हमारी ही मस्ती में चुदाई कर रहे थे।
हमने अभी वाइन मंगाई और पीने लगे।
पीने के बाद तो आपको पता ही है.. क्या होता है दोस्तों…पीते हम हैं पर नशा लंड और चूत को होता है।
मानसी को नशा होने लगा और वो मेरे लंड को पकड़ कर ऊपर से मसलने और दबाने लगी।
मैं मानसी के कपड़े निकालने लगा। मैंने उसकी ब्रा ओर पैन्टी के सिवाय सारे कपड़े निकाल दिए।
मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मों को दबाने लगा। फिर मैंने ब्रा निकाल दी थी और उसके मम्मों को चूसने लगा।
उसके मम्मों के चूचुकों को अपनी ऊँगली के बीच में दबाता तो उसकी प्यारी सी सीत्कार निकल जाती।
उसके मम्मों को चूसते-चूसते मैंने उसकी पैन्टी निकाल दी।
मैं जब तक मानसी को तृप्त ना करूँ तक तक मैं अपने लौड़े के बारे में नहीं सोचता..
जब तक मानसी मुझसे तड़फ कर ना कहे कि ‘आ जाओ जान.. चोदो मुझे..’ तब तक उसको तृप्त करने की कोशिश में रहता हूँ।
यह वो अच्छी तरह जानती है इसलिए मुझे बहुत प्यार करने लगी है।
मैं उसकी चूत को ऊँगली से चोद रहा था.. मेरे मुँह में उसके मम्मे आनन्द पा रहे थे। उसके गोरे-गोरे मम्मे दब-दब कर और चुस-चुस कर लाल हो गए थे।
उसकी चूत से लौड़े के मिलन में अब मैं भी तड़पने लगा.. मैंने ज़रा भी देर ना करते उसकी चूत के पास मेरा मुँह लगा दिया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं उस चूत को मादक नज़र से देखे जा रहा था।
वो चूत… चूत नहीं.. मेरे लंड की वाइफ थी।
मैंने अभी तो सिर्फ़ मुँह पास में रखा ही था कि मेरे मुँह की गर्म हवा उसकी चूत पर क्या छुई.. वो कसमसाने लगी।
मैंने अब चाटना शुरू किया.. उसकी चूत से जो थोड़ा-थोड़ा पानी आ रहा था.. वो इस बात का संकेत था कि सुनामी अब दूर नहीं है।
वो ज़म कर मुझ पर बरस पड़ी जैसे बिन बादल बरसात.. लेकिन उसकी चूत से जो बूँदें टपक रही थीं.. उसमें एक सच्चाई थी कि वो बूँदें सिर्फ़ मुझे ही पीने के लिए बरसी हों।
उसने कस कर मेरे बालों को पकड़ा हुआ था.. बालों से पकड़ते हुए ही उसने मुझे उसके ऊपर खींच लिया।
मुझे पता चल गया कि अब यह चुदने को तैयार है।
मैंने देर ना करते लंड उसकी चूत पर रख दिया और मेरे एक प्यारे से झटके से पूरा लौड़ा चूत के अन्दर चला गया।
उसकी मादक आवाज़ कमरे में चारों ओर से आ रही थी- और करो जान.. बहुत अच्छा लगता है तुमसे चुद कर.. मुझे बस चोदते रहो जान.. मैं तुमसे ही प्यार करती हूँ।
अब मेरी भी रफ्तार बढ़ने लगी। मैंने तेज धक्के लगाने चालू किए.. पर मुझे कुछ याद आया और मानसी को उल्टा करके उसको चोदने की स्थिति बना ली..
पर मेरा मकसद उसकी गाण्ड थी और वो भी मुझ से गाण्ड तो चुदवाना चाहती ही थी।
मैंने उसके गाण्ड को क्रीम से भर दिया ओर ऊँगली से क्रीम को उसकी गाण्ड की अन्दर तक ले जाने लगा।
अब मेरे लंड को उसकी गाण्ड की दरार साफ दिख रही थी।
मैं धीरे-धीरे उसकी गाण्ड में लंड डालने लगा।
उसको दर्द हुआ पर क्रीम ज़्यादा लगाने की वजह से बहुत नहीं हुआ।
मैं उसकी गाण्ड को चोदे जा रहा था..
हर एक झटके में मुझे जन्नत का मज़ा आने लगा।
अब मेरा भी निकलने वाला था.. पर मैंने लंड बाहर निकाल कर उसकी चूत और मम्मों पर सारा गर्म लावा निकाल दिया।
मेरा वीर्य के छींटे उसके शरीर पर फैले मोतियों के जैसे लग रहे थे।
हम एक-दूसरे से चिपक कर यूं ही पड़े रहे।
उसी वक्त मानसी के मोबाइल पर किसी का कॉल आया।
मानसी ने फोन उठाया और बात करने लगी।
मानसी- हैलो.. हाय पायल..!
पायल का नाम सुनते ही मेरा लंड ढीला पड़ गया…पर उनकी बात चलती रही…
पायल- क्या मानसी कहाँ हो आजकल.. ना कॉल.. ना एसएमएस.. बहुत बिज़ी हो जानेमन?
मानसी- नहीं यार.. बस यूं ही जानेमन….
पायल- अभी कहाँ हो?
मानसी- मैं तो घर पर ही हूँ।
पायल- अच्छा एक काम कर.. आंटी को फोन दे.. मुझे बात करनी है।
मानसी- अरे वो तो सो गए हैं.. एक काम कर मैं सुबह बात करवाती हूँ।
पायल- ओह जानेमन.. अब कितना झूठ बोलेगी.. होटल के 205 नम्बर के कमरे में क्या कर रही हो.. मेरे एक्स बॉय-फ्रेंड श्लोक के साथ?
मानसी मेरे सामने देख कर झेंप सी गई उसको कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कमरे में एसी की कूलिंग फुल पर थी फिर भी उसको पसीना आ रहा था।
मुझे तो ऐसा लग रहा था कि पायल मानसी की फ्रेंड है तो उनकी तो फोन पर बातें होती रहती होंगी.. पर पायल ने ऐसा तो क्या कह दिया कि मानसी को पसीना आने लगा।
मानसी फोन पर हड़बड़ाने लगी।
मानसी- नहीं नहीं.. मैं तो घर पर हूँ। श्लोक मेरे साथ नहीं है.. मैं तो मेरे घर पर सो रही हूँ।
पायल- अरे जानेमन फिकर मत कर.. मैंने तुम दोनों को कमरे में जाते हुए देखा है और तू मुझसे क्यों छुपा रही है.. मैंने ही तो श्लोक से तुमको मिलवाया था.. मुझे नहीं मालूम था कि तुम इतने आगे बढ़ जाओगी.. अब जानेमन मेरी श्लोक से बात तो करवा दो.. हमसे तो उसकी बरसों से बात ही नहीं हुई।
मानसी ने मुझे फोन दिया और कहा- पायल बात करना चाहती है।
मैं- हाय पायल.. कैसी हो?
पायल- क्या बात है.. हमसे भी अच्छी लगती है मानसी की चूत की.. उसमें ही खोए रहते हो।
मैं- सच में पायल तुम और मानसी कमाल हो.. तुम दोनों की चूत तो आमरस से भी मीठी और मज़ेदार है।
पायल- तो क्या हम दोनों का आमरस एक साथ तुमको मिले तो कैसा रहेगा?
मैं- मुझे कोई दिक्कत नहीं.. अगर तुम दोनों तैयार हो तो.. मैंने तुम दोनों के साथ चुदाई की है।
पायल- हम दोनों को भी कोई एतराज नहीं होगा.. मैंने और मानसी ने कई बार साथ में लेस्बियन चुदाई की है।
फोन चालू ही था और मैंने मानसी को सब बताया कि पायल चाहती है कि हम तीनों साथ में चुदाई करें..
फिर क्या था.. मानसी ने भी ‘हाँ’ कह दिया।
मैं- पायल.. मानसी ने भी ‘हाँ’ कर दी, बोलो कब करना है।
पायल- अभी तो आप लोग चुदाई करो हम रविवार का प्लान करते हैं.. इसी होटल के कमरे में.. जहाँ अभी तुम दोनों चुदाई कर रहे हो।
मैं- पक्का जानेमन.. ये चुदाई तुम दोनों की यादगार रहेगी..
मैंने फोन रख दिया।
अब मैंने पायल ओर मानसी को एक साथ कैसे चोदा वो अगली कहानी में लिखूँगा।
दोस्तो, मेरी कहानी आपको कैसी लगी.. मेरी कहानी पर अपने विचार मुझे जरूर बतायें।
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