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पिछली कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा।
मैं भी उनके बगल में जाकर लेट गया और उन्हें अपनी बाँहों में भर कर प्यार करने लगा, जिससे वो भी अपने आप को रोक न पाई और मुझे चूमते हुए बोलने लगी- राहुल आई लव यू.. आई लव यू.. आई लव यू.. मैंने इतना मज़ा पहले कभी भी न लिया था.. इस खेल में, पर तुम तो पूरे खिलाड़ी निकले.. कहाँ थे अभी तक…
वो पागलों की तरह मुझे चूमने और काटने लगी।
अब आगे : फिर से चुम्बनों का दौर शुरू हो चला था जिससे हम दोनों ही मज़े से एक-दूसरे का सहयोग कर रहे थे.. जैसे हम जन्मों से प्यासे रहे हों।
अब मैंने भी समय को ध्यान में रखते हुए देर करना ठीक न समझा क्योंकि मुझे अपने घर से निकले तीन घंटे से ऊपर हो गए थे।
मेरे मन में यह चिंता सता रही थी कि घर वाले फ़ोन कर रहे होंगे जो स्विच ऑफ था.. पता नहीं वो कैसा महसूस कर रहे होंगे और मैं भी उन्हें फोन नहीं कर सकता था..
आंटी के घर से भी नहीं और मेरा तो पहले ही टूट चुका था..
तो मैंने घटनाक्रम को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें चुम्बन करते हुए उनके मम्मों को भी मसलना चालू किया और धीरे-धीरे उनका और मेरा जोश दुगना होता चला गया।
पता नहीं कब हम दोनों के हाथ एक-दूसरे के जननांगों को रगड़ने लगे..
जिससे एक बार फिर से ‘आह्ह ऊऊओह्ह ह्ह…’ का संगीत कमरे में गूंजने लगा।
मेरा लौड़ा अपने पूर्ण आकार में आ चुका था और उसकी चूत से भी प्रेम रस बहने लगा था।
तभी मैंने देर न करते हुए उनके ऊपर आ गया और उनके मम्मों को रगड़ते और चुम्बन करते हुए अपने लण्ड को उनकी चूत पर रगड़ने लगा.. जिससे माया का जोश और बढ़ गया।
अब वो जोर-जोर से अपनी कमर हिलाते हुए मेरे लौड़े पर अपनी चूत रगड़ने लगी और अब वो किसी भिखारिन की तरह गिड़गिड़ाने लगी- राहुल अब और न तड़पा… डाल दे अन्दर.. और मुझे अपना बना ले..
उसके कामरस से मेरा लौड़ा पूरी तरह भीग चुका था।
फिर मैंने उसकी टांगों को उठाकर अपने कन्धों पर रख लीं, जिससे उसकी चूत का मुहाना ऊपर को उठ गया।
फिर अपने लौड़े से उसकी चूत पर दो बार थाप मारी.. जिससे उसके पूरे जिस्म में एक अजीब सी सिहरन दौड़ गई।
एक जोर से ‘आअह्ह्ह्ह्ह’ निकालते हुए वो मुझसे बोली- और कितना तड़पाएगा अपनी माया को.. डाल दे जल्दी से अन्दर..
तो मैंने भी बोला- माया का मायाजाल ही इतना अद्भुत है कि इससे निकलने का दिल ही नहीं करता।
मैंने उसके कानों पर एक हल्की सी कट्टू कर ली।
फिर मैंने उसकी चूत के मुहाने पर लौड़े को सैट करके हल्का सा धक्का दिया.. तो लण्ड ऊपर की तरफ फिसल गया।
शायद अधिक चिकनाई के कारण या फिर वो काफी दिन बाद चुद रही थी इसलिए..
फिर मैंने उसके मम्मों को पकड़ते हुए बोला- माया जरा मेरी मदद तो करो।
तो उसने मेरे लौड़े को फिर से अपनी चूत पर सैट किया और अपने हाथों से चूत के छेद पर दबाव देने लगी।
अब मैंने भी वक़्त की नजाकत को समझते हुए एक जोरदार धक्का दिया जिससे मेरा लौड़ा उसकी चूत की गहराई में करीब 2 इंच अन्दर जाकर सैट हो गया।
इस धक्के के साथ ही माया के मुँह से एक दर्द भरी आवाज़ निकल पड़ी- आअह्ह्ह्ह्ह्ह श्ह्ह्ह्ह ह्ह्हह्ह…
उसके चेहरे पर दर्द के भाव स्पष्ट दिखाई दे रहे थे.. तो मैंने उसके पैरों को कन्धों से उतार कर अपने दोनों ओर फैला दिए और झुक कर उसे चुम्बन करते हुए पूछने लगा- क्या हुआ जान.. तुम कहो तो मैं निकाल लेता हूँ.. हम फिर कभी कर लेंगे..
तो माया ने धीरे से अपनी आँखों को खोलते हुए प्यार भरी आवाज़ रुआंसे भाव लेकर मुझसे बोली- काश तुम्हारे जैसा मेरा पति होता.. जो मुझे इतना प्यार देता.. मेरी इज्जत करता.. मेरे दर्द को अपना दर्द समझता.. पर आजकल ऐसा नसीब वाले को ही मिलता है।
फिर मैंने अपनी बात दोहराई- चुदाई हम बाद में कर सकते हैं.. अभी तुमको दर्द हो रहा है.. मुझे क्या मालूम कि इस दर्द के बाद ही असली मज़ा आता है.. तो उन्होंने हँसते हुए बोला- अरे मेरे भोले राजा.. जब काफी दिनों बाद या पहली बार कोई लड़की या औरत लौड़ा अपनी चूत में लेती है.. तो उसे दर्द ही होता है.. फिर थोड़ी देर बाद यही दर्द मीठे मज़े में बदल जाता है और जिसकी चूत का पहली बार उदघाटन होता है.. उसको तो खून भी निकलता है.. किसी को ज्यादा या किसी को कम और एक बात और कभी कभी किसी के नहीं भी बहता है.. पर दर्द खून बहाने वाली लड़कियों की तरह ही होता है।
मैं बहुत खुश हुआ क्योंकि मैं इस मामले में अनाड़ी जो था कि ‘एक्सपीरिएंस होल्डर’ के साथ चुदाई करने पर चलो कुछ तो ज्ञान प्राप्त हुआ..
मैं उनके चूचों को फिर से चूसने और रगड़ने लगा.. जिससे माया को फिर से आनन्द मिलने लगा। ‘आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआअह्ह्ह्ह्ह…’
वो सीत्कार की आवाज़ करते हुए अपनी कमर ऊपर को उठाने लगी और बोलने लगी- चल अब दूसरी पारी भी खेल डाल.. डाल दे अपने लौड़े को अन्दर तक..
तो मैंने भी अपने दिमाग और संयम का प्रयोग करते हुए लौड़े को धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा और बीच-बीच में थोड़ा अन्दर दबाव देकर लौड़े को अन्दर कर देता।
इस तरह मान लो कि जैसे बोरिंग की मशीन काम करती हैं।
उसी मशीन की तरह मैंने उनकी चूत की बोरिंग करते हुए अपने लौड़े को कब उनकी चूत की जड़ तक पहुँचा दिया.. उनको एक बार भी दर्द का अहसास न हुआ और अब तो वो मस्तिया कर कमर चलाने लगी।
जब मैंने यह महसूस किया कि अब मेरा लौड़ा माया की चूत में अपनी जगह बना चुका है तो मैंने भी गति बढ़ा दी..
मेरे गति बढ़ाते ही वो मेरी पीठ पर हाथ रगड़ने लगी- आअह्ह आआअह्हह्ह उउउह्ह्ह और जोर से श्ह्ह्ह्हीईईई.. बस ऐसे ही.. करते रहो जान.. बहुत दिनों से ये चूत प्यासी है.. आज बुझा दो इसकी सारी प्यास..
वो मेरे चेहरे पर चुम्बनों की बरसात करने लगी.. जिससे मेरा भी जोश बढ़ने लगा।
वो मेरी पीठ पर नाख़ून रगड़ रही थी.. जिसका पता मुझे बाद में चला। उस समय मैं इतने आनन्द में था कि मुझे खुद अपना होश भी नहीं था। बस मैं हर हाल में उसे और खुद को चरम की ओर ले जाने में लगा हुआ था।
अब उसने अपने पैरों को मेरी कमर पर कस कर नीचे से गाण्ड उठा-उठा कर ठुकाई करवाना चालू दी थी। शायद वो फिर से झड़ने वाली थी। ‘हाआंणन्न् हाआआआआआ हाआआआआ राहुल ऐसे ही.. और तेज़ मेरा होने वाला है.. बस ऐसे ही करते रहो..’
वो सिसयाते हुए शांत हो गई और अपने पैरों को फिर से मेरी कमर से हटाकर मेरे दोनों और फैला दिया और आँखें बंद करके निढाल सी हो गई। शायद इतने दिनों बाद इतना झड़ी थी.. जिसकी वजह से वो काफी रिलैक्स फील कर रही थी। मैंने फिर उसके चूचों को जैसे ही छुआ तो उसने ऑंखें खोलीं और मेरी ओर प्यार भरी निगाहों देखते हुए कहने लगी- आई लव यू राहुल.. तुम न होते तो आज मैं इतना ख़ुशी कभी भी न प्राप्त कर पाती..
तो मैंने बोला- अब मुझे भी ख़ुशी दे दो.. मेरा भी होने के करीब है।
वो एक बार फिर से अपनी टांगों को उठाकर मेरा सहयोग देने लगी जिससे मेरा चरमोत्कर्ष बढ़ने लगा और मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा कर उनकी ठुकाई चालू कर दी।
उनके चूतरस से रस टपक कर उनकी जांघों के नीचे तक बह रहा था जिससे ‘फच्च-फच्च’ की आवाजें आने लगी और देखते ही देखते माया भी आनन्द के सागर में गोते लगाने लगी और दोनों ही बिना किसी की परवाह किए आनन्द के साथ सम्भोग का सुखद अनुभव लेते हुए मुँह से आवाज़ करने लगे- आआआआह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह इइइइइइस्स्स्स्स्स्स्स इस्स्स्स्स्स्स्स आआअह आआअह…
इसी के साथ मेरा और माया के प्रेम-सागर का संगम होने लगा।
मैं अपने वीर्य के निकलने के साथ ही साथ अपना शरीर ढीला करके माया की बाँहों में चिपक गया। आज मुझे भी पहली बार बहुत आनन्द मिला था जो मुट्ठ मारने से लाख गुना बेहतर था।
मेरी और उसकी साँसें काफी तीव्र गति से चल रही थीं जिसे सामान्य होने में लगभग दस मिनट लगे।
फिर मैंने उसकी बंद आँखों में एक-एक करके चुम्मी ली और उसे प्यार करते हुए ‘आई लव यू’ बोला, जो माया को बहुत ही अच्छा लगा।
उसने मुझे फिर से अपनी बाँहों में जकड़ लिया और मुझ पर चुम्मों की बरसात करते हुए ‘आई लव यू.. आई लव यू.. आई लव यू.. बोलने लगी।
उसकी ख़ुशी का ठिकाना ही न रहा.. जैसे उसकी जन्मों की प्यास मैंने बुझा दी हो।
वो मुझसे चिपकते हुए कहने लगी- आज तक इतना मज़ा मुझे कभी नहीं आया.. जो कि मुझे सिर्फ और सिर्फ तुमसे ही मिला है.. मैंने अपने जीवन में सिर्फ दो ही के साथ सेक्स किया है.. एक मेरा पति और एक तुम..
तो मैंने उनसे बोला- अब इतना बोल ही चुकी हो तो रेटिंग भी दे दो।
उसने बोला- यार तेरा तो 10 में 10 है.. क्योंकि सम्भोग के दौरान पहली बार में दो बार झड़ी और उसके पहले 3 बार झड़ चुकी थी.. तुम में जरूर कोई जादू है और एक मेरा पति है जो सिर्फ ठुकाई से ही शुरू कर देता है.. मुझे अच्छा लग रहा है या नहीं.. इससे उसको कोई लेना-देना नहीं होता.. कभी-कभी तो मुझे कुछ भी नहीं हो पाता बल्कि मेरी चूत में जलन होने लगती है.. पर तेरे साथ तो आज सच में मज़ा आ गया.. अब वादा करो मुझे यूं ही हमेशा अपना बना कर रखोगे।
तो मैंने उनके माथे को चूमते हुए ‘हाँ’ बोल दिया..
फिर देखा तो हम लोग पिछले लगभग चार घंटों से एक-दूसरे को प्यार करने में लगे थे।
फिर मैं उठा और उसकी पैन्टी से अपने लण्ड को अच्छी तरह से पौंछ कर साफ़ किया।
फिर उसकी चूत की भी सफाई की.. जो कि हम दोनों के कामरस से सराबोर थी।
फिर मैं उठा और अपने कपड़ों को पहनने लगा तो आंटी मुझसे बहुत ही विनम्रता के साथ देखते हुए बोलीं- प्लीज़ आज यहीं रुक जाओ न..
सभी पाठकों को बहुत सारा धन्यवाद।
मेरी चुदाई की अभीप्सा की यह मदमस्त घटना आपको कैसी लग रही है। अपने विचारों को मुझे भेजने के लिए मुझे ईमेल कीजिएगा।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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