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मेरी पुरानी दोस्त दो साल बाद कनाडा से इंडिया आई तो मुझसे मिली. उसने कहीं घूमने के लिए कहा तो हम चार दोस्त मिलकर घूमने निकल गये. वहां पर क्या क्या हुआ?
लेखक की पिछली कहानी: तीन चूतों की गैंग बैंग चुदाई नमस्कार दोस्तो! मैं रवि आप सभी का एक बार फिर से अन्तर्वासना पर स्वागत करता हूँ. अन्तर्वासना की समूह टीम का धन्यवाद करता हूँ जो समय समय पर हमें आपके रूबरू करवाते हैं.
अन्तर्वासना एक सबसे बढ़िया मंच है आपके साथ अपने सेक्स के तजुर्बे साझा करने के लिये। मेरी कुछ ख़ास पाठिकाएं और पाठक जो मेरे साथ व्हाट्सएप पर जुड़े हुए हैं, उनका भी मैं धन्यवाद करता हूं।
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद कि आप लोग समय समय पर मुझे और अधिक कहानियाँ लिखने के लिए कहते हैं और मेरी कहानियाँ पढ़ कर अपनी चूतों और लौड़ों को शांत करते हैं या चुदाई करते हैं.
मेरी कहानियों के फैन कुछ ख़ास कपल और पाठिकाएं मेरे साथ व्हाट्सएप पर जुड़े हुए हैं और मुझे बता देते हैं कि उनको कहानी कैसी लगी. मैं हर एक पाठक की ईमेल का रिप्लाई जरूर देता हूँ.
उन सभी पाठकों का भी आभार है जो ईमेल पर मेरी कहानी के अच्छे या बुरे पक्ष को सामने लाते हैं और मैं उस हिसाब से कहानी को और सुधार कर लिखने की कोशिश करता हूँ.
मुझे आशा है कि बाकी कहानियों की तरह ये कहनी भी आपको बहुत पसंद आयेगी और आपके लंड या चूत का पानी निकालेगी. कहानी पढ़ने के बाद मुझे आप लोग जरूर बताना कि आपको ये कहानी कैसी लगी.
जो दोस्त मेरी कहानियाँ रेगुलर पढ़ते हैं, वो मेरी दोस्त गीत, नेहा और संजय के बारे में तो जानते ही होंगे. हम सभी आपस में खुले हुए हैं और मौका मिलने पर एक दूसरे के साथ सेक्स करते रहते हैं.
गीत के साथ सेक्स किये मुझे करीब दो साल हो चुके थे क्योंकि गीत कनाडा चली गयी थी और अब वो करीब दो साल के बाद वापस आई थी. जैसे ही मुझे गीत के आने की ख़बर मिली तो मैं गीत को उसके घर जाकर मिला और हमने बहुत सारी बातें कीं.
जिस वक्त मैं उसके घर गया तो उस वक्त उसके घर में गीत के और भी फैमिली मेंबर्स थे इसलिए हमारी बस इधर उधर की ही बातें हुई और वापस आते वक्त मैंने गीत को कह दिया कि किसी दिन हमारे घर आना.
वैसे तो गीत हर वक्त व्हाट्सएप पर मेरे साथ चैटिंग करती ही रहती थी और उसने आने से पहले मुझे खुद ही ये खबर दी थी कि वो कनाडा से इंडिया वापस आ रही है. एक महीना पहले ही उसने मुझे अपने आने के बारे में बता दिया था.
गीत से मिल कर आने के बाद फिर ऐसे ही दिन गुजर गये. कई दिन बात गीत का मैसेज मिला कि वो एक हफ्ते के लिए फ्री है. अगर कहीं बाहर घूमने का मन है तो यह बहुत अच्छा वक्त है. मैं भी इस अवसर को सही से भुनाना चाहता था.
मैंने भी तुरंत वीकेंड पर घूमने का प्लान फिक्स कर दिया. हमारे पास शुक्रवार से रविवार के तीन दिन थे. गीत मुझसे बोली कि मैं उसे अपने पुराने दोस्तों से भी मिलवा दूं. तो मैंने गीत को संजय और नेहा से मिलवाने को बोल दिया.
इधर जैसे ही मैंने संजय और नेहा को गीत के आने की ख़बर दी तो वो बहुत खुश हुए और उसे मिलने के लिए बोलने लगे. मैंने उन्हें बताया कि हम फ्राइडे को घू मने जाने वाले हैं. कहो तो आप भी साथ चलो. हम सभी एक साथ घूम भी लेंगे और मस्ती भी कर लेंगे. वो दोनों भी मान गये.
इस बार हमने जयपुर घूमने का प्लान बनाया. शुक्रवार की शाम मैंने गीत को साथ लिया और अपनी कार में रेलवे स्टेशन पर पहुँच गये. नेहा और संजय वहां पर पहले ही तय वक्त से पहुंच गये थे. संजय ने पहले से ही हम सभी लोगों की टिकटें बुक करवा ली थी.
हमने रात के 10 बजे ट्रेन पकड़ ली और हम सभी बहुत मस्ती और मस्त बातें करते जा रहे थे और गीत के साथ बिताये पल याद कर करके हम गीत को छेड़ रहे थे.
संजय गीत को छेड़ते हुए बोला- साली, तू कनाडा जाकर और सुन्दर हो गयी है, कहीं गोरों के लौड़े तो नहीं लेने लग गयी? गीत भी तुरंत हाज़िर जवाबी में बोली- हाँ, मैं तो रोज़ लेती हूँ, आप भी आ जाओ, आप भी ले लिया करो गोरों के लौड़े. आप भी सुन्दर हो जाओगे. इस बात पर हम सभी लोग ठहाका मार कर हंसने लगे.
मैंने भी तुरंत बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- गीत, यार संजय के पास तो लंड है, उसे तो चूत चाहिए है. ज्यादा से ज्यादा गांड भी मार लेगा. इसे गोरा नहीं इसे तो गोरी चाहिए है. यदि हो तो कोई गोरी की चूत दिलवा दे.
तभी नेहा बोली- उसके लिए हम दोनों ही काफी हैं, गोरी की जरूरत नहीं है. गीत ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा- हाँ सही कहा नेहा ने! तुम्हारे पास तो ज्यादा से ज्यादा एक-एक लंड है, हमारे पास उसको सम्भालने के लिए तीन-तीन छेद हैं, हम चाहें तो किसी भी एक छेद में ही पूरा खल्लास करवा दें, उसके बाद भी दो छेद बचते हैं… हा हा हा!
हम सभी उसकी इस बात से हंसने लगे और संजय बोला- तुम्हारे तीनों छेद हमारे लंड के बराबर नहीं हैं. लौड़े के बिना तुम्हारे सभी छेद बेकार हैं. फिर नेहा बोली- फिर तो तुम्हारा लौड़ा भी हमारे छेदों के बिना बेकार है.
ऐसे हम आपस में बातें करते हुए सफर का मजा लेते हुए जा रहे थे.
तभी टी.टी. आ गया और हमारी बातें वहीं पर रुक गयीं. कुछ देर के बाद वो चला गया और फिर उसके जाने के बाद खाने वाला आ गया. डिनर का टाइम हो रहा था.
डिनर करने के बाद हम सब लोग सो गये. रात नींद में गुजर गयी और सुबह पांच बजे हमारी ट्रेन जयपुर पहुंच चुकी थी. हम जयपुर स्टेशन पर उतरे और सबसे पहले स्टेशन के पास ही एक होटल में दो रूम लिए.
उसके बाद हम सभी थोड़ा नहा धोकर फ्रेश हुए. टाइम देखा तब तक सुबह के 6:30 हो चुके थे. नींद तो आ नहीं रही थी और नाश्ता सुबह 8 बजे मिलना था. तब तक हमने अपने लिये चाय मंगवा ली और एक ही रूम में आकर बैठ गये.
गीत ने जीन्स के साथ येलो कलर का टॉप पहना था और नेहा ने पिंक पजामे के साथ पजामे से मैचिंग करता पिंक और काला कुर्ता पहना हुआ था. इधर मैंने ब्राउन पैंट के साथ व्हाइट शर्ट और संजय ने जीन्स के साथ टी शर्ट पहनी हुई थी.
हम सभी बेड पर बैठे थे और बातें करने लगे.
संजय बोला- अब बता गीत, रात को तो तू ट्रेन में बहुत नखरे कर रही थी. नेहा कहने लगी- अरे अब नहीं नखरे करेगी तो फिर कब करेगी? आजकल वो कनाडा में रहती है. नखरा तो थोड़ा बहुत बनता ही है.
मैंने भी नेहा की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा- सही कहा नेहा ने, आजकल वो गोरों में रहती है, तो हमें नखरे तो दिखायेगी ही न! गीत बोली- अरे यार मैंने तुम लोगों को बहुत मिस किया है. व्हाट्सएप वाली बातें भूल गये क्या, कितना मिस करती थी मैं तुम सबको.
उसकी बात की हामी भरते हुए मैं बोला- हां, ये बात तो बिल्कुल सही है, तुम मिस करती थी तभी तो हम लोगों के साथ घूमने आ गयी. फिर मैंने नेहा से कहा- नेहा, तू साली पाजामा ही पहन कर बैठ गयी? जीन्स या कोई और ड्रेस पहन लेती?
वो हँसते हुए बोली- कुछ भी पहन लो, क्या फर्क पड़ता है. वैसे भी आधे घंटे के अंदर तुम लोगों ने पहना हुआ सब कुछ उतार ही देना है. उसकी बात पर सबकी हँसी छूट गयी.
गीत बोली- हां, बात तो सही बोल रही है. तुम लोगों का कुछ भरोसा नहीं है कि कब उतार दो. हम लोग तो खामख्वाह ही ड्रेसिंग में टाइम वेस्ट करें और तुम्हें जरा वक्त भी नहीं लगता हमारी तैयारी खराब करने में।
संजय उसकी बात को काटता हुआ तुरंत बोला- तुम एक बार बोलो तो सही, हम हाथ भी नहीं लगायेंगे, घुमो फिरो और बस चलो घर को। मैंने भी संजय की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा- हाँ बिल्कुल, हमें क्या जरूरत है तुम्हारे कपड़े उतारने की, सालियो … अगर खुद उतरवाती हो तो भी बोलती हो कि हम उतारते हैं. हम कोई ऐसे वैसे लौंडे तो हैं नहीं।
तभी गीत बोली- ओह यार … आप तो माइंड ही कर गये, सॉरी। हमने तो मज़ाक में कहा था। नेहा भी बोली- आप नहीं उतारोगे तो हम खुद उतार कर आपके सामने आ जाएँगी। क्यों, है न गीत? सही रहेगा न?
गीत बोली- हाँ हाँ, तुम मत उतारना हमारे कपड़े, हम खुद ही अपने कपड़े उतार कर तुम्हारे सामने आ जाएँगी. डार्लिंग नाराज़ क्यों होते हो इतना? मैंने कहा- नाराज़ कौन हो रहा है साली! चलो आज फिर खुद ही उतार कर आ जाओ हमारे सामने, हम भी देखें खुद कपड़े उतार कर कैसे सामने आती हैं हमारी जानेमन!
तभी डोर बेल बजी और चाय आ गयी. संजय ने डोर खोला और चाय पकड़ कर वेटर को वापस भेज दिया. उसके जाने के बाद अब हमें डिस्टर्ब करने वाला कोई नहीं था.
हम सभी अपनी अपनी चाय पीने लगे और ऐसे ही बातें भी करते जा रहे थे. संजय भी चाय की चुस्की लेता हुआ बोला- रवि की बात बिल्कुल सही है. आज खुद ही उतार कर दिखाओ. हमें भी तो पता चले कि खुद कपड़े उतार कर हमारे सामने आने की कितनी हिम्मत है तुम्हारे अंदर सालियो!
तभी नेहा बोली- हिम्मत तो हमारे पास बहुत है. वो अलग बात है कि हम अपनी हिम्मत शोऑफ नहीं करते. मैं तुरंत बोला- तो शोऑफ करो न, बेबी आज का ज़माना शोऑफ करने का है!
गीत बोली- चाय पी लो, फिर देखते हैं. संजय ने चाय पीते हुए कहा- क्या दिखाओगे? नेहा तुरंत बोली- दिखाएँगे नहीं, देखेंगे! मैंने कहा- ओह्ह अच्छा, क्या देखना है?
सभी हंस दिए. हम सभी ऐसे ही बातें करते हुए चाय पी चुके थे और गीत वाशरूम चली गयी.
इधर मैं और संजय बातें करने लगे. मैंने संजय से पूछा- कहाँ से शुरू करें आज? संजय बोला- दोनों को उठा लो गोद में!
फिर संजय ने नेहा को अपने ऊपर के कपड़े उतारने को बोल दिया और नेहा अपने ऊपर के कपड़े उतारने लगी. इधर संजय और मैंने भी अपने ऊपर के कपड़े उतार दिए ताकि कपड़ों की शाइनिंग खराब न हो जाए क्योंकि हम घर से एक्स्ट्रा कपड़े 1-1 ही लेकर आये थे.
जैसे ही गीत वाशरूम से वापस आई तो हम तीनों को अंदरूनी कपड़ों में देखकर बोली- ओह्ह बड़ी ज़ल्दी शुरू भी हो गये! मेरा इंतज़ार तो कर लेते?
उसकी इस बात का जवाब इस बार नेहा ने दिया- साली, तेरा इंतज़ार करते तो दो साल हो गये! नेहा की इस बात पर हम सभी हंस दिए. हमें देखते हुए गीत भी अपना टॉप उतारने लगी और देखते ही देखते उसने अपने ऊपर के कपड़े उतार कर साइड पर पड़ी चेयर पर रख दिए.
गीत ने रेड कलर की ब्रा और पैंटी पहनी थी और नेहा ने ब्लैक ब्रा के साथ ब्लैक एंड वाइट पैंटी पहनी थी. दोनों अधनंगी लड़कियां पूरी कयामत लग रही थीं. इधर मैंने और संजय ने भी अंडरवियर और बनियान पहनी थी.
अभी तक गीत बेड के पास खड़ी थी जबकि हम तीनों बेड के ऊपर बैठे थे. मैंने गीत का हाथ पकड़ा और उसे बेड पर खींचते हुए बोला- डार्लिंग अब आ जा ऊपर तू भी.
मेरे कहने पर गीत भी बेड पर हमारे पास आ गयी. मैंने गीत के होंठों पर एक किस की और गीत ने दूसरी किस संजय के होंठों पर कर दी. फिर मैंने नेहा को एक लिप किस की और जैसे ही गीत ने संजय के होंठों से होंठ हटाये तो संजय ने नेहा को एक लिप किस की.
इस तरह से हम थोड़ा सा गर्म होने लगे थे. तभी मैंने गीत को अपने पास खींचा और उसकी ब्रा की डोरी खोल दी. फिर संजय ने भी देर न करते हुए नेहा की ब्रा खोल दी. अब दोनों लड़कियों के मम्में नंगे हो चुके थे.
नेहा के मम्में गीत के मम्मों से थोड़ा बड़े हैं और मैंने गीत की एक चूची को अपने होंठों में ले लिया और उसे चूसता हुआ उसके ऊपर अपनी जीभ घुमाने लगा. मैं गीत की दूसरी चूची को अपने हाथ में लेकर दबाने लगा.
हमारे बिल्कुल साथ ही नेहा की चूचियों को संजय अपने होंठों और जीभ से चूसने लगा जिससे नेहा भी मस्त होने लगी. मैंने गीत के मम्मों से अपना हाथ उठाया और गीत की दूसरी चूची चूसने लगा और अपना हाथ नेहा के एक मम्में पर रख दिया और उसे सहलाने लगा.
मुझे ऐसा करते देख संजय ने नेहा की चूची चूसते हुए गीत की पैंटी में अपना एक हाथ डाल दिया जिससे गीत थोड़ा मचलने लगी. हम सभी हॉट होने लगे थे और मैंने गीत के मम्मों को छोड़ा और संजय से मम्में चुसवा रही नेहा को पकड़ लिया.
फिर संजय ने भी गीत को अपने पास कर लिया. हम बिल्कुल पास पास थे और सभी एक दूसरे को अच्छे से देख सकते थे. मैंने नेहा की पैंटी में हाथ डाला और उसकी पैंटी को थोड़ा नीचे कर दिया जिससे उसकी चूत दिखने लगी.
नेहा ने भी मेरा साथ देते हुए अपनी दोनों टाँगें उठा दीं जिससे मैंने उसकी पैंटी को उसकी टांगों से बाहर कर दिया. हमारे सामने ही संजय ने भी गीत को चूतड़ उठाने का इशारा किया और गीत ने जैसे ही अपने चूतड़ उठाये तो संजय ने उसकी पैंटी भी उसके जिस्म से अलग कर दी.
अब दोनों लड़कियां हलफ नंगी हो चुकी थीं. अब हमने गीत और नेहा को बिल्कुल पास पास कर दिया. वो दोनों की दोनों इतनी पास आ गयीं थी कि गीत और नेहा के चूतड़ आपस में टकराने लगे.
नेहा का मुंह मेरी तरफ था और गीत का मुंह संजय की तरफ था. मैं नेहा के होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा और साथ ही उसके मम्मों को अपनी छाती के नीचे दबा कर उसे मज़ा भी देने लगा.
उधर संजय अब गीत के मम्मों को ही चूस रहा था. संजय की उंगलियाँ गीत की चूत के अंदर बाहर हो रही थीं और गीत मज़े से तडप रही थी. ऐसा कामुक नजारा देख कर मैंने भी नेहा की नंगी गांड को अपने हाथों में भर कर जोर जोर से भींचना शुरू कर दिया. माहौल धीरे धीरे बहुत गर्म होता जा रहा था.
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. इस गर्म सेक्स कहानी में आपको मजा आ रहा होगा? कहानी को अपना प्यार देना कतई न भूलें. यदि कहानी में कोई कमी खल रही हो तो वो भी बतायें. मुझे आप सब प्यारे पाठकों की प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा. [email protected]
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