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इतने में माया आई और मुझे फिर से अपने बच्चों के सामने ही चुम्बन करके बोली- मैं अपने बच्चों से बस प्यार ही मांगती हूँ और कुछ भी नहीं।
इस पर हम चारों ने एक-दूसरे को गले से लगा लिया और बर्थडे-गर्ल को चुम्बन किया।
फिर माया ने केक काटा और हम सबको खिलाया।
अब मेरे दिमाग में एक खुराफात सूझी कि क्यों न इस पार्टी को और मदमस्त बनाया जाए, अब मैं तो विनोद के परिवार से काफी घुल-मिल चुका था, तो मुझे भी कुछ करने में संकोच नहीं हो रहा था।
फिर मैं अपनी इच्छा को प्रकट करते हुए माया से बोला- आंटी जी.. क्यों न इस पल को और हसीन बनाया जाए..!
तो इस पर उन्होंने मुस्करा कर हामी भरी।
फिर क्या था… मैं झट से उठा और सामने टेबल पर रखे केक से क्रीम उठा कर आंटी जी के चेहरे पर मल दी और मेरे ऐसा करते ही विनोद और रूचि ने भी ऐसा ही किया।
फिर माया आंटी ने भी सबको केक लगाया और हम सब खूब हँसे..
फिर विनोद और रूचि के साथ मैं वाशरूम गया और हमने अपने चेहरों की क्रीम साफ़ की।
पहले विनोद ने साफ की और बाहर कमरे में चला गया..
फिर रूचि ने की और मैं वाशरूम के अन्दर उसके बगल में ही खड़ा उसे देख रहा था। लेकिन चेहरे को साफ़ करते वक़्त उसकी आँखें बंद थीं और उसकी 32 नाप की चूचियाँ पानी टपकने से भीग गई थीं.. जिसके कारण मुझे उसकी गुलाबी ब्रा साफ़ नज़र आ रही थी।
मैं उसके उरोज़ों की सुंदरता में इतना खो गया कि मुझे होश ही नहीं था कि घर में सब लोग हैं और अगर मुझे रूचि ने इस तरह देख कर चिल्ला दिया तो गड़बड़ हो जाएगी।
लेकिन यह क्या… अगले ही पल का नजारा इसके विपरीत हुआ.. उसने जैसे ही मेरी ओऱ देखा तो वो समझ गई कि मैं उसकी चूचियों को निहार रहा हूँ… तो मैं थोड़ा घबरा गया कि पता नहीं अब क्या होगा?
पर उसने मुझसे कहा- भैया.. अब आप देख चुके हो.. तो थोड़ा एक तरफ आ जाओ.. ताकि मैं निकल सकूँ।
मैं थोड़ा बगल में होकर उसे देखने लगा जब वो कमरे की ओऱ जाने लगी तो पीछे मुड़कर उसने मुझे देखा और मुस्कुराते हुए आँख मार दी।
तो मुझे लगा बेटा राहुल लगता है.. तेरी इच्छा जल्द ही पूरी होगी..
उसकी इस हरकत से मेरा लण्ड जींस के अन्दर अकड़ सा गया था।
फिर उसे मैंने सम्हाल कर अपना मुँह धोया और कमरे में जाकर बैठ गया।
कमरे में अब सिर्फ मैं और विनोद थे.. ऑन्टी और रूचि खाना डाइनिंग-टेबल पर लगा रही थीं, जो कि उनके दूसरे कमरे में था।
आज मैं बहुत ही खुश था और महसूस कर रहा था कि जल्द ही माया या रूचि को चोदने की इच्छा पूरी होगी।
मैं और विनोद आपस में बात कर रहे थे.. तभी ऑन्टी आईं और बोलीं- खाना लग गया है.. जल्दी से चलकर खा लो.. मुझे तो बहुत जोरों की भूख लगी है।
तभी मैंने देखा कि आंटी जी के चेहरे और गले में अभी भी केक लगा है। शायद वो भूल गई होंगी.. लेकिन ये मेरी भूल थी क्योंकि उन्होंने ऐसा जानबूझ कर किया था.. ये मुझे बाद में पता चला।
खैर.. मैंने अपनी इच्छा प्रकट करते हुए माया से बोला- आंटी जी.. आपने तो अभी अपना चेहरा साफ़ ही नहीं किया।
तो वो बोलीं- अरे मैं तो काम के चक्कर में भूख तो भूल ही गई थी.. चलो बढ़िया ही है.. अब तूने ही ये गेम शुरू किया था तो ख़त्म भी तू ही कर…
मैंने आश्चर्य भरी निगाहों से देखते हुए उनसे पूछा- मैं क्या कर सकता हूँ?
तो वो बोलीं- तूने ही पहले क्रीम लगाई थी.. तो साफ़ भी तू ही करेगा।
तब मैंने विनोद की प्रतिक्रिया जानने के लिए उसकी ओर देखा तो वो बोला- उठ न.. माँ का कहना मान.. वो भी तो तेरी माँ समान हैं।
तो मैंने मन में बोला- ये माँ.. नहीं माल समान है। फिर आंटी ने बोला- अब सोचता ही रहेगा या साफ़ भी करेगा..
मैंने भी बोला- जैसी आपकी इच्छा..
मुझे तो बस इसी मौके की तलाश थी जिसकी वजह से आज मुझे उनके गालों को रगड़ने का मौका मिल रहा था।
फिर मैं और आंटी वाशरूम की ओर चल दिए चलते-चलते आंटी विनोद से बोलीं- जा अपनी बहन की मदद कर दे..
वो ‘हाँ.. माँ’ कह कर दूसरे कमरे में जहाँ खाने का प्रोग्राम था.. वहाँ चला गया।
आंटी और मैं जैसे ही वाशरूम पहुँचे.. वैसे आंटी ने मुझसे बोला- बेटा दरवाजे बंद कर ले..
मैंने पूछा- क्यों?
तो बोली- कुछ नहीं.. बस यूँ ही..
मैंने भी दरवाजे को बंद कर लिया, फिर आंटी ने साड़ी जैसे ही उतारनी चालू की, मैंने पूछा- ये आप क्यों कर रही हैं?
तो उन्होंने बोला- ये भीग कर ख़राब हो जाएगी..
फिर उन्होंने साड़ी उतार कर एक तरफ हैंगर पर टांग दी और बोली- जल्दी काम पर लग जा..
वो बोली तो ऐसे थी.. जैसे कह रही हो.. जल्दी से मुझे चोद दे…
फिर मैं उनके पास जैसे-जैसे बढ़ता गया वैसे-वैसे मेरी साँसें भी बढ़ती जा रही थीं। क्योंकि आज पहली बार मैंने किसी को इस अवस्था में देखा था और मेरा लौड़ा भी जींस के अन्दर टेंट बनाने लगा था। वो भी क्या लग रही थी..
मैं तो बस देखता ही रह गया, फिर मैं उनसे बोला- आप मेरे आगे आ जाएं.. ताकि मैं अच्छे से आप का चेहरा साफ़ कर सकूँ और आप भी खुद को सामने आईने में देख कर संतुष्ट हो सकें।
मेरा इतना कहना ही हुआ था कि वो मुस्कुराते हुए मेरे सामने आ कर खड़ी हो गई.. फिर मुझसे बोली- तू मसाज कर लेता है?
तो मैंने बोला- हाँ..
बोली- पहले थोड़ा क्रीम की मसाज कर दे फिर धो देना..
मैंने बोला- जैसी आपकी इच्छा.. आप आँख बंद कर लो.. नहीं तो केक की क्रीम लग सकती है।
वो बोली- ठीक है..
फिर मैंने पीछे से उनको हल्के हाथों से मसाज देना चालू किया..
तभी मेरी नज़र उनके उठे हुए चूचों पर पड़ी जो कि अभी भी कसाव लिए खूब मस्त लग रहे थे।
मेरा तो मन कर रहा था, अभी इनको निकाल कर इनका रस चूस लूँ.. पर मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाह रहा था और मेरे हल्के हाथों के स्पर्श से शायद आंटी भी मदहोश हो गई थीं।
उनकी छाती से साफ़ पता चल रहा था क्योंकि उनकी साँसे धीरे-धीरे तेज़ हो चली थीं।
तभी मैंने उनको छेड़ते हुए बोला- आंटी लगता है… आप काफी मजा ले रही हो..
तो वो बोली- हाँ.. तुम्हारे हाथों में तो गजब का जादू है.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.. मन करता है इन्हें चूम लूँ।
तो मैंने बोला- आप को रोका किसने है..
फिर उन्होंने मेरे हाथों पर एक चुम्बन कर लिया।
मैंने बोला- अब मुझे भी फ़ीस चाहिए।
तो बोली- कैसी फ़ीस?
मैंने बोला- आपको मसाज देने की..
वो बोली- वो क्या है?
मैंने भी झट से बोल दिया- आपके गुलाबी गालों पर एक चुम्बन..
बस फिर उन्होंने मेरी ओर गाल करते हुए बोला- इसमें कौन सी बड़ी बात है.. ले कर ले.. चुम्बन..
मैं उन्हें चुम्बन करके झूम उठा, फिर उन्होंने बोला- चल अब मुँह धो दे।
तो मैंने उनकी छाती की ओर इशारा करते हुए बोला- अभी यहाँ आप सफाई कर लेंगी या मैं ही कर दूँ?
मेरी चुदाई की अभीप्सा की ये मदमस्त घटना आपको कैसी लग रही है।
अपने विचारों को मुझे भेजने के लिए मुझे ईमेल कीजिएगा।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]m
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