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मेरा नाम रोहन है, मैं भोपाल से हूँ। ये घटना उन दिनों की है जब मैं स्कूल में 11वीं में पढ़ता था। मेरा दाखिला कुछ दिनों पहले ही हुआ था, सब कुछ ठीक चल रहा था। स्कूल में लड़कियाँ छोटी-छोटी स्कर्ट्स पहन कर आती थीं। लड़कियाँ सेक्सी दिखने की कोशिश तो बहुत करतीं, लेकिन अभी उनकी जवानी नहीं खिली थी।
एक दिन स्कूल की प्रार्थना-सभा में पता चला कि एक नई टीचर ने स्कूल आना शुरू किया है और वो 11वीं कक्षा को बायलोजी पढ़ाएंगी। प्रार्थना-सभा खत्म होने के बाद हम क्लास में गए और तब अगला पीरियड बायलोजी का ही था।
वो नई टीचर क्लास में आईं, मैंने जब उसे गौर से देखा तो मैं देखता ही रह गया… वो बहुत ही शानदार माल थी। वो एक औरत कम और लौंडिया ज़्यादा लग रही थी, उसकी उम्र करीब 32 की होगी, फिगर 36-28-36 का होगा, उसने सफेद रंग का पारदर्शी बिना आस्तीन का सूट पहना था। उसका सूट इतना अधिक पारदर्शी था कि मैं उसकी ब्रा, पैन्टी और उसका नाभि बड़े आराम से देख सकता था।
उसके बड़े-बड़े मम्मे और उसके गोल-गोल चूतड़ देख कर तो मैं बस पागल ही हुआ जा रहा था।
टीचर क्लास में आईं और सबने टीचर को खड़े होकर नमस्ते की।
टीचर ने अपना परिचय देना शुरू किया- हैलो स्टूडेंट्स मेरा नाम रूचि है और आज से मैं आपको बायलोजी पढ़ाऊँगी लेकिन उससे पहले मैं आप सबके के बारे में आपका नाम और कुछ जो आप मेरे बारे में जानना चाहते हैं, पूछ सकते हैं।
क्लास के सभी स्टूडेंट्स अपना नाम बता रहे थे और कुछ-कुछ सवाल भी पूछ रहे थे। तब मैं मैम को निहार रहा था, मैम का सलवार इतना पारदर्शी था कि मैं सलवार के अन्दर का सब कुछ देख सकता था और उनका पैन्टी, ब्रा देख कर क्लास में ही मेरा लंड खड़ा हो गया था।
उसने सफेद रंग की पैन्टी और ब्रा पहन रखी थी। मगर इतने में मैम मेरी तरफ़ देख कर बोल पड़ी।
मैम- और तुम?
मैं खड़ा हो गया और मेरा तना हुआ लंड भी पैन्ट के अन्दर से ही अंगडाई ले रहा था। मैम ने एक बार मेरी ज़िप की तरफ देखा और हल्का सा मुस्कुरा दीं, पर इसके साथ ही वो गंभीर हो गईं।
मैं- मेरा नाम रोहन है।
मैम- ओके.. और कुछ पूछना चाहते हो?
मैं पूछना चाहता था- मैम आपका साइज़ क्या है और आप कौन सा पर्फ्यूम लगाती हैं? आपकी पैन्टी किस कंपनी की है? आपका पति आपको कैसे चोदता है? क्या आप पति से संतुष्ट हैं? क्या आप मुझसे अपना चूत चुसवाओगी? क्या आप अपने मम्मे मुझे चूसने दोगी? क्या आप मेरा लौड़ा चूसोगी?
मगर मैंने पूछा- आप अपने खाली वक्त में क्या करती हो?
मैम- मैं अपने खाली वक्त में नॉवेल पढ़ लेती हूँ.. कोई डिश बना लेती हूँ या फिर कभी-कभी चैटिंग कर लेती हूँ.. और कुछ?
मैं- बस..
मैंने जैसे-तैसे बात खत्म की और बैठ गया और सोचने लगा कि मैम क्या सोच रही होगी।
सबके इंट्रो के बाद मैम ने पढ़ाना शुरू किया और मैम ने बोर्ड में लिखना शुरू किया।
मैम की पीठ क्लास की तरफ थी और तब मेरा लंड फिर से खड़ा होना शुरू हो गया, उनकी कुरती पीछे से लगभग नंगी थी।
मैम की गोरी पीठ देख कर मुझे मन कर रहा था कि उसे चाट लूँ। क्लास के सभी लड़के उन्हें देख कर हंस रहे थे, मैं परेशान हो रहा था।
तब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना लंड की पैन्ट के ऊपर से मूठ मारना शुरू कर दी।
मैम की गाण्ड और जाँघें देख-देख कर मैं मूठ मारता रहा और फिर मेरा पानी पैन्ट के अन्दर ही निकल गया।
मैं उठ कर टॉयलेट की तरफ भागा, साफ़ करते समय मेरा दिमाग़ यह सोच रहा था कि मैम ने मेरा खड़ा लंड देखा था या नहीं…
उस दिन के बाद से मैम मुझ से कुछ ज़्यादा ही बात करने लगी थी, वो क्लास में मेरी ही बेंच पर बैठ कर पढ़ातीं और हर दिन की तरह मैम के कपड़े पारदर्शी किस्म के होते, जिसे देखकर बार-बार मेरा लंड क्लास में ही खड़ा हो जाता था क्योंकि मैम मेरी ही बेंच पर बैठ कर पढ़ाती थीं।
शायद उन्हें पता चल गया था कि मेरा लंड हर बार उसे देख कर पैन्ट के अन्दर ही खड़ा हो जाता है और मैं कुछ-कुछ अपने लंड के साथ करता हूँ।
मुझे कई बार मैम को छूने के मौके मिलते, उसका बदन बहुत ही कोमल था। एक बार मैम ने अपनी जाँघों पर कापियां रखी थीं और मैम ने मुझसे कहा- कापियां उठाने में मेरी मदद करो।
तब मैंने जब कॉपियों और जांघों के बीच में अपनी ऊँगलियाँ डालीं, तो मैम के मुँह से सिसकी सी निकल पड़ी, मेरा लंड फिर खड़ा हो गया था।
‘आआहह आअरामम्म से उठा इतनी जल्दी क्या है..’
जब मैंने मैम की जाँघों को छुआ था.. मैम को जैसे अच्छा लगा था, उसने बहुत प्यार भरे नजरों से मुझे देखा।
फिर 4-5 दिनों में मैम से अच्छी बात शुरू हो गई। मैम अब बहुत खुल गई थीं। वो मुझसे एक दोस्त की तरह बात करती थीं।
एक दिन क्लास में कोई नहीं था क्योंकि गेम्स का पीरियड था और सारे स्टूडेंट्स बाहर ग्राउंड पर थे, तब मैम क्लास में अकेली थीं।
मैं क्लास में आ गया और मैम के साथ बैठ गया।
मैम- तुम गए नहीं.. गेम्स का पीरियड है।
मैं- नहीं मैम.. अगर मैं चला जाता तो आपको कंपनी कौन देता?
मैम- तो फिर मेरी मदद करो।
मैं- बोलो मैम।
मैम- मेरी कुर्ते के पीछे वाली ज़िप ज़रा अटक गई है.. उसे खोल कर दोबारा बंद कर दो।
मैं- ओके.. अभी कर देता हूँ।
मैं मैम के पीछे खड़ा हो गया और ज़िप को खोलने लगा, लेकिन ज़िप खुल नहीं रही थी, तो मैम ने कहा।
मैम- मुँह से खोलने की कोशिश कर।
तब मैंने अपने दांतों से कुर्ते की ज़िप को दबाया और खोलने की कोशिश करने लगा, इस दोरान मेरे होंठ मैम की पीठ पर लग रहे थे और मैम कुछ अजीब तरीके से ढीली पड़ती जा रही थीं।
मेरी जीभ अब मैम की पीठ को लगभग चाटने लगी थी और मेरा लंड अब खड़ा होने लगा था। मैम की साँसें तेज हो गईं और उसका बदन कसमसा रहा था, मेरा लंड मैम की गाण्ड को टच कर रहा था।
वो कामुक होती जा रही थी, उसकी आँखें बंद होने लगी थीं कि मैम अचानक से बोल पड़ी।
मैम- बस रहने दो मैं खुद ही कर लूँगी।
मैं- मैम मैं कर देता हूँ।
मैं इतना सुनहरा अवसर गँवाना नहीं चाहता था।
मैम- कोई बात नहीं मैं खुद ही कर लूँगी।
मैं- ओके, मैम एक बात बोलूँ बुरा तो नहीं मानोगी?
मैम- नहीं मानूँगी।
मैं- आपकी स्किन बहुत मुलायम है।
मैम- चल बदमाश कहीं का..
मैं- अच्छा मैम आप चैटिंग भी करती हो?
मैम- हाँ.. मैं- आप अपना आईडी बताना, मैं भी चैटिंग करता हूँ।
मैम- ओके.. लेकिन मैं बहुत कम चैटिंग करती हूँ।
मैं- कोई बात नहीं मैम।
मैम- ओके लिख लो आईडी है रूचि@***.कॉम, तुम मुझे अपना आईडी भी दे दो।
मैं- मैम आप भी लिख लो.. वो है [email protected]… थैंक्स मैम।
आपके प्यारे कमेंट्स के लिए मुझे ईमेल करें।
यह मदमस्त कहानी जारी है।
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