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मैं- मैं तुझे रोज़ चोदूँगा। मैम- जब तेरा मन करे.. तब चोद लेना.. आख़िर मैं तेरी मम्मी हूँ ना… बस कर बेटा आज के लिए बस इतना ही.. अब कल चुदाई करेंगे…
मैं- ओके मम्मी… अब मैं तुम्हें कल चोदूँगा। मैम- ओके बेटा। मैं- बाय मम्मी। मैम- बाय बेटा।
मैंने सोचा कि मैम अगर ऐसे हरकतें कर सकती है, तो वो जरूर आसानी से मान जाएगी, पर कुछ योजना बनानी होगी।
अगले दिन स्कूल में मैं मैम का इन्तजार कर रहा था, मैम आईं और वो खुश लग रही थीं, उनके चेहरे पर थोड़ा ग्लो आ गया था।
शायद काफ़ी वक्त बाद वो झड़ी थीं। फिर उन्होंने पढ़ाना शुरू किया, वे बोर्ड में कुछ लिख रही थीं।
मैं एकटक देख रहा था.. मैम की गाण्ड क्या लग रही थी।
आज उसने हल्के गुलाबी रंग का पारदर्शी बिना आस्तीन का सूट पहना हुआ था और आज भी उसके खड़े हुए मम्मे क्या मस्त लग रहे थे। उसका गहरे गले का कुर्ता, उसके आधे मम्मे दिखा रहा था। उसकी पजामी से उसकी पैन्टी की डिज़ाइन साफ़ साफ़ दिख रही थी।
मेरा मन तो कर रहा था कि अभी नाड़ा खीच कर नंगा करके साली को रगड़ दूँ।
मैं पूरी क्लास के समय यही सोचता रहा कि इसके साथ चुदाई में कितना मजा आएगा और यह मुझे रोहन बेटा.. रोहन बेटा कहेगी। यह दर्द में तड़फती हुई कैसी लगती होगी। इतने में जब मैं इसे चोद कर रूलाऊँगा तो कैसे यह मुझे रोकेगी।
खैर क्लास खत्म हो चुकी थी, मैम क्लास से बाहर जा रही थीं, तब मैं मैम के पास गया।
मैं- मैम.. आपसे कुछ बात करनी है। मैम- बोलो। मैं- थोड़ी लम्बी बात है.. आपको स्कूल ख़त्म होने के बाद मिलूँ? मैम- ओके!
मैंने पूरे दिन स्कूल ख़त्म होने का इन्तजार किया और प्लान के मुताबिक मैम स्कूल खत्म होने के बाद क्लास में आ गईं।
अब क्लास में सिर्फ़ हम दोनों ही थे।
मैं- मैम मुझे बायोलोजी में कुछ दिक्कत है तो अगर आप बुरा ना माने तो मैं आपके घर आ सकता हूँ.. मैं आपसे ट्यूशन के लिए आना चाहता हूँ?
मैम- अरे बिल्कुल.. वैसे भी मैं घर पर बिल्कुल अकेली रहती हूँ.. मेरे पति दिल्ली से बाहर ही रहते हैं.. तुम आ जाओगे तो थोड़ा वक्त भी कट जाएगा।
मैं- ठीक है.. तो फिर मैम आप मुझे हर विषय में थोड़ा-थोड़ा हेल्प कर देना.. और मैं आपके पास ज़्यादा देर तक रह सकूँगा। ऐसे आप भी बोर नहीं रहोगे और मैं पढ़ाई भी कर पाऊँगा।
मैम- ओके तुम शाम को 5 बजे घर आ जाना।
मैं- ओके।
मैं शाम को मैम के घर पहुँचा और दरवाजे पर दस्तक दी।
फिर उन्होंने दरवाजा खोला और मैं देखता ही रह गया।
मैम ने लाल रंग की साड़ी पहन रखी थी और हमेशा की तरफ बिना आस्तीन वाला ब्लाउज था, जो आगे से खुलता था।
मैं- हाय मैम।
मैम- हाय.. अन्दर आ जाओ।
मैम ने मुझे सोफे पर बिठा दिया और खुद मेरे सामने बैठ गईं।
मैम- क्या लोगे.. ठंडा या गरम? मैं- कुछ ठंडा ले आओ मैम।
मैम कोल्ड-ड्रिंक लेकर आईं और देने लगीं.. मैम जैसे ही झुकीं उनका पल्लू नीचे गिर गया और उसकी ब्रा की पट्टी बाहर को निकली हुई दिख रही थी।
मैं मैम के मम्मे देखने लगा, उसके मम्मों का साइज़ 36 से कम नहीं था।
मैम ने अपना पल्लू सही किया और मेरे पास बैठ गईं।
मैं- मैम आपकी ब्रा की स्ट्रेप निकल रही है।
मैम- बदमाश.. क्या-क्या देखता रहता है।
मैं- एक औरत में ये सब नहीं देखूँगा तो क्या देखूँगा?
मैम- तो क्या लगता है.. कैसे हैं? मैं- मैम सच बोलूँ.. बहुत बड़े और सेक्सी हैं।
लगता है रूचि मैम अब मुझ में रूचि दिखा रही हैं, इन्हें पटा ही लूँगा और आज तो इन्हें चोद कर ही रहूँगा।
मैम- चल पागल कहीं का..
मैं- बस मुझे यह नहीं पता कि आपके ये मुलायम हैं या नहीं..?
मैम- मुलायम भी हैं.. अब यह मत कहना कि छू कर देख लूँ! मैं- आपने तो मेरे मुँह की बात ही छीन ली…
मैम- अरे.. मैं तो मज़ाक कर रही थी और तू सीरियस ही हो गया?
मैं- मैम प्लीज़ एक बार सिर्फ़ एक बार प्लीज़…
मैम- मैं तुझे ऐसा करते नहीं देख सकती। मैं- तो आप आँखें बंद कर लीजिए न.. प्लीज़.. मैम प्लीज़्ज… मैम- ओके.. ओके.. सिर्फ़ एक बार…
फिर मैम ने अपना पल्लू हटाया और आँखें बंद कर लीं।
मैम- जल्दी करियो…
मैंने अपना हाथ मैम के मम्मों की तरफ बढ़ाया और उनके मम्मों को दबाने लगा।
वो बहुत ही मुलायम थे और इतने बड़े थे कि मेरे हाथ में भी नहीं आ रहे थे।
मेरा मन बहुत उत्तेजित होने लगा और लंड फिर कड़ा होने लगा।
मैम भी अब सिसकियाँ ले रही थीं- आहह.हहाआ…
मैम को मजा आ रहा था और इतने में मैंने मैम के चूचुकों को ब्लाउज के ऊपर से दबा दिया।
वो ज़ोर से चीख पड़ी- ओए साले हरामी… छोड़ मुझे…
मैं- सॉरी अगर आपको दर्द हुआ तो…
मैम- अब बस.. अपनी किताबें खोल और पढ़ना शुरू कर। आज क्या पढ़ना है?
मैं- आज पहला दिन है मैम… आज कुछ नहीं करूँगा.. मैं आपका घर देखना चाहता हूँ।
मैम- पहले तुम ये मैम.. मैम.. बंद करो तुम मेरे घर पर हो.. किसी स्कूल में नहीं हो.. तुम मुझे नाम से बुला सकते हो रोहन बेटा…
मैं- ठीक है.. अगर आप मुझे रोहन बेटा बोल रही हैं तो मैं आपको मम्मी बोल सकता हूँ?
मैम- मुझे मम्मी बोलना चाहता है?
मैं- आप भी तो रोहन बेटा बोल रही हो।
मैम- ठीक है तो मेरे घर में तू मुझे मम्मी बोल ले और मैं तुझे रोहन बेटा बोला करूँगी और इसे अपना ही घर समझ.. कोई रोक-टोक
नहीं है.. जो करना है कर…
मैं- तो मैं थोड़ी देर टीवी देखना चाहता हूँ।
मैम- उधर कमरे में है चला जा…
मैं मैम के कमरे में गया और टीवी देखने लगा। इधर-उधर के सामान भी देख रहा था तो मेरी नज़र एक कपबोर्ड पर गई। मैंने उसे खोल कर देखा तो मैं हैरान रह गया था क्योंकि उसमें बहुत सारे डिल्डो और हस्तमैथुन का सामान था।
मेरे दिमाग़ में ख्याल आया कि क्यों ना अपना कैमरा फोन चालू करके यहाँ छुपा दूँ ताकि जो भी इस कमरे में होगा, मेरा फोन उसे रिकॉर्ड कर लेगा।
मैंने ऐसा ही किया, मैंने फोन कमरे में छुपा दिया और आवाज़ लगाई।
मैं- मम्मी, यह कपबोर्ड में क्या है? मम्मी- मेरा प्राइवेट सामान है.. रोहन बेटा।
तब मैं रसोई में गया, जहाँ पर मैम खड़ी थीं। मैं उनके पीछे खड़ा हो गया। मैम का पिछवाड़ा बहुत कामुक लग रहा था, साड़ी उनके चूतड़ों की दरार में घुसी थी। मेरा लौड़ा उसे देख कर ही खड़ा होने लगा।
मैं- मैम कपबोर्ड में सामान किस ज़रूरत का है? मैम- जब अकेली होती हूँ और बदन में आग लगती है तो उसे इस्तेमाल करना पड़ता है। मैं- क्यों मम्मी? मैम- मेरा हरामी पति घर ही नहीं आता बाहर ही रंडियों के साथ चुदाई करता है।
मैं- मैम आप कब से ऐसे बात करने लगीं। मैम- मतलब? मैं- जैसे आप अभी बात कर रही हो। चुदाई की बातें.. मैम- मैं तो ऐसे ही बात करती हूँ जब मैं घर पर होती हूँ।
मैं- गालियाँ देकर? मैम- हाँ..
मैं- आपको कौन-कौन सी गालियाँ आती हैं? मैम- सारी की सारी।
मैं- तो बताओ कि मम्मों को हिन्दी में क्या कहते हैं? मैम- चूचियाँ..
मैं- और कंट को? मैम- चूत… मैं- और लंड को? मैम- लंड को लंड ही कहते हैं।
मैं- मैम वैसे एक बात बताऊँ? मैम- क्या? मैं- अगर आपको याद होगा.. परसों आप चैटिंग कर रही थीं। मैम- हाँ। मैं- वो मैं ही था.. जिससे तू चैटिंग कर रही थी।
उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं.. वो हैरान रह गई… उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था।
मैम- क्याआआ…!!! यह मदमस्त कहानी जारी रहेगी। आपके प्यारे कमेंट्स के लिए मुझे ईमेल करें।
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