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गर्ल हॉट सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि कैसे पड़ोस की जवान लड़की ने मुझे पार्क में बुलाया. वो अपनी जवान गर्म चूत में लंड चाह रही थी. मैंने कैसे उसके कुंवारे जिस्म का मजा लिया.
मैंने बिन्दू को कहा- थोड़ा पार्क के अंदर चलें? बिन्दू ने कहा- देर हुई तो मेरी मम्मी गुस्सा करेंगी. मैंने कहा- तुम्हारी मर्जी. यह कह कर मैं पार्क के अंदर चला गया.
अब आगे की गर्ल हॉट सेक्स स्टोरी:
मैंने देखा बिन्दू मेरे पीछे पीछे आ रही थी. पार्क में एक कोने में काफी बड़ी झाड़ियां थीं और वहाँ अंधेरा भी था.
मैं उन झाड़ियों के पीछे चला गया, बिन्दू भी मेरे पीछे पीछे आ गई. मैंने एकाएक बिन्दू को पकड़ा और उसे अपनी बांहों में ले लिया. बिन्दू भी लपककर मुझसे लिपट गई. बिन्दू को ज़ोर से मैंने अपने सीने से लगाया तो उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ मेरी छाती में अड़ गई.
मैंने बिन्दू की कमर और चूतड़ों पर हाथ फिराना शुरू किया तो बिन्दू ने अपनी चूत को मेरे लंड पर दबा दिया.
मेरा लंबा मोटा लौड़ा मेरे लोअर में तन चुका था. मैंने बिन्दू को अपनी बांहों में उठा कर उसे अपने ऊपर लटका लिया. बिन्दू की चूत मेरे लण्ड पर अटक गई. इस पोजीशन में मैंने बिन्दू को काफी देर रखा. बिन्दू पूरी चुदास से भर गई.
मैंने उसे नीचे उतारा और पीछे की तरफ घुमाया. उसकी कमर को अपनी छाती से सटा कर उसकी दोनों चुचियों को उसके टॉप के ऊपर से जोर से मसल दिया. बिन्दू तड़प उठी और उसके मुंह से आई … सी … निकल गया.
मैंने बिन्दू के टॉप को ऊपर उठाया और दोनों मम्मों को बाहर निकाल कर मसलना शुरू कर दिया. बिन्दू चूंकि पहले से ही गर्म थी, जोर से सीत्कार उठी. मैंने उसके छोटे छोटे निप्पलों को अपनी उंगली और अंगूठे से धीरे धीरे प्यार से मसलना शुरू किया. बिन्दू एक जवान मर्द का स्पर्श पा कर सिसकने लगी.
बिन्दू की स्कर्ट उठाकर मैंने अपना एक हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया. बिन्दू की नर्म और गर्म चूत मेरे हाथ के छूने से पहले ही पनियाई हुई थी. चूत एकदम चिकनी और फूली हुई थी.
मैंने एकदम से अपनी पूरी मुट्ठी में चूत को भींच लिया. बिन्दू बेहाल हो गई. मैंने चूत के दाने को मसलते हुए अपनी बीच वाली उंगली चूत के छेद में चलाई तो चूत से छूटे पानी से चिकनी हुई चूत में आधी उँगली फिसल कर अंदर चली गई.
अब मैंने अपने दूसरे हाथ से बिन्दू का हाथ पकड़ा और लोअर में तने अपने लौड़े पर रख दिया. बिन्दू ने झट से लण्ड को पकड़ लिया. जैसे ही उसने लण्ड को पकड़ा तो वह एकदम चौंक गई और मेरी ओर देखकर बोली- ये क्या है? इतना बड़ा क्या है? मैंने कहा- लण्ड है, देखना चाहती हो?
यह कहकर मैंने लोअर का इलास्टिक नीचे किया और फड़फड़ाता हुआ लण्ड बाहर निकाल कर फिर से उसके हाथ में रख दिया. बिन्दू बोली- यह तो बहुत बड़ा और मोटा है. मैंने पूछा- तुम्हें पसंद है या नहीं? बिन्दू बोली- मुझे नहीं पता.
मैंने बिन्दू से कहा- चलो एक बार मेरे लौड़े को तुम्हारी चूत का किस लेने दो. बिन्दू- वो कैसे?
मैंने थोड़ा नीचे झुक कर बिन्दू की वी शेप की पैंटी को उसकी चूत से साइड में किया और लौड़े के टोपे को चूत पर रख दिया. बिन्दू थोड़ा पीछे हटते हुए बोली- नहीं, अंदर नहीं करना है. मैंने कहा- अंदर नहीं कर रहा हूँ केवल टच करवा रहा हूँ.
फिर मैं लौड़े को चूत पर रगड़ने लगा. ऐसा करने से बिन्दू सातवें आसमान पर पहुंच गई. उसकी चूत एकदम गीली होकर चिकनी हो गई थी और लौड़ा उसके ऊपर फिसल रहा था. चुदास से तो वह पहले ही भरी हुई थी परंतु ऐसा करने से उसकी आग भड़क गई.
दो तीन बार तो मेरे लण्ड के सुपारे का नुकीला हिस्सा बिन्दू की चूत के छेद में घुसने लगा था जिससे बिन्दू मस्त हो जाती थी. दरअसल एक बार तो लण्ड कुछ अंदर तक भी जाने लगा था जिससे बिन्दू ने मेरी छाती पर हाथ लगा कर रोक दिया और बोली- अभी नहीं, बाद में कर लेना.
मैंने बिन्दू को थोड़ी देर में ही सेक्स के कई नमूनों से अवगत करा दिया. बिन्दू बोली- अब मुझे जाना है, मम्मी गुस्सा करेंगी, मैं बिना बोले आई हूँ.
मैंने पूछा- अब कब मिलोगी? बिन्दू- कल इसी वक्त, यहीं पर. मैंने कहा- यहां तो कोई भी देख सकता है, तुम मेरे कमरे में आ जाना.
बिन्दू- आपके कमरे की सीढ़ियां तो बिल्कुल हमारे घर के गेट के सामने हैं, मम्मी देख लेंगी, मैं वहां नहीं आ सकती. मैंने कहा- ठीक है कल तो यहीं मिलेंगे, बाकी बाद में सोचेंगे.
वो जाने लगी तो मैंने पूछा- अच्छा बताओ कैसा लगा? बिन्दू- बहुत अच्छा लगा, आई लव यू!
मैंने एकबार फिर से बिन्दू को अपनी बांहों में लेकर उसके होठों पर एक लंबा किस किया जिसका बिन्दू ने भी अपनी एड़ियां उठा कर साथ दिया. इसके बाद हम अलग अलग दिशा में चले गए.
अगले रोज शाम को मुझे बिन्दू मिली तो मैंने इशारे में उससे कहा कि पार्क में शाम को चलना है. तो बिन्दू ने ‘न’ में सिर हिला दिया.
जब मैंने हाथ हिला कर पूछा कि क्या बात है. तो उसने हाथ से रुक कर इशारा किया और और मुझे एक साइड में चलने का इशारा किया.
उस गली के मोड़ पर जाकर मैं रुक गया. बिन्दू आई और उसने मुझसे कहा- शाम को जब मैं घर गई तो मम्मी ने बहुत डांटा, कहने लगी कि इतनी देर तू कहां रही? खबरदार यदि देर से रात को कहीं इधर उधर गई है तो पिटाई करुंगी. मैंने कहा- तुम बहाना बना रही हो. वो कहने लगी- मैं बहाना नहीं बना रही, मेरा तो खुद आपसे मिलने को दिल कर रहा है.
बिन्दू कहने लगी- जैसे ही मम्मी बाजार में जाएंगी तो मैं आपके कमरे में आ जाऊंगी. मैंने कहा- अब तुमने मुझसे फ्रेंडशिप की है, मुझे धोखा मत देना. वह कहने लगी- आप ऐसा मत सोचो, मैं आपसे प्यार करती हूं और मुझे आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा था.
मैं ‘प्यार करती हूँ’ सुनकर हंसने लगा और मैंने कहा- ठीक है आ जाना.
दो दिन बिन्दू के इंतजार में निकल गए. कभी मैं कमरे में नहीं होता था तो कभी बिन्दू की मम्मी घर पर होती थी और कई बार बिन्दू स्कूल होती थी. अतः हमारा मिलन नहीं हुआ, लेकिन फिर भी हम एक दूसरे को इशारे कर लेते थे.
तीन चार दिन के बाद सुबह लगभग 11:00 बजे का वक्त था. उस दिन मैं यूनिवर्सिटी नहीं गया था. मुझे नीचे बिन्दू के घर से ऊंची ऊंची आवाज आती हुई सुनाई दी. मैंने खिड़की से देखा तो कुछ भी दिखाई नहीं दिया.
मैं नीचे गया और बिन्दू के घर के बाहर खड़ा होकर बातें सुनने की कोशिश कर ही रहा था कि मुझे अंदर ड्राइंग रूम में जाली के दरवाजे से मार पिटाई और छीना झपटी दिखाई दी. पूरे मोहल्ले के लोग अपने घरों के बाहर खड़े होकर तमाशा देख रहे थे लेकिन कोई उनके घर नहीं जा रहा था. इसका कारण बिन्दू की मम्मी सरोज का बेरुखा और झगड़ालू स्वभाव था, अतः कोई भी उनके बीच में नहीं पड़ना चाहता था.
मैं बिन्दू के घर में अपनी जगह बनाना चाहता था अतः मैं यह सोचता रहता था कि किस तरह से इनके घर आना जाना करूं ताकि तीन तीन चूतों का आनंद ले सकूँ.
तो मैं झट से जाली का दरवाजा खोल कर उनके ड्राइंग रूम के अंदर चला गया. वहां पर देखा, एक लड़का सरोज की बड़ी लड़की नेहा से झगड़ा कर रहा था और उसका बच्चा छीनने की कोशिश कर रहा था. बिन्दू की मां सरोज उसे बचाने की कोशिश कर रही थी. वह लड़का था तो कागजी पहलवान सा ही … लेकिन उन दोनों माँ बेटी पर भारी पड़ रहा था.
उस लड़के ने नेहा और उसकी मम्मी को मारना शुरू कर दिया. उसने नेहा की मम्मी सरोज को धक्का देकर नीचे गिरा दिया और नेहा से बच्चा छीन कर जैसे ही बाहर जाने लगा तो नेहा जोर से चिल्लाई- हाय मेरा बच्चा …
मैंने एकदम उस लड़के का रास्ता रोक लिया और आगे अड़ गया. उसको मैंने पकड़ा और जोर से गरज कर कहा- क्या बात है? कौन हो तुम? क्यों झगड़ा कर रहे हो? तभी सरोज एकदम मुझसे बोली- राज! मारो इसको, इससे बच्चा ले लो और इसको बाहर निकाल दो.
मैंने हाथापाई करके उस लड़के से वह बच्चा छीन कर नेहा को दे दिया और उसको एक तरफ धक्का दिया. जैसे ही वह संभला तो उसने मुझे धक्का दिया और मुझे मारने के लिए अपना हाथ चलाया. उसके हाथ का वार मैंने अपने हाथ पर रोक लिया और उसके हाथ का कड़ा मेरे हाथ पर लगा जिससे मेरे हाथ में खून निकल आया. मैंने यह देख कर उसको तीन चार मुक्के जड़े और उसे नीचे गिरा लिया.
सरोज भी उसे मारने लगी, नेहा खड़ी खड़ी रोती रही.
जब लड़के ने देखा कि मैं उनकी पूरी सपोर्ट में हूँ तो वह यह धमकी देते हुए चला गया कि अभी तुम लोगों को बताता हूँ.
उसके जाने के बाद जब मैंने पूछा कि यह कौन था तो नेहा की मम्मी सरोज ने बताया कि यह नेहा का हस्बैंड रोहित था और यह उससे यह बच्चा छीनने आया था. उन्होंने बताया- ये लोग दहेज के लालची हैं, नेहा से मारपीट करते थे और इसका जीवन नर्क बना रखा था तो मैंने नेहा को अपने घर में बुला लिया और यह बच्चा भी यहीं पैदा हुआ है, शादी के बाद नेहा केवल तीन चार महीने ही वहां रही है.
नेहा की मम्मी सरोज ने बताया कि आज तुम नहीं होते तो यह बच्चा छीन कर ले जाता. शुक्र है तुम टाइम से आ गए. सरोज कहने लगी- राज, तुम्हारे हाथ से तो खून टपक रहा है. मैंने देखा कि हथेली की बाहर की साइड में एक कट लगा हुआ था. सरोज फर्स्ट एड बॉक्स ले आई और रुई और पानी से मेरा घाव साफ करके उस पर बैंडेज लगाई.
नेहा कहने लगी- राज आपके तो माथे पर भी चोट का निशान लगा हुआ है. मैंने कहा- कोई बात नहीं, ऐसे लगता रहता है.
हम यह बातें कर ही रहे थे कि बाहर पुलिस की एक जिप्सी आकर रुकी जिसमें एक एएसआई और एक लेडी पुलिस को नेहा का हस्बैंड ले कर आया. आते ही एएसआई ने कहा- तुम सब लोग थाने चलो. तुम लोगों ने रोहित के साथ मार पिटाई की है, इसने तुम्हारी पुलिस में कंप्लेंट की है.
दरअसल, बाद में पता चला कि रोहित पहले ही उस एएसआई को बोल कर आया था और उसने तुरंत उसे फोन करके बुला लिया था. मैंने, सरोज और नेहा ने उनसे बहस करने की कोशिश की लेकिन वे हमें गाड़ी में बैठाकर पुलिस स्टेशन ले गए.
इससे नेहा और उसकी मम्मी सरोज बहुत घबरा गई और उन्होंने बेइज्जती भी महसूस की. पास के ही पुलिस स्टेशन में हम लोग पहुंच गए.
रास्ते भर वह एएसआई और लेडी कॉन्स्टेबल हम तीनों को डराते, धमकाते रहे. नेहा रोने लगी और उसकी मम्मी भी बहुत ज्यादा घबरा गई थी. जो लेडी पूरे मोहल्ले में अपने अखड़पन और झगड़ालू स्वभाव के लिए मशहूर थी, वह भीगी बिल्ली बनी हुई थी.
मैंने उन दोनों को कहा- कोई बात नहीं है, आप घबराइए मत, मैं सब ठीक कर लूंगा.
लेकिन सरोज और नेहा इस कदर घबरा गई कि केस निपटाने के लिए रोहित से माफ़ी मांगने को तैयार हो गई. लेकिन मैंने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया और कहा कि केवल 15 मिनट मुझे कुछ करने दें.
शहर में वहाँ के डीएसपी साहब हमारे परिवार के जानकार थे. थाने में पहुंचकर हमें मुंशी के कमरे में बैठा दिया गया. मैंने मुंशी की टेबल पर पड़ा फोन डीएसपी साहब को मिलाया और उनको सारी बात बताई. उन्होंने तुरंत वहां के एसएचओ को फोन किया और साथ ही बोल दिया कि रोहित और उन पुलिस वालों की अच्छी खबर ले.
नेहा का पति रोहित हमारी तरफ देख देख कर मुस्कुरा रहा था. लगभग 15 मिनट बाद एक सिपाही ने हमसे कहा कि आप लोगों को एसएचओ साहब ने अपने कमरे में बुलाया है. हम तीनों एसएचओ के कमरे में गए.
एसएचओ साहब ने मुझसे पूछा- आपका नाम राजेश्वर है? मैंने कहा- जी हां. उन्होंने कहा- बैठो और मुझे बताओ क्या बात है?
मैंने शॉर्ट में बता दिया. तो वह पूछने लगे- आपका इनके साथ क्या संबंध है?
मैंने कहा- मैं इनका पड़ोसी हूँ और यूनिवर्सिटी में पढ़ता हूँ. एसएचओ साहब ने सिपाही को कहा- रोहित को बुलाकर लाओ. जब रोहित आया तो उसके साथ वह एएसआई और लेडी कांस्टेबल भी आ गई.
एसएचओ ने एएसआई और उस लेडी कांस्टेबल से पूछा- इनको किस से पूछ कर बुला कर लाए हो? एएसआई ने कहा- इन लोगों के खिलाफ रोहित ने शिकायत दी थी.
जब एसएचओ ने रोहित की तरफ देखा तो रोहित एकदम जोर जोर से बोलने लगा. यह देखते ही एसएचओ को गुस्सा आ गया और उसने उठकर रोहित को तीन चार थप्पड़ जड़े और उसको गले से पकड़कर पूछा- कहां के रहने वाले हो? रोहित ने अपने शहर का नाम बताया.
एसएचओ कहने लगे- यदि दोबारा इस शहर में दिखाई दिया या इन्होंने तुम्हारी कंप्लेंट इस थाने में की तो मैं तुम्हें ऐसा टांग दूंगा कि दुबारा कभी इनकी गली की तरफ मुंह नहीं करोगे.
अब पासा पलट चुका था.
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गर्ल हॉट सेक्स स्टोरी जारी रहेगी.
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