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Rasili Choot me Mera Lavda हैलो दोस्तो, मेरा नाम विक्की है, मैं जालंधर पंजाब से हूँ, मेरा कद पांच फुट दस इन्च है और मेरा रंग एकदम गोरा है, मेरा जिस्म दुबला है।
लड़कियाँ मुझे बहुत लाइन देती हैं, पर वक्त की कमी के कारण कभी किसी के पीछे नहीं पड़ा।
यह कहानी मेरी और मेरी गर्ल-फ्रेण्ड किरण (बदला हुआ नाम) के बीच की है। मैं किरण को 3 साल से देखता और जानता था, पर उससे कभी बात करने की हिम्मत नहीं हुई, किरण का रंग साफ है और उसके जिस्म की नाप 34-30-38 है।
उससे दोस्ती की चाहत में मैंने अपने दोस्त से उसका नम्बर लिया और फिर उसको मैसेज किया, पर उसने कोई जबाव नहीं दिया जो कि मुझे बहुत बुरा लगा।
जब मैंने अपने दोस्त को इसके बारे में बताया तो उसने मुझे इधर उधर से पता करके बताया कि उसने नम्बर बदल लिया है।
इसके बाद 2-3 दिन के बाद उसने मुझे किरण का नया नम्बर लाकर दिया।
मैंने फिर एक मैसेज किया और हमारी बात शुरू हो गई। थोड़े दिन तो मैं अंजान बना रहा फिर मैंने उसको अपने बारे में बताया तो वो खुश हो गई और बोली- मैं तुको जानती हूँ और तुमको पसन्द करती हूँ।
ऐसे ही हमारी महीने भर मैसेज पर बात होती रही।
एक दिन मैंने उससे मिलने का बोला तो वो कहने लगी कि थोड़े दिन रूको।
थोड़े दिन के बाद उसने सोमवार को मिलने का प्रोग्राम बनाया और सुबह मुझे 11 बजे मंदिर के पास आकर पिक करने को कहा।
मैं वक्त का बहुत पाबंद हूँ, तो मैं दस मिनट पहले ही घर से तैयार होकर निकल पड़ा।
बाजार से एक गिफ्ट-शॉप से उसके लिए एक प्यारा सा तोहफा लिया और उसकी कॉल का इन्तजार करने लगा।
जब उसकी कॉल आई तो मैंने उसको पिक किया और बाइक पर लेकर पास के एक रेस्टोरेंट में चला गया, जहाँ अलग केबिन बने हुए थे।
हम एक केबिन में बगल-बगल में बैठ गए। वेटर हमें पानी वगैरह दे गया और मैंने भी उसे ऑर्डर देकर जाने दिया।
इसकी बाद किरण और मैं आपस में बात करने लगे।
फिर मैंने उसे ‘आई लव यू’ बोला और उसने मुझसे भी अपने प्यार का इजहार किया।
मैंने खुश होकर उसे अपने आलिंगन में ले लिया और गालों पर अपने प्यार की पहली पप्पी ले ली जिसका उसने कोई विरोध नहीं किया।
इसके बाद वेटर आकर सामान देकर चला गया। मैंने वेटर को कुछ पैसे दिए, वो सब समझ कर चला गया।
मैंने थोड़ा उसको अपने हाथों से खिलाया और उसके खाए हुए आधे ग्रास को खुद खा लिया, वो मुझे प्यार भरी नजरों से देखने लगी और उसने अपनी बाँहें मेरी ओर बढ़ा दीं।
हम दोनों एक-दूसरे की बाँहों में लिपट गए और चुम्मियाँ करने लगे।
वो अपने होंठों से क्या कमाल की चुम्मी कर रही थी। हम चुम्बन करते और एक ग्रास प्लेट से उठा कर कुछ खाते, ऐसा करते हुए हम दोनों लगातार एक-दूसरे की आँखों में प्यार से देख रहे थे।
मैंने उसके मम्मों को अपने हाथों से सहला दिया, जब उसकी मूक स्वीकृति मिली तो मैंने उसकी चूचियों को जोर से भींच कर मसक दिया, उसने एक मस्त ‘आह’ भरी।
मैंने ऐसे ही दस मिनट तक चुम्बन किया और ऊपर से ही उसको सहलाता रहा।
उसके बाद हम अलग हुए और फिर थोड़ी देर बात करने के बाद हम अपनी प्रेम-लीला में शुरू हो गए।
अब की बार मैंने अपने हाथ उसके टॉप के अन्दर डाल कर उसकी चूचियों को दबाने लगा और वो और ज़ोर से मज़े लेकर मुझे चूमने लगी।
मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया जो उसने पहले तो हटा लिया, फिर मैंने उसके दोनों कबूतरों को ब्रा को हटा कर निकाल लिया और उसकी टी-शर्ट को ऊपर करके उसके दूध को पीने लगा।
क्या बताऊँ दोस्तों कितना मज़ा आ रहा था..
मैं तो छोटे बच्चों की तरह ‘लपलप’ करके उसके दूध को चूस रहा था और वो सिसकारियाँ लिए जा रही थी।
ऐसे ही बारी-बारी से उसकी दोनों मम्मों को खूब चूसा।
किरण की आँखों में अब वासना की आग झलकने लगी थी। अब की बार फिर हम फ्रेंच किस करने लगे और इस बार मैंने कुछ आगे बढ़ते हुए उसकी पैन्ट का बटन खोल कर अपने हाथ को दहकती भट्टी पर ले गया जो बिल्कुल गीली हो गई थी। अब वो मेरी छाती पर हाथ घुमा रही थी, फिर उसने अपना हाथ मेरी पैन्ट पर बँधी बैल्ट पर रख दिया तो मैंने मौके को देखते हुए कहा- अगर खोलना है तो खोल लो।
तो वो कुछ नहीं बोली और मैंने बैल्ट खोल कर उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया।
उसने भी अपने हाथों में लौड़े को पकड़ कर उसको मसलना शुरू कर दिया। उसकी आँखें मदमस्त हो कर वासना से भरी हुई थीं।
मैंने भी हिम्मत करके पूछा- क्या चुदाई करने का मन कर रहा है?
तो उसने अपना सिर ‘हाँ’ में हिलाया, तो मुझे तो बिन मांगे जन्नत मिलने जैसा लगा।
मैंने कहा- तो चलो इधर से चलते हैं।
उसके बाद बिल दे कर वहाँ से निकल कर पास के ही एक होटल में उसको ले गया। वहाँ जाते समय रास्ते में कन्डोम ले लिए क्योंकि यह दोनों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी है और होटल में एक कमरा बुक कर लिया।
कमरे में जाकर तो बस हम एक-दूसरे पर टूट पड़े, पहले उसको बाँहों में लेकर उसके नरम-नरम होंठों को 5 मिनट तक खूब चूमा और वो भी चूमने में मेरा पूरा साथ दे रही थी।
मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किए उसने उस दिन काले रंग की चुस्त पैन्ट और नारंगी टी-शर्ट पहनी हुई थी।
मैंने जब उसकी टी-शर्ट उतारी तो उसके अन्दर उसने हल्के गुलाबी रंग की ब्रा पहनी हुई थी जिसमें उसके मम्मे बाहर आने को तड़फ़ रहे थे, पता नहीं उस छोटी सी ब्रा में उसके 34 साइज़ के मम्मों को कैसे कसती होगी।
मैं तो उन पर बस टूट पड़ा और एक-एक करके दोनों मम्मों को मसलने और चूसने लगा, जिसमें उसे भी बहुत मज़ा आ रहा था।
वो भी मेरे बालों में हाथ फेर रही थी और इस पल का पूरा मज़ा ले रही थी। फिर मैंने पीछे हाथ ले जाकर उसकी ब्रा उतार दी और उसके दोनों कबूतर जो काफ़ी देर से क़ैद में फड़फड़ा रहे थे, एकदम से उछल कर बाहर आ गए।
हाय.. क्या बड़े-बड़े तने हुए मम्मे थे..
मैं कभी एक चूचुक को चूस रहा था तो कभी दूसरे को.. उसके मुँह से बहुत मादक आवाजें आ रही थीं।
‘उफ्फ़ ह्म्म्मम ईहह ह्म्म्मूस मम्म्ह’
मैं पूरी मस्ती से उसके मम्मों को चूसने में लगा हुआ था।
उसके बाद मैंने उसको अपने नीचे लिटाया और उसकी पैन्ट का बटन खोल कर उसकी पैन्ट को उतारा, जिसमें उसने मेरी पूरी मदद की। कसम से लाल रंग की पैन्टी में वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। उसकी इस खूबसूरती तो देख कर मुझे उस पर बहुत प्यार आया और फिर हमारे होंठ मिल गए जो 2-3 मिनट तक आपस में ही उलझे रहे, जिसका मैंने पूरा मज़ा लिया।
इसके बाद जब मैंने उसकी पैन्टी उतारनी चाही तो उसने मुझे रोक दिया। ‘तुम भी तो पहली अपने कपड़े उतारो..’
तो मैंने कहा- तुम ही उतार दो न..
पहले उसने मेरी शर्ट.. फिर बनियान उतारी और चेहरे से मेरी छाती पर चुम्बन करते हुए वो छाती से पेट पर आ गई और फिर उसने मेरी पैन्ट को खोलना शुरू किया।
मुझे झटका लगा जब उसने मेरी पैन्ट और अंडरवियर एक साथ खोल दिए और मेरे खड़े हुए लंड को अपने हाथ में पकड़ कर खेलने लगी।
मुझे और अधिक हैरानी तो तब हुई जब उसने मेरे बिना कहे ही मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया। मैं तो जन्नत की सैर करने लगा।
अब मैंने उसको पूरा नंगा कर दिया।
उसकी कमनीय काया को देख कर मुझे नशा हो गया।
आप भी जरा इसको पढ़ कर अपने लौड़े को सहला लीजिए। उसकी तनी हुई चूचियाँ उस पर गुलाबी चूचुक और चूत… बिल्कुल साफ़ झांट रहित.. चूत की लकीर के बीच दाना तो ऐसे छुपा था जैसे कमलगटा का बीज.. लहराते केश.. बड़ी-बड़ी आँखें.. मस्त माल थी।
दोस्तो.. मेरा लवड़ा तो आसमान की तरफ मुँह बाए खड़ा था।
उसको मैंने अपनी गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया और बस अब चुदाई की लीला आरम्भ हो गई।
मुझे अब ये अंदाजा तो हो गया था कि ये लौंडिया खेली-खाई है क्योंकि इतनी जल्दी जब कोई लौंडिया लौड़े को चूसना शुरू कर देगी तो वो एक चुदी-चुदाई है ये तो पक्का है।
मुझे भी कौन सा फर्क पड़ना था मेरे लौड़े को भी चूत की भूख थी सो अपना लौड़ा उसकी चूत पर अभी घिसना ही शुरू किया था कि मादरचोदी ने अपनी गांड उठा कर ‘गप्प’ से अपनी रसीली चूत में मेरा लवड़ा खा लिया।
‘आह्ह..’ लौड़े ने चूत को चीर दिया और उस रसभरी नदी में डुबकियाँ लगाना चालू कर दीं।
उसकी तरफ से भी पूरी मस्ती से जबाव मिल रहा था। मेरे होंठ उसके चूचकों को चूसते जा रहे थे और वो निरंतर सीत्कार करती हुई अपनी चूत को ऊपर उठा कर चुदाए जा रही थी।
करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद वो अकड़ गई और ‘आह्ह..’ की आवाज के साथ झड़ गई।
उसकी चूत के लिसलिसे पानी ने जब चिकनाई पैदा कर दी तब मुझे अहसास हुआ कि कंडोम तो लगाया ही नहीं था।
खैर मैंने भी धकापेल करके उसकी चूत में ही अपनी धार छोड़ दी। वो अपनी बाँहें मेरे जिस्म से लिपटाए हुए रस को अपनी चूत में पीती रही और मैं भी निढाल होकर उसके ऊपर ही ढेर हो गया।
कुछ देर बाद उठे और हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और होटल से बाहर निकल आए।
आज फिर मुझे तो उस चुदाई के बारे में सोच कर ही मुठ मारने का मन हो गया है। सो अब मैं मुठ मारने लगा हूँ आप मुझे मेल करने के बाद मुठ मार लेना, पर मुझे ईमेल करके अपने कमेन्ट जरूर देना।
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