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दोस्तो, मेरा नाम अजय है। मैं अन्तर्वासना का पुराना पाठक हूँ, मैं अपनी पहली कहानी आप सबके सामने प्रस्तुत करने आया हूँ। यह कहानी मेरी और मेरे पड़ोस में रहने वाली भाभी की है।
भाभी का नाम सुमन है वो बहुत ही गर्म माल लगती है, उसकी मस्त चूचियां.. उठे हुए चूतड़.. उफ्फ… उन्हें देख कर लौड़ा खड़ा हो जाता है। पड़ोस के सब लड़के उन पर फ़िदा थे, मैं भी उनमें से था।
मैं उनको देखता रहता था, जब भी वो घर से बाहर आतीं.. बहुत मस्त कपड़ों में होती थीं। उनकी मस्त गोल-गोल चूचियाँ.. भारी चूतड़.. उफ्फ्फ.. मेरा भेजा सटक जाता था और हाथ लौड़े पर चला जाता था।
उनका हमारे घर आना-जाना था, तो मुझे बहुत मज़ा आता था। जब मैं घर पर होता और भाभी आतीं, मैं उनको देख कर मुस्कुरा देता था, वो भी मुस्कुरा देती।
मैं उनकी ब्लाउज को फाड़ कर बाहर आने को आतुर चूचियों को देखता था, वो भी इस बात जानती थीं।
उनके पति कई-कई दिनों तक बाहर रहते थे, ऊपर से उनकी मदमस्त जवानी.. कैसे संभालती होगी..
मैं जब भी उनके घर जाता तो बहाने से उनके बाथरूम में जरूर जाता था। वहाँ उनकी खुश्बूदार पैन्टी जो होती थी। मैं उसमें खूब मुठ मारता और लण्ड का पानी उसमें डाल देता था।
भाभी को मुझ पर शक हो गया कि यह सब मैं ही करता हूँ।
फिर एक दिन वो हुआ, जिसके बारे में मैं सिर्फ सपनों में सोचा करता था।
भाभी घर पर अकेली थी, दोपहर में माँ ने मुझे उनके घर दूध लाने के लिए भेज दिया।
मैं ख़ुशी-ख़ुशी भाग कर गया, भाभी को आवाज़ दी, पर भाभी ने नहीं सुनी। शायद वो सो रही थीं, मैं धीरे-धीरे दबे पाँव अन्दर गया।
मैंने देखा कि भाभी की पैन्टी और ब्रा बिस्तर पर पड़ी है, मेरा लण्ड खड़ा हो गया। ये देख कर कि बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी।
मतलब भाभी नहा रही थीं.. हाय.. क्या मस्त पल था वो..
मैं पूरा काँप रहा था.. मैंने पैन्टी को सूंघा, बहुत मस्त अहसास था, मैंने अपना लोवर आधा नीचे किया और लण्ड को मुठियाने लगा।
मेरा मन इतना मस्त हो गया कि मुझे याद ही नहीं रहा कि मैं कहाँ हूँ।
तभी मेरा पानी निकल गया, मैंने पैन्टी को देखा, वो मेरे रस से भीग गई थी। मैं पैन्टी को रख कर पीछे मुड़ा तो देखा कि भाभी बाथरूम निकल कर दरवाजे पर खड़ी थीं।
मेरे होश उड़ गए.. मेरा चेहरा एकदम से सफ़ेद हो गया।
भाभी बोली- मेरी पैन्टी के साथ.. यह क्या कर रहे थे आप.. लगता है बहुत बड़े हो गए हो?
मैं बोला- भाभी ‘सॉरी’.. गलती हो गई.. प्लीज माफ़ कर दो.. मैं बहक गया था, अपने आप पर काबू नहीं रख पाया।
भाभी- हम्म.. मुझे पता है.. तुम्हारी उम्र में ये सब होता है।
भाभी मेरे और पास आई.. मेरी दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं।
भाभी ने पैन्टी उठा ली और बोली- देखो देवर जी.. आपने क्या कर दिया.. मेरी पैन्टी का.. अब मैं क्या पहनूँगी?
तो मैं बोला- भाभी आप दूसरी पहन लो..
भाभी- आपको बड़ा पता है.. मेरे पास कितनी पैन्टी हैं?
मेरा लण्ड खड़ा बेकाबू होता जा रहा था, भाभी तौलिया में थीं, भाभी की गोरी-गोरी जांघें.. उफ्फ्फ.. ऊपर से आधी नंगी चूचियाँ..
मैं भाभी को देखे जा रहा था।
भाभी ने मेरी चोरी पकड़ ली और बोलीं- देवर जी क्या देख रहे हो आप?
मैं डरता हुआ बोला- भाभी.. अ..आप बहुत सुन्दर हो।
भाभी हंस पड़ीं, मुझे लगा कि चलो अच्छा है.. अब कोई परेशानी नहीं होगी।
उनकी इस हँसी में मुझे उनकी मूक सहमति दिखी, मैंने झट से भाभी को बाँहों में भर लिया और उनको कस कर दबा लिया।
‘भाभी आह्हह.. एक बार चुदवा लो भाभी..?’
फिर क्या था, भाभी डर गई।
भाभी- आह्ह.. क्या कर रहे हो तुम.. मुझे छोड़ दो.. मैं तुम्हारी भाभी हूँ.. किसी को पता लग गया तो ठीक नहीं होगा।
‘भाभी कुछ नहीं होगा.. बस एक बार आआअह्ह्ह.. आप कितनी मस्त हो..’
तभी तौलिया नीचे गिर गया था.. भाभी नंगी ही मुझसे दूर भागीं।
अब तो मैं भी पागल हो गया था, मैंने भी कपडे उतार दिए और भाभी को देखने गया, भाभी ने दूसरे कमरे में चादर लेकर ओढ़ ली थी।
भाभी- अजय रहने दो.. मैं बदनाम हो जाऊँगी.. अपने आपको संभालो..
मैं- भाभी आप डरो मत.. ऐसा नहीं होगा.. मैं आपके लिए बहुत तड़पा हूँ..
मैंने झट से भाभी की चादर खींच दी और भाभी को नंगी कर दिया।
हाय.. क्या मस्त बदन था भाभी का..
मैंने भाभी को पीछे से पकड़ लिया और मेरा लण्ड भाभी के चूतड़ों की दरार में समा गया।
दोनों हाथों से मैं भाभी की चूचियों को दबा रहा था। भाभी सिसकारियाँ ले रही थीं।
मैंने भाभी का सारा बदन, गर्दन से लेकर चूचियां, पेट, जांघें.. चूमा। भाभी ज़ोर-ज़ोर से कामुक सिसकारियाँ भर रही थीं।
मैंने लण्ड को उनकी चूत के छेद से लगा कर एक झटके में ही पेल दिया और ज़ोर-जोर से झटके मारने लगा।
करीब 15 मिनट में मेरा वीर्य निकल गया और भाभी की चूत में समा गया। मैं भाभी के ऊपर ही लेट गया।
भाभी खुश थीं।
मैंने पूछा- भाभी कैसा लगा? तो भाभी बोलीं- बहुत ही मज़ा आया देवर जी.. आप बहुत मस्त चोदते हो। मैं- भाभी आपको अब रोज़ चोदूँगा.. आप बहुत मस्त हो भाभी।
उन्होंने मुझसे चुदाने में हामी भरी।
फिर मैंने भाभी को कई बार चोदा।
मुझे उनकी गाण्ड भी बहुत पसन्द है, मैंने कई बार भाभी की गाण्ड मारने की कोशिश की, पर भाभी नहीं चाहती हैं.. वे कहती हैं कि दर्द होता है, पर मैं उनकी गाण्ड को खूब दबाता हूँ और चाट भी लेता हूँ।
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी आपको, अगर कोई गलती हो गई हो तो माफ़ कर देना। कहानी का अगला भाग: जन्मदिन के तोहफे में भाभी की गाण्ड मारी
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