This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
देसी Xxx सेक्स कहानी में पढ़ें कि जेठ जी से चुदकर उनके लम्बे मोटे लंड से दुबारा चुदने का मन था मेरा. लेकिन मुझे लाज लग रही थी कि उनसे कैसे कहूँ कि मुझे चोदो.
हैलो फ्रेंड्स, मेरी देसी Xxx सेक्स कहानी के पिछले भाग जेठजी ने मेरा चुदाई काण्ड कर दिया- 2 में आपने पढ़ा कि मैं अपने जेठ के साथ एक बार चुदवा कर उनके लम्बे और मोटे लंड से दुबारा चुदने का मन बना चुकी थी और उनके वापस आने का इन्तजार कर रही थी.
अब आगे की देसी Xxx सेक्स कहानी:
खैर दस मिनट बाद जेठ जी पेशाब कर करके कमरे में आ गए थे. पेशाब करने के बाद भी उनका विशाल लंड नीचे की तरफ ऐसे लटक रहा था, जैसे किसी सवा दो इंची मोटाई के गोले का ऊपर का एक चौथाई भाग नीचे के तरफ को लटक रहा हो. ऐसा शानदार लंड मैंने आज ही अपनी जिंदगी में पहली बार देखा था. उनका लंड चादर के नीचे से साफ दिख रहा था, वो आकर सोफे पर बैठ गए.
उन्हें देख कर मुझे भी पेशाब की हाजत हुई. मैं तो पेटीकोट में ही थी, पर मेरे ब्लाउज़ के बटन खुले हुए थे और अब मैं अपने चुच्चों को ढकना भी नहीं चाह रही थी … क्योंकि वो मेरी छाती पर फिर से लगातार देखते जा रहे थे.
मैं वैसे ही अधनंगी बिस्तर से उठी और दरवाजा खोल कर टीन के नीचे से होती हुई टॉयलेट में चली गयी. उधर नीचे पेशाब करने बैठ गयी. जैसे ही मैंने पेशाब के लिए जोर लगाया, नीचे सीट पर करीब तीन चम्मच गाढ़ा सफ़ेद वीर्य गिर गया था और वो सीट पर ही चिपक गया था. मैंने पेशाब की और उस मलाई पर दो मग पानी डाल कर उसे बहा दिया.
मेरी फुद्दी यानि की चूत चुद चुद कर थोड़ी से भारी और बड़ी हो गयी थी क्योंकि जेठ जी ने मेरी फुद्दी बहुत दबा कर बजायी थी.
एक बार मैंने सोचा कि उन्हें बता कर सीधे अपने कमरे में चली जाऊं, पर मन नहीं माना. क्योंकि मैं उनके भरे हुए सुन्दर कड़क लंड का भरपूर मजा लेना चाहती थी.
मैं पहले उनके कमरे के आगे से होती हुई सास जी के कमरे तक गयी. बाहर बहुत जोर से तड़तड़ करके बारिश हो रही थी. मैंने धीरे से सास के कमरे के पर्दा हटा कर देखा, तो सासु मां खर्राटें ले रही थीं.
उस समय तक करीब साढ़े बारह बज चुके थे. मैं दुबारा जेठ जी के कमरे में आ गयी. उन्होंने पूछ ही लिया कि बहू इतनी देर कहां लगायी तूने? मैंने उन्हें बताया- मुझे डर लग रहा था कि कहीं मां जी न आ जाएं!
जेठ जी अपने मोटे लंड को धीरे धीरे सहला रहे थे. मैं जैसे ही उनके निकट पहुंची, उन्होंने बैठे बैठे ही मुझे अपनी गोदी में खींच लिया.
मैं उनकी नंगी जांघ पर बैठ गयी. इस बार मेरा मुँह उनकी तरफ था. वो फिर से मेरे होंठ चूसने लगे, मगर मैं उनका कड़क लंड चूसने के लिए मरी जा रही थी. मैं उनकी गोद से उतर गयी और फर्श पर उकडूं बैठ गयी. मैं उनके शांत चेहरे पर काम वासना के वशीभूत होकर देखने लगी, वो शायद मेरे मन की बात समझ गए.
उन्होंने मेरे सिर पर प्यार से हाथ फेरा और कहा- बहू आगे बढ़ और अपनी इच्छा पूरी कर ले.
बस अनायास ही मेरे होंठ उत्तेजना और शर्म के मारे कांपने लगे और इसी कशमकश में पता नहीं कब, मैंने उनके अंडे जैसे बड़े गुलाबी सुपारे को मुँह में ले लिया. मेरा हाल उस कामुक कुतिया की तरह हो गया था, जो सीजन आने पर अपने छोटे साइज की परवाह न करते हुए खुद ही कुत्तों के कमर पर चढ़ने लगती है.
जैसे जैसे मेरी जीभ मचलती गयी. उनका लंड फूल कर एक मोटे तंदरुस्त साढ़े सात इंच लम्बे लौड़े में तब्दील हो चुका था. मैं उनके चहरे के हाव-भाव देख रही थी और वो मेरी जुल्फों से खेल रहे थे.
उन्होंने कामातुर होकर अपने सिर को सोफे पर टिका लिया था. उन्होंने अपनी दोनों मोटी जांघें फैला ली थीं. मैंने उनका मांसल लौड़ा पकड़ कर उठाया और उनके सुन्दर आंड चूमने शुरू कर दिए. जेठ जी भी मेरी ही तरह सी सी करने लगे. उनकी बंद आंखों से लग रहा था कि वो बहुत आनंदित महसूस कर रहे हैं.
हम दोनों बेफिक्र होकर सेक्स के मजे ले रहे थे. उनका सिर्फ एक तिहाई लौड़ा ही मेरे मुँह में समा पा रहा था.
अब मेरे से बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था. मेरी चूत सिकुड़ने और फैलने लगी थी. मैं खुद ही उन्हीं की बगल में सोफे पर चूतड़ उठा कर चुदने की पोजीशन में हो गयी.
मैंने उनकी जांघ थपथपाई और कहा- जेठ जी, आओ और अपनी भड़ास निकालो. मैं भी बहुत गर्म हो गई हूँ.
इतना सुनते ही वो उठे और उन्होंने प्यार से मेरे चूतड़ों पर हथेली से चार पांच बार थपथपाया और नीचे झुक कर मेरी गांड का छेद चाटने लगे. अपनी गांड के छेद पर जेठ जी की खुरदुरी जीभ के स्पर्श से मेरे तन बदन में काम वासना का सागर हिलोरें मारने लगा.
जब जब उनकी गर्म जीभ मेरी गांड के छेद पर घूम रही थी, एक अत्यंत आनन्ददायक लहर मेरे चूतड़ों से होती हुई मेरे दिमाग तक पहुंच रही थी. मेरी चूत ने फिर से पानी निकालना शुरू कर दिया.
जेठ जी के गर्म होंठ अब मेरी चूत पर मचलने लगे थे. मेरा भगांकुर उनके मुँह में फूल और पिचक रहा था. मेरी चूत में एक आग थी, जिसे अब उनका कड़क लौड़ा ही ठंडा कर सकता था. मैंने अपना दायां हाथ अपने चूतड़ों पर जोर से मारा ताकि उनका ध्यान चाटने से हट कर चोदने के लिए तत्पर हो जाए. मैं ये मौका किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ना चाहती थी.
मेरे चूतड़ों पर हुई आवाज सुनकर वो उठे और उन्होंने अपना गर्म सुपारा फिर से मेरे लम्बे कट पर घिसना शुरू कर दिया. उनकी इस हरकत से मेरा दिल बाग बाग होने लगा. मेरा मन हुआ की जेठ जी अपने बड़े लौड़े से मेरी चूत फाड़ दें.
तभी मेरे इतना सोचते ही फिर से सुपारा मेरी चूत में घुसता चला गया और मेरी मीठी कराह निकल गई. उन्होंने उसी वक्त मेरी गांड कस कर पकड़ ली और बेरहमी से मुझे चोदने लगे. मैं मीठे मीठे दर्द के कारण मजे में कुतिया की तरह मद्धिम स्वर में चीखने लगी.
मेरी फुद्दी की गहराई ज्यादा नहीं थी. मेरी तर्जनी उंगली मेरी बच्चेदानी को छू लेती थी. अब आप लोग खुद ही अंदाजा लगा लो कि बच्चेदानी करीब करीब हर धक्के में 4 -5 इंच पीछे धकेली जा रही थी. कभी कभी तो मुझे अपनी कमर बीच में से लौड़े को एडजस्ट करने के लिए गोलाकार करनी पड़ रही थी.
जेठ जी को मेरी चूत में धक्के मारते मारते करीब 10 मिनट हो गए थे. वो इस बार पता नहीं बाहर से क्या खा कर आए थे कि उनका वीर्य स्खलन ही नहीं हो रहा था.
फिर तो उस वक्त गजब ही हो गया, जब उन्होंने अपना दायां पैर सोफे पर रखा और बायां जमीन पर … और मेरी चूत के चिथड़े उड़ाने लगे.
पर मैं भी इतनी जल्दी हार मानने वाली नहीं थी. बस फिर हम दोनों मादरजात नंगे होकर उस काम में मशगूल हो गए, जो एक सभ्य समाज में किसी भी तरह स्वीकार्य नहीं हो सकता. पर अब हमें दुनिया से कुछ लेना देना नहीं था.
उन्होंने अपने हाथ से कस कर मेरी चोटी पकड़ ली और एकदम बहशी बन गए. मेरी फुद्दी से फच्च फच्च फच्च की आवाजें आने लगीं. मुझे यही डर लग रहा था कि कहीं मेरी काम आसक्त आह आह की आवाजें सुन कर मेरी सास न आ जाएं. पर ये सिर्फ डर था.
खैर उन्होंने फिर अपना बायां पैर सोफे कर मुझे हचक कर चोदा. करीब पांच मिनट तक उनका पिस्टन मेरी चूत के इंजिन में सटासट चलता रहा. वो झड़ने का नाम नहीं ले रहे थे और मेरी सांसें रुकने लगी थीं.
फिर उन्हें पता नहीं क्या सूझा, मेरी छाती के नीचे अपनी बांह का घेरा बनाया और एक हाथ पेट नीचे लगा कर मुझे ऊपर उठा लिया. उनका लौड़ा अभी भी मेरी ही चूत में घुसा हुआ था. ये हरकत देख कर मैं कांप उठी, पर अब कुछ नहीं हो सकता था. मैंने खुद मुसीबत बुलाई थी.
फिर जेठ जी ने मुझसे कहा- बहू, आगे घुटनों पर झुक जा और अपनी गांड उठा दे पीछे से.
मैं भी अच्छी तरह चुदना चाहती थी, फिर पता नहीं आज के बाद चांस मिले या न मिले, तो जैसा जेठ जी ने कहा. मैं हो गई.
बस फिर तो उन्होंने मुझे घोड़ी बना कर जो चुदाई शुरू की, तो लगभग पांच मिनट धकापेल गतिमान एक्सप्रेस की तरह लंड को चूत की पटरी पर दौड़ा दिया. मेरी हालत मरी सी कुतिया जैसी हो गई थी मगर मैं बता नहीं सकती कि वो आनन्द मुझे आज तक कभी नहीं मिला था. वो मेरे चूतड़ों पर लगभग आधे खड़े हुए थे और मेरी कमर उन्होंने कस कर पकड़ी हुई थी.
अब मैं भी झड़ने वाली थी. वो भी लगभग इसी हालत में थे. अचानक उनके पैर तेजी से कांपने लगे और फिर रह रह कर मेरी चूत में उनका गर्म गर्म वीर्य झटके ले लेकर गिरता रहा. जब वो रुक गए, तो मैं बिस्तर पर पेट के बल पसर गयी और वो भी धीरे धीरे झुकते हुए मेरी पीठ पर लेट गए. मेरे चूतड़ जो करीब 34 इंच चौड़े थे, उनकी मजबूत और जांघों के नीचे पिस गए.
आह … उनकी ऐसी मर्दानगी देख कर मैं उन्हें दिल दे बैठी. हम दोनों अपनी सांसें नियंत्रित करने में लगे थे.
लगभग 2 मिनट बाद उन्होंने मेरे गाल चूमे और फुसफुसा कर मेरे कान में ‘आई लव यू …’ कहा. अब जाकर मेरे दिल को चैन पड़ा. ये शब्द मैं अपने पति अभिषेक से सुनने के लिए तरस गयी थी.
इसके बाद वो मेरी पीठ से उतर गए और मेरी साइड में सीधे लेट गए.
मैंने करवट ली और उनकी जांघ पर अपनी बायीं जांघ उठा कर रख दी. मैंने भी उनकी चौड़ी छाती पर तीन चार बार किस किया और उनका साढ़े सात इंची लम्बा लंड पकड़ लिया. लंड अब थोड़ा ढीला पड़ गया था और मोटाई थोड़ी सी कम हो गयी थी. उनके लौड़े का सुपारा खाल से आधा बाहर निकला हुआ था.
मैंने दीवार घड़ी की तरफ़ देखा तो रात के करीब पौने दो बज चुके थे. मेरी दूसरी चुदाई करीब 1.20 पर शुरू हुई थी, यानि कि मैं लगभग 25 मिनट नॉन स्टॉप चोदी गयी थी. मुझे खुद पर भरोसा नहीं हो रहा था कि जेठ जी का लौड़ा मेरी चूत की सैर करके थक चुका था.
मैं बिस्तर से उठी और मैं उनकी मर्दानगी देखने लालच नहीं रोक पायी. मैंने बड़ा वाला सीएफ़एल बल्ब जला दिया.
आह, उनकी सफ़ेद बेडशीट पर मेरी झांटों के और कुछ उनके काले घुंघराले बाल झड़े हुए थे, जो मेरी रगड़ाई के दौरान झड़े होंगे. जैसे ही मेरी नजर उनके चेहरे पड़ी, तो मैं शरमा गयी. पर उन्होंने तुरंत उठ कर मुझे अपने आलिंगन में ले लिया. अब मैं अपने को काफी संतुष्ट महसूस कर रही थी.
बाहर बारिश अब भी लगातार हो रही थी. बेडशीट पर मेरी फुद्दी से उनका वीर्य निकल कर फ़ैल गया था जो कि चिपचिपा सा था.
मैंने कहा- जेठ जी, मैं सुबह ये चादर धो दूंगी. उन्होंने कहा- नहीं बहू, ये चादर मैं संदूक में ताला लगा कर रखूंगा, तू चिंता मत कर. ये चादर अब आम चादर नहीं रही क्योंकि इस पर हमारी कुलवधू सो चुकी है.
उनकी इस बात के बाद अब मेरे पास कहने को कुछ शब्द नहीं थे.
मैं जल्दी से बेड से उतरी और मैंने अपना पेटीकोट पहना और ब्लाउज़ के बटन लगाए.
उन्होंने मुझे अपनी बांहों में एक बार फिर से भर लिया और होंठों पर कुछ सेकंड अपने होंठ रख दिए. वो सीन मुझे आज भी याद है. वो शायद कुछ कहना चाह रहे थे, उनके होंठ लरजने लगे थे. शायद वो मुझसे बिछुड़ना नहीं चाह रहे थे या मुझसे माफ़ी मांग रहे थे.
खैर मैंने भी झुक कर उनके चरण छुए और उनकी छाती पर दो किस देकर बाहर जाने को हुई. तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर कहा- बहू ठहरो.
फिर उन्होंने दोनों बल्ब ऑफ़ किए और कुण्डी खोल दी. मैं सधे क़दमों से अपने कमरे की ओर चल पड़ी.
मैं कमरे में आयी और अन्दर से कुण्डी लगा कर लाइट ऑन की. मैंने उत्सुकतावश छोटा शीशा उठाया. अपनी दायीं जांघ ड्रेसिंग टेबल पर रखी. शीशे को जैसे ही मैंने अपनी जांघों के बीच में लगाया, तो शॉक्ड हो गयी. मेरी चूत के होंठ बाहर निकल चुके थे. मेरी चूत थोड़ी सूजी हुई थी और भरी सी लग रही थी.
मैं अपनी फटी चूत देख कर शरमा गयी, पर आज मेरा मन बहुत शांत हो गया था. मैंने कुण्डी खोली और परदे खींच कर लाइट बंद करके बिस्तर पर चली गयी. फिर पता नहीं कब मेरी आंख लग गयी.
इसके बाद मेरे साथ क्या हुआ और मुझे आगे जेठ का सुख कितना मिला, ये सब सामान्य सी बात है, जो हर नारी और पुरुष समझ सकता है.
सेक्स हर स्त्री पुरुष की जरूरत होती है. मगर हर चीज का एक दायरा होना चाहिए. मैंने अपनी इस देसी Xxx सेक्स कहानी को लेकर किंचित मात्र भी शर्मिंदा नहीं हूँ.
आप मुझे इस देसी Xxx सेक्स कहानी पर अपने विचार भेज सकते हैं. बस शब्दों की मर्यादा का ख्याल कीजिएगा. [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000