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फ्री सेक्स गर्ल्स स्टोरी में पढ़ें कि मैंने अपने पड़ोसी परिवार की मदद की तो उनकी लड़की मुझे पसंद करने लगी. उसने खुल कर अपनी चुदाई कि इच्छा जाहिर कर दी थी.
एसएचओ को गुस्सा आ गया और उसने उठकर रोहित को तीन चार थप्पड़ जड़े और उसको गले से पकड़कर पूछा- कहां के रहने वाले हो? रोहित ने अपने शहर का नाम बताया.
एसएचओ कहने लगे- यदि दोबारा इस शहर में दिखाई दिया या इन्होंने तुम्हारी कंप्लेंट इस थाने में की तो मैं तुम्हें ऐसा टांग दूंगा कि दुबारा कभी इनकी गली की तरफ मुंह नहीं करोगे.
अब पासा पलट चुका था.
आगे की फ्री सेक्स गर्ल्स स्टोरी:
एसएचओ ने हम से कहा- यदि आप ने रोहित के खिलाफ अपनी कंप्लेंट लिखवानी है तो आप लिखवा दो. और मुझसे कहने लगे कि अपना मेडिकल करवाकर आप भी रिपोर्ट लिखवा दो कि इसने आप को मारा है.
क्योंकि मैं बात को आगे नहीं बढ़ाना चाहता था इसलिए मैंने एसएचओ को कहा- एक बार हम बाहर जाकर बात कर लेते हैं.
हम बाहर आ गए और मैंने नेहा और सरोज को कहा- अब आप लोग खुश हो? सरोज ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और कहने लगी- राज! तुमने तो आज पासा ही पलट दिया, हमारी तो जान ही सूख गई थी.
मैंने कहा- अब क्या करना है? तो वे दोनों बोली- आप बताओ? मैंने कहा- देखो इन बातों में कोई फायदा नहीं है, अब इसको थप्पड़ भी लग गए हैं और इसको यह भी पता लग गया है कि हम किसी भी तरह से कम नहीं हैं इसलिए मैं थानेदार साहब को बोल देता हूँ कि इसको अच्छी सी वार्निंग देकर यहाँ से भगा दे. वे कहने लगी- जो तुम्हें ठीक लगता है वह कर लो.
हम लोग दोबारा एसएचओ के कमरे में आ गए और कहा कि इसको थोड़ा अच्छी तरह से धमकाकर यह कहकर भगा दो कि दोबारा इन्हें तंग ना करें.
एसएचओ साहब ने दोबारा से रोहित और एएसआई को बुलाया और दोबारा से झाड़ लगाई और रोहित को हम सब से माफी मांगने के लिए कहा. रोहित बुरी तरह से डर चुका था उसने हम सब से माफी मांगी और बाहर चला गया.
एसएचओ ने एसआई से कहा कि इनको गाड़ी में बैठाकर जहां से लेकर आए थे वहीं पर सम्मानपूर्वक छोड़ कर आओ.
जो सरोज और नेहा पहले मेरी तरफ आंख उठाकर नहीं देखती थी, वे आज दोनों मेरे चेहरे पर से अपनी नजरें नहीं हटा रही थीं.
रास्ते भर वे मेरी तरफ देख देख कर मुस्कुराती रही और आंखों आंखों में मेरा शुक्रिया अदा करती रही. मैं उनके लिए हीरो बन चुका था.
एएसआई ने घर पर छोड़ते हुए मुझसे हाथ मिलाया और सरोज और नेहा को सॉरी बोला. सभी अड़ोस पड़ोस के लोग यह सीन देख रहे थे. नेहा और उसकी मम्मी सरोज खुश हो गई.
जैसे ही पुलिस की गाड़ी गई, मैं अपने रूम में जाने लगा तो नेहा की मम्मी सरोज मेरा हाथ पकड़ कर कहने लगी- नहीं राज, ऐसे कैसे जा सकते हो, तुम अंदर आओ.
उस वक्त 1:00 बज गया था. मैंने कहा- नहीं आँटी, मैंने अभी खाना खाने जाना है. सरोज कहने लगी- पहले तुम मेरे साथ अंदर चलो.
मैं तो यही चाहता था. अंदर आकर हम सब ड्राइंग रूम में खड़े हो गए. नेहा की मम्मी कहने लगी- तुम लोग बैठो मैं चाय बनाती हूँ. मैं सोफे पर बैठ गया, सामने वाले सोफे पर नेहा बैठ गई.
हम एक दूसरे को देखने लगे, ड्राइंग रूम के अंदर से किचन दिखाई दे रही थी.
नेहा ने बैठे- बैठे किचन में काम कर रही अपनी मम्मी की तरफ देखा और बोली- राज, अगर आज आप नहीं होते तो यह बच्चा भी जाना था और हमारी बेईज्जती भी होनी थी. आपने मेरे लिए आज अपना खून तक बहा दिया, ‘थैंक यू वेरी मच’।
मैंने नेहा की आंखों में देखा और अपने चेहरे पर शरारती भाव लाकर नेहा से धीरे से कहा- सूखा ही थैंक्यू कर रही हो क्या? नेहा ने मेरी आंखों के भाव पढ़ लिए थे. उसके चेहरे पर संतोष नजर आ रहा था. उसने फिर किचन की तरफ देखते हुए धीरे से कहा- कोई बात नहीं, कभी मौका मिला तो थैंक्यू को ‘गीला’ भी कर देंगे.
जब मैंने कुछ बोलने के लिए मुँह खोला तो नेहा ने अपने होठों पर उंगली रखकर मुझे चुप रहने का इशारा किया और फिर अपनी मम्मी की तरफ देखने लगी.
नेहा अपनी मम्मी से बहुत डरती थी लेकिन उसने मुझे इशारा कर दिया था कि वह मुझे चाहने लगी है. एक बार सरोज ड्राइंग रूम में आई और फिर वापस चाय लेने चली गई. मैंने नेहा से फिर धीरे से कहा- आपके गीले थैंक्यू का मैं इंतजार करूंगा. नेहा ने आंख के इशारे से अपनी मंजूरी दे दी.
दरअसल सरोज, नेहा और बिन्दू तीनों ही हुस्न की परियां थी. उनमें केवल उम्र का अंतर था. सरोज का शरीर थोड़ा भरा हुआ और चब्बी था जिससे वह इतनी सेक्सी लगती थी कि दिल करता था उसको पकड़ कर कभी भी चोद दो.
औरत को लेकर मेरी पसंद कुछ अलग ही है. मुझे चोदने के लिए जो औरत पसन्द है उस औरत का साइज 36- 34- 36 चाहिए. चूचियाँ भारी भारी गोल होनी चाहिए, गांड भी भरी और गोल होनी चाहिए, चूत भरी और मोटी होनी चाहिए, मुझे सूखी हुई चूत जिसमें से केवल छेद दिखाई दे, वैसी चूत कम पसन्द है. दरअसल जिस चूत के छेद के बाहरी होंठ मोटे होंगें उस चूत को चोदने का अलग ही नशा है.
जब तक औरत के शरीर पर दो उंगल मांस न हो, औरत के नंगे शरीर पर हाथ फिराने में उतना मज़ा नहीं आता, अतः इस परिवार की सारी औरतें मेरी पसंद पर खरी उतर रहीं थीं.
नेहा का तो कहना ही क्या था, एकदम फिल्मी हीरोइनों जैसी सुंदर लड़की थी. बड़ी- बड़ी चूचियां, सुंदर नैयन नक्श, मोटी मोटी आंखें, शरीर के ऊपर मलाई जैसी स्किन, लेकिन पति के गंदे स्वभाव और बेमेल शादी से दुखी होकर नेहा ज्यादातर चुप ही रहती थी.
कई बार नेहा पैंट पहनती थी तो उस पैंट में उसके सुंदर पट, भरी हुई गांड और सामने से दोनों जांघों के बीच में उभरी हुई चूत देखकर मेरा दिल करता था कि भगवान इस लड़की की चूत मिल जाए तो जीवन सफल हो जाए.
मैंने नेहा को धीरे से कहा- फ्रेंडशिप करोगी? नेहा ने फिर किचन की तरफ देखा और अपनी आंखें बंद करके गर्दन को हिला कर सहमति दे दी. नेहा धीरे से बोली- मम्मी को शक ना हो. मैंने कहा- नहीं होगा, मैं ध्यान रखूंगा.
तब तक सरोज हम सबके लिए चाय बना लाई थी. हमने बैठकर चाय पी.
चाय पीकर जब मैं जाने लगा तो सरोज कहने लगी- राज, आज खाना यहीं खा लो. मैंने कहा- नहीं आंटी, मैं होटल में ही खा आऊंगा. नेहा कहने लगी- रुक जाओ, अभी 10 मिनट में खाना बना लेते हैं, आप बैठो, कहीं नहीं जाना.
मैं तो यही चाहता था कि ज्यादा से ज्यादा मैं इन लोगों के साथ बैठूं.
नेहा ने बच्चे को अपने बेडरूम में ले जाकर सुला दिया और अपनी मम्मी के साथ किचन में चली गई.
मैं ड्राइंग रूम में बैठा रहा और नेहा की तरफ देखता रहा. नेहा भी बीच- बीच में मुझे देख लेती थी.
जब नेहा की मम्मी सरोज का मुंह दूसरी तरफ था तो मैंने नेहा को एक बार आने का इशारा किया. नेहा अपने कमरे में जाने का बहाना बनाकर आई तो मैंने नेहा से कहा- नेहा मुझे बाथरूम जाना है. नेहा कहने लगी आप मेरे कमरे में चले जाओ. मैंने कहा- आप मुझे बाथरूम दिखा दो.
हमारी ये बातें सरोज सुन रही थी. सरोज बोली- कोई बात नहीं, नेहा मेरे कमरे का बाथरूम दिखा दो.
नेहा मेरे आगे आगे सरोज के कमरे की तरफ चल दी. मैं नेहा के पीछे था. जैसे ही हम कमरे में घुसे मैंने पीछे से नेहा को बांहों में भर लिया. बांहों में भरते ही नेहा के मुंह से सिसकारियां निकल गई. धीरे से बोली- कहीं मम्मी ना आ जाए? मैंने कहा- तुम देखो एक बार.
नेहा दोबारा कमरे की तरफ गई. सरोज किचन में अपने काम में लगी हुई थी. नेहा दोबारा कमरे में आई. मैंने नेहा के दोनों हाथों को ऊपर उठाकर उसे अपनी बांहों में ले लिया और उसके होठों पर जोर से किस किया. नेहा का शरीर कांपने लगा और सिसकारियां भरने लगी. मैंने नेहा से कहा- नेहा, तुम बहुत सुंदर हो. मैं बहुत दिन से तुम्हें पसंद करता था. नेहा ने कहा- मैं भी आपको हर रोज देखती रहती थी. मैंने नेहा से कहा- नेहा हम ऐसे ही प्यार करते रहेंगे.
अब मैंने फटाफट नेहा की दोनों चुचियों को दबाया. नेहा- मम्मी को डाउट हो जाएगा. मैंने कहा- ठीक है एक बार तुम एक चक्कर और लगा आओ और एक बार और आ जाओ.
पैंट के अंदर मेरा लण्ड तन चुका था जिसे नेहा देखे जा रही थी. मुझे छोड़कर नेहा किचन की तरफ चली गई लेकिन दोबारा नहीं आई. कुछ देर बाद मैं ड्राइंग रूम में आ गया और बैठ गया.
सरोज ने कहा- खाना बन चुका है, आपका लगा दूं? मैंने कहा- आप नहीं खाओगे? सरोज कहने लगी- अभी तो मैं नहाई भी नहीं हूँ, क्योंकि वह सुबह ही आ गया था इसलिए इन चक्करों में आज नहाना ही नहीं हुआ.
मैंने कहा- आंटी खाना इकट्ठे खाएंगे, आप नहा लो. सरोज कहने लगी- ठीक है मैं 10 मिनट में आई. मैंने कहा- आंटी आप आराम से नहा लो, मुझे खाने की जल्दी नहीं है.
आंटी ने मेरी तरफ एक सेक्सी सी स्माइल दी और कहने लगी- ठीक है, बैठो मैं अभी आती हूँ. यह कहकर सरोज आंटी अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चली गई.
मुझे और नेहा को एक गोल्डन चांस फिर मिल गया. नेहा ने मेन गेट बंद किया और आते ही मुझसे लिपट गई.
मैंने नेहा को अपनी बांहों में उठा लिया और ताबड़तोड़ उसे किस करने लगा. मैंने नेहा की शर्ट में हाथ डाल कर उसके मम्मों को पकड़ लिया और उन्हें दबाने लगा. नेहा लगभग डेढ़ साल से पति के संसर्ग में नहीं थी. बच्चा होने के बाद लेडीज का शरीर वैसे ही लंड की डिमांड करने लग जाता है.
मैंने सलवार के ऊपर से ही नेहा की चूत को हाथ में पकड़ कर दबाया. चूत गीली हो चुकी थी. नेहा मुझसे लिपट गई और कहने लगी- मेरा तो आपने बुरा हाल कर दिया.
मैंने कहा- नेहा पता नहीं आगे मौका मिले या ना मिले? तुम मेरा थैंक्यू गीला कर दो. नेहा बोली- मम्मी आ जाएंगी और जल्दबाजी में ठीक नहीं रहेगा, आराम से फिर मिलते हैं.
मैंने नेहा का हाथ पकड़ा और अपने लण्ड पर रख दिया. नेहा मेरे लंबे और मोटे लण्ड को पकड़ कर मेरी आंखों की तरफ देखने लगी और धीरे से बोली- इतना बड़ा हथियार? हाय मैं मर जाऊं. मैंने नेहा को कहा- एक बार मम्मी के बाथरूम के पास जाकर कान लगाकर देख कर आओ क्या पोजीशन है?
नेहा गई और तुरंत वापस आकर बोली- मम्मी अपने शरीर पर पानी डाल रही है, आवाजें आ रही हैं. मैंने नेहा का हाथ पकड़ा और पैंट के ऊपर से अपने लौड़े पर रख दिया. नेहा लौड़े के साइज का अंदाजा लगा कर मेरी और हैरानी से देखने लगी और उसे सहलाने लगी. नेहा एकदम चुदास से भर गई थी.
हम दोनों ये सब कुछ ड्राइंगरूम में ही खड़े खड़े कर रहे थे और हमें डर था कि कहीं सरोज अचानक बाहर न निकल आये. इसलिए हम जितना मज़ा ऊपर ऊपर से ले सकते थे, लेते रहे.
मैंने नेहा की चूचियों को अपने हाथों से मसला, उसे किस किया और नेहा भी मेरे लण्ड को हाथ से हिलाती रही.
तभी सरोज के बाथरूम खुलने की आवाज आई और हम अलग हो गए.
हमने खाना खाया और मैं अपने कमरे में चला गया.
आपको इस फ्री सेक्स गर्ल्स स्टोरी में मजा आ रहा होगा. अपने विचार मुझे मेल करें और कमेंट्स में लिखें. [email protected]
फ्री सेक्स गर्ल्स स्टोरी जारी रहेगी.
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