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सलोनी- हाँ मामाजी.. आप सही कह रहे हैं… शाहरूख भाई ने होंठ चूसते हुए ही काफी अन्दर तक अपना लुल्ला डाल दिया था और फिर उतने लौड़े से ही मुझे चोदने लगे, उनका लण्ड मेरी चूत में अन्दर बाहर होने लगा। उन्होंने पेट पर सिमटी मेरी नाइटी को चूचियों से ऊपर तक उठा दिया और फिर मेरी दोनों चूचियों को कस कस कर अपनी बड़ी बड़ी हथेलियों में लेकर मसलने लगे।
मैं स्वर्ग में पहुँच गई थी, अब मैं खुद उनके होंठों और जीभ को चूस रही थी, बहुत मजा आ रहा था, उनका लण्ड बहुत ही फंस-फंस कर मेरी चूत आ जा रहा था।
मैं शाहरूख भाई की जकड़ में फंसी हुई इस चुदाई का मजा ले रही थी।
उनकी गति भले ही बहुत कम थी मगर हर क्षण मेरी जान पर बनी थी, जब भी उनका लण्ड आगे जाता या फिर बाहर आता.. मेरा मजे से बुरा हाल था। शायद पहली बार मेरी चूत से इतना पानी निकल रहा था।
अब मेरा दिल करने लगा था कि वो मुझे अच्छी तरह से रगड़ डालें, मुझे खूब जोर जोर से चोदें।
मगर तभी उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया…
‘अह्ह्ह्ह्हा आआआ…!!!’
यह क्या?
अभी तो मजा आना शुरू ही हुआ था और उन्होंने लण्ड बाहर निकाल लिया?
मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने भरा हुआ डिब्बा पूरा खाली कर दिया हो।
सच चूत में बहुत ही ज्यादा खाली खाली सा लगा, मेरी चूत का रेशा रेशा उस बिना खाल वाले लण्ड को अपने अन्दर तक समा लेना चाहता था, उसके होंठ फड़क रहे थे, पहली बार तो ऐसा लगा था कि चूत में अन्दर तक ठूंस ठूंस कर कोई चीज भरी गई थी और वो सब एक साथ निकाल ली गई।
यह तो मेरी चूत के साथ बहुत नाइंसाफी थी।
मैं सलोनी के उस किस्से को. इतने रोमांचित तरीके से सुनाने के का कायल हो गया था, उसने अपनी बातों से ही हम सभी के लण्ड में हलचल मचा दी थी।
रानी ने अपने पति के लण्ड को तो अपने हाथ से ही हिला हिला कर ठंडा कर दिया था पर मेरा लण्ड अब फिर से उबाल खाने लगा था।
रानी अपना नंगा बदन लिए मेरे से चिपकी थी, मैंने उसके कंधे पर अटकी पड़ी उसकी ब्रा भी हटा दी तो वह अब पूर्णतया नंगी थी, उसके जिस्म पर कपड़े का एक धागा तक नहीं था।
मैं उसको ऊपर से नीचे तक सहलाने में लगा था, वो भी मेरे लण्ड से खेल रही थी।
उधर मामाजी ने भी फिर से सलोनी का पेटीकोट ऊपर तक चढ़ा दिया और उसकी चूत में उंगली से गुदगुदी करने लगे थे।
सलोनी उनके लण्ड को पकड़े अपनी चुदाई का किस्सा बड़े सेक्सी अन्दाज़ में ब्यान करने में व्यस्त थी।
मामाजी- हाँ बेटी, फिर क्या हुआ आगे?
सलोनी- मैंने शाहरुख भाई को बड़े ही प्यार भरी नजरों से देखा!
वो भले ही कितने भी सीधे थे, मगर मेरी नजरों की भाषा एकदम समझ गए कि मैं क्या चाह रही हूँ।
उन्होंने मेरी नाइटी को ऊपर कर मेरे सर से निकाल दिया तो अब मैं उनके सामने पूरी नंगी हो चुकी थी।
उन्होंने मुझे सीधा करके लिटाया और ऊपर से नीचे तक देखा, फिर मेरे मदमस्त हुस्न की तारीफ की तो मुझे बहुत अच्छा लगा।
फिर वो मेरे दोनों पैरों के बीच आ गए और दोनों पैर खोलकर ऊपर करके मेरी चूत को प्यार से चूमा, कुछ देर उसको अपनी खुरदरी जीभ से चाटा।
मगर मुझे यह सब अच्छा नहीं लग रहा था, मैं तो उनका मोटा और लम्बा लौड़ा अपनी फ़ुद्दी में अन्दर तक समां लेना चाहती थी।
मैंने कमर उठाकर उनको इशारा भी किया और एक बार फिर से शाहरुख भाई ने अपना विशाल लण्ड बहुत ही प्यार से मेरी चूत में डाल दिया।
इस बार उन्होंने अपने लण्ड को जड़ तक मेरी चूत में पहुँचा दिया। और फिर मेरे ऊपर आकर इस बार तेज गति से मुझे चोदने लगे।
मैं बहुत जल्दी ही झड़ गई मगर वो तो अभी शायद बहुत दूर थे, उनकी गति में कोई कमी नहीं आई थी बल्कि शायद बढ़ ही गई थी।
फिर ना जाने कैसे उनको यह एहसास हो गया, उनके धक्कों से मेरे पानी के कारण आवाज अलग सी हो गई थी।
उन्होंने ऐसे ही लण्ड को मेरी चूत में ही पड़े रहने दिया और मेरी चूचियों को चूसने लगे।
कुछ ही देर में उन्होंने मेरे को फिर से गर्म कर दिया था।
कोई नहीं कह सकता था कि उनको चुदाई का अनुभव नहीं था, वो हर तरह से एक माहिर खिलाड़ी लग रहे थे।
और फिर से उन्होंने जिस तरह से मेरी चुदाई जम कर की, मैं तो उनकी दीवानी हो गई थी, उन्होंने जब तक पानी छोड़ा, तब तक मैं तीन बार झड़ चुकी थी।
मामाजी- तो क्या शाहरूख ने अपना पानी तेरी चूत में ही छोड़ दिया था?
सलोनी- हाँ… पर मैं तो पिल्स लेती ही हूँ, आप भी छोड़ देते तो कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं अपना ख्याल रखना जानती हूँ और मुझे पानी अन्दर लेने में मजा बहुत आता है।
और मामाजी को जोश आ गया, उन्होंने एक बार फिर से सलोनी का एक पैर अपनी बगल में दबाकर अपना लौड़ा फिर से सलोनी की चूत में प्रवेश करा दिया।
मामाजी- साला, इस बार तो अन्दर तक छिड़काव कर दूँगा… हा हा!
इस नजारे को देखते ही रानी ने भी मुझे बड़ी आशा भरी नजरों से देखा तो मैं समझ गया कि यह साली भी फिर से चुदवाना चाहती है।
मैंने रानी को इस बार खड़ी करके आगे को झुकाया तो इस बार रानी अपने पति के कंधों पर हाथ रख झुकी, मैंने पीछे से उसकी फ़ुद्दी में अपना लण्ड घुसा दिया, हम दोनों पूरे गीले थे तो लण्ड आराम से अन्दर तक चला गया।
अब फिर से दोनों तरफ़ चुदाई चलने लगी, दोनों ही खड़े होकर कर रहे थे पर फर्क इतना था कि वो आगे से कर रहे थे और मैं पीछे से, आसन अलग था।
उसका कारण यह था कि सलोनी और मामा को तो कोई मतलब नहीं था, चाहे कैसे भी करें पर हम दोनों को सलोनी के कमरे में भी देखना था।
सलोनी- अह्ह्ह्हाआआह… अहहाअआह… क्या बात है मामाजी ! इस बार तो कुछ ज्यादा ही जोश आ रहा है?
मामाजी- तू चीज ही ऐसी है सलोनी बेटी, काश मेरी बहू भी तेरी जैसी होती तो उसको रोज चोद चोद कर खूब मजे करता!
सलोनी- अह्ह… अह्हा ओह अह्हाह… अह… अह्ह्ह… तो चोद लेना ना… सोच लेना मुझे ही चोद रहे हो!
मामाजी- अरे मैं उसको सोते हुए मजबूरी का फ़ायदा उठाना नहीं चाहता। अगर वो जरा सा भी हिंट दे कि वो चुदने को राजी है तो बस… आह्ह… आआहह… आह… ओह्ह्ह…
मैं- ले मेरी रानी… तेरा एक तो और जुगाड़ कर दिया मैंने! आःह्हाह…
रानी- अह्हाह… अह्हाअ… अह्हा नहींईईईई… ये तो हो ही नहीं सकता… अह्ह्ह अह्हा अहा…
उसका पति- क्यों नहीं?? जब इससे चुदवा सकती है तो वो मेरे पिताजी हैं… देख न चुदाई के लिए कितने परेशान रहते हैं।
रानी- तुम तो चुप रहो… अहा आह्ह… अह… अह्हा… अह्हा अह्ह…
मामाजी- अच्छा बेटा, उस चुदाई के बाद भी शाहरुख से फिर कभी दोबारा से चुदवाया क्या?
सलोनी- अह्ह… अह्हा ह्ह्ह अह… बस उसी टूअर में… आअह अह्ह्ह्हा…
मामाजी- मतलब उसके बाद कभी नहीं… अह्हा?
सलोनी- नहीं… वो कभी आये ही नहीं… और ना ही उनसे बात होती है।
मैंने सोचा कि सलोनी उनसे झूठ क्यों बोल रही है? शाहरुख तो 5-6 बार हमारे घर आ चुका है। समझ नहीं आ रहा था कि वो सब ऐसे ही बोल रही थी या फिर कुछ खास बात है?
मामाजी- तो फिर उस टूअर में तुम कितनी बार चुदी उससे? अह… अह्ह्ह… यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
सलोनी- अह्ह अह्हाह अह अह्हा… कई बार… 15 दिनों तक… जब भी मौका मिला… मजे की बात तो यह रही थी कि उस टूअर में अंकुर मेरे पति होते हुए भी मुझे एक बार भी नहीं चोद पाये थे, जब उनका दोस्त जिससे पहली बार मिली थी, उसने पूरा हनीमून मनाया।
मामाजी- ऐसा क्यों?
सलोनी- अरे उस एक कमरे के कारण… अंकुर चुपचाप वाली मस्ती तो कर लेते थे पर मुझे चोदते नहीं थे, उनको डर रहता था कि उससे आवाज होगी, इसी कारण बस ! हाँ, हर रात को मैं अपने हाथ से उनका निकाल जरूर देती थी।
मामाजी- अह… ओह अहा… बेचारा… तवा गर्म वो करता था, अह्ह अह्हाह… और रोटी कोई और सेकता था।
यह बात तो सलोनी बिल्कुल सही कह रही थी, मुझे याद है कि उस टूअर पर मैं काम में ही ज्यादा व्यस्त रहा था और सलोनी को एक बार भी नहीं चोद पाया था।
मुझे यह भी याद आया कि घर आने के बाद भी करीब 7-8 दिन तक वो मुझसे बचती रही थी कभी मेंसिस कहकर तो कभी तबीयत खराब होने का बोलकर! और जब मैंने उसको चोदा था तो मुझे उसकी चूत कुछ ढीली सी महसूस हुई थी मगर मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया था। लेकिन असल में तो यह बात थी…!!
सलोनी- अह… अह्ह… हा हा… अब पैर नीचे कर दो ना… दर्द होने लगा है… अह ह्हा अह आह…
मामाजी- हा हा आह्ह… अहा… कहाँ?
सलोनी- ओह पैर में, अह अह… आपका उतना बड़ा नहीं है… हा हा… आह ह्हा…
मामाजी- अह हाँ रे… मैं कोई शाहरुख तो हूँ नहीं… अह अह्हा…
उन्होंने सलोनी को फिर से वैसे ही आराम से गद्दे पर लिटाया और फिर से उसकी फ़ुद्दी में लौड़ा डालकर आराम से चोदने लगे।
मामाजी- पर यह तो बता कि दोबारा कब और कैसे चोदा शाहरुख ने तुझको? उस समय तो बहुत मजा लूटा होगा तूने?
सलोनी- हाँ मामाजी… मैं तो शाहरुख भाई के लण्ड की कायल हो गई थी, बहुत ही मजबूत लण्ड था उनका, कितना भी चोद लें, हर समय खड़ा ही रहता था और वो एक भी मौका नहीं जाने देते थे। उन दो हफ़्तों में ना जाने कितनी बार उन्होंने मुझे चोदा होगा। एक ही दिन में कई कई बार वो मेरी ठुकाई कर देते थे।
मामाजी- पर बता तो कि कैसे… अंकुर कहाँ होता था और वो कैसे मौका निकालता था?
सलोनी- अहहा अह्ह उम्म… ओह हाँ… बताती हूँ… अह अह्हा… कहानी जारी रहेगी।
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