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दोस्तो, मैं सुशान्त एक बार फिर से अपनी नई कहानी लेकर आप लोगों के सामने हाजिर हूँ। मेरी पिछली कहानी के आप लोगों का जो प्यार मुझे मिला, उसके लिए मैं आप सब का शुक्रगुजार हूँ और उम्मीद करता हूँ कि मुझे आप लोगों का प्यार मिलता रहेगा, मैं लड़की चोदता रहूँगा और आप लोगों को बताता रहूँगा।
यह कहानी मेरे दोस्त मयंक की बहन अंकिता और मेरी है।
जब मैं राउरकेला में मुझे चूत की आदत लग गई थी और मुझे तीन चूतें भी मिल गई थीं जिससे हर दिन लौड़े का स्वाद बदलता रहता था।
लेकिन जब मैं दिल्ली वापस आया तो मुझे जब चुदाई की जरूरत हुई तो मेघा को चोदने को लिए पटाया और उसको चोदा, यह आप मेरी पिछली कहानी में पढ़ चुके हैं।
अब मुझे एक चूत से मन नहीं भरता था तो मैं साधना मैम पर अपना जादू चलाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वो इतनी जल्दी हाथ में नहीं आने वाली थी, वो टाल-मटोल कर रही थी। उसके अलावा फिलहाल मेरे पास कोई चूत तो थी नहीं, जिसे मैं चोद सकूँ, सो मैं नई लड़की की खोज में लग गया।
दिल्ली में मयंक मेरा एक दोस्त था और मैं उसके घर आता-जाता रहता था।
एक दिन मैं उसके घर गया तो मैंने एक लड़की को देखा। मैंने उसे देखते ही सोचा कि यार चूत तो यहीं मिल गई।
जब मैंने उसे देखा तब वो कैपरी और टी-शर्ट में थी। उसका फिगर 34बी-26-32 होगा। क्या मस्त उठी हुई चूचियाँ थीं। उसके गोरे गाल बिल्कुल दूध की तरह, गुलाबी होंठ जैसे बुला रहे हों कि आओ हमें चूस लो, काले और लम्बे बाल जो खुले हुए थे… आह.. क्या नशीला बदन था..!
उसको देखकर मेरे होश उड़ गए। उसकी पतली कमर, चिकनी मस्त गांड, भरी हुई बड़ी-बड़ी चूचियाँ देख कर मेरे मन में उसके साथ रात बिताने के ख्याल आने लगे।
उसकी बगैर ब्रा की टी-शर्ट से बड़ी-बड़ी चूचियों की घुन्डी साफ दिख रही थीं।
उसकी झील सी गहरी आँखों का तो जवाब ही नहीं था, तीखे नयन-नक्श, कुल मिला कर उसके बदन में कहीं से भी कोई भी कमी नजर नहीं आती थी।
उसकी उम्र लगभग 25 साल होगी, वो इतनी सेक्सी लग रही थी कि मुझे लगा कि मैं खड़े-खड़े झड़ जाऊँगा।
तभी मेरे दोस्त ने बताया कि यह उसकी ममेरी बहन है जिसकी 35 दिन पहले शादी हुई है। लेकिन उसके पति को कॉल आ गया और शादी की रात को ही चले गए। यह दिल्ली से ही एमबीए करने आई है।
मैंने मन में सोचा इसने तो अभी सुहागरात भी नहीं मनाई होगी। अब यही मेरे लौड़े के निशाने पर रहेगी।
मैं बोला- चलो अच्छी बात है।
फिर मैं बैठ गया तब वो चाय लेकर आई, मुझे देने के लिए झुकी जिससे उसकी दोनों चूचियों की आधी झलक मुझे दिख गई।
मैं ध्यान से उसकी चूचियों को देख रहा था। मेरा मन कर रहा था कि अभी ही मैं उसकी चूचियों को पकड़ कर मसल दूँ, पर मैं कुछ कर नहीं सकता था। यह बात शायद उसे पता चल गई थी, वो जानबूझ कर सोफे पर ऐसे झुक कर बैठी कि मुझे उसके मम्मे आसानी से दिख जाएँ।
मैंने भी उसके मम्मे को देखने का लालच नहीं छोड़ा। उसने मुझे देखते हुए पकड़ लिया, वो मुस्कराई और मैं शरमा गया लेकिन हम दोनों की नजरें बहुत कुछ कह गई थीं।
अब मैं मयंक के घर बहुत जाता था। मयंक से मिलने और फिर अंकिता को ताड़ने और किसी बहाने से उसको छूने का प्रयास करता रहता।
अब तक वो भी समझ गई थी कि मैं इतना उसके घर क्यों आता हूँ, तो जब भी जाता मुझे अपने प्यारे सामान दिखा कर मजा देती थी।
मुझे जब भी मौका मिलता उसके चूतड़ों को दबा देता तो कभी चूची पर हाथ फेर देता था। वो मुस्कुरा कर कुछ नहीं बोलती तो मैंने सोचा कि अगर इससे अकेले में मुलाक़ात हो तो यह चुद भी सकती है।
मैं वैसा ही कोई मौका ढूँढ़ने लगा। एक दिन मेरी किस्मत खुल गई और मुझे मौका मिल गया।
एक दिन मैं उसके घर गया और घर के बाहर से आवाज दी, पर कोई बाहर नहीं आया। मैंने दरवाज़े की घण्टी बजाई तो अन्दर से अंकिता बाहर आई और तब वो रेशमी चोली, घाघरी और ओढ़नी पहनी थी।
तो मैंने पूछा- मयंक है? उसने कहा- घर में कोई नहीं है, सब बाजार गए हैं।
यह सुन कर मैंने मन ही मन में सोचा आज इसको चोदने के लिए राज़ी करने का अच्छा मौका है, मैं अन्दर चला गया।
फिर वो मेरे सामने ही सोफ़े पर बैठ गई। मैंने थोड़ी बात की और उसकी चूची देखने की कोशिश कर रहा था। वो समझ गई और उसने अपनी ओढ़नी को हटा दिया और मेरी ओर झुक कर बैठ गई। अब मुझे उसके चूची आराम से दिखने लगी।
फिर मैं उठा और उसके बिल्कुल बाजू में बैठ गया और उसकी जांघों से मेरी जांघें टकराने लगीं।
वो कुछ नहीं बोली, मेरा विश्वास बढ़ गया। मेरा बदन भी अब गर्म हो गया। मैंने अब अपना हाथ उसकी जांघ पर रखा और धीरे-धीरे हाथ फ़िराने लगा।
वो पत्थर सी हो गई। मैं अपनी कोहनी उसके चूचों पर टकराने लगा, मैं धीरे-धीरे और नजदीक आ गया। उसके बदन पर छोटी चोली होने से उसकी गोरी-गोरी कमर और सपाट पेट का काफ़ी हिस्सा खुला था।
मैंने उसे कमर से थाम लिया। उसने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दीं। मैंने उसे अपने पास खींच लिया, मेरा सिर उसके सीने से दब गया, सिर हिला कर मैंने उसके स्तन टटोला, खुले हुए गोरे पेट पर मैंने चुम्बन कर दिया। गुदगुदी से वो छटपटाई, मैं उसे पकड़ कर चुम्बन करता रहा।
आख़िर उसने मेरे बाल पकड़ कर मेरा सिर हटा दिया, बोली- मुझे बहुत गुदगुदी होती है।
मैं- यह तो तेरा पेट है, यहाँ (चूत पर हाथ रखते हुए) चुम्बन करूँगा तब क्या होगा?
उसने तुरंत मेरा हाथ हटा दिया।
एक उंगली मेरे होंठों पर रख कर बोली- धत्त, ऐसा नहीं बोलते।
मैंने होंठ खोल कर उसकी उंगली मुँह में ले ली और चूसने लगा।
मेरा दूसरा हाथ कमर पर से उतर कर उसके भरे-भरे चूतड़ों पर जा पहुँचा। मैंने उसके कूल्हे सहलाए और दबाए।
उसने मेरे मुँह से उंगली निकाल ली और सिर झुका कर अपने होंठ मेरे होंठ से लगा दिए, अपनी जांघें चौड़ी करके मैंने उसे मेरी बाईं जाँघ पर बिठा दिया। हमारे होंठ चूमने में जुटे हुए थे।
बंद होंठ से ही मैंने उसके कोमल होंठ रगड़े। मुँह खोल मैंने उसके होंठ मेरे होंठ भींच लिए और जीभ से चाटे।
फूल की पंखुड़ी जैसे कोमल उसके होंठ मुझे इतने मीठे लगे कि मेरा लंड अकड़ने लगा। मैंने जीभ से मैंने होंठ टटोले तब वो फिर छटपटा गई।
मैंने कहा- अपना मुँह तो खोलो ज़रा।
थोड़ी हिचकिचाहट के बाद उसने मुँह खोला, मेरी जीभ अन्दर जाकर चारों ओर घूम चुकी और उसकी जीभ से खेलने लगी।
मैंने अपनी जीभ लंड जैसी कड़ी बनाई।
अपनी कड़ी जीभ अन्दर-बाहर करके मैंने अंकिता का मुँह चोदा।
जब मैंने मेरी जीभ वापस निकाल ली, तब उसने अपनी जीभ से वो सब किया जो मैंने किया था। हम दोनों उत्तेजित होने लगे।
अभी हमारी चूमा-चाटी चालू ही थी कि मेरा हाथ अंकिता के पेट पर चला गया और मैंने पेट को सहलाया। उसकी बाहें मेरे गले में थीं इसलिए दोनों स्तन खुले थे। पेट पर से मेरा हाथ चोली में क़ैद अंकिता के स्तन पर गया। पहले मैंने हलके स्पर्श से स्तन सहलाया, बाद में दबाया। चोली पतले कपड़े की थी और लो कट भी थी। मेरी ऊँगलियों ने उसके निप्पल ढूँढ निकाले। दो ऊँगलियों से टटोलने के बाद मैंने निप्पल को उँगलियों की चुटकी में लिया।
अंकिता ने मेरी कलाई पकड़ ली और हाथ हटाने का प्रयत्न किया पर मैंने मुट्ठी में स्तन भर के उसे अपना हाथ नहीं हटाने दिया।
उधर चुम्बन की मस्ती में वो अपना स्तन भूल गई, उँगलियों में पकड़ा हुआ निप्पल मैंने मसला और खींचा। उसकी बाँहों की पकड़ ज़्यादा ज़ोरदार हो गई, मेरी ऊँगलियों उसके निप्पल छोड़ कर स्तन के खुले हिस्से पर घूमने लगीं।
मैंने चोली के अन्दर उंगली डालने का प्रयत्न किया, लेकिन डाल न सका क्योंकि चोली छोटी और टाइट थी तो मैं एक-एक करके चोली के हुक खोलने लगा।
तभी वो बोली- कोई आ जाएगा।
तब तक मैं उसके दो हुक खोल चुका था, मैंने अपने हाथ को उसकी चोली के अन्दर डाल दिया और ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूची को दबाने लगा।
फिर मेरा हाथ फिसलता हुआ उसकी पिछाड़ी पर चला गया और मैंने उसकी गाण्ड को दबा दिया।
उसके घाघरे को थोड़ा ऊपर खिसका कर उसकी चूत पर ऊपर से हाथ फेरने लगा।
फिर मैंने उसे सोफे पर लिटा दिया और मैंने बिना वक्त गंवाए उसकी चूत पर मुँह लगा दिया और पैंटी के ऊपर से ही उसको चूसने लगा।
वो मेरे सर को जोर-जोर से दबाने लगी और मैं भी जोश में आकर उसकी चूत को चूसने लगा।
अब मैं अपने आपे से बाहर हो रहा था।
मैंने अब मौका गंवाए बिना उसकी पैंटी भी उतार फेंकी।
फिर मैं अपना मुँह उसकी चूत के पास लेकर गया और उस पर चूम लिया।
उसने अपनी टाँगें चौड़ी कर दीं, मैं अब उसकी चूत को अच्छी तरह देख सकता था, उसकी चूत मस्त गुलाबी, बिना बालों की एकदम फूली हुई थी जिसमें से मेरे लिए परिचित सी खुशबू आ रही थी। उसकी चूत को देख कर साफ़ पता लग रहा था कि उसने अपने बाल आज ही साफ़ किए थे, मतलब आज वो इसके लिए तैयार थी।
मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी और उसको चाटने और चूमने लगा। उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी और मैं उसका रस पी रहा था। तभी किसी ने दरवाज़े की घण्टी बजाई। दोस्तो, मेरी कहानी कैसी लग रही है, मुझे ज़रूर लिखें। [email protected] http://www.facebook.com/shusant.chandan?ref=tn_tnmn कहानी अगले भाग में समाप्य।
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