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प्रेषिका : रत्ना शर्मा सम्पादक : जूजाजी
दोस्तो, मैंने कुछ दिन पूर्व पकिस्तान से एक मोहतरमा कौसर की कहानी सम्पादित की थी जिसको पढ़ कर मेरे पास फेसबुक पर एक महिला ने सम्पर्क किया और मुझे कौसर जैसी ही एक घटना के बारे में बताया जो कि उनके साथ अभी तक चल रही है।
उन्होंने अपनी पूरी दास्तान मुझे लिख कर भेजी और मैंने उनकी कहानी को सम्पादित करके जस की तस आपके सामने रखने का निर्णय किया।
आप कहानी को रत्ना जी की लेखनी से ही पढ़ें और अपने विचार व्यक्त करें।
नमस्कार साथियो, मेरा नाम रत्ना शर्मा है और मैं भीलवाड़ा से हूँ और मैं आज आपको अपने परिवार और मेरी कहानी बताने वाली हूँ जो कुछ महीनों पहले की ही है, जो घटना मेरे साथ हुई थी और अभी तक हो रही है।
घटना को सुनाने से पूर्व मैं आपको अपने बारे में बता दूँ, मेरी लम्बाई 5′ 5″ है और मैं थोड़े गठीले बदन की हूँ। मेरे वक्ष का नाप 34 कमर 29 और मेरे नितम्ब 36 इन्च के हैं और अभी मेरी उम्र 39 वर्ष की है। मैं एक शादीशुदा औरत हूँ और अच्छे परिवार से हूँ।
मैंने कुछ दिन पहले से ही अन्तर्वासना पर कहानी पढ़ना शुरू किया था। उसमें मैंने एक कौसर की कहानी बहू-ससुर की मौजाँ ही मौजाँ पढ़ी जिसमें उसके ससुर ने उसके साथ अपना मुँह काला किया था, तो सोचा कि मेरी आपबीती भी दुनिया को पता लगना चाहिए कि दुनिया में अभी भी ऐसे इंसान होते हैं जो अपनी बहुओं के साथ अपनी हवस मिटाते हैं।
मेरे दो बच्चे हैं एक लड़की 22 वर्ष की है, जिसका नाम पिंकी है और वो अपने ननिहाल में नाना-नानी के पास ही रहती है। वो कॉलेज में पढ़ती है। एक बेटा 19 वर्ष का है जो दूसरे शहर उदयपुर राजस्थान में रहता है, वहीं पर कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर रहा है। मेरे पति की पास के गाँव में किराने की दुकान है और उनका नाम गोपाल है और मेरे ससुर का नाम बालू है। मेरे ससुर जी अध्यापक थे पर अब नहीं पढ़ाते हैं।
अब मैं अपनी कहानी पर आती हूँ। मैंने आपको बताया कि मैं एक अच्छे परिवार से हूँ और गाँव में रहती हूँ तो यहाँ पुराने चलन के अनुसार हम औरतों को घूँघट निकालना पड़ता है। तो मैं भी निकालती थी।
मेरे जेठ जी और जेठानी अलग मकान में रहते थे, मेरी सासू जी कभी-कभार उनके घर पर ही रहती थीं। मेरे पति को व्यापार में घाटा हो गया, तो वो धन्धा करने महाराष्ट्र चले गए और यहाँ पर मैं, मेरे ससुर जी और मेरी सास कमला ही रहते थे। बस एक दिन मेरी सास मेरे जेठ जी के घर पर ही थीं।
इस घर पर मैं और मेरे ससुर जी ही अकेले थे। मेरे घर के गोदाम में कुछ पुराना सामान पड़ा था, उनमें कुछ पुराने कपड़े की गठरियाँ भी थीं, तो उनको लेने वाला एक कबाड़ी आया था। मैंने सोचा कि यह कबाड़ इसको बेच दूँ, उसको देने के लिए गई तो गोदाम में मुझे कुछ हलचल सुनाई दी।
मैं खिड़की के पास ही रुक कर अन्दर की तरफ़ देखने लगी। अन्दर का नजारा देखा तो मेरे पैरों तले की ज़मीन खिसक गई क्योंकि अन्दर मेरे ससुर बालू जी थे और वो भी मेरी पुरानी ब्रा और कच्छी पहने हुए थे और अपने लंड को ज़ोर-ज़ोर से आगे-पीछे कर रहे थे और उनका लंड क्या बताऊँ इतना मोटा और लंबा था कि खड़ा होने के बाद कम से कम 11 इन्च का था। मुझे तो अपनी आँखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था।
फिर उनका लंड हिलाते हुए सफेद-सफेद पानी निकल गया। झड़ने के बाद उन्होंने मेरी कच्छी से लंड को पोंछा।
फिर मैं अपने कमरे में चली आई। नीचे पुराने कपड़े लेने वाला अभी भी बैठा था। मैं ऊपर की मंजिल पर रहती हूँ, नीचे मेरे ससुर जी का कमरा है और फिर जब ससुर जी अपने कमरे में चले गए, तब मैं गोदाम में गई तो गठरी का सामान बिखरा पड़ा था। मैं उन कपड़ों को लेकर नीचे गई तो उस कबाड़ी को दिखाने लगी कि ये कपड़े हैं। सामने ससुर जी का कमरा था।
कमरे के बाहर ही कबाड़ी बैठा था वो बोला- अरे भाभी जी ये कच्छी को तो धो कर देतीं… अभी उतार कर लाई हो क्या?
मेरा तो चेहरा शर्म से लाल हो गया, ससुर जी सब देख-सुन रहे थे।
तो मैंने कहा- पर भैया मैं तो अभी गोदाम से ले कर आई हूँ।
तो उसने मुझे कच्छी दिखाई, उस पर ससुर जी का माल लगा हुआ था। अब मैंने उसको ‘सॉरी’ बोला और बाकी के कपड़े दे दिए। वो कपड़े ले कर चला गया।
रात भर मेरी आँखों के सामने मेरे ससुर जी का लंड घूमता रहा था, जो मेरे पति से बहुत बड़ा था और मुझे अच्छा भी लगा था। मैंने दूर से देखा था पर फिर भी मुझे उस पर रश्क आ रहा था। फिर कुछ दिन ऐसे ही सामान्य चलता रहा।
फिर एक दिन ससुर जी घर में नहीं थे, मैं अकेली थी तो घर का ऊपर-नीचे का सारा काम खत्म करके फिर नहाने के लिए नीचे गई।
हमारे घर का गुसलखाना नीचे ठीक ससुर जी के कमरे के पास ही है। मैं चूंकि घर में अकेली थी, तो मैंने घर का दरवाजा यूँ ही भिड़ा कर बंद कर दिया, कुण्डी नहीं लगाई और नहाने में लग गई।
क्योंकि मेरे पूरे शरीर में तो उसी दिन से आग लगी हुई थी जब से मैंने अपने ससुर का हलब्बी लौड़ा देखा था और 3 महीने से मेरे पति गोपाल भी यहाँ नहीं थे तो मेरी चूत में भी आग लगी हुई थी।
मैं क्या करती सो मैंने नहाते हुए ही अपनी ‘मुनिया’ में ऊँगली करने लग गई और अपने बोबों को मसलने लग गई।
घर पर तो कोई था नहीं सो गुसलखाने में न नहा कर बाहर आँगन में ही नहाने लग गई और वहाँ एक बड़ा सा आइना लगा हुआ था। उसमें खुद को नहाते हुए अपने आपको नंगी देखने लगी।
ऐसा मैं पहली बार देख रही थी तो अपने तन के सौन्दर्य को आईने में निहारने लगी और मुझे मालूम नहीं रहा कि मेरे ससुर जी आ गये और उन्होंने दरवाजा थोड़ा खोल लिया और वो वहाँ पर खड़े होकर मुझे नंगी देख रहे थे।
मुझे जैसे ही इस बात का अहसास हुआ और मैंने उनको देखा तो मैं एकदम से घबरा उठी और नंगी ही ऊपर जाने की सीढ़ियों पर दौड़ लगा दी।
मैं अपने कपड़े और तौलिया भी नहीं लाई थी तो मुझे नंगे बदन ही जाना पड़ा।
मैं अपने नंगे बदन को लेके ऐसे ही ऊपर भागी और ससुर जी ने मुझे पूरा नंगा देख लिया। मैं तो शर्म से मरी जा रही थी कि मेरे साथ ये सब क्या हो रहा है।
पर भगवान जो करता है वो सही करता है। कुछ देर बाद मैं अपने बदन को पोंछ कर कपड़े आदि पहन कर रसोई में खाना बनाने आ गई और खाना बना कर ससुर जी को उनके कमरे में खाना देने गई, तो मैं तो साड़ी में थी और ऊपर से घूँघट निकाल रखा था।
मैंने देखा कि ससुर जी मुझे घूर रहे थे, शायद उन्हें मेरा नंगा बदन अच्छा लगा था।
मुझे तो शर्म आ रही थी कि ससुर जी ने आज से पहले तो मेरी तरफ़ ऐसे नहीं देखा था। फिर मैं खाना देकर अपने कमरे में आ गई।
कुछ देर बाद मुझे खबर लगी कि सासू जी बीमार हो गई हैं तो वे जेठ जी के घर पर ही रुक गई थीं और यहाँ हम दोनों ससुर और बहू ही थे। कहानी जारी रहेगी। आपके विचार व्यक्त करने के लिए मुझे लिखें।
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