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मेरे 8 इन्च के खड़े लंड से आप सभी चूत की रानियों को मैं नमस्कार करता हूँ।
मेरा नाम आदित्य है, दिल्ली का रहने वाला हूँ, मेरा कद 5 फुट 7 इंच है, मेरा रंग ना ज़्यादा साफ, ना ही काला यानि मध्यम वर्ण का बंदा हूँ। मैं दिखने में आकर्षक हूँ और मेरी उम्र 21 साल है।
अब आपका ज़्यादा समय ना लेते हुए कहानी पर आता हूँ।
मैं मई के महीने में दिल्ली अपनी मेडिकल की कोचिंग करने आया था, मैं पढ़ने में ठीक था, तो माँ-बाप ने डॉक्टर बनाने का फ़ैसला किया।
मैं अपने मामा के साथ रहता हूँ, वो सुबह 8 बजे जाते हैं और फिर रात को ही लौटते हैं।
जिस फ्लैट में मैं रहता हूँ उसी फ्लैट में एक भाभी रहती थीं, अब नहीं रहती हैं। उसकी नई-नई शादी हुई थी, क्या कमाल की भाभी थीं.. गोल-गोल बड़े-बड़े चूतड़.. चूचियों को तो देखते ही दबाने का मन होता था… लगता था कि अभी दूध बाहर आ जाएगा।
उनका नाम था पल्लवी था।
मैंने जब से उनको देखा, उनकी चूत और गांड मारने का मन पक्का हो गया था, पर मैं बार-बार उनके मदमस्त जिस्म को चोदने की सोच कर अपने हाथ से ही काम चला लेता था।
मैंने धीरे-धीरे उनसे बात करना शुरू किया और कहते हैं ना भगवान के घर देर है अंधेर नहीं..!
एक दिन मैं अपनी हाफ पैंट नीचे कर अपने लण्ड पर तेल लगा रहा था और मेरा लंड अकड़ कर 8 इंच का हो गया था। तभी मेरे दरवाजे की घन्टी बजी।
मैंने अपना लंड अन्दर करके दरवाजा खोला तो देखा भाभी थीं। अब तो मेरा लंड और उछाल मारने लगा, लाल रंग की साड़ी में कमाल का माल लग रही थीं।
मैंने उन्हें अन्दर आने को बोला, वो अन्दर आकर सोफे पर बैठी।
मैं अपने लंड को छुपाने लगा उन्होंने यह करते हुए मुझे देख लिया था।
कुछ देर बाद मज़े ले कर बोलीं- बहुत बड़ा हो गया है.. बदमाशी करने लगा है अब..! हैं?
मैं हड़बड़ा कर बोला- क्या बदमाशी भाभी..!
भाभी मेरे बगल में आकर बैठ गईं और मेरे गालों को चूम लिया। मुझे करंट सा लग गया।
मैं भाभी की तरफ देख कर मुस्कुराया और फिर उनके होंठ चूम लिए।
भाभी- रूको मैं अभी आती हूँ।
मैंने अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा- जल्द आना.. इसका बुरा हाल है।
भाभी- बदमाश..
कह कर चली गईं और वापस एक बोतल ले कर आईं, पूछने पर बताया।
भाभी- यह मेरे पति की स्प्रे है, उन पर इसका कोई असर नहीं होता।
यह कहते हुए मेरे लंड पर हाथ लगा दिया और मेरे शरीर में फिर करंट दौड़ गया।
मैं- अरे भाभी, यह क्या कर रही हो?
भाभी ने मेरे लंड को हाथ में लिया और स्प्रे मार दिया और बोली- हाय रे आदित्य… तेरा लंड कितना मस्त है.. बड़ा और मोटा भी है.. मेरी चूत तो फट ही जाएगी रे..
मैं- भाभी आप तो कमाल की माल हो.. मैं आपसे प्यार करना चाहता हूँ अपनी चूचियाँ दिखाओ ना।
भाभी- खुद ही खोल कर देख ले.. अब तो मैं तेरी ही हूँ जानेमन।
मैंने भाभी की ब्लाउज खोला.. अन्दर लाल रंग के कप वाली ब्रा को मैं देखते ही पागल हो गया।
मैंने झट से उसे हटा कर चूसना और काटना चालू कर दिया। भाभी सिसकारियाँ लेने लगीं..
फिर हम बिस्तर पर आ गए।
भाभी- खा जा.. मेरे राजा.. पी जा मेरा दूध.. मेरे इनसे मादरचोद से कुछ होता ही नहीं.. आहह.. आह.. उउहह उउहह.. हाय राम.. खा जा मेरे शोना.. मैं- हाँ… मेरी रानी.. मैं भी तेरी चूत और चूचियों को खाना चाहता था.. आज नहीं छोड़ूँगा।
फिर हम दोनों ने फटाफट एक-दूसरे के कपड़े उतारे और मैं उनकी चूत देख कर दंग रह गया।
बिल्कुल चिकनी चमेली थी.. एक भी बाल नहीं था। मैंने झट से उनकी चूत को मुँह में ले लिया और चाटने और चबाने लगा। वो लगातार सिसकारियाँ लिए जा रही थीं।
भाभी- हाय मेरे चोदू राजा.. बड़ा गजब चूसता है रे.. आहह आहह तू..
मैं अपनी जीभ उनकी चूत में डाल कर घुमा रहा था।
भाभी- अरे मेरे राजा अपना लंड तो चखा दे मुझे.. मुँह में पानी आ रहा है।
मैं- हाँ.. मेरी चूत रानी.. लो ना।
उनके दूध पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और ज़ोर से अपना लंड मुँह में पेल दिया। वो बिल्ली की तरह चपड़-चपड़ चूसने लगीं।
मैं- आय हाय मेरी प्यासी रखैल.. चूस.. चूस और चूस..
भाभी- हाँ.. मेरे हीरो तेरा लंड बहुत प्यारा है.. मैं तो खा जाऊँगी इसको।
मैं- खा जा रे.. तेरे लिए ही तो मालिश कर कर के बड़ा किया है इसे..अहह..
फिर हम 69 की अवस्था में आकर मैं उनकी चूत और वो मेरा लंड चाटने लगी।
ये सब करीब आधे घंटे तक चला.. जिसमें वो दो बार झड़ चुकी थी।
भाभी- आजा मेरे चूत के दिलवाले.. आकर अपने लंड से इसको शांत कर दे.. उस हरामी में तो दम ही नहीं है.. ऐसे ना चूसता है ना चुसवाता है.. मैं कसमसा कर रह जाती हूँ.. अपनी ऊँगली से काम चलाना पड़ता है।
मैं- मेरे होते हुए ऊँगली की क्या जरूरत मेरी रानी।
फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुख पर रखा और ज़ोर से झटका मारा, वो चिल्लाने लगी।
भाभी- हाए रे.. फाड़ दी.. तूने रे.. मेरी.. तेरा बहुत बड़ा है.. आहहाहह आआआहह।
वो चिल्लाती रही, मैं उसके चूचे चूसता रहा फिर रुक कर जोरदार झटका मारा.. मेरा पूरा लंड अब अन्दर था।
वो मुझे अपनी तरफ खींचने लगी, पीठ पर नाख़ून धंसाने लगी। मैंने भी अपनी कमर हिलाया और लंड को अन्दर-बाहर किया।
कुछ देर कमरे में ‘आहह आहह उउहह उऊहह’ की आवाजें गूँजती रहीं। फिर वो मेरे ऊपर आ कर अपनी चुदाई करवाने लगी और अपने पति को गालियां देने लगी।
भाभी- हाय रे आदित्य तू बहुत मज़ेदार है रे.. तेरा ग़ज़ब का लंड है.. तेरी बीवी बहुत खुश रहेगी.. पर एक मैं हूँ जिसका पति साला भड़वा मादरचोद.. उस बहनचोद के लंड में ताक़त ही नहीं है.. आहह आहह उफ़फ्फ़… हाय मेरे सैयाँ.. तू कमाल का है रे।
मैं- अरे जानेमन.. मैं तेरी गांड भी मारना चाहता हूँ।
भाभी हंसते हुए बोली- मार लियो मेरे राजा।
मैं- जानेमन मेरा आने वाला है.. कहाँ निकालूँ?
भाभी- अन्दर ही निकाल.. मुझे माँ बना अपने बेटे की।
फिर मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में निकाला।
हमारी चुदाई का सिलसिला जारी रहा। मैंने उसकी गांड भी मारी.. वो किस्सा मैं बाद में बताऊँगा।
कुछ दिन बाद पता लगा कि वो पेट से है।
वो आकर मुझसे लिपट कर खूब चूमी, पर कुछ ही दिन बाद उसके पति का ट्रान्सफर हो गया और वो चली गई।
जाते वक्त मिल भी नहीं पाई, मैं क्लास में जो था। उसने मेरे लिए ‘गुडबाय’ का एक मैसेज किया, मुझे उसके जाने से बहुत बुरा लगा।
तब से अभी तक खाली हूँ कोई मिली ही नहीं। मैं अभी भी किसी का इंतजार कर रहा हूँ।
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