This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
मिताली और उनके पति पंकज सहारनपुर में रहते थे, पंकज सरकारी बैंक में नौकरी करते थे, लेकिन उनका तबादला पटियाला हो गया था तो वे अपना कुछ सामान पटियाला लेकर जा रहे थे, वैसे तो काफ़ी सामान उन्होंने छोटे ट्रक से भेज दिया था पर कांच की कुछ चीज़ें, क्रॉकरी आदि अपनी कार से लेकर जा रहे थे।
हर्षित नाम का एक युवक उनके पड़ोस में ही रहता था। सामान कुछ ज़्यादा था इसलिये पंकज ने हर्षित को भी साथ चलने को कहा ताकि वहाँ जाकर सामान गाड़ी से उतारकर रखवाने में ज़्यादा दिक्कत ना हो।
रविवार का दिन होने के कारण हर्षित के कॉलेज की छुट्टी थी और वैसे भी हर्षित मिताली भाभी का कहा हुआ कभी नहीं टालता था। उनका बात करने का तरीका ही इतना लुभावना था कि जब भी वो प्यार से कोई भी काम कहती, हर्षित मना ना कर पाता था।
सितम्बर का महीना था। हर्षित की पूरी सुबह मिताली भाभी और उनके पति पंकज का सामान उनकी गाड़ी में रखवाने में निकल गई थी।
पंकज और मिताली की शादी को अभी ढाई साल ही हुए थे, अभी तक उनके कोई बच्चा नहीं हुआ है। मिताली भाभी पंजाबी परिवार से हैं और बला की खूबसूरत हैं, उनका गोरा रंग, नीली आँखें, गदराया बदन और गुलाबी होंठ किसी भी उम्र के मर्द को पागल कर दें, और फ़िर हर्षित तो एकदम युवा है, सिर्फ़ उन्नीस साल का, उस पर मिताली भाभी का जादू चलना लाज़मी था।
वो हर्षित के पड़ोस में दो सालों से रह रही थीं, इतने समय में हर्षित और मिताली भाभी काफ़ी घुलमिल गए थे।
हर्षित तो पहले दिन से ही मिताली भाभी के हुस्न का दीवाना था।
उस दिन सुबह से ही हर्षित, मिताली भाभी और उनके पति गाड़ी में सामान रखते-रखते पसीने से लथपथ हो चुके थे।
गाड़ी सामान से लगभग भर ही चुकी थी। ऐसा लग रहा था जैसे सारा सामान रखने के बाद किसी और के बैठने की जगह ही नहीं बचेगी। तभी पंकज घर के अन्दर गए ताकि आखिरी बचा हुआ सामान ला सकें।
हर्षित और मिताली भाभी ने जैसे ही उन्हें घर से बाहर आने की आहट सुनी तो मुड़ कर देखा तो दोनों हैरान रह गये। पंकज अपना 42 इंच का टीवी उठाए आ रहे थे।
‘अब इस टीवी को कहाँ रखेंगे?’ हर्षित ने मिताली भाभी को बोलते सुना।
‘मुझे नहीं पता, पर इसके बिना मेरा काम नहीं चलने वाला। इसे तो मैं लेकर ही जाऊँगा। थोड़ा बहुत सामान इधर-उधर खिसका कर जगह बन ही जायेगी।’ पंकज बोले।
हर्षित ने पिछली सीट पर देखा और कहा- पीछे तो जगह नहीं है। मेरे ल्ह्याल से आगे वाली सीट पर ही रखना पड़ेगा? ‘अच्छा? तो फ़िर तुम्हारी भाभी कहाँ बैठेंगी?’ पंकज बोले।
उनके चेहरे से लग रहा था जैसे वो गहन चिंतन में डूबे हुए हैं और कोई न कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने टीवी आगे वाली सीट को लेटाकर इस तरह से रखा कि आधा टीवी आगे ड्राईवर के साथ वाली सीट पर और आधा ड्राईवर के ठीक पीछे वाली सीट पर आ गया।
फ़िर हर्षित से पीछे वाली सीट पर बैठने को कहा।
हर्षित के बैठते ही उन्होंने मिताली भाभी को भी हर्षित के साथ बैठने को कहा और गाड़ी का दरवाज़ा बन्द करने की कोशिश करने लगे, पर काफ़ी कोशिश करने के बाद भी दरवाज़ा बन्द नहीं हुआ।
भाभी कहने को मोटी तो नहीं थी पर जगह ही इतनी कम थी कि किसी भी हालत में दो जने वहाँ नहीं बैठ सकते थे।
भाभी ने अपने पति को समझाने की कोशिश की- एक काम करते हैं, आज टीवी यहीं छोड़ दीजिये। आप जब अगली बार जायेंगे तो ले जाना।
‘बिल्कुल भी नहीं… कल से क्रिकेट के मैच शुरू हो रहे हैं, मेरा काम नहीं चलने वाला टीवी के बिना!’ वो बिल्कुल भी मानने को तैयार नहीं थे।
भाभी पहले ही गर्मी से परेशान थीं, उनके चेहरे पर गुस्सा साफ़ दिखाई देने लगा था, उन्होंने झल्ला कर कहा- देखिये, फ़टाफ़ट फ़ैसला कीजिए, इतनी कम जगह में दो लोग नहीं आ सकते।
या तो आप अपना टीवी छोड़ दीजिये, या फ़िर हर्षित को मेरी गोद में बैठना पड़ेगा और मुझे नहीं लगता कि मैं हर्षित का वज़न झेल पाऊँगी!
इतना सुनते ही उनके पति ने झट से कहा- अरे हाँ! यह तो मैंने सोचा ही नहीं था। एक काम करो, तुम हर्षित की गोद में बैठ जाओ। वैसे भी तुम हल्की सी ही तो हो, हर्षित को ज़्यादा दिक्कत नहीं होगी। रास्ता भी इतना लम्बा नहीं है, बस कुछ घण्टों की तो बात है।
पंकज हर्षित को बच्चा ही समझते थे, इसलिए उन्हें इस बात से कोई दिक्कत नहीं थी कि उनकी बीवी हर्षित की गोद में बैठे।
‘आपका दिमाग तो ठीक है? इतनी गर्मी में यह परेशान हो जायेगा।’ भाभी ने अपने पति को गुस्से से घूरते हुए कहा।
‘कोई दिक्कत नहीं है भाभी! वैसे भी रास्ता इतना लम्बा नहीं है और ऊपर से दूसरा कोई तरीका नहीं है।’ हर्षित ने कहा।
तभी पंकज भी बोले- सही बात है मिताली, मान जाओ ना?
मिताली भाभी के पास पंकज की बात मान लेने के सिवा कोई चारा नहीं था, उन्होंने कहा- चलो ठीक है। अगर हर्षित को दिक्कत नहीं है तो ऐसे ही कर लेते हैं। लेकिन अगर रास्ते में हर्षित को दिक्कत हुई तो थोड़ी देर गाड़ी रोक लेंगे।
भाभी ने हर्षित की ओर देखा तो उसने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया।
भाभी ने कहा- तो ठीक है। चलो सब नहा लेते हैं, गर्मी बहुत है। फ़िर चलेंगे।
हर्षित अपने घर गया और फ़टाफ़ट नहा-धोकर वापिस आ गया। रास्ता साढ़े तीन से चार घण्टे का था और काफ़ी गर्मी होने वाली थी इसलिए हर्षित ने थोड़े आरामदायक कपड़े पहनने का फ़ैसला किया और अपनी टी-शर्ट और निकर ही पहन ली।
मिताली और पंकज भी थोड़ी देर में तैयार होकर आ गए।
भाभी ने भी गर्मी को ध्यान में रखते हुए एक पतला सा कुर्ता और सलवार ही पहनी थी। पंकज ड्राईवर सीट पर बैठ गए और हर्षित पीछे की सीट पर बैठ गया। भाभी भी पीछे वाली सीट पर हर्षित की गोद में बैठ गई और गाड़ी का दरवाज़ा बन्द कर दिया।
‘तुम ठीक से बैठे हो ना?’ भाभी ने हर्षित से पूछा।
‘जी भाभी, आप चिन्ता मत करो। मुझे कोई दिक्कत नहीं है। आप तो एकदम हल्की सी हैं!’ हर्षित ने जवाब दिया तो भाभी मुस्कुराए बिना न रह सकी।
तभी उन्होंने अपने पति को चलने को कहा। उनके पति को सिर्फ़ उनका सिर ही दिखाई दे रहा था क्योंकि सारी जगह उनके टीवी ने घेर रखी थी।
‘तुम ठीक से बैठी हो ना?’ उनके पति ने पूछा।
भाभी अपनी जगह पर थोड़ा हिली और बोली- हाँ! एकदम ठीक हूँ।
गाड़ी चल पड़ी और चलते ही पंकज ने गाने चला दिये। सफ़र लम्बा था। करीब एक घण्टा बीत गया था और गाड़ी अपनी पूरी रफ़्तार से चली जा रही थी। मिताली आराम से बैठी गाने सुन रही थी कि तभी उन्हें अपने नीचे कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ।
उन्होंने खुद को थोड़ा हिलाकर ठीक करने की कोशिश की पर अभी भी उन्हें कुछ चुभ रहा था।
वो थोड़ा ऊपर उठी और फ़िर ठीक से बैठ गई, पर अभी भी मिताली को अपने नीचे कुछ महसूस हो रहा था।
हर्षित साँस रोके चुपचाप बैठा था कि अब तो भाभी को पता लग ही जायेगा कि क्या हो रहा है।
‘मैं जब बैठी थी तब तो यहाँ ऐसा कुछ नहीं था तो अब कहाँ से…’ मिताली खुद से बातें कर रही थी और तभी अचानक से उन्हें अंदाज़ा हुआ कि वह चुभने वाली चीज़ क्या है।
मिताली के गोद में बैठने के कारण हर्षित के लंड में तनाव आ रहा था और वही मिताली की गांड की दरार में चुभ रहा था।
‘हे भगवान! हर्षित का लंड मेरे बैठने के कारण खड़ा हो गया है।’ मिताली ने मन ही मन सोचा, ‘मुझे उम्मीद नहीं थी के आज भी मेरी वजह से किसी जवान लड़के का लंड खड़ा हो सकता है। कितना बड़ा होगा हर्षित का लंड? क्या सोच रहा होगा वह मेरे बारे में मन ही मन? क्या उसे भी मेरे चूतड़ों के बीच की खाई महसूस हो रही है?’ मिताली का मन ऐसे रोमांचक सवालों से प्रफ़ुल्लित हो उठा था।
मिताली ने नीचे कि ओर देखा तो उनका कुर्ता भी खिसक कर ऊपर उठ गया था और उनकी नाभि साफ़ दिखाई दे रही थी। एक बार तो मिताली ने सोचा कि कुर्ता नीचे कर लिया जाये, पर फ़िर मिताली ने हर्षित को थोड़ा तंग करने के इरादे से उसे वैसा ही रहने दिया।
मिताली को यह विचार बड़ा रोमांचित कर रहा था कि उनकी वजह से हर्षित उत्तेजित हो रहा है।
हर्षित के हाथ उनके दोनों तरफ़ सीट पर टिके हुए थे। चलते-चलते एक घण्टे से ज़्यादा हो चुका था, पर अभी भी कम से कम दो ढाई घण्टे का सफ़र बाकी था।
मिताली जानती थी कि पंकज को उनके सिर के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था कि नीचे क्या हो रहा है। उनके टीवी के आड़ में सब कुछ छुपा हुआ था।
तभी मिताली ने महसूस किया कि हर्षित थोड़ा उठकर अपने आप को व्यवस्थित करने की कोशिश कर रहा था।
जैसे ही हर्षित दोबारा बैठा तो उसका लण्ड ठीक भाभी के चूतड़ों के बीच में आ गया।
मिताली का मन इस एहसास से और भी रोमांचित हो उठा और वो मन ही मन कामना करने लगी कि हर्षित कुछ ना कुछ और करे।
‘तुम ठीक से बैठे हो ना हर्षित?’ मिताली ने पूछा।
‘हाँ भाभी! मैं तो एकदम ठीक हूँ। आपको तो कोई दिक्कत नहीं हो रही ना?’ हर्षित ने इस उम्मीद में पूछा कि अगर भाभी को उसके लंड की वजह से कोई दिक्कत होगी तो वो इशारों में कुछ कहेंगी।
लेकिन मिताली ने कहा- ‘बिल्कुल नहीं! बल्कि मुझे तो अच्छा ही महसूस हो रहा है ऐसे बैठकर। तुम्हारे दोनों हाथ एक ही जगह रखे-रखे थक तो नहीं गए ना?’ हर्षित को भरोसा नहीं हो रहा था कि भाभी ने सच में वो सब कहा है, उसने जवाब दिया- हाँ भाभी, थोड़ा सा..
‘एक काम करो, तुम अपने दोनों हाथ यहाँ रख लो।’ कहकर मिताली ने हर्षित के दोनों हाथ अपनी दोनों जांघों पर रखवा लिये।
‘अब ठीक है?’
‘हाँ, अब तो पहले से बहुत बेहतर है।’ हर्षित ने खुश होकर कहा।
मिताली ने नीचे की ओर देखा तो पाया कि हर्षित ने अपनी दोनों हथेलियाँ उनकी दोनों जांघों पर रख ली थी और उसके दोनों अँगूठे मिताली की चूत के बहुत पास थे।
मिताली मन में सोचने लगी के अगर हर्षित थोड़ा सा भी अपने अँगूठों को अन्दर की ओर बढ़ाए तो उनकी चूत को सलवार के ऊपर से छू सकता है, पर मिताली जानती थी कि हर्षित इतनी आसानी से इतनी हिम्मत नहीं करने वाला।
हर्षित की छुअन से मिताली की चूत से रस निकलने लगा था और उनकी पैंटी भीगने लगी थी, उन्हें लग रहा था कि थोड़ी ही देर में यह गीलापन उनकी सलवार तक पहुँच जायेगा और तब अगर हर्षित ने उसे छू लिया तो वह समझ जायेगा भाभी के मन में क्या चल रहा है और वो कितनी गर्म हो चुकी हैं।
मिताली ने खुद ही हिम्मत करके बात आगे बढ़ाने की सोची और अपने दोनों हाथ हर्षित के हाथों पर रख लिये।
देखने में भाभी की यह हरकत बड़ी ही स्वाभाविक सी लग रही थी। फ़िर उन्होंने हर्षित के हाथों को ऊपर से धीरे-धीरे मसलना शुरू किया।
मिताली ने एक बार सिर उठाकर अपने पति की ओर देखा। अपने पति के इतनी पास होते हुए हर्षित के साथ ऐसी हरकतें करना उन्हें बड़ा ही रोमांचित कर रहा था। मिताली ने हर्षित के हाथों को मसलते-मसलते उन्हें धीरे-धीरे ऊपर की ओर खिसकाने की कोशिश की ताकि हर्षित के हाथों को अपने चूत के ठीक ऊपर ला सके।
हर्षित भी अब तक समझ चुका था कि भाभी क्या चाह रही हैं, वह खुद भी वासना से भर कर पागल हुआ जा रहा था।
मिताली ने नीचे की ओर देखा तो हर्षित अपने दोनों हाथ भाभी की टाँगों के ठीक बीच में ले आया था और अपने दोनों अँगूठों से भाभी की चूत को उनकी सलवार के ऊपर से हल्के-हल्के सहलाने लगा था।
मिताली ने हर्षित का एक हाथ पकड़कर अपनी चूत के बिल्कुल ऊपर रख लिया और अपनी टाँगों को थोड़ा और चौड़ा कर लिया जिससे हर्षित अच्छे से भाभी की चूत को उनकी गीली हो चुकी सलवार और पैंटी के ऊपर से सहला पा रहा था।
मिताली ने हर्षित का हाथ पकड़कर ज़ोर से अपनी चूत पर दबा दिया तो हर्षित ने भी भाभी की चूत को थोड़ा और ज़ोर से रगड़ना शुरू कर दिया।
अब मिताली भी वासना की आग में बुरी तरह जल रही थी, उन्होंने अपने हाथ हर्षित के हाथों के ऊपर से हटा लिए थे पर हर्षित ने अपने हाथ वहीं रखे और भाभी की चूत को रगड़ना बन्द कर दिया।
मिताली बेसब्री से इंतज़ार करने लगी कि हर्षित कुछ करे, पर शायद हर्षित आगे बढ़ने में अभी भी डर रहा था।
लेकिन मिताली जानती थी कि उसका डर कैसे दूर करना है, मिताली ने हर्षित का एक हाथ पकड़ा और उसे उठाकर अपने पेट पर अपनी सलवार के नाड़े के ठीक ऊपर रख दिया और उसके हाथ को दबा दिया और दूसरे हाथ से अपना नाड़ा खोलने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! नाड़ा खोलते ही मिताली ने हर्षित का हाथ अपनी सलवार के अंदर की ओर कर दिया जिससे हर्षित का हाथ भाभी की बुरी तरह भीग चुकी पैंटी पर आ गया।
हर्षित ने भाभी की चूत को गीली पैंटी के ऊपर से रगड़ना शुरू किया। वह अब भाभी की चूत की फ़ाँकों को अच्छे से महसूस कर सकता था।
मिताली ने थोड़ी देर तक तो उसी तरह हर्षित के हाथ का मज़ा लिया, फ़िर उसे पकड़कर अपनी पैंटी की इलास्टिक की तरफ़ ले जाकर उसके अन्दर की ओर धकेल दिया।
भाभी की पैंटी हर्षित और भाभी दोनों के हाथों के लिए बहुत छोटी थी, इसलिए मिताली ने अपना हाथ बाहर ही रखा और सिर्फ़ हर्षित के हाथ को ही आगे बढ़ने दिया।
हर्षित ने भाभी की चूत के होंठों को पहली बार छुआ तो उसके पूरे शरीर में गर्मी सी आती हुई महसूस हुई। हर्षित ने भाभी की चूत की दोनों फ़ाँकों के ठीक बीच में अपनी उंगलियों से सहलाना शुरू किया तो मिताली के मुख से ज़ोर की सिसकारी निकल गई पर गाड़ी के शोर में और गानों की आवाज़ में मिताली की आवाज़ दब कर रह गई।
मिताली की चूत एकदम गर्म होकर तप रही थी और पूरी तरह से भीगकर चिकनी हो चुकी थी।
तभी मिताली ने अपने चूतड़ ऊपर की ओर उठाए और अपनी पैंटी की इलास्टिक के दोनों ओर अपने दोनों हाथों के अँगूठे फ़ंसाकर उसे नीचे की ओर खिसका दिया जिससे उनकी पैंटी और साथ ही उनकी सलवार उनके घुटनों तक नीचे खिसक गई।
मिताली के ऐसा करते ही हर्षित ने एक बार भाभी के चूतड़ सहलाए और फ़िर अपने दूसरे हाथ की उंगली भाभी की चूत में घुसा दी और उसे धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा, पर पैंटी के कारण मिताली की टाँगें ज़्यादा खुल नहीं पा रही थी इसलिए मिताली अपनी पैंटी पूरी तरह उतारने के लिए थोड़ा नीचे झुकने ही लगी थी कि हर्षित ने अपने दूसरे हाथ से उनकी पैंटी को पकड़कर नीचे की ओर खींच दिया जिससे वो भाभी के टखनों तक आ गई।
तभी मिताली ने अपने पाँव ऊपर उठाए ताकि हर्षित उन्हें पूरी तरह निकाल दे।
हर्षित ने भाभी की पैंटी के साथ-साथ उनकी सलवार भी खींचकर नीचे उतार दी।
अब मिताली ने आराम से अपनी टाँगें पूरी खोल ली थीं, जितना वो खोल सकतीं थीं।
हर्षित को तो जैसे इसी मौके का इंतज़ार था, उसने तुरन्त अपनी दो उंगलियाँ भाभी की चूत में घुसा दीं।
मिताली के मुँह से हल्की सी ‘आह’ निकल गई।
‘तुम ठीक तो हो ना?’ अचानक पंकज ने पूछा।
वो मिताली के चेहरे को ही देख रहे थे।
मिताली मुस्कुराई और बोली- मैं तो एकदम ठीक हूँ। मुझे लगा था हर्षित की गोद में बैठने से दिक्कत होगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं है। मुझे लगता है यह सफ़र काफ़ी अच्छा जाने वाला है।
मिताली अपने पति से बड़े आराम से बात कर रही थी और हर्षित की उंगलियाँ भाभी की चूत को चोद रही थी।
‘और कितनी देर चलने के बाद विराम लेना है?’ पंकज ने पूछा।
‘मैं अभी रुकना नहीं चाहती, थोड़ा और आगे बढ़ना चाहती हूँ।’ मिताली ने जवाब दिया- तुम्हारा क्या विचार है हर्षित?
उन्होंने हर्षित से पूछा।
‘हाँ भाभी, मेरा भी अभी और आगे चलते रहने का मन है।’ हर्षित ने कहा।
‘अच्छा है, जितना आगे तक चलें, उतना ही बेहतर है।’ मिताली मुस्कुराते हुए बोली। ‘ठीक है ना?’ मिताली ने अपने पति से पूछा।
‘हाँ मुझे भी लगता है बिना रुके जितना आगे पहुँच जायें, उतना ही बेहतर है।’ उन्होंने जवाब दिया।
मिताली पीछे की ओर मुड़ी और हर्षित की ओर देखते हुए बोली- मुझे भी! मैं नहीं चाहती कि तुम्हें रुकना पड़े। मिताली ने धीमी आवाज़ में कहा।
‘हर्षित?’ पंकज बोले- तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं ना तुम्हारी भाभी के गोद में बैठने से? ‘बिल्कुल नहीं! भाभी थोड़ी-थोड़ी देर में उठकर अपना स्थान बदल लेती हैं जिस से एक ही जगह ज़्यादा देर भार नहीं रहता और मुझे भी आसानी रहती है।’ हर्षित पंकज से बात कर रहा था और भाभी की फ़ुद्दी में अपनी उंगलियाँ और भी गहराई में उतारे जा रहा था।
हर्षित ने फ़िर से अपनी उंगलियाँ भाभी की योनि में तेज़ी से अन्दर-बाहर करनी शुरू कर दी थी।
मिताली को अपनी सिसकारियाँ रोके रखने के लिए अपने होंठों को कसकर दबाए रखना पड़ रहा था। मिताली ने कसकर हर्षित की कलाई पकड़ ली थी। ऐसा करके मिताली हर्षित को यह एहसास दिलाना चाह रही थी कि उन्हें कितना आनन्द आ रहा है और वे चाहती हैं कि हर्षित अपनी उंगलियाँ और अन्दर तक घुसाता रहे। हर्षित भाभी का इशारा समझ कर अपनी उंगलियों को भाभी की चूत में जितनी अन्दर तक घुसा सकता था, घुसाने लगा।
मिताली ने हर्षित की उंगलियों के साथ-साथ धीरे-धीरे अपने कूल्हे भी हिलाने शुरू कर दिये। उँग ने अपने पति की ओर देखा, खुशकिस्मती से उनके टीवी की वजह से वो कुछ नहीं देख पा रहे थे। अगर उन्हें पता होता कि हर्षित की उंगलियाँ उनकी बीवी की चूत में घुसी हुई हैं तो जाने क्या होता।
मिताली का पूरा बदन हर्षित की उंगलियों की गति के हिसाब से सिहर रहा था।
तभी हर्षित ने अचानक से अपनी उंगलियाँ भाभी की चूत से बाहर निकाल ली।
मिताली को थोड़ी निराशा हुई, पर उन्हें ज़्यादा देर इंतज़ार नहीं करना पड़ा।
हर्षित ने तुरन्त भाभी के कुर्ते के बटन खोलने शुरू कर दिये।
मिताली ने गर्मी के कारण ब्रा नहीं पहनी थी। जैसे-जैसे हर्षित भाभी के कुर्ते के ऊपर से नीचे तक के बटन खोल रहा था, मिताली को गाड़ी के ए.सी. की ठंडी हवा के झोंके अपनी चूचियों पर लगते महसूस हुए जिससे उनके निप्पल सख्त होने लगे।
हर्षित ने भाभी के कुर्ते का आखिरी बटन खोलकर कुर्ता सामने से पूरा खोल दिया।
अब मिताली आगे से भी बिल्कुल निर्वस्त्र हो गई थीं। हर्षित ने भाभी के नंगे बदन पर अपने हाथ ऊपर से नीचे तक फ़िराने शुरू कर दिये। वो भाभी की चूचियों को मसल-मसल कर उनसे खेलने लगा।
मिताली ने अपनी चूचियाँ आगे की तरफ़ धकेल दी ताकि हर्षित अच्छे से उन्हें दबा सके।
मिताली ने अपने चूतड़ उठाए और अपना कुर्ता नीचे से निकाल कर हटा दिया।
हर्षित भाभी का इशारा समझ गया, वह अपने हाथ नीचे ले जाकर अपनी निकर के हुक खोलने लगा। मिताली को एक बार फ़िर थोड़ा ऊपर उठना पड़ा ताकि हर्षित ठीक से अपनी निकर का हुक और चेन खोल सके।
हर्षित का लंड अभी भी भाभी के चूतड़ों के ठीक बीच में सटा हुआ था, मिताली ने अपने कूल्हे थोड़े और ऊपर उठा लिये।
‘सब ठीक है ना मिताली?’ उनके पति ने पूछा- क्या तुम्हें हर्षित की गोद में बैठने में दिक्कत हो रही है? क्या मैं गाड़ी रोक दूँ ताकि तुम दोनों को थोड़ी देर आराम मिल सके?
‘अरे नहीं! सब ठीक है। वो तो मैं थोड़ी जगह बदल रही थी ताकि हर्षित को दिक्कत ना हो। अगर मैं ठीक जगह पर बैठ जाऊँ तो हम दोनों के लिए बड़ा आराम हो जायेगा।’
भाभी के यह कहते ही हर्षित ने अपने निकर और अंडरवियर खींच कर नीचे उतार दिये।
मिताली को हर्षित का लंड अपने नंगे चूतड़ों के बीचोंबीच फंसता हुआ महसूस हुआ।
‘हर्षित, क्या मैं अपनी जगह थोड़ी बदलूँ ताकि तुम्हें आराम मिल सके?’ मिताली भाभी ने हर्षित से पूछा।
हर्षित ने अपने दोनों हाथ भाभी के चूतड़ों के दोनों ओर रखे और कहा- भाभी अगर आप थोड़ा ऊपर उठें तो मैं खुद को सही जगह पर ले आऊँ। फ़िर हम दोनों के लिए सब ठीक हो जायेगा।’
मिताली समझ गई कि हर्षित ऐसा क्यों कह रहा है, वो जितना ऊपर उठ सकती थीं उतना उठ गई। हर्षित का एक हाथ उनके चूतड़ से हट गया, वो समझ गई हर्षित उस हाथ से क्या करने वाला है। हर्षित ने अपना लंड पकड़कर भाभी की चूत के मुँह पर सेट किया और दूसरे हाथ से भाभी के चूतड़ को नीचे की ओर धकेल कर उन्हें नीचे आने का इशारा किया।
मिताली ने धीरे-धीरे अपने चूतड़ नीचे की ओर करने शुरू कर दिये। मिताली को हर्षित के लौड़े का ऊपरी हिस्सा अपनी चूत के प्रवेशद्वार पर लगता हुआ महसूस हुआ।
मिताली और नीचे होने लगी तो हर्षित का लंड बड़ी आराम से उनकी चूत मे फ़िसलते हुए घुसने लगा।
जैसे-जैसे मिताली अपने चूतड़ नीचे ला रही थी, वैसे-वैसे हर्षित का लंड भाभी की चूत को चौड़ा करता हुआ और अंदर घुसे जा रहा था। भाभी की गर्म और चिकनी हो चुकी चूत में लंड घुसाने से होने वाले एहसास से हर्षित के आनन्द की सीमा ना रही।
तभी मिताली खुद को रोक नहीं पाई और उनके मुँह से ज़ोर की सिसकारी निकल गई- आआह्ह्ह!!
उनके पति ने तुरन्त उनकी ओर देखा और कहा- मुझे लगता है हमें थोड़ी देर आराम करने के लिए रुक जाना चाहिये।
मिताली खुद को तब तक और नीचे करती रही जब तक कि हर्षित का लिंग पूरी जड़ तक उनकी चूत की गहराइयों में नहीं उतर गया और फ़िर अपने पति पंकज से बोली- नहीं, नहीं, रुको मत। मैं चाहती हूँ अभी तुम चलते रहो। फ़िलहाल अगले एक घण्टे तक भी मुझे कोई दिक्कत नहीं है। मैं सही कह रही हूँ ना हर्षित?
‘हाँ भाभी! अब जब आप दोबारा बैठने लगीं तो मैंने खुद को सही जगह पर सेट कर लिया ताकि हमें कोई दिक्कत ना हो। बस मुझे एक बार थोड़ा ऊपर और उठना है अगर आपको कोई दिक्कत ना हो तो। ठीक है ना भाभी?’
‘क्या मैं भी तुम्हारे साथ-साथ ऊपर उठूँ, हर्षित?’
‘नहीं, आप बस मेरी गोद में बैठी रहिए और मैं आपको अपने साथ-साथ खुद ऊपर उठा लूँगा।’ इतना कहकर हर्षित ने खुद को थोड़ा ऊपर उठाया और अपना लंड भाभी की चूत में और भी गहराई में घुसा दिया।
मिताली को एक बार तो लगा जैसे वो उसी पल स्खलित हो जाएँगीं।
‘चलो मैं भी खुद को थोड़ा ठीक कर लेती हूँ।’ कहकर मिताली ने अपनी गाण्ड आगे पीछे हिलाई जिससे हर्षित का लण्ड भाभी की चूत में और अच्छी तरह अन्दर-बाहर हो गया।
हर्षित के लौड़े की सवारी करते-करते मिताली ने अपने पति की ओर देखा। हर्षित अभी भी अपना लंड पूरा ज़ोर लगाकर भाभी की चूत में घुसा रहा था और पूरी गति के साथ अपनी मिताली भाभी को चोद रहा था।
मिताली मन ही मन सोचने लगी- मेरे बेवकूफ़ पति को क्या पता कि उसकी बीवी कैसे लगभग नंगी होकर, उसके इतनी पास होकर भी एक जवान लड़के से चुदाई का आनन्द ले रही है। अपने पति के इतनी पास होते हुए हर्षित से चुदना मिताली को बहुत ज़्यादा रोमांचित कर रहा था।
तभी हर्षित ने एक ज़ोरदार धक्का लगाकर भाभी को उनके विचारों की कैद से बाहर निकाला।
हर्षित ने धीरे से मिताली से पूछा- आपका कितनी देर में हो जायेगा भाभी?
‘बहुत जल्द हर्षित, बहुत जल्द!!’ मिताली ने उत्तर दिया।
तभी भाभी को महसूस हुआ कि उनका स्खलन होने ही वाला है, उन्होंने हर्षित के दोनों हाथ अपने चूतड़ों से हटाकर अपनी चूचियों पर रख लिए और ज़ोर से दबा दिया।
हर्षित ज़ोर से भाभी की चूचियाँ मसलने लगा और तेज़ी से अपना लंड भाभी की चूत में अंदर-बाहर करने लगा।
तभी उसे महसूस हुआ भाभी का पूरा बदन अकड़ने लगा और उनकी चूत की अंदरूनी दीवारें उसके लंड को ऐसे दबाने लगीं जैसे वो उसे निचोड़ लेना चाहती हों।
काफ़ी क्षणों तक ऐसे ही चलता रहा। हर्षित समझ गया कि भाभी स्खलित हो गई हैं।
यह शायद मिताली का आज तक का सबसे लम्बे समय तक चलने वाला और सबसे आनन्ददायक स्खलन था।
थककर मिताली हर्षित के सहारे टेक लगाकर पीछे की ओर लेट गई।
हर्षित अभी भी स्खलित नहीं हुआ था, वह लगातार अपने लंड को अन्दर-बाहर करते हुए भाभी की चूत चोदे जा रहा था।
तभी हर्षित ने अपनी गति बढ़ा दी और तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करते-करते एक ज़ोर का धक्का लगाकर अपना लंड भाभी की चूत की गहराई में पूरा अंदर तक घुसा दिया और अपने वीर्य का फ़व्वारा भाभी की चूत में छोड़ दिया।
हर्षित का गर्मागर्म वीर्य मिताली को अपनी चूत को पूरा भरता हुआ महसूस हुआ। मिताली तब तक ऐसे ही पड़ी रही जब तक कि हर्षित ने अपने लंड से वीर्य की आखिरी बूँद उनकी चूत में नहीं खाली कर दी।
हर्षित और मिताली भाभी दोनों ही अब तक थक चुके थे।
‘एक बोर्ड लगा हुआ है, जिस पर लिखा हुआ है लगभग दस किलोमीटर दूर एक रेस्टोरेंट है। क्या तुम दोनों को भूख लग गई है?’ मिताली के पति पंकज ने पूछा।
‘हाँ, मेरे ख्याल से हमें कुछ खा लेना चाहिये।’ हर्षित ने कहा।
मिताली ने पीछे मुड़कर हर्षित की ओर देखा तो वह मुस्कुरा दिया- आप क्या कहती हो भाभी?’ हर्षित ने पूछा।
‘वैसे तो मैं एकदम फ़ुल हूँ, पर मेरे खयाल से कुछ हल्का-फ़ुल्का खाया जा सकता है।’ मिताली ने शरारती अंदाज़ में हर्षित की ओर आँख मारते हुए कहा।
मिताली झुकी और अपनी पैंटी उठाने लगी जो काफ़ी देर से नीचे पड़ी थी।
उसी समय हर्षित का लंड उनकी चूत से फ़िसल कर बाहर निकल गया।
मिताली ने अपने पाँव अपनी पैंटी में डाले और उसे ऊपर की ओर खींच लिया।
जैसे ही उनकी पैंटी उनकी चूत को ढकने वाली थी, तभी हर्षित ने एक बार फ़िर अपनी उंगली उनकी चूत में घुसा दी।
मिताली ने प्यार भरे अंदाज़ में हर्षित के हाथ पर थपकी दी और हर्षित ने अपनी उंगली बाहर निकाल ली।
फ़िर मिताली ने अपनी सलवार पहन कर नाड़ा बांध लिया और फ़िर अपने कुर्ते के बटन बन्द करने लगीं।
हर्षित ने भी अपनी निकर और अण्डरवीयर फ़िर से पहन लिए और अपना लौड़ा अन्दर करके ज़िप बन्द कर ली।
‘खाना खाने के बाद कितना रास्ता और बचा है?’ मिताली ने अपने पति से पूछा।
‘बस आधा घण्टा और, मेरे ख्याल से तब तक तो तुम दोनों काम चला ही लोगे?’ उनके पति ने कहा।
‘मुझे कोई दिक्कत नहीं है।’ मिताली ने अपने पति से कहा- अगर हर्षित को मेरे गोद में बैठने से दिक्कत ना हो तो मैं तो चार घण्टे और इस तरह से बैठ सकती हूँ।
‘तुम्हारा क्या कहना है हर्षित? तुम्हें तो अपनी भाभी को गोद में आधा घण्टा और बैठाए रखने में कोई दिक्कत नहीं होगी ना? मुझे लगा था तुम दोनों में से कोई एक तो अब तक परेशान हो ही गया होगा।’
‘अरे नहीं भैया! मुझे भी कोई परेशानी नहीं है। अगर भाभी चार घण्टे और मेरी गोद में बैठी रहें तो भी मुझे कोई दिक्कत नहीं है।’ यह कह कर उसने भाभी की ओर देखा, वह पहले से ही हर्षित की ओर देखकर मुस्कुरा रही थीं।
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000