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मैं पूजा राठौर गुजरात से हूँ, उम्र 24 साल है और मेरी हाइट 5’10” है। मेरा रंग गोरा है और मैं दिखने में बहुत ही आकर्षक हूँ।
वैसे तो मैं बहुत खुशनसीब हूँ लेकिन अन्तर्वासना पढ़ी तो मुझे लगा कि क्यों ना मैं अपनी वो कहानी भी लिखूँ जो मैं अब तक किसी से कह नहीं पाई हूँ।
जब मेरी पहली यौन सम्बन्धी घटना शुरू हुई तब मैं 12वीं क्लास में थी। उन दिनों दीवाली की छुट्टियाँ चल रही थीं।
दीवाली से कुछ दिन पहले मेरी मम्मा के रिश्तेदार का एक लड़का हमारे घर आया, उसे कुछ काम था। क्या काम था वो मुझे मालूम नहीं, पर न ज़ाने क्यों मुझे उस लड़के को देख कर अजीब सा लग रहा था, पर फिर भी मैंने कुछ भी गंभीरता से नहीं लिया।
ऐसे ही 2-3 दिन बीत गए, मेरे मन में उस लड़के के बारे में कोई विचार भी नहीं था, लेकिन कुछ ऐसा हुआ जो मैं कभी सोच भी नहीं सकती।
हुआ यूँ कि सुबह 9.30 बजे होंगे, पापा निकल गए थे, मम्मा बाजार गई थीं और मैं छुट्टियों की वजह से देर से उठी थी, तो अभी तो टूथब्रश ले कर इधर-उधर चक्कर लगा रही थी।
तभी मेरी नज़र उस लड़के के कमरे की तरफ गई। कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खुला था और वो कुछ कर रहा था, जैसे वो कमरे में दौड़ रहा हो। तो मुझे लगा कि यह क्या हो रहा है, तो मैं देखने चली गई।
दरवाजा खोलते ही वो एकदम से मेरी तरफ एकटक देखने लगा। मैंने देखा वो कसरत कर रहा था, मुझे उसकी बॉडी मस्त लगी, पर मैं तब तो बच्ची सी ही थी, लेकिन मैंने मजाक में बोला- क्या बॉडी है यार..!
और मैं वहाँ से चली आई।
अब असली कहानी शुरू होती है। अब तक दस बज चुके थे और मम्मा भी एक घंटे में आ सकती थीं। तो मैं नहाने के लिए बाथरूम में पहुँची, अभी मैंने कपड़े उतार कर पानी को छूने ही जा रही थी कि दरवाजे पर दस्तक हुई।
मैंने पूछा- कौन? तो वो बोला- मैं। ‘क्या काम है.. मैं नहा रही हूँ.. बाद में बात करना।’ तो उस पर उसने बोला- शेव करते समय मेरे हाथ में ब्लेड लग गया है, खून बंद नहीं हो रहा है इसलिए डिटोल चाहिए। मैंने बोला- मैं जल्दी से नहा लेती हूँ, तुम दो मिनट ठहर जाओ।
तो वो भड़क गया और चिल्लाने लगा। मैं तो डर गई कि चोट ज़्यादा होगी, तभी तो इतना जल्दी में होगा।
तो मैंने तौलिया लपेटा और दरवाजा खोल दिया। वो अन्दर आया उसके हाथ से खून टपक रहा था, तो मुझे लगा यह सच ही तो बोल रहा है।
लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई। डिटोल लेकर जब वो जा रहा था तो मैंने पीछे से दरवाजे को बन्द करने के लिए हाथ लगाया।
तो वो बोला- रुक.. थोड़ा मुझे काम है। अब मुझे डर लगा, एक तो मैं उसे जानती नहीं थी। वो हाथ साफ करके वापस आया और हाथ में पट्टी बंधी थी, बोला- ये बाँध दो। मैंने बाँध दी।
मुझे लगा अब बात खत्म हुई, अब यह जाए तो नहा लूँ। लेकिन जाते-जाते वो फिर पलट कर रुका। मैंने जो तौलिया लपेटा हुआ था, वो उसने खींच लिया। मैं तो डर गई कि यह क्या हो गया।
मैं पूरी तरह से नंगी खड़ी थी और कांप रही थी क्योंकि पहले मेरे साथ ऐसा कुछ कभी हुआ ही नहीं था।
अब मैं ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी, तो वो बोला- सॉरी.. मैं तो मजाक कर रहा था।
मैं दरवाजे की ओर बढ़कर दरवाजा बंद करने ही वाली थी कि उसने दरवाजे को ज़ोर से धक्का दिया।
पीछे मैं थी तो मैं गिर गई, मैं फिर रोने लगी।
तो वो लड़का बाथरूम में घुस गया और मेरे शरीर में यहाँ-वहाँ सब जगह खेलने लगा।
तो ज़्यादा ज़ोर से रोने लगी, पर इस बार वो कुछ बोला नहीं.. बस जेब में हाथ डाला, रुमाल निकाला और मेरे मुँह पर बाँध दिया।
अभी तो मैं सोच रही थी कि यह सब हो क्या रहा है, इतने में उसने हेयर आयल की बोतल ली और ढेर सारा तेल मेरी योनि पर लगा दिया और कसके मेरे दोनों पैर पकड़ कर बोला- अब तुम्हें मज़ा आएगा।
मैं तो बस रोए जा रही थी, तभी उसने अपना लिंग बाहर निकाला।
मैंने देखा तो डर गई, उसका लिंग कितना काला और लम्बा सा, मोटा सा था, लेकिन मुझे मालूम ही नहीं था कि ये क्या हो रहा है। तभी उसने लिंग को मेरी योनि के ऊपर-ऊपर घिसने लगा।
अब मैं पूरी तरह से डर गई कि अब कुछ ग़लत होने वाला है। वो धीरे से अपने लिंग को योनि में प्रवेश कराने की कोशिश करने लगा। अभी लिंग आधा इंच ही अन्दर गया होगा कि मेरी चीख निकल गई, पर मुँह पर तो रुमाल बँधा था।
तभी उसने थोड़ा धक्का लगाया और उसका आधा लिंग घुस गया। अब तो मुझे लग रहा था कि किसी ने गरम मोटा सरिया लेकर मेरी योनि में घुसेड़ दिया हो। मैं और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी पर वो तो रुकने वाला ही नहीं था।
अब उसने अपनी पूरी ताक़त से झटका मारा और पूरा लिंग पेल दिया और मेरी साँस गले में अटक गई कि आज तो मैं मर गई। यह सब अचानक हो रहा था तो मैं कुछ समझ ही नहीं पा रही थी।
तभी उसने जोर से धकाधक चालू कर दी। मेरी तो फटी पड़ी थी कि मेरे साथ यह क्या हो रहा है।
पर तभी पाँच मिनट बाद मुझे भी मजा आने लगा और वो तो अभी भी धकापेल में लगा हुआ था, लेकिन एक-डेढ़ मिनट के बाद न ज़ाने क्या हुआ मेरे शरीर में सब रुक सा गया और एक अजीब सा फव्वारा मेरी योनि के अन्दर छूट पड़ा। पूरा शरीर पसीना-पसीना हो गया।
अब उसकी बारी थी करीब दो मिनट बाद वो लंबी-लंबी साँसें भरने लगा।
तो मुझे लगा यह क्या हो रहा है, पर तभी उसने लिंग बाहर निकाल कर मेरे पेट के ऊपर रखा।
उसी वक्त तुरंत ही उसके लिंग में से कुछ सफेद रंग का क्रीम जैसा कुछ निकला।
मुझे तो वो देखकर उल्टी आ रही थी, लेकिन मुझे अभी भी कुछ पता नहीं चल रहा था लेकिन मेरे शरीर में एक अजीब सा सुकून था।
कौन सा सुकून था वो नहीं पता, लेकिन मेरे लिए यह अनुभव कुछ अजीब सा था।
मुझे उस समय यह नहीं मालूम था कि यह अच्छा है या ग़लत, मुझे कुछ नहीं मालूम था। फिर वो उठा और चला गया और मैं कुछ देर पड़ी रही और फिर नहाने लगी।
मैं नहा कर बाहर निकली तो वो अभी भी स्नानकक्ष के दरवाजे पर ही खड़ा था। मेरे निकलते ही उसने पूछा- मज़ा आया? मैं कुछ नहीं बोली और दौड़ कर अपने कमरे में चली गई और सोचने लगी कि ये सब किसी को बताऊँ कि नहीं..
पर तभी एक ख्याल आया कि मेरी बात का विश्वास कौन करेगा? क्योंकि मुझे पता है ऐसे क़िस्सों में ज़्यादा बदनामी लड़की की ही होती है। लड़कों की इमेज में कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
लेकिन फिर मेरे दिमाग़ मे मुझे एक तरकीब आई। मेरी एक सहेली है गीता जिसके कई लड़कों से चक्कर चल रहे हैं, तो क्यूँ ना उससे पूछा जाए कि क्या किया जाए।
मैं घर से निकल कर गीता के घर चली गई, गीता अपने कमरे में कम्प्यूटर पर कुछ कर रही थी।
मुझे देख कर वो थोड़ी चौंकी- हाय पूजा.. कैसी हो.. क्या बात है आज तो तुम्हें हमारी याद आ गई, ऐसा क्या हो गया?
तो मैंने कहा- पहले दरवाजा बंद कर लो। फिर मैंने उसे सारी बात बताई।
उस पर वो हँसने लगी। मुझे बहुत बुरा लगा कि मेरी यहाँ लगी पड़ी है और ये साली हँस रही है।
मैं रोने लगी.. वो और जोरों से हँसने लगी। अब मैं उठी और बोली- मैंने तेरे से फ़िज़ूल में यह बात कह दी.. मैं चलती हूँ।
पर तभी उसने मेरा हाथ पकड़ कर बोला- ए लड़की.. तेरा यह पहली बार था इसलिए तुझे अजीब लग रहा होगा.. मेरे लिए तो ये कुछ नहीं है। अच्छा चल में तेरी थोड़ी मदद कर देती हूँ।
यह कह कर उसने अपने कम्प्यूटर पर एक फिल्म चलाई और बोली- तू यह देख, मैं अभी तेरे लिए चाय बना कर लाती हूँ। वो चली गई।
यह एक अँग्रेज़ी फिल्म थी और कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि तभी एक मर्द और एक औरत कपड़े उतारने लगे तो मैं डर गई कि कहीं गीता की मम्मा आ गई तो?
मैंने कम्प्यूटर बंद कर दिया पाँच मिनट बाद वो आई, आते ही बोली- यह क्यूँ बंद कर दिया?
तो मैं बोली- तू ऐसी फ़िल्में देखती है.. बोलूँ क्या आंटी को? तो उसने कहा- मेरी जान यह तो कुछ नहीं है.. इससे सिर्फ़ ज्ञान बढ़ता है। तो मैंने कहा- ऐसे ज्ञान बढ़ता है? तो वो बोली- हाँ..
अब मैं सीधे उसके ऊपर चढ़ कर बोली- साली, तू मेरी मदद करेगी या नहीं?
तो उसने सपाट शब्दों में कहा- तू एक काम कर, उस लौंडे को कल दोपहर दो बजे यहाँ मेरे घर पर ले आना, क्योंकि कल दोपहर के बाद मैं घर पर अकेली ही हूँ।
अब मुझे थोड़ी शांति महसूस हुई कि चलो कुछ तो सूझा, पर मुझे क्या मालूम था कल तो मेरा आज से भी बुरा हाल होने वाला था।
कहानी जारी रहेगी, लिखने में थोड़ा समय लगता है बाबा। मुझे अपने सुझाव ज़रूर भेजें। [email protected]
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