This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
सनी गाण्डू प्रणाम पाठको, हरदिल अजीज सनी गाण्डू अपनी गाण्ड चुदाई की बिल्कुल नई कहानी लेकर आप सबके लौड़ों के लिए हाज़िर है।
पान वाले और चाय वाले से हुई चुदाई के बाद मैंने किसी नए लौड़े से नहीं चुदवाया था क्योंकि वे दोनों कमीने गांड को सूखने ही नहीं देते थे।
फिर एक वक्त आया जब मैं उनसे बोर होने लग गया था, सो बस निकल पड़ा किसी नए लौड़े तलाश में।
मेरे कमरे से कुछ दूरी पर एक बाग़ पड़ता है। शाम को मैं छत पर खड़ा किसी से बात कर रहा था कि मुझे ठक-ठक की आवाज़ सुनाई दी, मेरा ध्यान उस तरफ गया।
वह आदमी लकड़ी काट रहा था, मैं नीचे गया।
मेरे पास एक अच्छी दूरबीन है, उसे उठा लाया और देखा एक गबरू नौजवान बिना शर्ट, लोहे जैसा फौलादी बदन, पसीने से भीगा लकड़ी काट रहा था।
मैंने महसूस किया कि मेरी गांड में खुजली होने लगी। मैंने शॉर्ट्स पहना टी-शर्ट पहनी और शूज पहन कर उसकी तरफ निकल पड़ा।
चाय वाला बोला- साली राण्ड… किधर जा रही हो?
‘बस टहलने…’
वहाँ पहुँच कर मैंने उसको करीब से देखा उसके डोलों की और छाती की नसें फूली हुई थी, उसका पसीना टपक रहा था।
उसने मुझे देखा।
मैंने मुस्कान बिखेरी और प्यासी नज़रों से उसे देखा।
वो अपना काम करता रहा।
‘तुम कितनी मेहनत करते हो.. क्या सुडौल जिस्म है आपका!’
‘सब मर्दों का होता है साब…’
‘मेरा नाम सनी है.. लेकिन मेरा जिस्म तो बहुत नाज़ुक कूल-कूल सा है।’
वह चुप रहा।
मैंने टी-शर्ट उठाई- देखो.. कितना नाज़ुक सा है।
उसने हैरानी से मेरे मम्मों को देखा और काम ज़ारी रखा।
मैं उस शाम सूखा वापस लौटा, पान वाले को बुलाया और मची हुई खुजली मिटाई।
अगली शाम फिर गया, वह काम में लगा हुआ था।
मैंने हाथ पेड़ पर टिकाए, पिछवाड़ा ऊँचा करके थोड़ा घोड़ी की तरह झुका और शॉर्ट्स को घुटनों तक खिसकाया। नीचे गाण्ड पर काली पैंटी थी, अपना हाथ फेरने लगा कि शायद वो आए। लेकिन कमीना ऐसे कामों में ध्यान ही नहीं देता था।
मैंने थक कर शॉर्ट्स को ठीक किया और उसके करीब गया।
‘कुछ कर लो, मैं तैयार हूँ, वहाँ घर पर अकेला रहता हूँ.. चलते हैं..’
लेकिन उसने जवाब नहीं दिया तो मैंने सोचा कि लगता है ‘इसका खड़ा नहीं होता होगा।’
मुझे अपनी जिन्दगी में पहली बार ऐसा बंदा मिला जिससे मुझे लौटना पड़ा।
रात को चाय वाला आया, मैंने मना कर दिया कि आज नहीं मरवाऊँगा, पर उस साले ने ज़बरदस्ती मुझे नंगा किया, बिस्तर पर धकेल कर ऊपर सवार हो गया।
लौड़ा मेरे मुँह में ठूंस दिया।
‘साली बाग़ में जाती हो.. दो दिन से.. पक्का किसी के संग रासलीला रचाती होगी.. मिल गया होगा कोई हमसे बड़ा लौड़े वाला।’
मैंने बेमन से चुदाई में उसका साथ दिया।
अगले दिन लंच टाइम में बॉस से बोल कर दूसरे रास्ते से बाग़ में घुसा।
मैं आज काफी पहले चला गया था। आज ना चाय वाले ने देखा, न पान वाले ने मुझे देखा था।
बाग़ में भी कुल्हाड़े की आवाज़ सुनाई नहीं पड़ रही थी। मैंने सोचा आज वह नहीं आया होगा।
वापस आते वक़्त मैंने आवाज़ सी सुनी ध्यान से देखा तो झाड़ी के पीछे कोई था।
मैंने सोचा होगा मेरे जैसा कोई गांडू।
आगे बढ़कर देखा, मेरे तन-बदन में आग लग गई। वह लकड़ी वाला नीचे लुंगी बिछा कर उस पर लेटा था और उसका लौड़ा उसके हाथ में था।
उसका लौड़ा उसके जिस्म की तरह काफी बड़ा और फौलादी था। मैंने सोचा कि ऐसा मौका फिर नहीं मिलने वाला ! मैं दूसरी तरफ से पीठ की तरफ से दबे पाँव गया एकदम से उसके लौड़े को पकड़ लिया। वह समझ ही नहीं पाया कि यह क्या हो गया।
‘तुम साले.. छोड़ दे मेरा लौड़ा.. यह सिर्फ चूतों के लिए बना है।’
‘प्लीज एक बार.. सिर्फ एक बार.. मेरे साथ देखो.. सब भूल जाओगे।’
वह खड़ा हुआ और मुझे पीछे धकेला- जा यहाँ से।
मुझ पर काम सवार था सो मैंने आगे बढ़ कर घुटनों के बल बैठकर उसके लौड़े को मुँह में भर लिया।
‘साले यह क्या…? कहा न जा…’
मैं उसके लौड़े को मजे से चूसने लगा। उसका लौड़ा पूरा तनने लगा, मेरा हाथ उसके लौड़े के बालों में खेलने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
वह आँखें मूँद कर लौड़ा चुसवा रहा था, मुँह में लेना काफी मुश्किल हो गया था, मैंने शर्ट उतार दी।
वह बोला- तुझे लड़की होना चाहिए था।
उसने मेरे चूचे को मुँह में भर कर चूचक पर जुबान फेरी।
मेरे अन्दर वासना की लहर दौड़ी- प्लीज.. जल्दी-जल्दी मुझे एक बार चोद दो.. ऑफिस वापस लौटना है, रात को तुम मेरे घर आमंत्रित हो।
कह मैंने जींस को घुटनों तक सरकाया और उसके आगे घोड़ी बनकर खड़ा हो गया।
वो बोला- नीचे लेट…
औरत की तरह टांगें उठा कर मैं नीचे लेट गया, उसने ऊपर आकर लौड़े को गीला करके मेरे छेद पर लगाया और झटका दिया। सुपारा अन्दर घुस गया मेरी फटने लगी, उसे क्या कहता। उसने एक झटका और दिया और आधा लौड़ा घुस गया।
इसी तरह करते-करते पूरा लौड़ा गांड में अन्दर तक फंस चुका था। उसने आगे-पीछे करना चालू किया, मुझे राहत मिली जैसे-जैसे उसका लौड़ा चलने लगा मेरी खाज मिटने लगी और मुझे मजा मिलने लगा।
वो बोला- घोड़ी बन!
मैं घोड़ी बना, उसने पूरा लौड़ा घुसा दिया और ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा था। उसका माल झड़ने वाला था और उसने तेजी पकड़ ली।
‘हाय.. गई.. गांड.. राजा छोड़ दो.. छोड़ दो..’
‘रंडी कहीं की.. खुद आई थी न..’ कहते-कहते वो झड़ गया।
उसने गांड को अपनी ग्रीस दी।
‘हाय क्या मर्द हो तुम.. आज रात को नौ बजे आना.. ढाबे पर, वहाँ से चलेंगे !’
मुझे यह लग रहा था कि कहीं वह दोनों मेरे नए आशिक़ से मिलन में कोई पंगा न कर दें।
दोस्तो, दोपहर रंगीन करके बहुत मजा आया, गाण्ड साफ़ की, कपड़े पहने, उसको चूमा और वहाँ से निकला।
रात को जब वह आया उसको पूरा मजा दिया, अलग-अलग कपड़े पहन कर तीन बार सुहागरात मनाई।
अब वह भी अक्सर मेरे घर आता है लेकिन मुझे घर से ज्यादा बाग़ में चुद कर मजा आता है।
यह थी मेरी लेटेस्ट सच्ची चुदाई।
जैसे नया लौड़ा लूँगा, सबसे पहले अन्तर्वासना पर आप सबके सामने लाऊँगा।
तब तक के लिए इज़ाज़त दो।
आपका सनी
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000