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प्रेषिका : बेनज़ीर खान सम्पादक : इमरान
दोस्तो, यह कहानी नहीं, यह मेरी हकीकत है। आप देखिये कितने लोगों ने चोदा मुझे हनीमून में? और मैंने किसी को निराश नहीं किया, खुल कर चुदवाया सबसे, सबके लौड़े चाटे, चूसे और भून कर निकाला अपनी चूत से। मुझसे जब पूछा लोगों ने कि बेनज़ीर तेरी सुहागरात कैसी रही? तो मैंने सबको यही जबाब दिया:
लण्ड खुल गये हनीमून में, सबने चोदा हनीमून में मुँह में लौड़ा, बुर में लौड़ा, गाण्ड में लौड़ा हनीमून में !
माहौल ही कुछ ऐसा बन गया था कि लोग चोदते रहे मुझे और मैं चुदवाती रही! न मैंने किसी को रोका और न कोई रुका। लोग पेलते रहे लण्ड और मैं पिलवाती रही लण्ड! लोग चुसवाते रहे लण्ड और मैं चूसती रही लण्ड ! लोग मारते रहे गाण्ड और मैं मरवाती रही गाण्ड!
पहले तो मैं तीन लण्ड तक गिनती रही पर जब मुझे मालूम हुआ कि चोदने वाले और भी हैं तो मैंने लौड़ों की गिनती करना ही छोड़ दिया।
लोगों ने शायद सोचा कि यह नई नवेली दुल्हन है अभी दो तीन लोगों से चुदवा कर पस्त हो जाएगी लेकिन उन्हें क्या मालूम था कि यह दुल्हन उन सबको ही पस्त कर देगी जो जो इसे चोदने आएगा!
बस फिर क्या था, धड़ाम धड़ाम एक एक करके लण्ड खलास होते रहे और मैं उन्हें अपनी चूत की भट्ठी से भून भून कर निकालती रही।
लोगों ने समझा कि इसका पहला मौका है यह 2-3 लोगों से चुदवा कर शांत हो जाएगी, ज्यादा लण्ड झेल नहीं पायेगी लेकिन उन्हें क्या मालूम था कि यह एक से एक हलब्बी लौड़ों से पहले ही चुदवा चुकी है। जाने कितने मर्द अपना लण्ड इस चूत में पेल चुके हैं। शादी के आखिरी दिन तक वह भकाभक चुदवाती रही है। जितने लोगों ने उसे सुहागरात में चोदा, उनसे ज्यादा लोगों से वह अक्सर चुदवाती रहती थी। उसे मालूम है कि लण्ड कैसे खलास किये जाते हैं। उनका तेल कैसे और कितनी जल्दी निकाला जाता है। लण्ड के किस भाग में असली मज़ा होता है।
दोस्तो, अब मैं बताती हूँ आपको पूरा किस्सा- मैं 25 साल की थी जब मेरा निकाह अफ़रोज़ के साथ हुआ।
मैं ससुराल गई और वो दिन आया जिस दिन का हर लड़की इंतज़ार करती है।
हाँ, सुहागरात वाली शाम… मेरे पास सबसे पहले मेरी ननद आई।
वह बोली- भाभी आज तो चुदेगी झमाझम तेरी चूत!!!
मैंने मन में सोचा कि ‘अरे यहाँ तो लोग खुल कर गाली से बातें करते हैं। अब तो वाकयी मज़ा आएगा क्योंकि मेरे पास तो गालियों का भण्डार है।’
मैं बोली- तो ठीक है न ननद जी, चूत तो होती ही है चुदने के लिए।
वह बोली- आज तो अफ़रोज़ भाई जान के अलावा भी लोग चोदेंगें तुम्हें।
हालांकि मैं यहाँ के रीत-रिवाज़ जानती थी फिर भी मैंने कहा- हाय दईया, क्या मुझे मेरे शौहर के अलावा भी कोई और चोदेगा?
वह बोली- हाँ भाभीजान, आज की रात तो दुल्हन को कोई भी चोद सकता है और उसे चुदाना भी पड़ता है, दुल्हन चुदाने को मना नहीं कर सकती।
मैंने पूछा- अच्छा, तेरी तो शादी हो चुकी है, तुझे कितने लोगों ने चोदा था तेरी सुहागरात में?
वह बोली- हाय भाभी मुझे भी तीन लोगों ने चोदा था उस रात!
मैंने मजाक किया और कहा- बस? केवल तीन? बस तीन में ही तेरी चूत की पों बोल गई थी क्या?
वह बड़ी जोर से हंस पड़ी।
इतने में मेरी सासू जी आ गई, वे बोली- बहू, देखो आज के दिन किसी को नाराज़ नहीं किया जाता, आज सबको खुश रखना पड़ता है, जो भी आये उसे खोल कर देना, सबका अन्दर ले लेना किसी को नाराज़ नहीं करना, आज के दिन जितने अन्दर घुसेड़ेगी उतना अच्छा है।
मैंने उसके कान में कहा- सासू जी, सिर्फ आज ही के दिन या आगे भी?
वह मेरे कान में बोली- अरी बहू, आज तू सबसे चुदवा ले… आगे मैं तेरी बुर चुदवाती रहूंगी। तू चिंता न कर !
मैं मस्त हो गई सासू जी की बात सुनकर ! मैं तो बड़ी बिंदास पहले से ही थी। चुदाने में अव्वल, लण्ड पीने में अव्वल, लण्ड चाटने में अव्वल… मैंने कमर कस ली कि आज मैं सारे मर्दों को पानी पिला कर रहूँगी। आने दो सालों को सबके लण्ड की माँ चोदूँगी मैं आज! सबसे पहले मेरा शौहर आया, उसने मेर घूंघट उठाया और चुम्मा-चाटी की।
मैंने भी वैसे ही किया।
फिर वह मेरे कपड़े खोलने लगा।
मैं धीरे धीरे नंगी हो गई, मैंने उसके कपड़े उतारे और उसे नंगा किया।
मेरी निगाह उसके लण्ड पर पड़ी, देखने में तो अच्छा लगा।
मैंने उसे पकड़ लिया और उसने मेरी चूची पकड़ ली। लण्ड बढ़ने लगा।
मैं खुश हुई कि चलो लौड़ा औसतन ठीक ही है।
फिर उसने लण्ड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया।
मैं लण्ड चूसने लगी।
इतने में मुझे लगा कि सिसी ने मेरे कंधे पर कुछ छुआ दिया।
मैंने मुड़ कर देखा तो वह भा एक लण्ड था। मैं चौंक पड़ी? अरे ये क्या है? कौन है? किसका का है यह?
मेरा मियां बोला- डार्लिंग यह मेरा दोस्त है मुनव्वर, यह भी मनायेगा मेरे साथ सुहागरात!
मैंने कहा- यार सुहागरात में ही पराया मर्द?
वह बोला- आज कोई पराया नहीं है जानेमन, आज तो तुम्हें कोई भी चोद सकता है।
मैंने कहा- और कल भी यह साला भेन्चो… आ गया मुझे चोदने तो?
वह बोला- कल तुम इसे निकाल सकती हो, इज़ाज़त केवल आज के लिए है बस।
मैं बोली- और अगर मैं इसे न निकालूँ तो?
वह बोला- तो क्या फिर चुदवा लेना, मस्ती करना!
मैंने कहा- तुम्हें तो कोई ऐतराज़ नहीं होगा न?
वह बोला- कतई नहीं, मेरी तरफ से तुम बिल्कुल आज़ाद हो, जिससे चाहो चुदाओ।
बस मुझे सुहागरात के ही दिन पराये मर्दों से चुदवाने की इज़ाज़त मिल गई।
ऐसा कह कर उसने मेरी चूत में लण्ड घुसेड़ दिया।
उधर उसके दोस्त ने मेरे मुंह में लण्ड घुसेड़ दिया।
मैं दो दो लण्ड का मज़ा एक साथ लेने लगी।
थोड़ी देर में मेरा मियां बोला- डार्लिंग, अब तुम मेरे दोस्त से चुदाओ, मैं अपनी भाभी चोदने जा रहा हूँ।
वह चला गया, मैंने मुनव्वर का लौड़ा घुसवा लिया अपनी बुर में और कहा- यार, लौड़ा पूरा बाहर निकालो और फिर जल्दी से अन्दर घुसाओ। इसे जल्दी जल्दी करो। मेरी गांड के नीचे लगा लो तकिया ताकि मेरी चूत ऊपर उठ आये!
वह चोदने लगा, मैं भी गचर गचर चुदाने लगी।
मैंने उसकी कमर पकड़ रखी थी, मैं चिपक कर गांड उठा उठा कर चुदाने लगी।
मैंने कहा- अहा और जोर से चोदो… अपनी बीवी समझ के चोदो राजा… तेरी भाभी हूँ चोदो भोसड़ी कस के…
बस वो खलास होने लगा।
मैंने कहा- मेरी चूची पर गिराओ, मेरे मुंह में गिराओ, मेरी चूत के ऊपर गिराओ।
मैं उसका लण्ड चाट रही थी।
तब तक एक आवाज़ आई- इसे भी तो चाटो भाभीजान!
मैंने देखा कि मेरा देवर नंगा होअकर अपना लण्ड खड़े किये हुए मेरे सामने आ गया।
मैंने उसे पकड़ा और हिलाने लगी।
तब तक मेरा ननदोई आ गया, बोला- यार मेरी रानी, मेरा भी लौड़ा हिलाओ न?
मैं दोनों लण्ड हिलाने लगी, बड़े प्यारे प्यारे लण्ड थे दोनों?
फिर ननदोई मुझे चोदने लगा और देवर का लण्ड मैं चूसने लगी।
मुझे अपनी सुहागरात में बड़ा मज़ा आने लगा।
थोड़ी देर में मैंने कहा- देवर, तू अपना लण्ड अब मेरी चूत में पेल दे !
और मैं ननदोईजी का लण्ड चूसने लगी।
दोनों लण्ड का स्वाद जबरदस्त था, मुझे खूब पसंद आया।
मैंने फिर कहा- मेरे देवर भोसड़ी के, अब तुम मेरी गांड मारो यार!
मैंने गाण्ड मराने का भी मज़ा लिया।
पहले ननदोई का लण्ड मैंने खलास किया फिर देवर का लण्ड !
मैं फिर बाथरूम में चली गई।
जब वहाँ से निकल कर आई तो देखा कि मेरा जेठ अपना लौड़ा खड़ा किये पलंग पे लेटा है।
मेरी नज़र जब लण्ड पर पड़ी तो मैंने हाय अल्ला, इतना बड़ा लण्ड? वाह, आज मुझे मज़ा आ जायेगा। तू मादरचोद इतनी देर से कहाँ था? तुझे तो सब से पहले मेरी चूत के लण्ड पेलना था।
ऐसा लौड़ा बहुत कम लोगों का होता है। मैं उसका सुपाड़ा चाटने लगी। लाल टमाटर जैसे उसे अपने मुंह में भर लिया।
मैं अपनी गांड उठाकर लण्ड चाट रही थी।
इतने में किसी ने पीछे से लण्ड मेरी बुर में घुसेड़ दिया।
मैंने मुड़ कर देखा तो वह मेरे खसम के मामू का लड़का था।
मैंने कहा- अबे साले, तू इतनी देर क्या अपनी माँ चुदा रहा था? अच्छा ठीक है, चोद मेरी चूत!
तब तक जेठ बोला- नहीं बेनज़ीर, मैं पहले चोदूंगा।
जेठ उठा और लण्ड मेरी बुर घुसा दिया।
मैं मामू के लड़के का लण्ड चाटने लगी।
जेठ के लण्ड को मेरी चूत ने खूब कस के दबोच लिया और उसे भून कर ही बाहर निकाला।
और फिर मामू के लड़के का मैंने सड़का मार दिया, वह झड़ता हुआ लण्ड लेकर भागा।
अब मैं थोड़ा रुकी और बाहर जाकर देखने लगी।
मैं बाहर का नज़ारा देख कर दंग रह गई। मुझे लगा कि मैं ही नहीं, यहाँ तो सभी मना रहे है सुहागरात! मैंने देखा कि किसी के बदन पे कोई कपड़ा नहीं है, सब मर्द औरतें बिल्कुल नंगे हैं। लोग एक दूसरे की बीवी चोद रहे हैं, मेरी जेठानी जिसका मियां मुझे चोद कर अभी गया है, वह अपने जीजू से चुदवा रही है। मेरी देवरानी अपने मियां के दोस्त से चुदवा रही है। मेरी ननद अपने देवर से चुदा रही है और तो और मेरी सास अपनी बहन के मियां का लण्ड चूस रही है।
मेरी खाला सासू अपने दामाद का लौड़ा चाट रही है।
सब आपस में इधर उधर हो रहा है।
एक लण्ड इसकी बुर से निकलता है और उसकी बुर में घुस जाता है। एक बीवी अपने मुंह से लण्ड निकाल कर किसी और के मुंह में घुसा देती है।
खैर मैं वापस आई तो देखा कि सुबह के चार बजे हैं, मैं नंगी नंगी ही सो गई। मुझे घनघोर नींद आ गई।
मैं उठी सवेरे आठ बजे तो देखा कि मेरे बगल में मेरा खालू ससुर एकदम नंगा लेटा हुआ है।
मैं समझ गई यह मुझे चोदने आया होगा पर मुझे सोता हुआ देख कर खुद सो गया बहनचोद!
उसका लण्ड देखा तो मेरे मुंह में पानी आ गया। सुपाड़ा पहाड़ी आलू की तरह एकदम बाहर निकला हुआ था, बाकी लण्ड एक पेड़ की तने की तरह लग रहा था।
मुझसे रहा न गया और मैं अपनी जुबान निकाल कर झुक कर लण्ड पर छुआने लगी, मैं सुपारा धीरे धीरे चाटने लगी। उसके पेल्हड़ हौले हौले सहलाने लगी।
मुझे थोड़ी देर में लगा की लण्ड बढ़ने लगा है।
मैंने गच गचा कर बहनचोद का सुपारा मुंह में भर लिया, दोनों होंठों से दबाये लण्ड पर अन्दर ही अन्दर जुबान फिरा रही थी। इतने में वह जग गया, बोला- हाँ दुल्हन, मजे से इसी तरह और चाटो!
मैंने ऐसा सुन कर लण्ड और अन्दर घुसा लिया।
वह फिर बोला- हाय दुल्हन, तुम तो बहुत बढ़िया लण्ड चाटती हो? ऐसा तो तेरी खाला सासू भी नहीं चाट पाती बुर चोदी?
मैं सुपारे के घेरे में चारों तरफ जुबान घुमाने लगी।
वह बोला- हाँ बहू, मैं तो तेरे मुंह में ही झड़ जाऊँगा।
मैं बोली- झड़ जा भोंसड़ी के… बुर दूसरी बार चोद लेना! बस वो बहनचोद मेरा मुंह बुर समझ के चोदने लगा और आखिर में झड़ भी गया माँ का लौड़ा।
मैंने कहा- अभी और भी कोई मर्द बचा है जिसने अपना लण्ड मुझे न पकड़ाया हो?
एक आवाज़ आई- हाँ भाभी, मैं बचा हूँ। अफ़रोज़ का दोस्त और आपका पड़ोसी हसन…
मैंने कहा- तो तू अभी तक कहाँ अपनी माँ चुदा रहा था साले? कल रात में क्यों नहीं आया? आज दिन में आया है मेरी सुहागरात मनाने? चल तू भी आ जा और हिला ले अपना लण्ड मेरी चूत में।
मैंने जैसे ही उसका लण्ड पकड़ा तो मज़ा आ गया। लौड़ा बड़ा तगड़ा था उसका!
मैंने कहा- यार तेरा लण्ड तो बड़े बड़े मर्दों के लण्ड जैसा है, तुझसे तो मुझे आगे भी चुदाना पड़ेगा।
वह बोला- चिंता न करो भाभीजान, मैं चोदता रहूँगा। वैसे एक राज़ की बात बताऊँ भाभी?
मैंने कहा- हाँ हाँ, बता न मादरचोद? डरता क्यों है?
वह बोला- कल रात मैं आपकी सासू माँ को चोद रहा था? आंटी जी यानी तेरी सासू मुझसे अक्सर चुदवाती है। यह सब मेरे लण्ड का कमाल है। आंटी जी मेरे लण्ड की दीवानी है, कभी पूछना उससे।
बस फिर क्या मैं भी टूट पड़ी उसके लण्ड पर और भकाभक चुदाया।
तो देखा दोस्तो आपने, कितने लोगों ने चोदा मुझे मेरी सुहागरात में?
इतने में सासू जी मेरे पास आई और मेरी पीठ थपथपा कर बोली- शाबाश बहू, आज तुमने सभी मर्दों के लण्ड की माँ चोद दी। मुझे इसी तरह की बहू की जरूरत थी। देख बेनज़ीर, तेरा मर्द और मेरा मर्द दोनों विदेश में काम करते हैं, पैसा खूब कमाते हैं दोनों और खूब भेजते है। हम दोनों अब खूब ऐय्याशी किया करेंगी। अब हम तुम मिलकर चुदाया करेंगी।
मैंने कहा- और हमारे शौहर?
वह बोली- उसकी तू चिंता न कर… वे दोनों विदेश में जाने कितनी बीवियाँ चोदते हैं, जाने कितनी लड़कियाँ चोदते हैं, लड़कियों की माँ चोदते हैं, गोरियाँ चोदते हैं, मेमें चोदते हैं।
मैंने कहा- सासू माँ, यह हसन का लण्ड?
वह बोली- हाँ बहू, मुझे उसका लौड़ा बड़ा प्यारा लगता है, मैं तो खूब चुदाती हूँ उससे। आज उसने तुम्हें पहली बार चोदा है लेकिन अब दुबारा जब चोदेगा तो तुम्हें और मज़ा आयेगा। समाप्त।
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