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यह कहानी मेरे एक मित्र शरद की है, आपके सामने शरद के शब्दों में ही पेश है।
मैं शरद अग्रवाल, उम्र 24 साल, दिल्ली आए मुझे एक अरसा गुजर चुका था… यहाँ नौकरी भी अच्छी है, अब वेतन भी अच्छा है, देखने में भी अच्छा खासा ही हूँ, ऐसा मेरे दोस्त कहते हैं।
खैर मैंने किसी अच्छे घर में शिफ्ट करने की सोची और एक पॉश सेक्टर में एक कमरा किराए पर ले लिया था। ब्रोकर ने कई कमरे दिखाए और उनमें से जो बेहतर था वो मैंने अपने लिए चुन लिया।
मेरी दिनचर्या बहुत ही टाईट रहती है, दिन भर दम भरने की भी फुरसत नहीं, मैं मीडिया से जुड़ा हूँ इसलिए एक एक बात का ध्यान रखना होता है।
कई बार मीटिंग में भी देरी हो जाया करती है।
खैर मैं अपनी जॉब को काफी एन्जॉय भी करता हूँ। इस काम में कई लड़कियों की नौकरी मेरे दम पर चलती है मगर आज तक मैंने किसी का कोई नाजायज फायदा नहीं उठाया, हर काम प्रोफेशनल की तरह करता हूँ, औऱ रात को अपने कमरे में लौट आता हूँ।
कई बार इतवार को भी मेरी जरूरत पड़ जाती है, इस बार मैं इतवार को ऑफ़िस से जल्दी अपने कमरे में लौट आया था और आराम करने के लिए लेटा ही था कि दरवाजे पर मैंने दस्तक सुनी।
मैं- पता नहीं साला, इस वक्त कौन आ गया?
मैंने बड़बड़ाते हुए दरवाजा खोला, मेरे सामने मकान मालिक मिस्टर रवीन्द्र जैन खड़े थे, वो एक निजी बैंक में मैंनेजर की पोस्ट पर हैं।
मैं- अरे सर आप… आइए ना, अन्दर आइए!
मैंने उन्हें आदरपूर्वक अन्दर बुलाया और बिठाया।
मिस्टर जैन बैठते हुए– और भई कैसे हैं आप… आप से तो भेंट ही नहीं होती… आप बीजी ही इतना रहते हैं। मैं- जी हाँ, काम ही ऐसा है कि अपने लिए भी समय नहीं निकाल पाता मैं… क्या लेंगे आप कुछ ठंडा या… मिस्टर जैन– यही पूछने तो मैं आपके पास आया हूँ। मैं- मतलब?
मिस्टर जैन- अरे भाई ना मिलते हो न जुलते हो… क्यों न हम लोग आज शाम बैठें, कुछ तुम अपनी सुनाना, कुछ हमारी सुनना ! मैं- जरूर जरूर क्यों नहीं! मिस्टर जैन- तो आज शाम 6 बजे का पक्का रहा, मैं तुम्हारा इन्तजार करुँगा… आना जरूर!
इतना कह कर मिस्टर जैन चले गए।
मिस्टर जैन 40-42 साल के हैं उनकी पत्नी रेखा जैन 36-37 साल की एक हाउसवाईफ, उनके दो बच्चे, एक लड़का और लड़की दोनों ही कहीं बाहर में पढ़ते हैं और सिर्फ छुट्टियों में ही घर आते हैं। उनका बड़ा घर है लेकिन सिर्फ छत पर एक कमरा था जिसको उन्होंने किराया पर दिया हुआ है।
मैंने टीवी ऑन किया, एक सिगरेट जला ली और अनमने ढंग से मैंने चैनल बदलना शुरु कर दिया। मेरा मन नहीं लगा तो एक मूवी चैनेल लगा कर छोड़ दिया और वहीं सोफे पर बैठकर टीवी देखने लगा।
अब शाम के छः बजने वाले थे मैं सीधे फ्रेश होने चला गया।
तैयार होकर मैंने जैन साब के दरवाजे की घंटी बजाई मिस्टर जैन ने दरवाजा खोला।
वो गाउन में थे।
मिस्टर जैन- अरे आओ आओ, तुम्हारा ही इन्तजार कर रहे थे हम लोग… कम इन.. मैं उनके पीछे पीछे अन्दर चला गया, क्या आलीशान ड्राईंग रूम था उनका।
मैं वहीं बैठ गया।
मैं अभी बैठा ही था कि उनकी पत्नी रेखा जैन ने वहाँ आई। इस उम्र में अक्सर हमारे देश की महिलाओं की उम्र दिखने लगती है मगर रेखा जैन अपनी उम्र से कम से कम दस साल कम लग रही थी, बला की खूबसूरत!
मिस्टर जैन- इनसे तो तुम पहले मिल ही चुके होंगे, फिर भी यह मेरी पत्नी है रेखा! मैं- हाँ सर, मिल तो चुका हूँ पर जल्दी जल्दी में और तब जब मैं यहाँ पहली बार चाबी लेने आया था। मिस्टर जैन- रेखा, दिस हैन्डसम यंग मैन हियर इस मिस्टर शरद..
‘तो शरद क्या लोगे? समथिंग हॉट आई बीलीव…?’
यह कहकर वो हंस पड़े और रेखा जैन भी मुस्कुरा दी।
मैंने भी मजाक समझा और हंस पड़ा। मिस्टर जैन- अरे डार्लिंग, इतना हैंडसम आदमी यहाँ बैठा है, कुछ ड्रिंक सर्व करवाओ भई!
मैं मुस्कुरा दिया।
मिस्टर जैन- और सुनाओ, कैसी चल रही है? मैं- बस सर, ठीक चल रही है। मिस्टर जैन- क्या खाक ठीक है… पूरी जवानी तो तुम काम में ही लगा देते हो।
मैं- वेल मिस्टर जैन, औऱ कुछ करने के लिए मेरे पास है ही नहीं, यहाँ अकेला रहता हूँ तो क्या करूँगा?
मिस्टर जैन- और जाहिर है गर्ल फ्रेन्ड भी नहीं होंगी… मैं जानता हूँ तुम जैसे लड़कों को वरकोहलिक टाईप…
मैं चुपचाप उनकी बातें सुन रहा था और मुस्कुरा रहा था
मिस्टर जैन- दरअसल तुम्हारे बॉस मिस्टर किशनलाल हमारे कलाएन्ट भी हैं और काफी अच्छे दोस्त भी हैं वो, उनसे तुम्हारे बारे में एक आध बार चर्चा हुई है, वो तुम्हारी तारीफ बहुत करते हैं… कहते हैं आजकल के जमाने में तुम्हारे जैसे लोग कम ही मिलते हैं।
इतने में रेखा ड्रिंक सर्व करने लगीं।
रेखा जैन- अरे तुम भी ना, रवीन्द्र, आते ही क्लास लेने लगते हो! मैं- अर्…रे नहीं नहीं मैम, इट्स ऑल राईट।
हम अपनी अपनी ड्रिन्क की चुस्की लेने लगे।
मिस्टर जैन- शरद तुम दिल्ली में कब से हो? मैं- सर, मैं यहाँ 1995 में ही आ गया था… कॉलेज यहीं से किया और अब नौकरी! मिस्टर जैन- ओह वाओ… और तुम तो उत्तरप्रदेश के रहने वाले हो ना?
मैंने हाँ कहा।
मिस्टर जैन- औऱ घर में कौन कौन हैं?
मैं- सभी लोग तो हैं माँ-पिताजी हैं, एक भाई है, मुझसे बड़े लखनऊ में हैं, एक मोबाईल कम्पनी में मैंनेजर… पिताजी रिटायर हो चुके हैं अब खेती करते हैं औऱ माँ मेरे लिए आए दिन लड़की ढूंढती रहती हैं जिसे मैं अक्सर नामंजूर कर देता हूँ।
सब हंस पड़े।
मिसेज़ जैन तब तक कुछ खाने का भी लेकर आ गई थी, उन्होंने वहीं सेन्टर टेबल पर खाने का सामान रखा और पास के सोफे पर बैठ गईं।
मिस्टर जैन- गुड… अच्छे परिवार के लड़के हो।
मिसेज़ जैन- तो शरद, समय कैसे गुजरता है तुम्हारा? सिर्फ काम ही करते हो या फिर दिल्ली का मजा भी लेते हो? मै- मैम, मैं कुछ समझा नहीं? मिसेज़ जैन- देखो, मेरे कहने का मतलब है कि हम सब मेच्योर लोग हैं और इस भागती दौड़ती जिन्दगी में तुम्हें अपने लिए वक्त निकालना चाहिए।
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैडम जैन कहना क्या चाह रही थी, बार बार मेरी जिन्दगी के बारे क्यों बात कर रहे हैं.. फिर भी मैं चुप ही रहा, मैं चाहता था कि वो ही अपनी बात पूरी करें।
मिसेज़ जैन- देखो मिस्टर जैन भी बहुत बीजी रहते हैं मगर हम सप्ताह में एक दिन ही सही अपने लिए समय निकाल ही लेते हैं… हम लोग मस्ती करने वाले लोग हैं, खुश रहने वाले लोग हैं।
मिस्टर जैन ने रेखा की बात को काटते हुए कहा- देखो यार, एक समय था जब हमारे बीच का रिश्ता खत्म सा हो गया था, मैं हमेशा काम में ही उलझा रहता था। एक टाईम ऐसा भी आया जब हम अलग होने की सोचने लगे थे।
मैं उनकी बातों को गौर से सुन रहा था, मेरी समझ नहीं आ रहा था कि वे कहना क्या चाह रहे थे।
मिस्टर जैन- लेकिन हमने अपने आपको संभाला और फिर से जिन्दगी की शुरुआत की, आज हम सुखी हैं। हमारा एक क्लब है और इस क्लब में कई लोग शामिल हैं, हम चाहेंगे तुम इस क्लब में शामिल हो जाओ !
मैं- हाँ, पर मुझे करना क्या होगा और इस क्लब में होता क्या है? मिसेज़ जैन ने मेरी बात को काटते हुए कहा- यह एक स्वॉप क्लब है जहाँ हम पार्टनर्स एक्सचेन्ज करते हैं और जिन्दगी का लुत्फ उठाते हैं। मैं चौंक गया मैंने कहा- व्हाट… स्वॉप क्लब? पर… पर…!!! मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कहूँ!
मिस्टर जैन मेरी इस उहापोह को समझ गए और उन्होंने कहा- देखो शरद… तुम्हारे लिए चौंकना स्वाभाविक है, लेकिन यह सच है, एक बार हमारे साथ रिश्ता कायम करके देखो, कितना मजा आएगा औऱ तुम कितना आगे जाओगे !
मैं सोच में पड़ गया कि क्या करूँ।
तभी मिसेज़ रेखा उठकर मेरे पास पहुँची मेरे पास सटकर बैंठ गईं… उन्होंने मेरे सर पर हाथ फेरा और कहा- शरद मेरी ओर देखो, इस क्लब में कई ऐसे लोग हैं जिनके बारे वहाँ जाने पर तुम्हें पता लगेगा औऱ उनके हमारे बीच का डोर बहुत मजबूत है।
उनके कहने पर मैं मान गया औऱ मेम्बर बना दिया गया।
अब रात के नौ बज चुके थे मिसेज़ जैन डिनर सर्व करने के लिए चली गई।
मिस्टर जैन ने अपनी ड्रिन्क खत्म करते हुए कहा- इस क्लब के कुछ नियम हैं शरद… इस क्लब के मेम्बर्स बाहर के लोगों के साथ क्लब को डिसकस नहीं करते, दूसरी बात यह कि कोई किसी के साथ जबरदस्ती नहीं करता… बाकी की बातें तुम्हें तुम्हारे ईमेल पर भेज दी जाएगी, अच्छे से पढ़ लेना !
मैं- ओ के सर…
मैंने ओके कह तो दिया था लेकिन मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ।
खैर किसी तरह से डिनर खत्म करके मैं वहाँ से निकलना चाहता था।
डिनर के बाद मिसेज़ जैन ने मुझसे कहा- तुम्हें कोई जल्दी तो नहीं है ना सोने की… डिनर के बाद? हम सब थोड़ी और बातचीत करते हैं।
मैं अनमने ढंग से मान गया और फिर हम सब लिविंग रूम में चले गए।
रेखा ने वहीं म्यूज़िक सिस्टम पर एक अच्छी सी धुन लगाई और डांस करना शुरु कर दिया।
मिस्टर जैन भी उठकर डांस करने लगे।
रेखा जैन डांस करती हुई मेरे पास पहुँची और मेरी तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया।
मेरे लिए यह सब कुछ बिल्कुल नया था… मैं संकोच कर रहा था लेकिन मिसेज़ जैन के जबरदस्ती करने पर मैं उठ खड़ा हुआ और उनका साथ देने लगा।
अब कमरे में हम तीनों ही डांस कर रहे थे, मिसेज़ जैन कभी मिस्टर जैन के साथ डांस करती तो कभी घूमकर मेरे साथ डांस करने लगती। कभी वो अपने आप को मेरे इतना करीब ले आती कि मेरी सांस ही रुक जाती।
इन सब से मेरी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी, मेरी पैन्ट में हलचल मचने लगी थी लेकिन मिसेज़ जैन ये सब कुछ इतने सलीके से कर रही थी कि माहौल खुशनुमा बना रहे।
अचानक मैंने देखा कि मिस्टर जैन मिसेज़ जैन को चूम रहे हैं, उन दोनों के होंठ एक दूसरे से टकरा रहे थे।
मिस्टर जैन ने चुम्बन करते करते रेखा जैन की चूचियों को बाहर निकाल लिया।
मेरी नजर रेखा जैन की चूचियों पर ही गड़ गई थी और यह बात मिसेज़ जैन और मिस्टर जैन ने ताड़ ली… मिसेज़ जैन ने भी आगे बढ़ते हुए मिस्टर जैन का पूरा लंड बाहर निकाल लिया था और उसके साथ खेलने लगी।
मैं ये सब देखकर बेकाबू हुआ जा रहा था।
मिसेज़ जैन ने अपनी नशीली आँखों से मुझे घूरा और इशारा करके अपनी तरफ बुलाया।
मैं भी अपने आपको रोक नहीं पाया, उनके करीब पहुँच गया।
मिसेज़ जैन मिस्टर जैन को छोड़कर मेरे करीब आने लगी और अपनी होठों को मेरे होठों से चिपका दिया।
क्या बला की सेक्सी लग रही थी रेखा जैन… मैडम जैन मेरे सीने को सहलाने लगी थी और इन सब का असर मेरे लंड पर हो रहा था, मेरी सांसें तेज चल रही थी।
उन्होंने अपना एक हाथ बढ़ा कर मेरे जीन्स की जिप खोल दी और मेरे लंड को पहले तो सहलाया और फिर उसे बाहर निकाल लिया।
मेरा लंड अब पूरी तरह से तनकर बाहर आ गया था।
मिसेज़ जैन- वाह.. क्या लंड है तुम्हारा शरद… लगता है इस पर बहुत मेहनत की है तुमने!
मैं उनकी इस बात पर घबराते हुए मुस्कुरा दिया।
मुझे शर्म भी बहुत आ रही थी, किसी औरत ने पहली बार मेरे लंड को छुआ था।
मिसेज़ जैन- अरे यार जैन, देखो तो क्या मस्त लंड है इसका?
मिस्टर जैन- क्या गुरु, कभी इसका इस्तमाल किया है सिर्फ मूतने के काम में ही लाते हो?
मिस्टर जैन की इस बात से हम सब एक साथ हंस पड़े।
मिसेज़ जैन मेरे लंड से लगातार खेल रही थी।
मैं- न..नहीं…मैम… आज तक कभी मौका ही नहीं लगा।
मैंने हकलाते हुए यह बात कही।
मैं और कुछ कह पाता, तब तक रेखा जैन अपने घुटनों के बल बैठ गई और मेरे लंड को बड़ी अदा से चूम लिया। मेरे पूरे बदन में करन्ट दौड़ गया। मैंने अपनी नजर नीचे की लेकिन मेरा खुद का काबू अब मेरे ऊपर नहीं था।
मिस्टर जैन ने ताली बजा कर मिसेज़ जैन के इस काम का स्वागत किया।
मिसेज़ जैन ने अब मेरा आधा लंड अपने मुख में ले लिया और उसे आईसक्रीम की तरह चूसने लगी। उन्होंने तेजी से मेरे लंड को चूसना शुरु कर दिया था, मुझे बहुत मजा आ रहा था।
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मिस्टर जैन अपने जगह से उठे और रेखा जैन के पीछे आकर खड़े हो गए। उन्होंने रेखा के आगे अपनी लंड कर दिया, उनके सिर को पकड़ अपने लंड की ओर घुमाते हुए कहा- डार्लिंग, जरा मेरा भी कुछ करो न…
रेखा जैन ने मेरे लंड छोड़ कर अब मिस्टर जैन के लंड को चूसना शुरु कर दिया।
मिसेज़ जैन उठकर खड़ी हो गई, मुझसे चिपक गई और मुझे चुम्बन करना शुरु कर दिया, उन्होंने अपने हाथ को बढ़ा कर मेरे लंड से खेलना शुरु कर दिया।
मेरा भी अब संकोच कुछ कम होता जा रहा था और मैंने अब उनके चूचियों को सहलाना शुरु कर दिया, फिर उनकी चूचियों के चुचूकों को घुमाना शुरु कर दिया।
मिस्टर जैन- एक्सक्यूज मी एवरी बडी… हम एक काम करते हैं, हम अपने अपने कपड़े उतार देते हैं क्योंकि ये कपड़े हमारे मौज-मस्ती के बीच रोड़ा अटका रहे हैं।
मैंने अपनी टी शर्ट उतारनी चाही तो मिसेज़ जैन ने हाथ पकड़ लिया और कहा- यार शरद, तुम्हारे कपड़े मैं उतारूँगी।
उन्होंने इतना कह कर बड़ी अदा से पहले मेरी टीशर्ट को उतारा और फिर मेरी छाती को चूमने लगीं, उन्होंने पहले मेरी गर्दन को चूमना शुरु किया फिर धीरे धीरे वो मेरे सीने तक पहुँची और मेरी दोनों घुण्डियों को बारी बारी चूमना शुरु कर दिया और फिर वो चूमते चूमते मेरे पेट तक पहुँच गई, मेरी नाभि के आसपास चूमना शुरु कर दिया।
औऱ फिर उन्होंने बड़े आराम से मुझे वहीं सोफे पर धकेल दिया, मैं उस बड़े से सोफे पर लगभग आधा लेट गया और अब मिसेज़ जैन ने मेरे जीन्स को मेरी टांगों से खींचकर अलग कर दिया।
मेरा लंड फनफना रहा था।
उन्होने मेरे बचे-खुचे अंडरवियर को भी मुझसे अलग कर दिया, मैं अब पूरी तरह से नंगा लेटा हुआ था और मेरा लंड बिल्कुल सीधा खड़ा था… मुझे इस अवस्था में देखकर मिसेज़ जैन की आँखों में अजीब सी चमक आई, वो खड़ी होकर अपने कपड़े भी खोलने लगीं और इधर मिस्टर जैन भी अपने कपड़ों को अपने जिस्म से अलग कर चुके थे।
मिसेज़ जैन भी पूरी तरह से नंगी खड़ी थी, मैंने एक सरसरी नजर मिसेज़ जैन पर डाली… वाह क्या तराशा हुआ जिस्म था उनका… मुलायम मगर उठी हुए चूचियाँ, भूरे निप्पल… सुराहीदार गर्दन, कटीले नयन नक्श और पेट भी काफी सेक्सी लग रहा था, कहीं कोई चर्बी नहीं थी, नाभि भी काफी सेक्सी लग रही थी।
नाभि के नीचे के हिस्से भी कम दिलचस्प नहीं थे, बिल्कुल चिकनी चूत, जरा भी बाल नहीं थे उस पर, एकदम रसीली लग रही थी और दो चिकनी जांघों ने उस चूत पर चार चांद लगा दिए थे।
मैं रेखा जैन के जिस्म को अपने आँखों से लगातार पिए जा रहा था और मिस्टर जैन मेरी इस हरकत को देखकर मुस्कुराए जा रहे थे।
मिस्टर जैन अपनी नंग धडंग पत्नी की ओर आए उसे वहीं दीवान पर लेटा दिया।
मैं इधर सोफे पर पड़े पड़े यह तमाशा देख रहा था।
उन्होंने मिसेज़ जैन को लेटाते हुए उनकी जांघों को अलग किया और मेरी ओर देखकर आँख मार दी।
उन्होंने अपने होठों को उस चिकनी मादक चूत पर रख दिया और उसे चाटने लगे।
रेखा जैन चिहुंक उठी और मस्ती में सिसकारने लगी।
मैं भी अब उठ खड़ा हुआ और उनके करीब पहुँच गया।
मिसेज़ जैन ने मेरे लंड को अपने मुख में ले लिया और उसे चूसने लगी।
मिस्टर जैन उनकी चूत चाट रहे थे और मिसेज़ जैन मेरा लंड चूस रही थी।
अचानक मुझे लगा कि मैं झड़ जाऊँगा, मैंने अपने आपको अलग कर लिया। मिसेज़ जैन और मिस्टर जैन यह बात समझ गए।
मिसेज़ जैन- अरे शरद… आओ ना… मेरी चूत देखो न तुम्हारे लंड को देखकर कैसे लार टपका रही है… देर न करो, अपने लंड को मेरी इस रसदार जैन चूत में डाल कर खूब चोदो।
मैं उनकी इस तरह की भाषा को सुनकर हैरान रह गया लेकिन उनकी ये बातें कामोत्तेजक लग रही थी।
मिस्टर जैन- अरे आओ भी ! तुम तो लड़कियों की तरह शर्माते हो?
मैं उनकी ओर बढ़ा और मिसेज़ जैन की जांघों के बीच जाकर खड़ा हो गया, मिसेज़ जैन ने मेरे लंड को अपनी चूत के छेद पर टिका कर कहा- शरद एक हल्का सा धक्का देना!
मैंने वैसे ही किया और मेरा लंड उनकी चूत के अन्दर बड़े आराम से घुस गया। मैं भी मस्ती में झूम उठा, इस तरह की मस्ती की अनुभूति मुझे पहले कभी नहीं हुई थी।
मैंने हल्का सा धक्का और मारा तो अब मेरा आधा लौड़ा रेखा जैन की रसदार चूत के अन्दर था। मैं अब उसे धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा… रेखा जैन ने मस्ती में आहे भरकर बड़बड़ाने लगी- आह… ओह, क्या मस्त लंड है तुम्हारा… ओह बहुत अच्छा लग रहा है यार… हाँ हाँ ऐसे ही, ऐसे ही यार… हाँ हाँ और अन्दर डालो जोर से जोर… खूब चोदो मुझे शरद आज पूरा निचोड़ दो मुझे… इतना जवान कुंवारा लंड… इतना कड़क लंड बहुत दिनों के बाद मिला है मुझे… रवीन्द्र देखो न, यह शरद का लंड कितना अच्छा है… तुम भी आओ न, मैं तुम्हारा लंड चूसना चाहती हूँ, आओ ना यार जैन डार्लिंग, आ जाओ न… उफ क्या लंड है शरद तुम्हारा…
मैं रेखा जैन की इन बातों से और उत्तेजित होकर उन्हें तेजी में चोदने लगा।
मिसेज़ जैन अब मिस्टर जैन का लंड लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी और मैं चुदाई कर रहा था।
इसी क्रम में मिसेज़ जैन ने अपना मुंह मिस्टर जैन के लंड से अलग किया और मुझसे कहा- शरद अब मुझे डॉगी स्टाईल से चोदो ना… मैं तुम्हारी कुतिया हूँ मैं तुम्हारी राण्ड हूँ, मेरे खसम के सामने मुझे चोदो शरद !
यह कहकर वो मुझसे भी अलग हो गई और घुटनों के बल झुक गई और मैं पीछे से अपना लंड उनकी चूत में घुसाने लगा।
इधर मिस्टर जैन भी अपने लंड से रेखा जैन के मुख को चोदने लगे।
कमरे में अजीब नज़ारा था, मिस्टर जैन अपना लंड रेखा जैन के मुंह में लगातार पेल रहे थे और मैं उनकी चूत को!
अचानक मिस्टर जैन के बदन में अकड़न आने लगी और वो जोर जोर से अपनी कमर हिलाने लगे और थोड़ी देर में उनके लंड से सफेद पिचकारी छुटी और रेखा जैन के होठों के बीच से मिस्टर जैन सफेद वीर्य बाहर आने लगा।
मिसेज़ जैन ने मिस्टर जैन के लंड का पूरा पानी पी लिया, उनके लौड़े पर लगा माल भी चाट लिया और मिस्टर जैन वहीं पास की कुर्सी पर बैठकर हाँफने लगे। इधर मैं दनादन रेखा जैन की चुदाई कर रहा था… मैं बीच बीच में रेखा जैन के हिलते गांड को भी निहारे जा रहा था… क्या गाण्ड थी मिसेज़ जैन की…
मैं- मैम, आपकी चूत काफी रसदार है… बहुत गर्म भी और गाण्ड भी आपकी बहुत प्यारी है।
मिसेज़ जैन- वाह रे मेरे शेर… तुम तो बहुत छुपे रुस्तम निकले… हाँ… देखो तुम्हारा लंड बहुत प्यारा है। मैं बहुत ज्यादा देर तक अब ठहर नहीं पाऊँगी… मेरा अब छुटने वाला है शरद… और तेजी से चोदो मुझे !
मैं भी अब चरम पर पहुँचता जा रहा था।
अचानक रेखा जैन जोर जोर से हाँफने लगी और कहने लगी- रुकना मत, रुकना मत मेरे चोदू, मत रुकना, मैं झड़ रही हूँ शरद, मैं झड़ रही हूँ! ओह हाँ हाँ… ऐसे ही… ऐसे… रुकना मत… रुकना मत!
और यह कहते कहते रेखा जैन का पूरा शरीर थरथराने लगा और झड़ने लगी। इधर मैं भी अब कांपने लगा, मेरे लंड से वीर्य का ज्वालामुखी फ़ूट पड़ा और रेखा जैन की पीठ पर ही औंधे मुंह लेट गया। हम दोनों बुरी तरह से हाँफ रहे थे।
थोड़ी देर में जब होश आया तो हम लोग उठकर बैठे, मिस्टर जैन वहीं पास में बैठे थे।
हम तीनों नंगे वहाँ बैठे थे।
मिस्टर जैन- तो शरद, मजा आया?
मैंने हाँ में गर्दन हिला दी।
मिस्टर जैन- देखो लाईफ कितनी मस्त है और इसमें कितना मजा है… वेलकम टु द क्लब!
यह कहते हुए मिस्टर जैन और मिसेज़ जैन हंसते हुए ताली बजाई और मैंने खड़े होकर उन्हें झुककर सलाम किया।
मिस्टर जैन- इसी बात पर एक एक ड्रिंक हो जाए।
मिसेज़ जैन उठी और तीन ग्लास में स्कॉच लेकर आईं… इम तीनों ने टोस्ट किया और ड्रिंक को बॉटम्स अप मारा।
अब रात के करीब 12 बज चुके थे, मैंने उनसे कहा- मिस्टर जैन… मैम, रात बहुत हो गई है अब मुझे चलना चाहिए।
मिसेज़ जैन- ओह यस… रात बहुत हो गई है… अब हमें सोना चाहिए लेकिन वी स्पेन्ट अ वन्डरफुल सन्डे टुडे… थैक्स शरद फॉर कमिंग एण्ड दिस वॉन्डरफुल इवनिंग…
मिस्टर जैन- हाँ डार्लिंग, शाम तो अच्छी गुजरी है लेकिन शरद तो हमारे घर के सदस्य जैसा ही है… शरद यू आर ए नाईस बॉय… मैं जल्द तुम्हें और लोगों से भी इन्ट्रोडयूस करुँगा।
मैं- शुक्रिया तो मुझे कहना चाहिए आप लोगों का जिन्होंने मुझे स्वर्ग जैसी अनुभूति करवाई… गुड नाईट सर… सी यू सून!
यह कह कर मैं अपने कमरे में चला आया और कपड़े बदल कर सोने की तैयारी करने लगा। मैं बहुत हल्का महसूस कर रहा था… चुदाई पहली बार मैंने की थी और थकान भी महसूस हो रही थी, मैं कब सो गया मुझे पता ही नहीं चला।
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