This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
प्रेषक : नामालूम सम्पादक : जूजा जी ‘छोड़ ना मुझे, खाना तो बनाने दे।’ भाभी झूटमूट का गुस्सा करते हुए बोलीं और साथ ही में अपने चूतड़ों को इस प्रकार पीछे की ओर उचकाया कि मेरा लौड़ा उनके चूतड़ों की दरार में अच्छी तरह समा गया और चूत को भी छूने लगा।
भाभी की चूत इतनी गीली थी कि मेरा लौड़े के आगे का भाग भी भाभी की चूत के रस में सन गया। इतने में भाभी कुछ उठाने के लिए नीचे झुकी तो मेरे होश ही उड़ गए।
भाभी के भारी चूतड़ों के बीच से भाभी की फूली हुई चूत मुँह खोले निहार रही थी। मैंने झट से अपने मोटे लौड़े का सुपारा चूत के मुँह पर रख कर एक ज़ोर का धक्का लगा दिया। मेरा लौड़ा चूत को चीरता हुआ 3 इंच अन्दर घुस गया।
‘आआ…….ह… क्या कर रहा है राजू? तुझे तो बिल्कुल भी सबर नहीं… निकाल ले ना…।’
लेकिन भाभी ने उठने की कोई कोशिश नहीं की।
मैंने भाभी की कमर पकड़ कर थोड़ा लंड को बाहर खींचा और फिर एक ज़ोर का धक्का लगाया। इस बार तो करीब 8 इंच लौड़ा भाभी की चूत में समा गया।
‘आ…आ..आ…आ. .आ ..वी मा..आआ.. मर गई, छोड़ ना मुझे, पहले खाना तो खा ले।’ भाभी सीधी हुई पर लौड़ा अब भी चूत में धंसा हुआ था। मैंने पीछे से हाथ डाल कर भाभी की चूचियां पकड़ लीं।
‘भाभी, आप खाना बनाइए ना आपको किसने रोका है?’ उसके बाद भाभी उसी मुद्रा में खाना बनाती रहीं और मैं भी भाभी की चूत में पीछे से लौड़ा फँसा कर भाभी की पीठ और चूतड़ों को सहलाता रहा।
‘चल राजू खाना तैयार है, निकाल अपने मूसल को।’ भाभी अपने चूतड़ पीछे की ओर उचकाते हुए बोलीं।
मैंने भाभी के चूतड़ पकड़ कर दो-तीन धक्के और लगाए और लौड़े को बाहर निकाल लिया। मेरा पूरा लंड भाभी की चूत के रस से सना हुआ था।
भाभी ने टेबल पर खाना रखा और मैं कुर्सी खींच कर बैठ गया।
‘आओ भाभी, आज आप मेरी गोद में बैठ कर खाना खा लो।’
‘हाय राम तेरी गोद में जगह कहाँ है? एक लम्बी सी तलवार निकली हुई है।’ भाभी मेरे खड़े हुए लंड को देखती हुई मुस्कुरा कर बोलीं।
‘भाभी आपके पास म्यान है ना.. इस तलवार के लिए।’ यह कहते हुए मैंने भाभी को अपनी गोद में खींच लिया।
भाभी की चूत बुरी तरह से गीली थी और मेरा लौड़ा भी चूत के रस में सना हुआ था।
जैसे ही भाभी मेरी गोद में बैठीं मेरा खड़ा लौड़ा भाभी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धँस गया।
‘अईया…आआहह. .ऊऊहह …अया .. कितना जंगली है रे तू… 10 इंच लम्बा मूसल इतनी बेरहमी से घुसेड़ा जाता है क्या?’
‘सॉरी भाभी.. चलो अब खाना खा लेते हैं।’
हमने इसी मुद्रा में खाना खाया। खाना खाने के बाद जब भाभी झूठे बर्तन रखने के लिए उठीं तो मेरा लंड ‘फ़च्च’ की आवाज़ के साथ उनकी चूत में से बाहर आ गया।
बर्तन समेटने के बाद भाभी आईं और बोलीं- हाँ तो देवर जी अब क्या इरादा है?
‘अपना इरादा तो अपनी प्यारी भाभी को जी भर के चोदने का है।’ मैंने कहा।
‘तो अभी तक क्या हो रहा था?’
‘अभी तक तो सिर्फ़ ट्रेलर था, असली पिक्चर तो अब चालू होगी।’ कहते हुए मैंने नंगी भाभी को अपनी बांहों में भर के चूम लिया और अपनी गोद में उठा लिया।
मैं खड़ा हुआ था, मेरा विशाल लंड तना हुआ था और भाभी की टाँगें मेरी कमर से लिपटी हुई थीं।
भाभी की चूत मेरे पेट से चिपकी हुई थी और मेरा पेट भाभी की चूत के रस से गीला हो गया था।
मैंने खड़े-खड़े ही भाभी को थोड़ा नीचे की ओर सरकाया जिससे मेरा तना हुआ लंड भाभी की चूत में प्रविष्ट हो गया।
इसी प्रकार मैं भाभी को उठा कर उनके कमरे में ले गया और बिस्तर पर पीठ के बल लिटा दिया।
भाभी की टाँगों के बीच में बैठ कर मैंने उनकी टाँगों को चौड़ा किया और अपने लंड का सुपारा उनकी चूत के मुँह पर टिका दिया।
अब भाभी से ना रहा गया- राजू, तंग मत कर… अब और नहीं सहा जाता… जल्दी से पेल… जी भर के चोद मेरे राजा… फाड़ दे मेरी चूत को…!’
मैंने एक ज़बरदस्त धक्का लगाया और आधा लंड भाभी की चूत में पेल दिया।
‘आआआअ… आईययइ…ह…अह… मार गई मेरी माँ… आह.. फट जाएगी मेरी चूत… आ.. इश्स… इससस्स..उई… आआआः… खूब जम के चोद मेरे राजा.. कितना मोटा है रे तेरा लंड… इतना मज़ा तो ज़िंदगी भर नहीं आया… आ…आआहह।’ भाभी इतनी ज़्यादा उत्तेजित हो गई थीं कि अब बिल्कुल रंडी की तरह बातें कर रही थीं।
मैंने थोड़ा सा लंड को बाहर खींचा और फिर एक ज़बरदस्त धक्के के साथ पूरा जड़ तक भाभी की चूत में पेल दिया।
मेरे अमरूद भाभी के चूतड़ों से टकराने लगे। मैं भाभी की सुन्दर चूचियों को मसलने और चूसने लगा और उनके रसीले होठों को भी चूसने लगा।
भाभी चूतड़ उछाल-उछाल कर मेरे धक्कों का जबाब दे रही थीं।
पाँच मिनट की भयंकर चुदाई के बाद भाभी पसीने से तर हो गई थीं और उनकी चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी। ‘फ़च… फ़च.. फ़च…’ की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज़ रहा था। भाभी की चूत में से इतना रस निकला कि मेरे अमरूद तक गीले हो गए।
मैंने भाभी के होंठ चूमते हुए कहा- भाभी मज़ा आ रहा है ना ? नहीं आ रहा तो निकाल लूँ।
‘चुप बदमाश.. खबरदार जो निकाला… अब तो मैं इसको हमेशा अपनी चूत में ही रखूँगी…!’
‘भाभी आपने कभी भैया का लंड चूसा है?’
‘नहीं रे, कहा ना तेरे भैया को तो सिर्फ़ टाँगें उठा कर चोदना आता है, काम-कला तो उन्होंने सीखी ही नहीं।’
‘आपका दिल तो करता होगा मर्द का लौड़ा चूसने का?’
‘किस औरत का नहीं करेगा? औरत तो ये भी चाहती है कि मर्द भी उसकी चूत चाटे।’
‘भाभी मेरी तो आपकी चूत चूसने की बहुत तमन्ना है।’ मैंने अपना लंड भाभी की चूत में से निकाल लिया और मैं पीठ के बल लेट गया।
‘भाभी आप मेरे ऊपर आ जाओ और अपनी प्यारी चूत का स्वाद चखने दो।’ मैंने भाभी को अपने ऊपर खींच लिया।
भाभी का सिर मेरी टाँगों की तरफ था।
भाभी की टाँगें मेरे सिर के दोनों तरफ थीं और उनकी चूत ठीक मेरे मुँह के ऊपर थी। मैंने भाभी के चूतड़ों को पकड़ कर उनकी चूत को अपने मुँह की ओर खींच लिया।
मैंने कुत्ते की तरह भाभी की झांटों से भारी चूत को चाटना शुरू कर दिया।
भाभी के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं।
भाभी की चूत की सुगंध मुझे पागल बना रही थी। चूत इतना पानी छोड़ रही थी कि मेरा मुँह भाभी की चूत के रस से सन गया।
इस मुद्रा में भाभी की आँखों के सामने मेरा विशाल लंड था। भाभी ने भी मेरे लंड को चाटना शुरू कर दिया।
मेरा लंड तो भाभी के ही रस से सना हुआ था, भाभी को मेरे वीर्य के साथ अपनी चूत के रस के मिश्रण को चाटने में बहुत मज़ा आ रहा था।
अब भाभी ने मेरे लंड को मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। इतना मोटा लंड बड़ी मुश्किल से उनके मुँह में जा रहा था।
जी भर के लंड चूसने के बाद भाभी उठीं और मेरे मुँह की तरफ मुँह करके मेरे लंड के ऊपर बैठ गई।
चूत इतनी गीली थी कि बिना किसी रुकावट के पूरा लौड़ा भाभी की चूत में जड़ तक घुस गया।
भाभी ने मुझे चूमना शुरू कर दिया और ज़ोर-ज़ोर से अपने चूतड़ ऊपर-नीचे करके लौड़ा अपनी चूत में पेलने लगीं।
मैं भाभी की चूचियों को चूसने लगा, पाँच मिनट के बाद वो थक कर मेरे ऊपर लेट गईं और बोलीं- राजू, तू आदमी है कि जानवर… इतनी देर से चोद रहा है लेकिन अभी तक झड़ा नहीं… मैं अब तक तीन बार झड़ चुकी हूँ।
‘मेरी प्यारी भाभी मेरे लंड को आपकी चूत इतनी अच्छी लगती है कि जब तक इसकी प्यास नहीं बुझ जाती, यह नहीं झड़ेगा। आपने मुझे जानवर कहा ही है तो अब मैं आपको जानवर की तरह ही चोदूँगा।’
‘हे भगवान.. कल ही तो तूने साण्ड की तरह चोदा था… अब और कैसे चोदेगा?’
‘कल आपको साण्ड की तरह चोदा था आज आपको कुतिया की तरह चोदूँगा।’
‘चोद मेरे राजा जैसे चाहता है वैसे चोद… अपनी भाभी को कुतिया बना के चोद… लेकिन ज़रा मुझे एक बार गुसलखाने जाने दे।’ इतनी देर चुदाई के बाद भाभी को पेशाब आ गया था।
वो उठ कर गुसलखाने में गईं लेकिन दरवाज़ा खुला ही छोड़ दिया। इतना चुदवाने के बाद भाभी की शर्म बिल्कुल खत्म हो गई थी।
गुसलखाने से ‘प्सस्सस्सस्स…’ की आवाज़ आने लगी। मैं समझ गया भाभी ने मूतना शुरू कर दिया है।
भाभी के मूतने की आवाज़ सुन कर मैं भाभी को चोदने की लिए तड़प उठा। कहानी जारी रहेगी। https://www.facebook.com/profile.php?id=100006959715292 मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000