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मेरी दीदी का सत्ताईसवां लण्ड-2 मेरी दीदी का सत्ताईसवां लण्ड-4
यह सुन कर मैं मन ही मन खुश होते हुए बोला- एक बार मुझे भी अपनी जवानी का नशा चखा दो. यह सुनते ही दीदी बोली- यह तुम क्या बोल रहे हो, हमारा रिश्ता बहन-भाई का है ऐसा नहीं हो सकता. मैंने कहा- तुम मुझे एक भाई की ही नज़र से क्यों देखती हो, मुझे एक जवान लड़के की नजर से देखो. तुम भी सेक्स की भूखी हो और मैं भी.. सब रिश्ते भूल जाओ और बस एक जवान मर्द और औरत का खेल होने दो. दीदी बोली- नहीं भाई, यह नहीं हो सकता. तब मैंने कहा- कोई बात नहीं, लेकिन कल मुझे ना बोलना कि मैंने क्या कर दिया. दीदी एक बार फिर बोली- प्लीज़ भाई ऐसा ना करो.. मैं तुम्हारी बहन हूँ.
अब तक मैं दीदी के हाथ अपने हाथों में ले चुका था और मैंने दीदी के गालों पर चुम्बन कर दिया. दीदी शर्म से लाल हो गई और फिर हामी भरने जैसे अंदाज में बोली- प्लीज़ भाई, मान जाओ ना. लेकिन मैंने कुछ नहीं सुना और दीदी के होंठों को चूमने लगा और हाथों से दीदी की पीठ सहलाने लगा.
अब दीदी भी गर्म होने लगी और उसका विरोध ना के बराबर था.
मौके को देखते हुए मैंने हाथ नीचे ले जाकर दीदी की सलवार खोल दी, सलवार खुलते ही नीचे गिर गई, उसकी मस्त और चिकनी टांगों को देखकर मैं मदहोश हो गया और नीचे बैठ कर जाँघों पर चुम्बन करने लगा. ऐसा करने से दीदी मचलने लगी.
मैंने ऊपर उठ कर दीदी का कुर्ता भी निकाल दिया. अब दीदी मेरे सामने ब्रा और पेंटी में खड़ी शरमा रही थी. मैं सोच रहा था कि जिस जवानी को कल तक मैं छुप-छुप कर देखता था, आज मेरे सामने नंगी खड़ी है.
अब मैंने दीदी को बाँहों में उठा लिया और बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर लेट कर उसकी एक चूची को हाथ से मसलने लगा और दूसरी चूची पीने लगा. मैंने चूची को कस कर दबा दिया तो दीदी की चीख निकल गई और बोली- प्लीज़ भाई.. आराम से करो.. मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ. यह सुनते ही मैं खुश हो गया कि अब दीदी आराम से चुदवाएगी.
कुछ देर तक चूचियों को अदल-बदल कर चूसता रहा और फिर नाभि और पेट पर चुम्बन करता हुआ नीचे पहुँच गया और पेंटी की नीचे सरका दिया. अब दीदी की बालों वाली चूत मेरे सामने थी, मैंने झट से चूत पर चुम्बन किया और चूत पर जीभ फेरने लगा. ऐसा करने से दीदी बिन पानी की मछली की तरह मचलने लगी. मैंने जीभ को अन्दर डाल दिया. दीदी गाण्ड को उठा-उठा कर चूत चटवा रही थी. दीदी के मुँह से ‘उहह अहह भाई मस्त कर दिया..’ जैसी आवाज़ निकलने लगी.
लगभग पंद्रह मिनट तक मैं चूत चाटता रहा. दीदी बोली- प्लीज़ भाई, अब बस करो और नहीं सहा जाता… डाल दो अपना हथियार मेरी चूत में… निकालो अपना लण्ड पैन्ट से बाहर. तो मैंने कहा- मैंने अपनी बहन को नंगा किया है, तुम खुद ही अपने भाई को नंगा करो. यह सुन कर दीदी बोली- तुम बहुत हरामी हो गए हो.. चलो मैं ही निकलती हूँ.. देखूँ तो ज़रा मैं भी.. कि मेरे भाई ने पैन्ट में कितना बड़ा हथियार छुपा रखा है?
यह बोलकर दीदी ने मेरी पैन्ट खोली और लण्ड को अपने हाथ से नापती हुए बोली- वाह भाई.. तुम्हारा हथियार तो बहुत बड़ा और जानदार है. मैंने कहा- दीदी पूरा 8 इंच का है लेकिन तुमने रात को जो लिया था वो तो दस इन्च का था.. उससे तो छोटा ही है. दीदी बोली- भाई उसकी तो बात ही कुछ और है लेकिन कम तुम्हारा भी नहीं है. अब तक मैंने जितने भी लौड़े लिए हैं उनमे दूसरे नम्बर पर तुम्हारा लौड़ा ही आता है.
मैंने पूछा- दीदी सच बताना, अब तक कितनों से चुद चुकी हो? दीदी सोच कर बोली- अब तक 26 लौड़े मेरी चूत में जा चुके हैं, और आज 27वां तुम्हारा लौड़ा है. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! मैंने कहा- वाह.. दीदी इतनों से चुद चुकी हो.. अगर मुझे पता होता कि मेरी बहन इतनी बड़ी चुदक्कड़ है तो कब का चोद चुका होता. दीदी बोली- भाई अगर मुझे पता होता कि मेरे भाई का लण्ड इतना मस्त है तो औरों से चुदने की नौबत ही नहीं आती. अब तो सिर्फ़ 3 से चुदवाया करूँगी. तुम्हारे जीजू से चुदना तो मजबूरी है लेकिन वो कुछ कर नहीं पाते इसीलिए औरों से चुदना पड़ता है. अब एक तुमसे और एक रात वाले से.
ऐसा बोलते हुए दीदी लण्ड को हाथों से सहला रही थी. अब दीदी ने मुँह खोला और लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी. मुझे बहुत मजा आने लगा.
मैंने दीदी का सर हाथों में पकड़ लिया और सर को लण्ड पर दबाने लगा. पूरा लण्ड दीदी के मुँह में जाने से दीदी के मुँह से गूं-गूं की आवाज़ आने लगी. दीदी मेरा लण्ड पूरी मस्ती से चूस रही थी.
करीब 5 मिनट तक दीदी ने मेरा लण्ड चूसा और अब मैं बोला- दीदी चलो अब टाँगें ऊपर उठा कर लेट जाओ. अब तुम्हारी चूत की प्यास बुझानी है. दीदी बोली- लो भाई.. आओ चोदो मुझे और बहनचोद बन जाओ.
मुझे हँसी आ गई. मैंने दीदी की टांगों को अपने कंधों पर रख कर अपना लण्ड चूत पर रखा और एक ही झटके में पूरा लण्ड चूत में डाल दिया.
दीदी के मुँह से हल्की सी कराह निकली और बोली- आहह.. भाई आराम से चोदो.. मार दिया रे.. तूने अपनी बहन को..! तो मैं बोला- दीदी मारा नहीं.. चोद दिया मैंने अपनी बहन को. दीदी बोली- हाँ.. भाई चोदो मुझे.. बना लो अपनी रण्डी.. भाई मैं दीवानी हो गई तुम्हारे लण्ड की… फाड़ डालो मेरी चूत को. मैं- तुम्हारी चूत ही नहीं साली रण्डी.. आज तेरी गाण्ड की भी ऐसी की तैसी करनी है. मैं तुझे बहुत दिनों से चोदना चाहता था साली.. आज जाके मिली है आज तुझे चोद-चोद कर तेरी चूत का भुरता बनाऊँगा. तब दीदी बोली- हाँ.. भाई चोदो मुझे.. फाड़ डालो मेरी चूत को.. बना दो इसका भोसड़ा.
अब मैंने दीदी को कुतिया जैसा करके उसकी चूत में लण्ड डाल कर तेज चुदाई करने लगा. दीदी बोली- भाई भर दो मेरी चूत में अपने लण्ड का सारा रस और मुझे अपने बच्चे की माँ बना लो और तुम मामा और पापा दोनों बन जाओ… आहह भाई मैं गईईई…!
यह बोलकर दीदी नीचे लेट गई और मैंने अपनी गति बढ़ा दी. कुछ देर बाद मैंने भी अपना सारा रस दीदी की चूत में भर डाला और दीदी के ऊपर लेट गया.
जब मैंने समय देखा तो एक बज रहा था. मुन्ने का स्कूल से आने का टाइम हो गया था. हम दोनों ने कपड़े पहने और दीदी मुन्ने को लाने चली गई. दोपहर का खाना ख़ाने के बाद जब मुन्ना सो गया तो मैं दीदी के कमरे में पहुँच गया, देखा दीदी गहरी नींद में सो रही है. मैं जाकर दीदी के ऊपर लेट गया.
मेरे ऊपर चढ़ते ही दीदी उठी और बोली- प्लीज़ भाई, अब बस रहने दो मैं बहुत थक गई हूँ. मैं बोला- दीदी अभी मुझे तुम्हारी गाण्ड भी मारनी है. तो दीदी बोली- प्लीज़ आज नहीं कल दिन में मार लेना. मैंने कहा- दिन में क्यों? आज रात को क्यों नहीं? तब दीदी बोली- रात को तो वही कल वाला आएगा.
मैंने दीदी से पूछा- दीदी वो कौन है और तुम्हारी उससे कैसे बनी. दीदी ने बताया- वो तेरे जीजू के बॉस हैं, एक रात वो घर रुके थे, उन्होंने तुम्हारे जीजू को तरक्की दी थी, सो घर पर पार्टी थी. उस रात तेरे जीजा ने बहुत ड्रिंक की थी और होश में ना रहने के कारण जल्दी सो गए थे. तब वो रात को घर पर रुके थे और बातों ही बातों में उनसे सैटिंग हो गई, तब से जब भी मौका मिलता है इनको कॉल करके बुला लेती हूँ. मैं यह सुनकर हँसने लगा, मैंने दीदी से पूछा- कभी ग्रुप सेक्स किया है? तो दीदी ने ‘ना’ बोला. मैंने कहा- क्यों ना आज रात को ग्रुप-सेक्स किया जाए. दीदी बोली- तुम्हारा दिमाग़ तो खराब नहीं है.. मैं उसके सामने अपने भाई से कैसे चुदाई करूँगी. आप अपनी राय मुझे लिखें. कहानी जारी रहेगी. [email protected]
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