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दोस्तो, मैं आपकी इकलौती लाडली प्यारी चुदक्कड़ जूही एक बार फिर अपनी चूत की दास्तान लेकर प्रस्तुत हुई है।
आप लोगों ने जो मेरी पुरानी घटनाओं को सराहा उसके लिए मैं ‘झुक’ कर नमन करती हूँ। आशा है आप यों ही मेरी सराहना करते रहेंगे।
चुदाई के कई दौर होने के बाद कुछ देर आराम करने के बाद जब हमारी जान में जान आई तब तक बारिश रुक चुकी थी। मैंने भी घर जाने की इच्छा जाहिर की।
राजेश और मैंने अपने नंगे बदन को फिर से अपने कपड़ों से ढका और राजेश ने गाड़ी निकली और मैंने अपनी गाण्ड उठा कर गाड़ी की सीट पर बैठ गई, फिर राजेश ने मुझे हॉस्टल छोड़ दिया।
मैं कमरे में आई कपड़े उतारे और नहाने चली गई। चुदाई के बाद नहाने में बड़ा मज़ा आता है और चुदाई की थकान भी मिट जाती है इसलिए नहाना तो था ही।
मैं नहाई, कपड़े पहन कर कमरे में लेट गई और नौकरी के बारे में सोचने लगी।
थोड़ी देर बाद जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने राजेश को फ़ोन कर ही दिया और फिर घुमा फ़िर कर नौकरी के बारे में पूछने लगी।
मैंने राजेश को मनाया कि वो अपने बॉस को मनाये कि मुझे जॉब दे दे पर जब मुझे एहसास हुआ कि यह उसको हाथ में नहीं तो मैंने सोचा कि उस कम्पनी में जो बॉस है, उसे कैसे उसे पटाऊँ कि मुझे जॉब मिल जाये।
मैंने बातों ही बातों में राजेश से उसके बॉस की सारी रास लीलाओं की पोल पट्टी निकलवा ली और मुझे लगने लगा था यह जॉब मिलना मुझे जितना मुश्किल लग रहा है, शायद उतना है नहीं।
अब क्यूंकि कम्पनी का एक मुलाज़िम मेरा दोस्त बन गया था इसलिए मैं किसी से भी मिलने की सेटिंग तो कर ही सकती थी।
मैंने राजेश को किसी तरह बॉस को मुझसे मिलाने के लिए कहा।
राजेश ने भी अपने बॉस से मेरे बारे में साफ़ साफ़ बात की कि मुझे जॉब चाहिए और उसके लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ, कुछ भी… उसका तात्पर्य था कि मैं उनसे चुद भी सकती हूँ पर जॉब गारंटी मुझे ही मिलनी चाहिये।
उसके बॉस ने भी मौका पाकर अपना फायदा उठाने में ज़रा भी देरी नहीं की और राजेश से बोला- शुक्रवार को मेरी बीवी बाहर जा रही है तब मिल कर बात करते हैं।
शुक्रवार को बिस्टरो बीच नवलखा में मिलने का प्लान फिक्स हुआ, मैं शुक्रवार शाम हो कैफ़े आई तो दोनों हब्शी मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे।
राजेश ने मुझे अपने बॉस से मिलाया और फिर हम लोग इधर उधर की बातें करने लगे और साथ ही साथ हुक्के का भी लुत्फ़ उठाने लगे।
राजेश काम का बहाना बना कर वहाँ से खिसक गया। मुझे तो सब समझ आ गया था कि इसका बॉस सच में बहुत चुदक्कड़ है, सब कुछ पहले से प्लान करके रखा था साले ने।
मैं भी उसके और करीब जाकर बैठ गई और जॉब की बातें करने लगी। बातों बातों में मैंने अपना हाथ उसकी जांघों पर रख दिया और उसकी आँखों में आखें डाल के जॉब की जुगाड़ की बात करने लगी।
अब बॉस का भी खड़ा होने लगा था इसलिए उसने फट से बिल दिया, कहा- कहीं बाहर चलकर बात करते हैं।
उसने अपनी कार निकली, हम शालीमार टाउनशिप की तरफ जाने लगे, जहाँ शायद उसका घर था। मुझे लेकर वो घर ही आ गए और हम दोनों अब घर में प्रवेश कर गए।
काफी आलीशान सा घर बना था और काफी पेंटिंग्स भी दीवाल में टगी हुई थी।
मैं सोफे पर जाकर बैठ गई और बॉस फ्रिज से पानी की बोतल निकल कर ले आए और मुझे पूछने लगे।
मैंने हाथ बढ़ा कर पानी की बोतल उनसे ले ली और पानी पीने लगी। मैंने पानी की बोतल नीचे रखी और राजेश के बॉस को समझाने लगी कि मेरी लिए जॉब करना कितना जरूरी है।
बॉस ने भी मेरी जांघों को सहला कर अपनी भावनाओं को हाथों से व्यक्त किया और फिर मेरे बदन से बदन चिपककर बगल में अपनी गांड टिका दी।
बातों बातों में मौका पाकर उसने मुझे चूम लिया। मैं एकदम से घबरा गई पर अचानक से ली गई चुम्मी का भी अपना मज़ा है और फिर मेरा मकसद साफ़ था।
फिर हमारी चूमा-चाटी का दौर चलने लगा और धीरे धीरे बॉस ने मुझे आराम से चूमने का सिलसिला चालू किया और मुझे अपनी गोद भी बिठा कर मेरे होठों का रसपान करने लगा, धीरे से अपना हाथ उसने मेरे मम्मे पर रख दिया।
मैंने हाथ वहीं पकड़ के नीचे कर दिया। पर चूमना चालू रखा और दो मिनट बाद फिर से मम्मा ज़ोर ज़ोर से दबा दिया।
मैंने फिर से मेरा हाथ हटाने की कोशिश की पर इस बार मेरी एक न चल पाई।
मैंने हार मान कर सिसकारियाँ भरी आहटों के साथ मज़ा लेना शुरू कर दिया। फिर उसने मेरे टॉप के अन्दर हाथ डाल कर ब्रा का हुक खोल दिया और फिर तो जैसे मेरे मम्मों को भी खुला आसमां नज़र आने लगा और वो खुल कर लटक गए, एकदम गोरे गोरे माखन जैसे मम्मे देख कर बॉस पागलों की तरह मेरे टॉप के ऊपर से ही मम्मों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
मेरे मुँह से अआह आआह्ह की आवाजें निकलने लगी, निप्पल चुस चुस कर लाल होने लगे।
अब बॉस कभी मम्मों को दबाते, कभी मेरे चूतड़ सहलाते, मेरी साँसें तेज़ होने लगी।
बॉस ने अब मेरी सलवार के ऊपर से चूत के ऊपर हाथ फिराया और धीरे से सलवार का नाडा खोल के अन्दर चिकनी चूत पर उंगली फेरने लगे। मेरी चूत गुलाब की पंखुड़ियों की तरह एकदम से साफ़ और मखमली थी। कुछ ही देर में बॉस में मुझे निर्वस्त्र कर कपड़ों का चीर हरण कर उसको मेरे अंग से अलग कर के एक कोने में फेंक दिया।
बॉस ने मुझे अपनी गोद में उठाया और अपने बैडरूम में ले आये।
बॉस ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे बगल में आकर लेट गए।
मैंने पूरी तरह नंगी थी और बॉस ने पूरे कपड़े पहने थे, बड़ी नाइंसाफी थी, यह तो मैं भला ऐसा कैसे होने देती।
मैंने अपना हाथ बॉस की जींस के ऊपर रख दिया और लौड़े को सहलाने लगी, मैंने धीरे धीरे हाथ फेरना शुरू किया, मैंने मौका देख कर जिप खोल लिया और बॉस के हृष्ट पुष्ट लौड़े को बाहर निकाल कर उसके हाथ में ले दिया।
मैंने लौड़े को सर से पकड़ा और झट से लौड़े को अपने मुँह में डाल दिया।
मैंने धीरे धीरे सुपारे को चूसना शुरू किया और वो मेरे सर पे हाथ फेरने लगे !
दस मिनट लौड़े को चूसाने के बाद बॉस की वीर्य पतन के लिए तैयार हो गया था मैंने वीर्यरस मुँह के पास लाकर छोड़ दिया।
थोड़ी देर बाद बॉस का लण्ड धीरे धीरे खड़ा हो गया और अब हम दोनों नग्न अवस्था में लेटे हुए थे। बॉस ने फिर से मम्मों का रस पीना शुरू कर दिया, निप्पल चूस चूस कर लाल कर दिए।
अब बॉस मेरी चूत की तरफ आगे बढ़ने लगे और जाँघों पर चूमना और हाथ फिराना चालू किया। धीरे से बॉस अपना लंड हाथ से पकड़ के उसके बाद अन्दर डालने की कोशिश करने लगे।
मैं भी अब तड़प रही थी- उउह्ह्ह्ह आअह्ह्ह्ह्न उस्स…उह…
बॉस ने उसे जोर से दबाया और अपना बारूद भरा लंड एक बार में ही अन्दर डाल दिया।
मैं दर्द से सिहर उठी और मैंने अपने दोनों पैर बॉस की कमर पर जोर से जकड़ लिए। करीब 10 मिनट तक बॉस ने लगातार मुझे चोदा, फ़िर मेरी चूत में ही झड़ गए।
फ़िर कभी कभी मुझे किस करते रहे, थोड़ी देर बाद वो फिर से चुदाई के मूड आ गए, अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर-बाहर करने लगे। अब मुझे अच्छा लगने लगा था लेकिन थोड़ा दर्द तो उसे अब भी हो रहा था।
फिर बॉस ने अपने धक्कों की गति बढ़ा दी और करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गई और बॉस को कस के पकड़ लिया। तक़रीबन 15 मिनट हम एक दूसरे के ऊपर ऐसे ही लेटे रहे। फिर चुदाई का वो खेल शुरू हुआ कि दो दिन हमने न जाने कितनी बार चुदाई की, हम खुद भी नहीं जानते पर जितना जानते हैं उतना जरूर बताएँगे।
आगे क्या हुआ मुझे जॉब मिली या नहीं ये सब मैं बताऊँगी आपको अगले भाग में।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताना !
आपकी एकलौती प्यारी चुदक्कड़ जूही
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