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सम्पादक – इमरान तभी वो लोग सलोनी पर भी शर्त लगाने लगे- …चल हो जाए 5000 की… इसने कितनी लम्बी निकर पहनी होगी? राम अंकल- मेरे अनुसार तो एक छोटी पजामी होगी… जो एक-सवा फ़ीट की होती है। जोजफ अंकल- हम्म्म्म शायद निकर ही होगी… जो लड़कियों की छोटी-छोटी स्किन टाइट रंग बिरंगे जो आते हैं। अनवर अंकल- यार मुझे तो लगता है इसने एक छोटी सी कच्छी ही पहनी होगी… हा हा…
मैंने तुरंत सोचा कि मैं भी इनसे फ़ायदा उठा ही लेता हूँ। मैं- क्यों अंकल? क्या मैं इस शर्त में भाग नहीं ले सकता? राम अंकल- अरे क्यों नहीं बेटा… हम भी तो देखें तुम्हारा अनुमान… बताओ तुमने क्या सोचा? मैं- हा हा… अब सब कुछ तो अपने बता ही दिया… चलिए अगर इसने कुछ नहीं पहना होगा तो मैं जीत गया। सभी जोर से हंसने लगे।
अनवर अंकल- अरे यार अगर कुछ नहीं पहना होगा तो वैसे ही पैसे वसूल हो जायेंगे… हा हा… वो सभी सलोनी के बारे में सोचकर पागलों की तरह ही हंस रहे थे, मैंने सोचा कि यार कुछ देर उठकर जाता हूँ। तभी मेहता अंकल भी आएँगे और हो सकता है ये सलोनी से कुछ मजा करें तो मैं उनसे ‘एक्सक्यूज़ मी’ कहके बाहर आ गया। और मेरा सोचना बिल्कुल सही था, बाहर एक तरफ मेहता अंकल खड़े हुए सिगरेट पी रहे थे। मुझे देखते ही वो कुछ सकपका से गए।
मैं- अंकल आपके दोस्त.. आपको याद कर रहे हैं, मैं जरा कुछ काम निबटाकर आता हूँ। मेहता अंकल- ओह अरे.. बैठो ना बेटा… वो सॉरी… ये सारे मेरे दोस्त ऐसे ही हैं। पता नहीं वो क्यों झेंप सा रहे थे, शायद अंदर हुई बात के कारण? मैंने उनका डर दूर करने के लिए ही बोला- अरे क्या अंकल आप भी… ये सब तो चलता ही है और मुझे बहुत मजा आया… यकीन मानिए, हम लोग तो इससे भी ज्यादा मजाक करते हैं। बस प्लीज अपने दोस्तों को यह मत बताना कि मैं सलोनी का हस्बैंड हूँ, बाकी सब मजाक तो चलता है.. हा हा…
मैंने माहौल को बहुत ही हल्का कर दिया… अंकल का चेहरा एकदम से चमक गया, वो बहुत ही खुश हो गए। और मैं उनको दिखाने के लिए बाहर को चला गया, अंकल भी तुरंत सिगरेट फेंककर अंदर चले गए। मैंने बस एक मिनट ही इंतजार किया और फिर से अंदर आ गया। दरवाजे की तरफ़ उनकी पीठ थी तो उनको पता ही नहीं चला, मैं चुपचाप अंदर जाकर एक परदे के पीछे छिप गया, मैंने पहले ही यहाँ छुपने का सोच लिया था।
अब वो लोग आपस में बात कर रहे थे: अनवर अंकल- अरे यार कहाँ चला गया था तू? सबके सेक्सी डांस मिस कर दिए तूने… मेहता अंकल- अरे तुम सब पागल हो क्या? अरे वो अंकुर बैठा था, उसके सामने ही शुरू हो गए, वो यहीं रहता है यार.. और क्या सोचेगा मेरे बारे में… और यहाँ सभी को जानता है वो… अगर उसको बुरा लग जाता तो?
राम अंकल- ओह… अरे सॉरी यार.. हमने तो सोचा वो भी तेरे साथ ही होगा, तभी तूने उसको यहाँ बैठाया है। जोजफ अंकल- पर यार वो तो खुद मजे ले रहा था, उसको खुद इस सबमें मजा आ रहा था… सच ! अनवर अंकल- और तो और… वो तो शर्त तक लगाकर गया है।
मेहता अंकल- क्या शर्त… कैसी शर्त? अनवर अंकल- अरे वो जो सामने बैठी है ना… उस पर… और अपनी वही पुरानी शर्त कि ‘इसने लहंगे के नीचे क्या पहना है?’ मेहता अंकल- ओह.. क्या कह रहे हो तुम? क्या इसी पर? पक्का? अरे यह तो उसकी रिश्तेदार है। थैंक्स गॉड कि अंकल ने सच नहीं बताया।
राम अंकल- अरे तू क्यों परेशान हो रहा है? हमको तो ऐसा कुछ नहीं लगा और वो खुद ही मजे ले रहा था… अच्छा अब तुम लोग छोड़ो इन बातों को, सुन यार मेहता… जरा इस पटाका से मिलवा तो दे यार ! मेहता अंकल- अरे, तो इसमें क्या है? अभी मिलवा देते हैं। और उन्होंने एक वेटर को बुलाकर कुछ कहा, फिर वो चला गया। मैं साँस रोके ये सब देख रहा था।
और कुछ देर बाद ही सलोनी वहाँ आ गई, वो सभी को हाथ मिलाकर हैल्लो बोल रही थी। मेहता अंकल ने तीनों से ही उसको मिलवाया, सलोनी उनकी बगल में ही खड़ी थी, मैंने देखा कि मेहता अंकल ने अपना हाथ उसकी कमर पर रखा जो फिसल कर उसके चूतड़ों तक पहुँच गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं उनके ठीक पीछे परदे की ओट में खड़ा था, मुझे उन सभी की हर हरकत बहुत ही अच्छी तरह से दिखाई दे रही थी। सलोनी को सपने में भी उम्मीद नहीं थी कि मैं यहाँ भी हो सकता हूँ, वो बहुत ही खुलकर उनसे मिल रही थी। मेहता अंकल- बेटा, ये सभी मेरे बहुत ही गहरे मित्र हैं… तुम्हारी बहुत ही तारीफ कर रहे थे और मिलना चाह रहे थे, तुम इनको बहुत ही अच्छी लगी।
मेहता अंकल उससे बात करने के साथ साथ अपना हाथ सलोनी के चूतड़ पर ही रखे हुए थे जो वहाँ गोल मटोल कूल्हों पर चारों ओर घूम रहा था। मैंने देखा कि राम अंकल थोड़ा पीछे को बैठे हुए थे और उनकी नजर मेहता अंकल के हाथ पर ही थी जिसको देखकर वो मुस्कराते हुए मजा ले रहे थे।
सलोनी ने एक बार भी उनके हाथ का कोई विरोध नहीं किया। अब मैंने देखा कि मेहता अंकल का हाथ कुछ ज्यादा ही गुस्ताखी करने लगा था, वो सहलाने के साथ साथ सलोनी के लहंगे को समेटते भी जा रहे थे जिससे सलोनी की चिकनी जांघें पीछे से नंगी होती जा रही थी।
राम अंकल की नजर बदस्तूर वहीं थी, और तभी वो सलोनी के सामने ही बोल पड़े- ओह यार… मैं तो शर्त हार गया। मुझे याद आ गया कि उन्होंने कुछ पजामी टाइप पहने होने को कहा था जो उनको नहीं दिखाई दी, तभी शायद वो मायूस हो गए थे। पर नंगी और चिकनी जांघें देख कर उनका चेहरा चमक रहा था।
तभी अनवर अंकल ने सलोनी को कुछ ऑफर किया, उन्होंने वहाँ रखी एक प्लेट उठाई- लो बेटा… ये लो… और कब है तुम्हारा डांस? वो सबसे कोने में बैठे थे, सलोनी जैसे ही प्लेट में लेने के लिए झुकी तो कई बातें एक साथ हो गई, चोली में से सलोनी के मम्मे देखने के लिए उन्होंने प्लेट को एकदम से नीचे मेज पर रख दिया, सलोनी अपने ही गति में आगे को मेज पर गिर सी गई, मेहता अंकल का हाथ जो काफी ऊपर
तक उसके लहंगे को उठा चुका था और उस समय भी उसके चूतड़ पर ही था, सीधे ही सलोनी के नंगे चूतड़ों पर पहुँच गया और मेज से भी उसका बैलेंस गड़बड़ा गया जिससे सलोनी उनके पैरों के पास गिर गई। मुझे सलोनी का केवल कुछ ही भाग दिख रहा था, वो उनके आगे गिरी थी मगर चारों ने उसको अच्छी तरह देख लिया होगा। पता नहीं उसका कौन-कौन सा अंग उधर गया होगा।
चारों ने जल्दी से उठकर उसको पकड़ कर उठाया, सलोनी अपने लहंगे को सही करने लगी। चारों एक साथ- ओह बेटा, कहीं लगी तो नहीं? सलोनी- नहीं अंकल.. ओह सॉरी… मेरा बैलेंस बिगड़ गया था… बस बस, मैं ठीक हूँ।
चारों ही उसको देखने के बहाने जगह जगह से छूने की कोशिश कर रहे थे, मैं सही से देख भी नहीं पा रहा था कि वो उसको कहाँ-कहाँ छू रहे हैं। ओह, ये साले तो इतना गर्म हो रहे हैं कि अभी यहीं सलोनी का … ? कहानी जारी रहेगी।
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