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लेखिका : सोनाली सम्पादिका : शिप्रा मैं अपने जानू की बात को टाल नहीं सकी और झट से हाथ पर लगे रस को चाट लिया। रूपेश का रस मुझे हल्का सा खट्टा तथा नमकीन लेकिन बहुत ही स्वादिष्ट लगा! मुझ से रहा नहीं गया और मैंने नीचे झुक कर उसके नर्म पड़े लंड को मुँह में डाल कर उसमें से बचा-खुचा सारा रस चूस लिया और चाट कर साफ़ कर दिया।
देर होते तथा अँधेरा बढ़ते हुए देख कर रूपेश ने झट से अपने लंड को जीन्स के अंदर किया और बाइक पर बैठ कर हम दोनों घर की ओर चल पड़े! रास्ते भर मैं रूपेश के पीछे से चिपक कर और अपने दोनों हाथ उसके लंड के ऊपर रख कर बैठी रही !
जीवन में पहली बार किसी के लंड को पकड़ने, उसका हस्त-मैथुन करने, उसमे से निकले रस को चखने तथा उस लंड को चूसने के कारण मेरे शरीर में अजीब सी खलबली होने लगी थी, बाइक की सीट पर बैठे इन विचारों के कारण मेरी चूत में जैसे आग लग गई थी।
घर पहुँचने तक तो मैंने चूत में लगी उस आग को तो बर्दाश्त किया लेकिन वहाँ पहुँचते ही रूपेश को परिवार वालों के पास छोड़ कर बाथरूम चली गई। बाथरूम में घुसते ही मैंने सब से पहले अपनी सलवार उतारी और फिर जैसे ही पैंटी उतारी तो उसे बुरी तरह गीली पाया! पैंटी की हालात देख कर लगता था कि मैंने उसी में पेशाब कर दिया है लेकिन ऐसी कोई बात नहीं थी क्योंकि जिस तरल पदार्थ से वह गीली हुई थी वह लिसलिसा था, मैं समझ गई की जब मैं रूपेश का हस्तमैथुन कर रही थी तब मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया था और मेरी पैंटी उसी पानी से गीली हुई थी।
मैंने अपनी चूत में लगी आग को मिटाने के लिए जल्दी से उसमे अपनी बड़ी उंगली डाल कर हिलाई और दाने को अंगूठे से मसल कर उसमें से पानी निकला तथा अपनी उत्तेजना को शांत किया। फिर मैंने अपनी चूत और पैंटी को अच्छी तरह से धोया और पैंटी को बाथरूम में ही सूखने के लिए फैला कर बिना पैंटी के सलवार पहन कर बाहर आ गई।
रूपेश शायद मेरी इंतज़ार ही कर रहा था क्योंकि मेरे बाहर आते ही वह मुझे ‘बाय’ कह कर चला गया। रात को जब मैं रूपेश से वीडियो चैट कर रही थी तब उसने अपना कड़क लंड दिखाया और बोला कि जब से मैंने उसे हाथ लगाया है तब से वह नीच बैठ नहीं रहा है।
मैंने भी उसे अपनी गीली पैंटी और चूत दिखा कर बताया कि जब से मैंने उसके लंड को हाथ लगाया है तब से मेरी चूत में आग लगी हुई है और वह लगातार पानी छोड़ कर मेरी पैंटी भिगोती जा रही है। फिर जब मैंने रूपेश से पूछा की मेरी चूत में लगी आग कैसे कम होगी तब उसने कहा कि जब उसका लंड मेरी चूत के अन्दर जाकर उसमें अपने रस की बौछार करेगा तभी शांत होगी!
इस आस में कि इस अग्नि को शांत करने का दिन शीघ्र ही आयेगा हम दोनों कुछ देर बातें करके सो गए। अगले तीन दिन सामान्य ही रहे और हम दोनों कॉलेज में और रात को वीडियो चैट पर ही मिलते तथा उसी आग के बारे में ही बातें करते रहते।
चौथे दिन जब मैं कॉलेज से घर आई तब माँ ने बताया कि मेरी भाभी के मामा जी के गुज़र जाने की खबर सुन कर वह और बड़े भाई दोनों तो उनके वहाँ चले गए थे। उन्होंने यह भी बताया कि दो दिनों के बाद उन्हें और पापा को भी वहाँ जाना पड़ेगा तथा उन्हें आने जाने में तीन दिन और दो रातें लग जायेंगी।
माँ की बात सुन कर ख़ुशी के मारे मेरा मन नाचने को करने लगा और यह समाचार रूपेश को सुनाने के लिए बहुत ही व्याकुल हो उठी थे लेकिन मैंने अपने को नियंत्रण में रखा और रात को वीडियो चैट के समय भी रूपेश को व्यक्त नहीं करी क्योंकि मैं उसे आश्चर्यचकित करना चाहती थी।
रात को सोने से पहले जब मेरे मन में रूपेश के साथ अपने ही घर में अकेले में बिताये जाने वाले अगले कुछ दिनों के बारे में विचार आते तो बहुत ही रोमांचित हो उठती थी, अपने कौमार्य के भंग होने की सम्भावित आशंका से बहुत ही उत्तेजित हो उठी और अनायास ही अपनी चूत में ऊँगली करने लगती।
अगले दो दिन और दो रातें तो मैं अपने कौमार्यभंग होने के सपने ही लेती रही और उसकी तैयारी की योजना बनाती रही। तीसरे दिन तड़के सुबह जब माँ और पापा जी चले गए तब मैंने बनाई योजना के अनुसार छोटे भाई के स्कूल जाने के बाद बाथरूम में जाकर अपने जघनस्थल के छोटे और विरले बालों को बड़े भाई के रेजर से बिल्कुल साफ़ किया, फिर नहाते हुए मैंने अपनी चूत को अच्छी तरह से साबुन मल मल कर साफ़ किया और क्रीम आदि से मालिश कर के सम्भावित संसर्ग के लिए तैयार किया।
दस बजे जब रूपेश ने फ़ोन पर पूछा कि मैं कॉलेज में कहाँ पर हूँ तो मैंने उसे बताया की तबियत ठीक नहीं होने के कारण मैं घर पर ही हूँ तो उसने परेशान हो कर कई प्रश्न कर दिए! मैंने उसे कह दिया कि अपने प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए तुम मेरे घर आ जाओ तो अच्छा रहेगा! जैसे ही उसने ‘आता हूँ!’ कह कर फ़ोन काटा मैंने तुरंत उठ कर अपने कपड़े बदले और लाल रंग की ब्रा और पैंटी पहनी और उस पर गुलाबी रंग का सलवार कमीज़ सूट पहन लिया।
मैंने अभी थोड़ा मेकअप किया था और बाल ही संवारे थे कि बाहर के दरवाज़े की घंटी बज उठी। मैं समझ गई कि रूपेश आ गया था और अब जो होने वाला था उसके बारे में सोच कर मेरा दिल तेजी से धक् धक् करने लगा था! जब मैंने दरवाज़ा खोला और रूपेश ने मुझे वहाँ खड़े देख कर थोड़ा अचंभित हुआ लेकिन चिंतित स्वर में मुझसे मेरी तबियत के बारे में प्रश्न करने लगा!
मैंने उसे घर का अन्दर आकर बात करने को कहा और उसे पकड़ कर अन्दर खींचते हुए दरवाजा बंद करके सारी कुण्डियाँ लगा दी। मेरी इस हरकत पर रूपेश ने असमंजस दिखाते हुए इधर उधर देखा और पूछा- घर में कोई दिख नहीं रहा? सब कहाँ हैं? मैंने उसे बताया- भाभी के मामा जी का निधन हो गया था और सब वहीं गए हैं! उसने पूछा- तुमने पहले क्यों नहीं बताया?
तब मैंने उसे कह दिया- मैंने तुम्हें आश्चर्यचकित करने के उद्देश्य से नहीं बताया था। फिर रूपेश ने मेरी तबियत के लिए दोबारा पूछा तो मैंने कहा- मैं तो उसी दिन से आग में जल रही हूँ और तुम्हें कई बार बता चुकी हूँ और तुम हो कि मेरा उपचार ही नहीं कर रहे! आज तो मेरी चूत में चींटियाँ भी चल रही है! क्या तुम्हारे पास इसका कोई उपचार है?
रूपेश मेरी बात सुन कर अवाक सा हो कर मुझे देखने लगा और फिर मुझे अपने बाहुपाश में लेकर मुझे चूमने लगा! उसने मेरे चेहरे के हर अंग को चूमते हुए जब अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए तब मुझसे रुका नहीं गया और मैंने भी उसका साथ देने लगी और उसके होंठों और जिह्वा को चूसने लगी!
दस मिनट बीतने पर रूपेश अलग हुआ और मुझसे पूछा- छोटा स्कूल से वापिस कब आएगा? मैंने कहा- वह तो शाम पांच बजे के बाद ही आएगा! रूपेश बोला- तब तो ठीक है, उसके आने में अभी छह घंटे है और इतनी देर में तो मैं तुम्हारी आग और चींटियों का पूरा उपचार कर दूंगा! हाँ एक बात है कि इस उपचार में तुम्हें बहुत ही तकलीफ होने वाली है और हो सकता है कि तुम्हारी चीखें भी निकलें और तुम चिल्लाते चिल्लाते रोने भी लगो और तुम्हारी आँखों से ढेर सारे आँसू भी बह निकलें!
मैंने झट से बोल दिया- यह अत्यंत अधिक तकलीफ तो सिर्फ एक दिन ही झेलनी पड़ेगी लेकिन रोज़ की इस नामुराद जलन और खुजली से तो छुटकारा तो मिल जाएगा! भविष्य में यह जलन कभी नहीं हो इसके लिए एक दिन की तकलीफ सहन करने को तैयार हूँ! तुम बस जल्दी से मेरा उपचार कर दो! मेरी बात सुन कर रूपेश ने एक बार फिर मुझे प्यार किया और मुझे अपनी गोद में उठा कर मेरे बैडरूम में ले जाकर बिस्तर पर बिठा दिया! फिर वो मेरे उरोजों को मसलते हुए बोला- अब जैसा मैं कहूँ, तुम वैसा ही करती जाना और जो मैं करता जाऊँ तुम मुझे करने देना! बीच में बिलकुल मत रोकना! मैंने कहा- अच्छा, मेरे हजूर!
तब रूपेश ने मुझे मेरी बाजुओं को ऊपर करने को कहा और मेरी कमीज़ को नीचे से पकड़ कर ऊपर करी तथा उतार कर पास रखी कुर्सी पर रख दी! उसके सामने पहली बार ब्रा में होने के कारण मुझे शर्म आ रही थी इसलिए मैंने अपने छातियों को छुपाने के लिए अपने दोनों हाथों से उन को ढक दिया! तब रूपेश ने मुझे कन्धों से पकड़ कर ऊपर खींच कर खड़ा किया और मौका देख कर मेरी सलवार का नाडा खींच कर उसे ढीला कर दिया!
नाड़ा ढीला होते ही मेरी सलवार कमर से सरक कर नीचे फर्श पर गिर गई! क्योंकि मैं किसी मर्द के सामने पहली बार सिर्फ्र ब्रा और पैंटी में खड़ी थी इसलिए मारे शर्म के मैं अपने दोनों हाथों से कभी अपनी पैंटी को ढकती और कभी अपनी ब्रा को! जब इस प्रयास में असफल रही तब मैंने रूपेश की ओर देखा तो पाया कि वह मुस्कराते हुए मुझे घूर कर मेरे जवानी का मज़ा ले रहा था!
हम दोनों की नज़रें मिलते ही उसने कहा- सोना, तुम बहुत ही सुन्दर लग रही हो! अगर मुझे थोड़ा भी अंदेशा होता कि इन कपड़ों के अन्दर इतनी खूबसूरत अप्सरा है तो मैंने इन कपड़ों को तुम्हारे शरीर से बहुत पहले ही उतार दिया होता।
रूपेश के मुँह से अपने शरीर की सुन्दरता की तारीफ़ सुन कर मुझे बहुत ही अच्छा लगा और मैंने उसका आलिंगन कर उसके होंठों के चुम्बन ले कर उसका धन्यवाद दिया। जब मैं उससे चिपकी हुई थी तब मुझे अपनी जाँघों पर उसके कड़क लंड की चुभन महसूस हुई तब मैंने शर्मसार से बेशर्म होकर उससे अलग होता हुए उसकी टी-शर्ट उतार दी।
इससे पहले वह मुझे कुछ कहता, मैंने फुर्ती दिखाते हुए उसकी जीन्स का बटन और ज़िप खोल कर नीचे की ओर सरका दी! रूपेश की जीन्स उतरते ही मैंने देखा की उसने नीचे अंडरवियर नहीं पहना था और उसका कड़क लंड एक बन्दूक की तरह मेरी ओर तना हुआ था!
अब वह मेरे सामने बिलकुल नग्न हालत में खड़ा था और अपने हाथों से लंड को छुपाने की कोशिश कर रहा था! मैंने रूपेश के हाथों को लंड पर से ज़बरदस्ती हटा कर उसे पकड़ लिया और नीचे की ओर झुक कर चूम लिया! मेरी इस हरकत करने पर रूपेश ने मुझे फिर से अपने आलिंगन में लेते हुए इतनी जोर से भींचा की मेरे दोनों उरोज और उनकी चुचूक उसकी छाती में गड़ गई!
नीचे से उसके लंड ने मेरी दोनों जाँघों के बीच में घुस कर मेरी चूत के बाहरी होंठों को छूने लगा जिसुसे मुझमें भी उत्तेजना जागृत होने लगी! मैंने भी प्रेम की भावना में बहते हुए रूपेश को कस के अपने बाहुपाश में जकड़ लिया और उसके चुम्बन लेने लगी! कुछ देर के बाद जब रूपेश मुझसे अलग हुआ तो मैंने पाया की उसने मेरी ब्रा का हुक खोल कर मेरी ब्रा को भी मेरे शरीर से अलग कर दिया था!
अब मैं मुस्कराते हुए रूपेश के सामने नग्न खड़ी अपनी चूचियों को दोनों हाथों से छुपाने का भरसक प्रयत्न करने लगी थी! उसने मेरी इस हालत का लाभ उठाते हुए तथा तुरंत नीचे बैठते हुए मेरी पैंटी को खींच कर मेर्र पैरों के पास पहुँचा दिया और मेरे नग्न जघनस्थल को चूम लिया! उसके उस चुम्बन से मैंने सिहर उठी और मेरे शरीर में एक लहर उठी जिससे मेरी चूचियों सख्त हो गई तथा उनके ऊपर की चुचुक एकदम कड़क हो गई!
अब मैं उसके सामने बिलकुल नग्न खड़ी थी और मेरी चूत के अन्दर हो रही खलबली के कारण वह बुरी तरह गीली हो गई थी! कहानी जारी रहेगी।
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