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सम्पादक – इमरान सलोनी जैसे ही प्लेट में लेने के लिए झुकी तो कई बातें एक साथ हो गई, चोली में से सलोनी के मम्मे देखने के लिए उन्होंने प्लेट को एकदम से नीचे मेज पर रख दिया, सलोनी अपने ही गति में आगे को मेज पर गिर सी गई, मेहता अंकल का हाथ जो काफी ऊपर तक उसके लहंगे को उठा चुका था और उस समय भी उसके चूतड़ पर ही था, सीधे ही सलोनी के नंगे चूतड़ों पर पहुँच गया और मेज से भी उसका बैलेंस गड़बड़ा गया जिससे सलोनी उनके पैरों के पास गिर गई।
मुझे सलोनी का केवल कुछ ही भाग दिख रहा था, वो उनके आगे गिरी थी मगर चारों ने उसको अच्छी तरह देख लिया होगा। पता नहीं उसका कौन-कौन सा अंग उधर गया होगा।
चारों ने जल्दी से उठकर उसको पकड़ कर उठाया, सलोनी अपने लहंगे को सही करने लगी। चारों एक साथ- ओह बेटा, कहीं लगी तो नहीं? सलोनी- नहीं अंकल.. ओह सॉरी… मेरा बैलेंस बिगड़ गया था… बस बस, मैं ठीक हूँ।
चारों ही उसको देखने के बहाने जगह जगह से छूने की कोशिश कर रहे थे, मैं सही से देख भी नहीं पा रहा था कि वो उसको कहाँ-कहाँ छू रहे हैं। ओह, ये साले तो इतना गर्म हो रहे हैं कि अभी यहीं सलोनी का जबरन चोदन ही ना कर दें… पता नहीं कैसे बचेगी अब सलोनी।
फिर बड़ी मुश्किल से ही सलोनी उनसे पीछा छुड़ाकर अलग हटकर खड़ी हुई, वो अपने कपड़े सही कर रही थी। सलोनी- ओह आप लोग भी ना… मैं बिल्कुल ठीक हूँ… आप लोग प्रोग्राम देखो।
ओ तेरी… सलोनी की चोली से उसकी एक चूची निप्पल तक बाहर आ गई थी जिसे उसने अपने हाथ से अंदर कर ठीक किया। अब यह पता नहीं कि गिरने से बाहर आई या फिर यह इनमें से किसी की कारस्तानी थी।
तभी नलिनी भाभी की आवाज आई, वो बाहर ही खड़ी थी- अरे सलोनी… कहाँ है तू? चल न, सभी हमारे स्वांग के लिए कह रहे हैं। और वे दोनों वहाँ से चली गई, सभी जोर से हंसने लगे। जोजफ अंकल- ओह यार, लगता है यह शर्त भी साला अनवर ही जीत गया.. अनवर अंकल- हा हा… देखा मैं ना कहता था… इतनी मॉडर्न लड़की है यह… कोई नेकर या पजामी पहनेगी क्या? राम अंकल- पर दिख तो कोई कच्छी भी नहीं रही थी… क्या मस्त और मुलायम चूतड़ थे यार !
अनवर अंकल- अरे मैंने तो पहले ही कहा था, ये फैंसी कच्छी पहनने वाली छोरियां हैं, अब पतली सी डोरी… घुसी होगी चूतड़ों के बीच में, इतने मोटे तो चूतड़ थे, तुमको कहाँ से दिखती! तभी मेहता अंकल ने एक और धमाका किया- तू भी हार गया अनवर… सच उसने कुछ नहीं पहना… नंगी है पूरी लहंगे के नीचे… ले सूंघ मेरी ऊँगली… उसकी चूत की खुशबू आ रही है.. ले देख… अनवर अंकल और बाकी दोनों भी सूंघने लगे।
राम अंकल- अबे, यह तूने कब किया? मेहता अंकल- अरे जब वो गिर रही थी, तभी मेरी दो उंगलियाँ उसकी चूत में चली गई थी… हा हा… चल छोड़ो ये सब.. देखो प्रोग्राम शुरू होने वाला है… अरे यह तो मुझे भी देखना था, अतः मैंने तुरंत पीछे से हल्का सा ही बाहर को होकर अंदर आने का नाटक किया और अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ गया।
मेहता अंकल- आ गए बेटा… बिल्कुल सही समय पर आये… देखो अब सलोनी का प्रोग्राम ही होने वाला है। मैंने सोचा ‘हाँ हाँ… मुझे पता है… क्यों कह रहे हो कि सही समय पर आये… पहले आ जाता तो वो सब जो देख लेता… जो अभी तुम सभी मिलकर कर रहे थे।’ फिलहाल मैं बाहर को देखने लगा, जहाँ सलोनी और नलिनी भाभी कुछ तैयारी सी करने में लगी थी। अनवर अंकल- अरे मेहता… ये सब क्या कर रही है… क्या इनका डांस नहीं है?
मेहता अंकल मुस्कुरा रहे थे- अबे देखता रह… यह हम लोगों का बहुत खास प्रोग्राम होता है… यह एक स्वांग है… जिसकी थीम ‘बन्नो की शादी’ है… इसमें ये सभी ऋतु की शादी के बाद जो होता है ना उसको एक कॉमेडी की तरह मस्ती में दिखाएँगी, बहुत मजा आएगा…
मैंने देखा कि बाहर वो लोग काफी तैयारी में लगे थे, उन्होंने एक पलंग तक लगाया था जिसको सुहगरात जैसा ही सजाया गया था। फिर उनका प्रोग्राम शुरू हो गया।
कुछ देर बाद समझ आया कि नलिनी भाभी सलोनी के पति का रोल कर रही थी, सलोनी दुल्हन बनी थी जो ऋतु का रोल था। इसमें दो कोई और भी लेडी थी जो ससुर और जेठ का रोल का रही थी।
एक काफी सेक्सी गाने से पैरोडी शुरू होती है जिसमें चारों ही डांस के साथ शादी के दृश्य को दिखाते हैं। नलिनी भाभी और बाकी दोनों के टाइट पैंट में कसे हुए चूतड़ देख सभी आहें भर रहे थे। अनवर अंकल- आह्हा क्या मस्त चूतड़ हैं इनके यार…
जोजफ अंकल- हा हा… वो तो ठीक है यार… वैसे तो मर्द की एक्टिंग बढ़िया कर रही हैं… कपड़े पहनने के साथ इनको लण्ड की जगह कुछ लगाना भी था ना… वहाँ देखो यार… वहाँ पैंट भी इतनी टाइट है कि पूरी चूत की शेप बन रही है। मेहता अंकल- अबे तुम चुपचाप नहीं देख सकते, जरा सी पीते ही आपे से बाहर हो जाते हो। मैं- अरे कोई बात नहीं अंकल… कह तो आप सब सही ही रहे हैं… हा हा…
मैंने माहौल को बिल्कुल हल्का कर दिया। अनवर अंकल- अरे हाँ बेटा… इसको भी आज जाने क्या हो गया है, हम लोगों के घर तो खूब मस्ती करता है, अब अपने घर भाव खा रहा है। अरे हाँ बेटा तुम अपनी शर्त जीत गए हो… ये लो अपने रूपये !
अनवर अंकल लगता है पूरे नशे में हो गए थे… मैंने देखा मेहता अंकल बहुत ही गुस्से से उनको देख रहे थे। पर मुझे इस बात को और आगे नहीं बढ़ाना था, मैंने चुपचाप पैसे उठाकर जेब में रख लिए और ऐसे जाहिर किया जैसे मैं भी कुछ नशा सा महसूस कर रहा हूँ जिससे मेहता अंकल को ज्यादा शक ना हो।
वहाँ उनका प्रोग्राम लगातार चल रहा था… गाने के बीच में वो लोग कुछ ना कुछ मजाक भी कर रहे थे… जो ज्यादा कुछ तो समझ नहीं आ रहा था मगर वहाँ सभी इसका बहुत मजा ले रहे थे।
डांस करते हुए ही सलोनी एक बार कुछ ज्यादा ही घूम गई तो वहाँ लेडीज में भी सीटियों की आवाज आई और कोई औरत चीखी भी… अरे दूल्हे को तो मजे आ जायेंगे… बहुत चिकनी है इसकी… और सभी जोर से हंसने लगी। मैंने देखा अब यहाँ ये सब सलोनी पर ज्यादा कमेंट नहीं कर रहे थे… शायद मेहता अंकल की चेतावनी के कारण ही। और फिर वहाँ उनका सुहागरात का दृश्य भी शुरू हो गया… सलोनी को पलंग पर बैठा दिया गया और बहुत ही सेक्सी गाना भी चल रहा था।
फिर नलिनी भाभी पूरे मर्दानी स्टाइल में ही उससे सुहागरात की एक्टिंग करने लगती हैं, वो सलोनी को बिस्तर पर गिराकर उसको चुम्बन करने लगती हैं, हमको दूर से दिख तो नहीं रहा था पर पक्का था कि वो उसके लाल लाल होंठों को ही चूस रही थी क्योंकि सभी वहाँ बहुत शौर मचा रहे थे। और वैसे भी यह काम तो नलिनी भाभी सलोनी के साथ रोज ही करती हैं।
फिर दोनों ने एक को कलाबाजी भी खाई… कभी सलोनी ऊपर तो कभी नलिनी भाभी… इससे सलोनी का लहंगा काफी ऊपर चढ़ गया… दूर से भी उसकी टाँगे ऊपर तक नंगी नजर आने लगी, वहाँ बैठी एक औरत ने तो उठकर सलोनी के चूतड़ों पर एक चपत भी लगाई। और सब तो सही ही था पर तभी मेरी नजर एक कोने में खड़े हुए वेटर पर पड़ी, वो साला इस दृश्य को देखकर अपने पजामे में लण्ड को मसल रहा था।
वो जिस जगह खड़ा था, उसको सब कुछ साफ-साफ़ ही दिख रहा होगा। हो सकता है उसने सलोनी की नंगी चूत भी देख ली हो, वो वैसे भी लहंगे नीचे नंगी ही थी।
एक दो बार तो नलिनी भाभी ने सलोनी के लहंगे तक को खोलने की कोशिश की, फिर उन्होंने दिखाया कि दूल्हे (नलिनी भाभी) को कहीं से फ़ोन आया और वो चली गई… सलोनी रोने की एक्टिंग कर रही थी… और तभी उनकी जगह रिया जो सलोनी के जेठ बनी थी.. वहाँ आकर सलोनी को चुप करने लगी।
और सलोनी की आँखों को चूमते हुए वो तो सीधे उसके होंठों को चूमने लगती है… यह दृश्य बहुत साफ़ था क्योंकि दोनों के चेहरे सामने थे। सलोनी हल्का सा विरोध कर रही थी पर रिया विदेशी परिवेश से थी, वो उसको जकड़े हुए अंग्रेजी स्टाइल में ही चूम रही थी। इस चुम्बन को देख कसम से वहाँ बैठी सभी औरतों और लड़कियों की चूत से पानी निकला होगा। फिर रिया ने बड़े ही कामुक तरीके से सलोनी के मम्मे पकड़ लिए और वो उनको मसलने लगी।
उधर सलोनी की हालत ख़राब थी और इधर हम सब की… अंकल तो बोल भी पड़े- यार मेहता, तेरी बेटी तो आदमी से भी ज्यादा अच्छा कर रही है यार… इसकी जगह तो मैं वहाँ होता… और सभी हंसने लगे।
तभी रिया ने तो हद ही कर दी, उसने सलोनी को पीछे को गिराया, उसके लहंगे में झाँका और जोर से बोली- ओह मेरी दुल्हन.. देख तेरे से ज्यादा तो यह रो रही है… ला इसके भी आँसू पौंछ दूँ… और उसने वैसे ही अपना मुँह सलोनी के लहंगे के अंदर घुसा दिया।
कुछ देर लगा कि शायद एक्टिंग ही कर रही है पर जब उसका सर लहंगे के ऊपर तक दिखा और सलोनी की बेताबी… वो बैचेनी के अपनी कमर हिला रही थी… ओह इसका मतलब रिया तो सलोनी की चूत ही चाटने लगी थी… ब्रेवो यार… इतने लोगों के सामने ऐसा… यह तो रिया जैसे लड़की ही कर सकती थी।
तभी सलोनी को वहाँ का शोर सुनकर कुछ अहसास सा हुआ और उसने अपना एक पैर उठाकर रिया को पीछे को धकेला… वो पीछे को गिर गई… बेशरम अभी भी अपने होंठों पर बड़े ही सेक्सी ढंग से अपनी जीभ फिरा रही थी।
इस धक्के से सलोनी का लहंगा उसके कमर तक उठ गया… वैसे वो बहुत ही फुर्ती से उठकर खड़ी हुई मगर फिर भी कई लोगों ने उसकी नंगी चूत के दर्शन कर लिए। फिर सलोनी वहाँ से अंदर की ओर भाग गई और सभी वहाँ शोर मचाते रह गए… रिया तो आखरी दृश्य के लिए भी बोलती रह गई। पता नहीं अब क्या था वो आखरी दृश्य??? कहानी जारी रहेगी।
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