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सम्पादक – इमरान रिया के कहने पर ही मुझे सुरक्षा का ध्यान आया, मैंने उसके बताने पर एक विदेशी कंडोम का उपयोग किया, उसको पहनने पर भी उसके होने या ना होने का अहसास नहीं हो रहा था और बहुत ही अच्छी खुशबू भी आ रही थी उससे…
रिया ने खुद ही अपने हाथों से उसको मेरे लण्ड पर चढ़ाया और उसको 3-4 बार चूसकर लण्ड को फिर से टाइट किया। मैंने इस बार और भी अच्छे ढंग से खड़े होकर लण्ड को फिर से उसकी चूत में सरका दिया और अपना काम शुरू कर दिया।
मैं लगातार धक्के पर धक्के लगा रहा था और अब वो आराम से चुदवाने लगी थी। नई बात यह थी कि वो मेरे द्वारा ब्लू फिल्मों में देखी गई विदेशी लड़कियों की तरह ही मस्ता रही थी और बिल्कुल ऐसा व्यवहार कर रही थी जैसे पहली बार चुदवा रही हो जबकि उसकी चूत में मेरा लण्ड बहुत ही आराम से आ-जा रहा था।
उसकी सिसकारियों में दर्द के साथ साथ चुदवाने की तीव्र इच्छा भी थी। रिया- आह्ह अह्हा अहा अह्ह्ह फ़क मी हार्ड… (तेजी से चोदो मुझे)… अह्ह्ह नहीईईईई ईई ओह अह्हा अह्हा फ़क मी हार्ड… ओह्ह अह्हा आह्ह और कस के… अह्हा अह्हा अह्हा अह्हाआआआ अह्हा अह्ह्ह… उफ्फ्फ आह्ह… इस तरह उसको चोदने में बहुत ही मजा आ रहा था…
अह्ह्ह आह्ह और मेरी मेहनत सफल हुई, अचानक धक्कों से फच-फच की आवाजें आने लगी, रिया की चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था। मुझे जोश आ गया और मैं अब और भी तेजी से धक्के लगाने लगा, 5 मिनट में वहाँ बहुत अच्छा समां बन्ध गया था, मुझे चोदने में बहुत मजा आ रहा था।
और फिर मेरे लण्ड ने पानी छोड़ दिया, आखिर बहुत समय से बेचारा रोके पड़ा था। उधर रिया ने भी अपनी कमर उचकाई और बहुत तेज सिसकारियाँ लेने लगी- अह्ह्हाआआ अह्ह्हाआआ अह्ह्ह ओह हो गया… बस्स्स स्स्सस… थैंक्स गॉड वो भी झड़ गई थी, उसके झड़ने से मुझे बहुत सुकून मिला वरना मुझे बहुत ग्लानि होती।
मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया, फिर कंडोम निकालकर वहीं डाला और वहीं रखे एक तौलिये से लण्ड को पौंछ लिया। रिया कुछ देर वैसे ही लेटी हुई मेरे लण्ड को देख रही थी- वैसे भैया, आप चोदते तो अच्छा हो… पर आपके हथियार को देखते हुए लगता है कि सलोनी भाभी को भी थोड़ा बहुत मजा तगड़े हथियार से लेने का पूरा हक़ है, आपका हथियार तो नार्मल ही है।
मैं- हाँ जानेमन, तेरी चूत देखकर तो मुझे भी ऐसा ही लगता है… लगता है तूने तो खूब तगड़े तगड़े डलवाये हैं इसमें? रिया- इसकी छोड़ो.. इसने तो पूरी दुनिया देखी है… मैं- तेरा पति कुछ नहीं कहता? रिया- वो क्या कहेंगे?? उनको तो ग्रुप सेक्स का चस्का है… वो तो खुद अपने ही हाथों से अपने दोस्तों का लण्ड पकड़कर मेरी चूत में डालते हैं, वो तो बहुत एडवांस और मॉडर्न हैं।
मैं- अच्छा जी… फिर तो ठीक है… और अगर मुझे ऐतराज होता तो मैं तभी हल्ला कर देता जब सलोनी को तुम्हारे पापा से चुदवाते हुए देखा ! रिया अब उठकर बैठ गई थी, उसने भी उसी तौलिये से अपनी चूत और आस पास का हिस्सा साफ़ किया और लहंगा पहनने लगी। रिया- ओह… अच्छा… तो वैसे ही डरा रहे थे… मतलब फ्री में मुझे चोद दिया… हा हा हा…
मैं- अरे अगर मुझे पता होता कि तू भी नाटक कर रही है… तो मैं ऐसा क्यों करता? आराम से वहीं चोद देता सलोनी को देखते हुए… हा हा हा… रिया ने भी हंसी में मेरा साथ दिया… उसने ड्रेसिंग टेबल के सामने खुद को व्यवस्थित किया और मुझसे बोली- चलो भैया… बाहर कार्यक्रम में… आपको मजेदार डांस दिखवाते हैं।
मुझे तो वैसे भी देखना था कि सलोनी और नलिनी भाभी कैसा प्रोग्राम करती हैं। मैंने रिया को अपनी बाहिओं में भर कर उसके लबों को चूमा और फ़िर मैं तुरंत तैयार हो गया, मैंने ध्यान दिया कि रिया ने अपनी कच्छी नहीं पहनी- रिया, तुम्हारी कच्छी? पहनोगी नहीं? रिया मुस्कुराते हुए- वाह जी.. बहुत ध्यान रखते हो.. छोड़ो उसको… आज ऐसे ही आपको अपना डांस दिखाते हैं।
और वो तेजी से घूमी, उसका लहंगा कमर तक उठ गया, ऐसा तो मैंने महंगे होटल में बार गर्ल को भी नहीं देखा था… मजा आ गया… अब तो और भी मजा आने वाला था।
लहंगा बहुत ही महंगा और और घूम वाला था, जरा सा घूमने से ही पूरा उठ जा रहा था, मुझे उसकी गोल गाण्ड पूरी नजर आ गई थी। अब यह देखना था कि केवल इन कुछ पर ही मस्ती चढ़ी थी या कुछ और भी कलियाँ थी वहाँ जो इसका मजा ले रही थी।
मैंने एक बार और रिया को अपने सीने से लगाया, उसके कसे हुए मम्मों का अहसास होते ही दिल में उनको देखने की इच्छा हुई। मैंने रिया के सीधे मम्मे को अपनी हथेली में भर लिया- अरे जानेमन.. एक बार इनको तो दिखा दो वरना सपने में आते रहेंगे। रिया- ओह… तभी क्यों नहीं कहा? अब देर हो जाएगी… फिर देख लेना… मैं- फिर कब? पता नहीं मौका मिले या नहीं?
रिया- क्यों अब नहीं आओगे? अरे सात दिन बाद शादी है और कई फंक्शन यहाँ भी हैं, आपको सभी में आना है, ओके… और हाँ शादी में जरूर साथ चलना, वहाँ बहुत मजा आएगा। मैं- क्यों? कहाँ जाना है? क्या बरात यहाँ नहीं आएगी? रिया- नहीं.. हमको वहीं जाना है… होटल में सब अरेंजमेंट है… तो आपको तो आना ही होगा। मैं अब इस मस्ती के बाद मना तो कर ही नहीं सकता था।
बात करते हुए ही हम दोनों हॉल में आ गए, बहुत भीड़ थी वहाँ, हर उम्र का माल था, एक से एक चमकीले कपड़ों में… मैंने देखा, सभी लेडीज ही थी… मुझे कुछ अजीब सा लगा। तभी रिया मुझे हाल के सामने एक कमरे में ले गई, वहाँ मेहता अंकल अपने चार दोस्तों के साथ बैठे थे, अरविन्द अंकल भी थे। ओह इसका मतलब अरविन्द अंकल यहाँ थे और नलिनी भाभी अंदर चुदाई करवा रही थी।
मैं भी एक कुर्सी पर बैठ गया जहाँ से पूरा हाल नजर आ रहा था। वो सब भी ऐसे ही बैठे थे, कुर्सी सभी ऐसे ही पड़ी थी कि सब सामने कार्यक्रम का मजा ले सकें। सामने एक मेज पर खाने पीने का सामान और कुछ ड्रिंक भी रखी थी।
खास बात यह थी कि केवल मैं ही युवा था, बाकी सभी बुड्ढे ही थे लगभग मेहता अंकल की उम्र के ही ! मेहता अंकल- और बेटा कैसा चल रहा है तुम्हारा काम? मैं- बहुत अच्छा अंकल… बधाई हो आपको… अब आप भी अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो गए।
बस ऐसे ही कुछ फॉर्मल बातें हो रही थी, तभी बाहर एक लड़की डांस के लिए खड़ी हुई। 18-19 साल की, गोरी थी पर थोड़ी पतली थी… उसने फ्रॉक जैसी कुछ फैंसी गुलाबी ड्रेस पहन रखी थी… फ्रॉक का घेरा… किसी गुड़िया की तरह कई फरों वाला था और उसके घुटनों से थोड़ा ऊपर तक ही था जिसमें से उसको गोरी गोरी टाँगें जांघों तक ही नुमाया हो रही थी। वो अपना गाना सेट करा रही थी, तभी मुझे पता चला कि… ओह ये तो साले सभी बुड्ढे बहत ही कमीने हैं।
उनमें से एक बोला- रुको यार देखो, अब ध्यान से देखना… उसने काली नेट वाली कच्छी पहनी है। दूसरा- हाँ हाँ, हम भी यही देख रहे हैं, और ना हुई तो 5000 तैयार रख। ओह साला… ये तो शर्त लगाकर मस्ती कर रहे हैं, उनको मेरे से भी कोई फर्क नहीं पड़ा, शायद मुझे ज्यादा नहीं जानते थे। क्या हो गया है इन बुड्ढों को… कमीने अपनी पोती की उम्र की लड़की की कच्छी पर शर्त लगा रहे थे।
और तभी मैंने सोचा मैं भी क्या सोचने लगा, ये तो साले कमीने होंगे ही, आखिर अरविन्द और मेहता अंकल जैसों के दोस्त हैं जिन्होंने अपनी बेटी को भी नहीं छोड़ा। तभी उस लड़की ने डांस शुरू कर दिया… रॉक इन रोल बेबी रॉक इन रोल… गाना भी ऐसा था… और उस पर घूमती हुई वो बिल्कुल बेबी डॉल जैसी ही लग रही थी।
और यह क्या? वो सामने वाला बुड्ढा बिल्कुल सही था… लड़की ने काली नेट वाली कच्छी ही पहनी हुई थी… कच्छी भी इतनी उसके चूतड़ों से चिपकी हुई थी कि उसके चूतड़ और चूत के सभी उभार साफ़ पता चल रहे थे।
वैसे तो वहाँ कोई मर्द नहीं था और हम लोग उसको नहीं दिख रहे होंगे पर फिर भी कुछ वेटर तो थे ही, वो सब ड्रेस में सर्विस दे रहे थे। मगर उनको किसी की चिंता नहीं थी, तभी दूसरे ने 5000 का चेक उसको तुरंत ही दे दिया- ले यार तू जीत गया.. पर यह बता कि तूने कब देख ली इसकी कच्छी? क्योंकि कलर तक तो सही था पर नेट भी पता होना संदेह में डालता है?
वो जोर से हंसा, बोला- हाँ, अभी जब आया था.. तभी देख लिया था, यह वहाँ कोने में उकड़ू बैठी कुछ कर रही थी, तभी साफ़ साफ़ दिख गई थी। दूसरा- ओह तभी साले इतना उछल रहा था… चिड़िया के दर्शन पहले ही कर लिए… डबल फ़ायदा… फ़ुद्दी भी देख ली और पैसे भी… सही है.. कोई बात नहीं !!
मैं उनकी बातें सुनकर सोच रहा था कि यार यहाँ तो कमाई भी हो सकती है, बस अरविन्द और मेहता अंकल चुप रहें। मैं यहाँ बहुत ही मस्ती और फिर कुछ शर्त लगाने की भी योजना बनाने पर विचार करने लगा था, देखता हूँ कितनी सफलता मिलती है। फिलहाल बहुत ही मजा आने वाला था।
कहानी जारी रहेगी।
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