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आपकी सारिका कंवल उसने अपने लंड को हाथ से हिलाया और कहा- अपनी टाँगें फैलाइए और मोड़ लीजिए। मैंने अपनी टाँगें फैला लीं और घुटनों से मोड़ लिया। मुर्तुजा मेरी टांगों के बीच आया उसने अपने लिंग को मेरी योनि के पास रखा और हाथ से लिंग को पकड़ कर मेरी योनि के बीच ऊपर-नीचे रगड़ने के बाद सुपाड़े को योनि की छेद में टिका दिया। उसने मुझसे कहा- थोड़ा जोर लगाइएगा। मैंने उसके कमर को पकड़ा और तैयार हो गई। उसने जोर लगाया और मैंने भी, पर लिंग फिसल कर दूसरी तरफ चला गया। उसने फिर से एक हाथ से लिंग को पकड़ा और छेद पर टिकाया फिर जोर लगाया पर फिर से लिंग फिसल गया। तब मैंने उसके लिंग को पकड़ कर योनि के छेद पर लगाया और कहा- अब घुसाइए…! उसने जोर लगाया तो लिंग थोड़ा घुस गया। फिर मैंने अपना हाथ हटा कर उसकी कमर को पकड़ लिया। उसने मुझसे कहा- आपकी बुर बहुत गीली हो गई है, इसलिए फिसला जा रहा है। मैंने कहा- ठीक है अब जल्दी से चोदिए और जल्दी झड़ने की कोशिश करिएगा। उसने कहा- ठीक है पर क्या आप झड़ना नहीं चाहती? मैंने कहा- अभी समय नहीं है इसके बारे में फिर कभी सोचेंगे, फिलहाल बच्चों को लेने जाना भी है। उसने कहा- ठीक है आप मुझे जोर से पकड़ लीजिए, मैं जोर से धक्का मारूँगा, आप बर्दाश्त कर लेंगी न? मैंने कहा- ठीक है.. अब बातों में समय जाया मत करिए… चोदिए भी! उसने कहा- ठीक है.. आप अपनी बुर को थोड़ा ढीला करिए, लंड पूरा घुसा लूँ तो फिर जरा गीला हो जाएगा। मैंने कहा- जोर से झटका नहीं देना.. धीरे-धीरे करके घुसाना…! उसने धीरे-धीरे जोर लगाया और मैंने भी शुरू में हल्की तकलीफ महसूस की। ऐसा लगा जैसे कोई मेरी योनि को दोनों तरफ से खींच रहा हो, पर जब पूरा घुस गया तो अच्छा लगने लगा। मुझे उसका लिंग अपनी योनि में किसी गर्म लोहे की तरह लग रहा था। हम दोनों इतने गर्म थे, पर बातें ऐसे कर रहे थे जैसे कितनी समझदारी की हो! उसने मुझसे कहा- आपकी बुर बहुत गर्म है और कितनी मुलायम है! मैंने अपना सर उठा कर नीचे देखा तो ऐसा लग रहा था जैसे सिर्फ बाल ही है लिंग कहीं गायब हो गया है क्योंकि मेरी योनि में भी बाल थे। मैंने अपनी कमर को ऊपर उठाते हुए कहा- अब प्लीज बातें बंद कीजिए और फटाफट चोदिए वरना देर हो जाएगी। उसने कहा- ठीक है! और वो धक्के लगाने लगा। थोड़ी देर में मुझे याद आया कि उसने कन्डोम नहीं लगाया, सो मैं छटपटाते हुए उससे कहने लगी- लंड बाहर निकालो… जल्दी निकालो! उसने मेरी ऐसी हरकत पर लिंग बाहर निकाल लिया और पूछा- क्या हुआ? मैंने कहा- आपने कन्डोम नहीं लगाया है! उसने कहा- अब कोई प्लान तो था नहीं कि ऐसा करेंगे, सो अब कन्डोम कहाँ से लाएं? मैंने कहा- नहीं बिना कन्डोम के ठीक नहीं क्योंकि मैं भी अभी दवा भी नहीं ले रही हूँ। उसने अब फिर से विनती करनी शुरू कर दी, पर मेरा दिल नहीं मान रहा था। पर मेरे जिस्म की आग के आगे मैं हार गई और उसे इज़ाज़त दे दी। उसने अपने लिंग पर थूक लगा कर फिर से मेरी योनि में घुसा दिया और कहा- अब प्लीज कुछ मत कहना मुझे चोदने दो… मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकता! उसने धक्के लगाने शुरू कर दिए। मैं भी उसके धक्कों के आगे सब भूलती चली गई। हम दोनों को ऐसा लग रहा था जैसे कोई खजाने की तलाश में है। वो धक्के लगाते हुए कभी मुझे चूमता तो कभी जीभ से मेरे गले और स्तनों के बीच गहराइयों को चाट लेता। मैं भी उसके हरकतों से पागल सी हुई जा रही थी और हर धक्के पर अपनी टाँगें और फैला देती। मेरी योनि से पानी रिसने लगा था और योनि के चारों तरफ फ़ैल कर चिपचिपा सा लगने लगा था। मेरी पैंटी पूरी तरह से भीग गई थी। उसका लिंग जब अन्दर जाता मुझे ऐसा लगता जैसे एक करंट मेरी योनि से होता हुआ मेरी नाभि में फ़ैलता जा रहा है। अब खुद को रोकना मुश्किल हो रहा था सो मैंने उसे पूरी ताकत से पकड़ लिया और अपनी टाँगें सटा लीं। तब उसने कहा- अपनी टांगों को फैलाओ मुझे चोदने में परेशानी हो रही है, ऐसे में पूरा नहीं घुस रहा..! मैंने अपने होंठों को होंठों से मसलते हुए धीमी आवाज में कहा- अब और नहीं होगा मुझसे… मैं झड़ने वाली हूँ! और यह कहते ही मेरी योनि की मांसपेशियाँ सिकुड़ने लगीं, जैसे उसके लिंग को चबा जाना चाहती हों और मैं अपनी कमर को उछालने लगी। उसने कहा- अपनी बुर को ढीला करिए.. लंड में दर्द हो रहा है.. प्लीज ठीक से चोदने दीजिए! मैं अपने बदन को ऐंठते हुए उसे आदेशात्मक स्वर से कहने लगी- रुको मत… चोदते रहो! वो समझ गया एक इस वक़्त कुछ नहीं मैं सुनने वाली, सो उसने उसी तरह धक्का देना शुरू कर दिया। मैंने कहा- थोड़ा तेज़ी से चोदिए! उसने कहा- हाँ चोद रहा हूँ! और उसकी रफ़्तार तेज़ हो गई। मैंने भी अपनी कमर को उछालना शुरू कर दिया और उसके दस-बारह धक्कों में मैं झड़ते हुए शांत हो गई। पर वो धक्के अभी भी लगा रहा था। मेरी पकड़ ढीली होने लगी और वो धक्के पूरे जोर से लगाने लगा। वो कोशिश कर रहा था कि लिंग पूरा घुसा दे, उसने धक्के लगाते हुए कहा- आप झड़ गईं? मैंने कहा- हाँ… अब आप भी जल्दी कीजिए! उसने कहा- कोशिश तो कर रहा हूँ…आपको मजा आया या नहीं! मैंने कहा- आया.. पर ऐसा मजा भी कोई मजा है… जल्दीबाजी में? उसने कहा- हाँ.. ये तो है! फिर उसने कहा- आपको चोदने में बहुत मजा आ रहा है। मैंने पहले ऐसे कहीं नहीं चोदा किसी को। मेरी बीवी तो कुछ बोलती ही नहीं है बस चुदवाती है और सो जाती है। मैंने उससे कहा- प्लीज बातें बंद करके जल्दी से चोदिए! उसने मेरी बातें सुनते ही तेज़ी से धक्के लगाने शुरू कर दिए। वो जोर-जोर से झटके देने लगा। उसके हर धक्के पर मैं ‘हम्म्म्म… हम्म्म हम्म्म्म’ की आवाज निकालने लगी, फिर कुछ और जोरदार झटकों के बाद वो शांत हो गया। मेरी योनि के अन्दर गर्म तेल सा महसूस हुआ और उसने अपना वीर्य मेरे अन्दर छोड़ दिया। मैंने उससे कहा- अपना लंड तुरंत बाहर निकालिए जल्दी! उसने लिंग बाहर निकाल लिया। मैंने तुरंत उससे रुमाल माँगा और योनि के अन्दर डाल कर वीर्य को साफ़ किया। उसका वीर्य इतना गाढ़ा और चिपचिपा था कि योनि से बाहर नहीं आ रहा था। मैंने फिर अपनी पैंटी को ठीक किया कपड़े ठीक किए और चलने को तैयार हो गई। हमने एक-दूसरे को संतुष्टि भरी निगाहों से देखा और मुस्कुराते हुए चलने का तय किया। हम कुछ दूर पैदल चले क्योंकि आस-पास कोई रिक्शा नहीं था। इस बीच उसने मुझसे पूछा- आपको संतुष्टि तो हुई न? मैंने कहा- हाँ.. कुछ तो राहत मिली, आपको हुई या नहीं? उसने जवाब दिया- हाँ.. पर जो मजा फुरसत में है, इस जल्दबाजी में कहाँ…क्या कभी हम फुर्सत में मिल नहीं सकते? मैंने कुछ सोचा कि क्या यह सही होगा? या नहीं? फिर मैंने कहा- मैं तो फिलहाल अकेली रहती हूँ बच्चों के साथ.. मगर रात में ही मिल सकती हूँ! उसने तुरंत कहा- आज रात को मिलें फिर? मैंने कहा- नहीं… आज नहीं… फिर कभी! उसने कहा- कब? मैंने कहा- कल! उसने कहा- ठीक है। मैं अपने बच्चे को लेकर घर चली आई और दिन में बड़ी प्यारी नींद आई। मैं बहुत दिनों के बाद सुकून से सोई थी। रात में भी मुर्तुजा से देर रात बात हुई। मेरी अंतहीन प्यास की कहानी जारी रहेगी। आप मुझे ईमेल कर सकते हैं। [email protected]
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