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यह कहानी मेरे एक दोस्त की है, उसी के शब्दों में पेश कर रहा हूँ।
अगर कहा जाए तो सब अपनी कहानी सच ही लिखते हैं। बस अपनी कहानी को थोड़ा रोमाँचक बनाने के लिए फालतू की बातें भी जोड़ देते हैं। जैसे अपने लण्ड के साइज़ को ही झूठ बोलते हैं और बोलेंगे भी क्यों नहीं… किसी भी लड़की को छोटा लण्ड अच्छा नहीं लगता। भाई लोग मेरी कहानी भी ज़्यादा अलग नहीं है। अपनी कहानी शुरू करने से पहले अपने बारे में बताना तो बनता है।
मैं दिल्ली से हूँ और मेरी उम्र 19 साल है, मैं देखने में स्मार्ट हूँ, यह तो मैं ज़रूर कहूँगा जिससे लड़कियाँ मेरे से ज़्यादा बात करें। मैं फुल-टाइम मस्ती करता हूँ। अभी मेडिकल की कोचिंग के लिए कोटा आया हुआ हूँ।
तो शुरू करता हूँ… बात अगस्त की है, मैं कोटा में नया आया था और यहाँ साला मन भी नहीं लगता था।
अब एक दिन मेरे पास एक कॉल आया। वो कॉल मेरी पुरानी दोस्त अंजलि (नाम बदला हुआ) का था। उसने बताया कि वो भी कोटा में ही है और उसे यह नंबर मेरे घर से मिला है। उसने काफ़ी देर तक बातें की। इन बातों में बस एक चीज़ ही मेरी पसन्द की थी।
उसने कहा- अगर तेरा यहाँ मन नहीं लग रहा है, तो तुझे कोई लड़की पटवाने में तेरी मदद करूँ..! यह सुनकर मैं खुश हुआ.. अजी खुश क्या बहुत ही खुश हुआ..!
कुछ दिन बाद मैं अपने दोस्तों से बातें कर रहा था कि एक लड़की का कॉल आया। उसने मुझे बताया कि आपका नंबर मुझे अंजलि ने दिया है।
मैंने उससे बातें भी खूब की, जैसे क्या कर रही है, मुझे देखा कि नहीं, मेरे से कब मिलोगी.. वगैरह वगैरह…! उसने भी चूतिया बनाने वाले जवाब दिए। उसने कहा- वो भी मेडिकल में है, उसने मेरा फोटो फ़ेसबुक पर देखा, कल ही मेरे से मिलेगी, फिल्म देखने के बहाने!
अब यार पहली बार कोई लौंडिया को बिना देखे मिलने जाना था, मेरी गांड फट रही थी कि कहीं छम्मक-छल्लो जैसी ना हो, काली सी ना हो, यह सब सोच कर मैं अपने दो दोस्त अभिषेक और शुभम को अपने साथ ले गया और उन्हें समझा दिया कि उसे पता ना चले कि तुम लोग मुझे जानते हो। मैंने मूवी के टिकट ले लिए और उसका इंतजार करने लगा, साथ में गांड भी फट रही थी कि कोई काली सी लड़की चेप ना हो जाए।
करीब 15 मिनट बाद अंजलि के साथ एक लड़की आई, कसम से एकदम मस्त माल.. मोटे-मोटे मम्मे, कमर पतली, गांड हाए… हाए.. दिल पे छुरियाँ चल गईं…! अंजलि ने उससे मेरा परिचय करवाया, उसका नाम तो बताना ही भूल गया, उसका नाम संस्कृति था। अब मेरे दोस्तों ने मुझे देख कर मैसेज किया- बेटा मिल गई चोदने को रापचिक लौंडिया…! अब तो हमें भूल ही जाएगा…!
उनका मैसेज पढ़ कर मुझे अपने आप पर गर्व हुआ, हम लोग थियेटर में पहुँच गए।
सामने मूवी चल रही है और मैं संस्कृति के मम्मे देख रहा हूँ। अब हिम्मत करके मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रखा तो उसने अपना हाथ वहाँ से हटा लिया। मेरी किस्मत तो देखो साला… तभी इंटरवल हो गया।
फिर साला टॉयलेट में दोस्तों ने पकड़ लिया। सवाल ऐसे पूछे जो सिर्फ़ दोस्त ही पूछ सकता है। एक बोला- अबे साले ‘चूमा’ कितनी देर तक लिया? दूसरा- चूची दबाकर मज़ा आया कि नहीं? तीसरा- चूची चूसी या नहीं?
अब सालों से क्या कहता कि बहनचोद ने हाथ पर हाथ भी ना रखने दिया। कुछ देर बाद मैं वापस थियेटर में पहुँच गया। अब मेरी गांड जल रही थी, उस लड़की के साथ मैं चुपचाप मूवी देखने लगा।
अब उसने ही मेरे हाथ पर हाथ रखा और पूछा- नाराज़ हो क्या? लड़की ने शुरू किया तो मैंने मुस्कुरा कर कहा- नहीं.. नाराज़ नहीं हूँ… बस मूवी देख रहा हूँ।
उस दिन तो सिर्फ़ उसका हाथ ही पकड़ कर रह गया। दो दिन बाद मैं फिर उसके साथ मूवी देखने गया। इस बार साली का चूमा भी लिया।
उसके बाद तो आए दिन ही मूवी देखने भाग जाता था। अब तो साली के मम्मे भी पिए और दबाए.. बस इससे ज़्यादा कुछ नहीं हुआ। होता भी कैसे… थियेटर में तो जब मम्मे ही दबाने जाते हैं।
अभी सात दिन पहले मैंने उससे अपने हॉस्टल में आने के लिए कहा। शायद आज किस्मत साथ दे रही थी इसलिए हॉस्टल का मालिक भी नहीं था। सभी लड़के कोचिंग गए थे, जो सुबह वाले बैच के थे, वो सो रहे थे। अब मैंने अपने दोस्त को हॉस्टल के दरवाज़े पर खड़ा कर दिया और मैं अपनी आइटम को लेने चला गया।
साली कोचिंग के पास खड़ी थी, कन्धों पर बैग टांग रखा था.. हरे रंग का टॉप और जीन्स पहन रखी थी। अपनी कसम… पूरी ब्लू-फिल्म की पॉर्न-स्टार लग रही थी। पर पता नहीं चलता, लड़कियों की दूर से गांड देख कर कैसे साला सबका लण्ड खड़ा हो जाता है, मेरा तो आज तक नहीं हुआ।
बस गांड को देखना अच्छा लगता था, पर दूर से देखने पर खड़ा कभी नहीं हुआ। उसको अपने साथ लाने से भी गांड चौड़ी हो रही थी। क्योंकि उस एरिया में मेरे को सब जानते हैं!
मैंने संस्कृति से कहा- मेरे पीछे-पीछे आ जाओ… मेरे दोस्त शोएब ने संस्कृति और मुझे हॉस्टल में एंट्री करवाई.. पता नहीं शोएब ने क्या ऐसा किया था, पर उस दिन तो पूरा हॉस्टल खाली था।
अपनी आइटम को अपने रूम में लेकर आ गया, अब वो साली मेरे से बातें चोदने लगी! संस्कृति- वैसे बाबू, तुम्हारी उमर क्या है? मैं- मैं 19 साल का हूँ…! संस्कृति- झूठ मत बोलो जान…! मैं- सच जानू…! संस्कृति- तुम तो मेरे से एक साल छोटे हो.. मैं 20 की हूँ…! मैं- तो क्या हुआ.. आज कल तो सब चलता है…!
इस तरह चोदू किस्म की बातें.. जिनसे मुझे गुस्सा और आने लगा था.. मन कर रहा था कि बहनचोद को अभी धक्के मार कर बाहर निकल दूँ, पर मैंने अपने पर काबू किया..! मुझे उस वक़्त उसकी चूत जो दिख रही थी। मैं- प्यार उम्र नहीं देखता… अब तुम मेरे से प्यार करो या ना करो मैं तो करूँगा..!
इतना कहते ही मैंने अपने होंठ उसके होंठ से मिला दिए और लगा साली को चूसने। वो इसके लिए तैयार नहीं थी, लेकिन थोड़ी देर में उसको भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी।
पर वो ये सब अभी नहीं चाहती थी, वो मुझसे प्यार करने लगी थी। चुदाई के बारे में तो उसने कभी सोचा ही नहीं था, पर मैंने उसकी बात ज़्यादा ना सुनते हुए उसे दोबारा चुम्बन करने लगा।
मैंने उसे बिस्तर पर धक्का दिया, आज उसके आने की खुशी में मैंने बिस्तर फूलों से सजाया था। अब मैं उसके कपड़े उतारने लगा, थोड़ी सी देर में मैंने उसे नंगी कर दिया। अब शर्म की वजह से मुझसे आकर चिपक गई, मैंने उससे बेतहाशा चूमा, अब वो मेरा साथ देने लगी थी।
मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए, मैं भी अब उसके सामने नंगा था। मैं उसके चूचे पी रहा था, जो सच में बहुत बड़े-बड़े थे, मेरे हाथ में भी नहीं आ रहे थे। मैं कभी उसका दायाँ मम्मा कभी बायाँ मम्मा चूस रहा था।
मैं धीरे-धीरे नीचे आया, जहाँ चूत होती है और उसकी बुर चाटने लगा। एकदम साफ-सुथरी और गुलाबी चूत, जिस पर एक भी बाल नहीं था। संस्कृति सिसकारियाँ ले रही थी, मुझे भी मज़ा आ रहा था। इसी बीच संस्कृति झड़ गई।
अब मेरे लण्ड को पास से देखती ही बोली- यार, ये क्या.. इतना बड़ा.. मेरे में चला जाएगा? मैंने कहा- मुँह में डाल कर देखो, अगर मुँह में चला जाएगा, तो चूत में भी चला जाएगा! इतना कहने पर वो मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी। कभी मुँह में रखकर टॉफ़ी की तरह चूसती तो कभी आगे-पीछे करके चूसती.. तो कभी गोलियों को चूसती।
मुझे खूब मज़ा आ रहा था, मैं झड़ने वाला था, उससे पूछा- कहाँ लोगी मेरा माल..! मुँह में या बदन पर? उसने कहा- स्वाद लेकर देखने दो.. कैसा लगता है…! और मादरचोदी मेरा पूरा माल अन्दर ले गई। अब हम एक-दूसरे को चूमने लगे।
मैं फिर उसकी चूत चाटने लगा, कुछ देर बाद वो मेरा लण्ड चूसने लगी। अब उसने कहा- अब नहीं रहा जाता, डाल दो अपना साँप मेरे बिल में..! मैंने अपने लण्ड पर थोड़ा तेल लगाया और थोड़ा उसकी चूत में उंगली डाल कर लगाया।
लौड़ा निशाने पर रख कर एक-दो बार धक्के दिए, पर अन्दर नहीं गया। उसकी चूत बहुत कसी हुई थी। फिर मैंने ज़ोर से पकड़ कर एक धक्का दिया, आधा लण्ड चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया। वो बहुत तेज़ चिल्लाई, उसकी चूत से खून की धार बहने लगी और आँखों से आँसुओं की धारा बहने लगी। मैंने अपना हाथ उसके मुँह पर रख दिया और उसे चूमने लगा। उसके चूची पीने लगा और उससे सहलाने लगा।
जब थोड़ा आराम हुआ तो मैंने एक और धक्का दिया और पूरा साँप बिल में घुस गया। मैंने पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया, उसकी साँस एकदम रुक गई.. आँखें बाहर को निकल आईं। मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रखे और चूमने लगा। कुछ देर बाद वो नीचे से गांड हिलाने लगी, तभी मैंने भी उसका साथ दिया और आगे-पीछे होने लगा।
फिर 15 मिनट तक चूत-लण्ड का घमासान युद्ध हुआ। चूत.. लण्ड के सामने पानी-पानी हो गई। अब हम दोनों आराम से पड़े हुए थे।
संस्कृति उठी अपनी चूत और बिस्तर को देख कर घबरा गई। उसकी चूत, गांड और बिस्तर खून में सने हुए थे। मैंने उससे बताया कि पहली बार ऐसा ही होता है.. बाद में सब ठीक हो जाता है।
उसे चलने में दिक्कत हो रही थी, तो मैंने उससे पेनकिलर दी और उसे उसके हॉस्टल छोड़ कर आ गया! तब से अब तक मैंने उसे 3 बार चोदा है।
कैसी लगी मेरी गाथा, दोस्तो, प्लीज़ अपने विचारों का अचार जरूर दें! [email protected]
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